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डेली न्यूज़

  • 12 Feb, 2024
  • 50 min read
शासन व्यवस्था

प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना और मत्‍स्‍य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा, मत्स्य पालन क्षेत्र, किसान क्रेडिट कार्ड, मत्‍स्‍य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष।

मेन्स के लिये:

भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र, भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में सुधार के लिये उठाए गए कदम 

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (Pradhan Mantri Matsya Kisan Samridhi Sah-Yojana- PM-MKSSY) को मंजूरी दे दी है और मत्‍स्‍य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (Fisheries Infrastructure Development Fund - FIDF) को 2025-26 तक अतिरिक्त 3 वर्षों के लिये विस्तार प्रदान किया है।

  • इसके विस्तार का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र के अवसंरचनात्मक विकास की ज़रूरतों को पूरा करना, निरंतर विकास और वृद्धि सुनिश्चित करना है।

प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना क्या है?

  • परिचय:
    • PM-MKSS, मत्स्य पालन क्षेत्र को औपचारिक बनाने और वित्त वर्ष 2023-24 से वित्तीय वर्ष 2026-27 तक सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अगले चार वर्षों की अवधि में 6,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के साथ मत्स्य पालन सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों का समर्थन करने के लिये प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा (Pradhan Mantri Matsya Sampada- PMMSY) के तहत एक केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजना है। 
  • उद्देश्य:
    • राष्ट्रीय मत्स्य पालन क्षेत्र डिजिटल प्लेटफॉर्म (Fisheries Sector Digital Platform- NFDP) के तहत मछुआरों, मत्स्य किसानों और सहायक श्रमिकों के स्व-पंजीकरण के माध्यम से असंगठित मत्स्य पालन क्षेत्र का क्रमिक औपचारिककरण।
    • मत्स्य पालन क्षेत्र के सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये संस्थागत वित्तपोषण तक पहुँच को सुविधाजनक बनाना।
    • जलीय कृषि बीमा खरीदने के लिये लाभार्थियों को एकमुश्त प्रोत्साहन प्रदान करना।
    • मत्स्य, मत्स्योत्पाद और नौकरियों के रखरखाव के लिये सुरक्षा एवं गुणवत्ता आश्वासन प्रणालियों को अपनाने तथा उनके विस्तार को प्रोत्साहित करना।
  • लक्षित लाभार्थी:
    • मछुआरे, मत्स्य (जलकृषि) किसान, मत्स्य श्रमिक, विक्रेता, और मत्स्य पालन मूल्य शृंखला में शामिल अन्य हितधारक।
    • सूक्ष्म व लघु उद्यम स्वामित्व फर्म, साझेदारी फर्म, सहकारी समितियाँ, संघ, स्टार्टअप, मत्स्य FPO (कृषक उत्पादक संगठन) और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि में लगे हुए हैं।
    • कोई अन्य लाभार्थी जिन्हें मत्स्य पालन विभाग द्वारा लक्षित लाभार्थियों के रूप में शामिल किया जा सकता है।
  • कार्यान्वित रणनीति:
    • घटक 1-A: मत्स्य पालन क्षेत्र का औपचारिकीकरण:
      • हितधारकों की एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाकर असंगठित मत्स्य पालन क्षेत्र को औपचारिक बनाने के लिये NFDP की स्थापना की जाएगी।
      • NFDP के कार्य: प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता में सुधार, परियोजना तैयारी सहायता, और मत्स्य पालन सहकारी समितियों को मज़बूत करना।
    • घटक 1-B: जलकृषि बीमा को अपनाने की सुविधा:
      • जलीय कृषि के लिये बीमा उत्पादों की स्थापना, कम से कम 1 लाख हेक्टेयर को कवर करना, प्रति किसान अधिकतम 1,00,000 रुपए का प्रोत्साहन (प्रोत्साहन के लिये कृषि क्षेयर न्यनतम 4 हेक्टेयर होना चाहिये) और गहन जलीय कृषि विधियों के लिये 40% प्रोत्साहन। 
      • अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिला लाभार्थियों को अतिरिक्त 10% प्रोत्साहन मिलता है।
    • घटक 2: मत्स्य पालन क्षेत्र मूल्य शृंखला दक्षता में सुधार के लिये सूक्ष्म उद्यमों का समर्थन करना:
      • प्रदर्शन अनुदान के प्रावधान के तहत मूल्य शृंखला दक्षता में सुधार करना। प्रदर्शन अनुदान के लिये पैमाना और मानदंड:
      • अति लघु उद्योग:
        • सामान्य श्रेणी: अनुदान कुल निवेश का 25% या 35 लाख रुपए तक सीमित है।
        • SC, ST, महिला स्वामित्व: अनुदान कुल निवेश का 35% या 45 लाख रुपए तक सीमित है।
      • ग्राम स्तरीय संगठन और संघ: अनुदान कुल निवेश का 35% या 200 लाख रुपए (जो भी कम हो) से अधिक नहीं होना चाहिये।
    • घटक 3: मछली और मत्स्य उत्पादों के लिये सुरक्षा एवं गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली:
      • सुरक्षा और गुणवत्ता, बाज़ार विस्तार और विशेषकर महिलाओं के लिये रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने हेतु मत्स्य पालन उद्यमों को प्रोत्साहित करना।
      • अनुदान: 
        • सूक्ष्म उद्यम: मूल्य शृंखला दक्षताओं के समान।
        • लघु उद्यम: कुल निवेश का 25% या 75 लाख रुपए (सामान्य श्रेणी), कुल निवेश का 35% या 100 लाख रुपए (SC/ST/महिला-स्वामित्व वाली)।
        • ग्राम-स्तरीय संगठन और महासंघ: मूल्य शृंखला दक्षता के समान।
    • घटक 4: परियोजना प्रबंधन, निगरानी और रिपोर्टिंग:
      • परियोजना गतिविधियों के प्रबंधन, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के लिये परियोजना प्रबंधन इकाइयों (PMU) की स्थापना।

भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र:

  • वर्ष 2022-23 में भारत का कुल मतस्य उत्पादन 174 लाख टन रहा। भारत, विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मतस्य उत्पादक है, जो कुल वैश्विक मतस्य उत्पादन में 8% का योगदान देता है।
  • 10 वर्षों की अवधि में (2013-2023-24) के दौरान:
    • मतस्य उत्पादन 79.66 लाख टन बढ़ा।
    • इस अवधि के दौरान तटीय जलीय कृषि में मज़बूत वृद्धि देखी गई।
    • झींगा का उत्पादन 270% बढ़ा।
    • झींगा निर्यात 123% की वृद्धि प्रदर्शित करते हुए दोगुने से भी अधिक हो गया।
    • ~63 लाख मछुआरों और मछली किसानों के लिये रोज़गार और आजीविका के अवसर उत्पन्न हुए।
  • समूह दुर्घटना बीमा योजना (GAIS) के तहत प्रति मछुआरा कवरेज 1.00 लाख रुपए से बढ़कर 5.00 लाख रुपए हो गया, जिससे कुल मिलाकर 267.76 लाख मछुआरों को लाभ हुआ।
    • वर्ष 2019 में मत्स्य पालन के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के विस्तार के साथ 1.8 लाख कार्ड जारी किये गए।
  • महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों के बावजूद, इस क्षेत्र में चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, जिनमें इसकी अनौपचारिक प्रकृति, फसल जोखिम शमन की कमी, कार्य-आधारित पहचान प्राप्त न होना, संस्थागत ऋण तक बेहतर पहुँच न होना और सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों द्वारा बेची जाने वाली मछली की उप-इष्टतम सुरक्षा एवं गुणवत्ता मानक शामिल हैं। 

मत्स्य पालन अवसंरचना विकास निधि (FIDF) क्या है?

  • परिचय:
    • इसकी स्थापना मत्स्य पालन विभाग (मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय) द्वारा की गई है। FIDF PMMSY तथा KCC जैसी योजनाओं के निधि पूरक के रूप में कार्य करता है।
    • FIDF का उद्देश्य समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन क्षेत्रों में मत्स्य पालन हेतु बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना है।
  • कार्यान्वयन तंत्र:
    • रियायती वित्त: FIDF पात्र संस्थाओं (EE) को नोडल ऋण संस्थाओं (NLE) अर्थात् नाबार्ड, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) और सभी अनुसूचित बैंकों के माध्यम से रियायती वित्त प्रदान करता है।
      • FIDF के तहत पात्र संस्थाओं (EE) में राज्य सरकारें, सहकारी समितियाँ, मत्स्य पालन सहकारी संघ, गैर सरकारी संगठन, महिला उद्यमी, निजी कंपनियाँ इत्यादि शामिल हैं।
    • ब्याज अनुदान/सहायता:
      • भारत सरकार प्रति वर्ष 3% तक की ब्याज पर छूट प्रदान करती है।
      • पुनर्भुगतान/चुकौती की अवधि 12 वर्ष तक होती है जिसमें NLE द्वारा 5% प्रति वर्ष की न्यूनतम ब्याज़ दर पर रियायती वित्त प्रदान करने के लिये 2 वर्ष का अधिस्थगन भी शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. अवैध शिकार के अतिरिक्त गंगा नदी डॉल्फिन की आबादी में गिरावट के संभावित कारण क्या हैं? (2014)

  1. नदियों पर बाँध एवं बैराज का निर्माण।
  2. नदियों में मगरमच्छों की आबादी में वृद्धि।
  3. गलती से मछली पकड़ने के जाल में फँस जाना।
  4. नदियों के आसपास के क्षेत्रों में फसल-खेतों में सिंथेटिक उर्वरकों और अन्य कृषि रसायनों का उपयोग।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत निम्नलिखित में से किन उद्देश्यों के लिये कृषकों को अल्पकालिक ऋण समर्थन उपलब्ध कराया जाता है? (2020)

  1. कृषि परिसंपत्तियों के रख-रखाव हेतु कार्यशील पूंजी के लिये 
  2. कंबाइन कटाई मशीनों, ट्रैक्टरों एवं मिनी ट्रकों के क्रय के लिये 
  3. कृषक परिवारों की उपभोग आवश्यकताओं के लिये 
  4. फसल कटाई के बाद के खर्चों के लिये 
  5. परिवार के घर निर्माण और गाँव में शीतगार सुविधा की स्थापना के लिये

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. ‘नीली क्रांति’ को परिभाषित करते हुए भारत में मत्स्य पालन की समस्याओं और रणनीतियों को समझाइये। (2018)


भूगोल

वायुमंडलीय नदी

प्रिलिम्स के लिये:

वायुमंडलीय नदी, पाइनएप्पल एक्सप्रेस, राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA)

मेन्स के लिये:

वायुमंडलीय नदी, भौगोलिक विशेषताएँ और उनकी अवस्थिति, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

चर्चा में क्यों?

कैलिफोर्निया, अमेरिका वर्तमान में एक असाधारण मौसमीय घटना का सामना कर रहा है जिसे वायुमंडलीय नदी (Atmospheric River) के रूप में भी जाना जाता है तथा इसे पाइनएप्पल एक्सप्रेस तूफान भी कहा जाता है। इसकी क्षमता संबद्ध क्षेत्र में 8 ट्रिलियन गैलन तक बारिश करने की है।

वायुमंडलीय नदी क्या है?

  • परिचय:
    • वायुमंडलीय आद्रता युक्त वायु का एक विस्तृत, संकीर्ण बैंड है जो उष्णकटिबंधीय से उच्च अक्षांशों तक महत्त्वपूर्ण मात्रा में जल वाष्प पहुँचाता है।
      • वायुमंडलीय नदियाँ अक्सर mT (समुद्री उष्णकटिबंधीय) वायु द्रव्यमान से जुड़ी होती हैं।
    • जब ये नदियाँ भूस्खलन करती हैं तो वे इस आद्रता को वर्षण में परिवर्तित करती हैं जो तुंगता और ताप के आधार पर वर्षा अथवा हिमपात के रूप में प्रकट हो सकती हैं।
    • इसलिये अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • पाइनएप्पल एक्सप्रेस:
    • "पाइनएप्पल एक्सप्रेस" वायुमंडलीय नदी तूफानों का एक प्रसिद्ध उदाहरण है जो अमेरिका के पश्चिमी तट, विशेष रूप से कैलिफोर्निया में भारी वर्षण का कारण बनता है।
    • हवाई द्वीप के समीप उष्णकटिबंधीय जल से आद्रता प्राप्त करने के कारण इन तूफानों को यह नाम दिया गया है।
      • यह वायुमंडलीय नदी ध्रुवीय जेट प्रवाह की एक सुदृढ़ दक्षिणी शाखा द्वारा संचालित होती है और हवाई द्वीप जैसे दूरवर्ती क्षेत्रों से आर्द्र,ऊष्म mT वायु प्राप्त करती है।

  • श्रेणियाँ:
    • श्रेणी 1 (कमज़ोर): श्रेणी 1 वायुमंडलीय नदी एक हल्की और संक्षिप्त मौसमी घटना होगी जिसका मुख्य रूप से लाभकारी प्रभाव होगा, जैसे 24 घंटे की मामूली वर्षा
    • श्रेणी 2 (मध्यम): श्रेणी 2 वायुमंडलीय नदी एक मध्यम तूफान है जिसका अधिकतर लाभकारी प्रभाव होता है, लेकिन कुछ हद तक हानिकारक भी होता है।
    • श्रेणी 3 (मज़बूत): श्रेणी 3 की वायुमंडलीय नदी लाभकारी एवं खतरनाक प्रभावों के संतुलन के साथ अधिक शक्तिशाली और दीर्घकालिक होती है। उदाहरण के लिये इस श्रेणी का तूफान 36 घंटों में 5-10 इंच वर्षण करने में सक्षम है, जो जलाशयों का पुनर्भरण करने के लिये पर्याप्त है, लेकिन यह कुछ नदियों को बाढ़ की स्थितियों के निकट भी पहुँचा सकता है।
    • श्रेणी 4 (चरम): श्रेणी 4 वायुमंडलीय नदी अधिकतर खतरनाक होती है हालाँकि इसके कुछ लाभकारी पहलू भी होते हैं। इस श्रेणी का तूफान कई दिनों तक भारी वर्षा करने में सक्षम है जिससे कई नदियाँ बाढ़ की स्थिति में आ सकती हैं।
    • श्रेणी 5 (असाधारण): श्रेणी 5 वायुमंडलीय नदी मुख्य रूप से खतरनाक है।
      • एक वायुमंडलीय नदी जो 1996- 97 के नववर्ष की छुट्टियों की अवधि के दौरान मध्य कैलिफोर्निया तट पर 100 घंटे से अधिक समय तक चली। इस दौरान भारी बारिश और अपवाह के कारण 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की क्षति हुई।

  • महत्त्व:
    • वे विशेष रूप से पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे क्षेत्रों में जल के पुनर्भरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके द्वारा लाई जाने वाली भारी वर्षा जलाशयों के जलस्तर को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है, सूखे की स्थिति को कम करने और कृषि, औद्योगिक तथा घरेलू उपयोग के लिये जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है।
    • जल आपूर्ति के इसके महत्त्व को देखते हुए, प्रभावी जल संसाधन प्रबंधन और योजना के लिये वायुमंडलीय नदियों के बारे में जानना आवश्यक है। इसमें जल भंडारण, बाढ़ नियंत्रण और विभिन्न मांगों को पूरा करने के लिये जल संसाधनों के आवंटन की रणनीतियाँ भी शामिल हैं।
    • वायुमंडलीय नदियाँ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से उच्च अक्षांशों तक बड़ी मात्रा में जल वाष्प का परिवहन करके जल विज्ञान चक्र में संतुलन बनाए रखने में योगदान करती हैं। यह विभिन्न क्षेत्रों में नमी को पुनर्वितरित करने, पारिस्थितिक तंत्र और कृषि उत्पादकता का समर्थन करने में सहायता करता है।

नोट: एक वायुमंडलीय नदी को पृथ्वी की सतह पर पाई जाने वाली पारंपरिक नदी के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिये। एक दृश्य जल निकाय के विपरीत, एक वायुमंडलीय नदी आकाश में मौजूद एक अदृश्य, लंबा गलियारा है जो बड़ी मात्रा में जलवाष्प ले जाती है, जिससे मौसम का पैटर्न और वर्षा प्रभावित होती है।

वायुमंडलीय नदियाँ कितनी सामान्य हैं, और वे कहाँ पाई जाती हैं?

  • ये संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी कोस्ट तक सीमित नहीं हैं, ये दुनिया भर में हो सकती हैं। नमीयुक्त ये नदियाँ हज़ारों मील तक फैल सकती हैं और ब्रिटेन, आयरलैंड, नॉर्वे तथा चीन जैसे देशों को प्रभावित कर सकती हैं।
    • वायुमंडलीय नदियाँ अक्सर चीन में मेई-यू सीज़न के रूप में जाने जाने वाले बरसात के मौसम में  स्थिति को और भी बदतर बना देती हैं।
  • जबकि वे संयुक्त राज्य अमेरिका का पश्चिमी कोस्ट केवल 17% तूफानों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, वायुमंडलीय नदियाँ कैलिफोर्निया की वर्षा, बर्फबारी और बाढ़ में योगदान देती हैं। वे पूर्वानुमानित हैं और एक सप्ताह पहले तक इनका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

वायुराशियाँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • वायु द्रव्यमान हवा का एक बड़ा पिंड है जिसमें अपेक्षाकृत समान तापमान, आर्द्रता और दबाव की विशेषताएँ होती हैं। वायु का ये द्रव्यमान स्रोत क्षेत्रों पर बनता है, जहाँ वे कम हवा की गति के कारण नीचे की सतह की विशेषताओं को ग्रहण कर लेते हैं।
    • जब वायुराशि चलती है, तो वे उन क्षेत्रों में मौसम के पैटर्न को प्रभावित करती हैं, जब वे अन्य वायुराशियों के साथ संपर्क में आती हैं तो संभावित रूप से तूफानों का निर्माण होता है।
  • वायुराशियों के प्रकार:
    • महाद्वीपीय उष्णकटिबंधीय (cT): ये वायुराशियाँ गर्म और शुष्क महाद्वीपीय क्षेत्रों से उत्पन्न होती हैं। इनकी विशेषता उच्च तापमान और कम आर्द्रता है।
    • महाद्वीपीय ध्रुव (cP): ठंडे और शुष्क महाद्वीपीय क्षेत्रों से उत्पन्न, cP वायु द्रव्यमान की विशेषता निम्न तापमान और निम्न आर्द्रता है।
    • समुद्री उष्णकटिबंधीय (mT): ये वायुराशि गर्म और नम समुद्री क्षेत्रों पर बनती हैं। इनकी विशेषता उच्च तापमान एवं उच्च आर्द्रता है।
    • समुद्री ध्रुवीय (mP): ठंडे समुद्री क्षेत्रों से उत्पन्न, mP वायु द्रव्यमान की विशेषता निम्न तापमान और उच्च आर्द्रता है।
    • महाद्वीपीय आर्कटिक (cA): cA वायुराशियाँ अत्यधिक ठंडे आर्कटिक क्षेत्रों से उत्पन्न होती हैं। इनकी विशेषता बेहद निम्न तापमान और निम्न आर्द्रता है।

  • वायुराशियों के लक्षण:
    • वायुराशियाँ समान तापमान और आर्द्रता वाली विशाल सपाट सतहों पर उत्पन्न होती हैं।
    • वायुराशियाँ अपने स्रोत क्षेत्रों से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी धीरे-धीरे तय करती हैं।
    • जैसे-जैसे वायुराशि स्रोत क्षेत्रों से दूर जाती है, उनके तापमान और आर्द्रता की मुख्य विशेषताओं में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होते हैं। 
    • वे अपने द्वारा देखे गए क्षेत्रों की मौसम स्थितियों को प्रभावित करते हैं।
    • जब अलग-अलग तापमान और आर्द्रता के दो वायु द्रव्यमान एक-दूसरे के पास आते हैं, तो वे आपस में नहीं मिलते हैं बल्कि उनके बीच एक मोर्चा तैयार होता है।
      • इस दौरान मौसम की स्थिति अचानक बदल जाती है।
      • सामने की ओर आने वाली दो वायुराशियाँ एक दूसरे से अलग रहती हैं।  

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. अंटार्कटिक क्षेत्र में ओज़ोन छिद्र का होना चिंता का कारण रहा है। इस छिद्र के बनने का कारण क्या होगा? (2011)

(a) प्रमुख क्षोभमंडलीय विक्षोभ की उपस्थिति; और क्लोरोफ्लोरो कार्बन का अंतर्वाह।
(b) प्रमुख ध्रुवीय वाताग्र और समतापमंडलीय बादलों की उपस्थिति; तथा क्लोरोफ्लोरो कार्बन का अंतर्वाह।
(c) ध्रुवीय वाताग्र और समतापमंडलीय बादलों की अनुपस्थिति; तथा मीथेन एवं क्लोरोफ्लोरो कार्बन का वाताग्र।
(d) वैश्विक तापन के कारण ध्रुवीय क्षेत्र में तापमान में वृद्धि।

उत्तर: (b)

  • सर्दियों के अंत तथा वसंत की शुरुआत में अंटार्कटिक में समतापमंडलीय ओज़ोन परत के गंभीर क्षरण को 'ओज़ोन छिद्र' के रूप में जाना जाता है।
  • सर्दियों के मौसम में अंटार्कटिक क्षेत्रों में निचले समताप मंडल में वायु का तापमान बेहद कम होता है। ध्रुवीय समतापमंडलीय मेघ (PSC) ध्रुवीय ओज़ोन परत में तब बनते हैं जब सर्दियों में न्यूनतम तापमान- 78 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है। अंटार्कटिका में ऐसा औसतन लगभग 5 से 6 माह तक होता है।
  • इसके अतिरिक्त PSC में मौजूद नाइट्रिक एसिड CFC के साथ प्रतिक्रिया करके क्लोरीन बनाता है जो ओज़ोन के फोटोकैमिकल विनाश को उत्प्रेरित करता है।
  • हैलोजन गैसें मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय ऊपरी क्षोभमंडल से समताप मंडल में प्रवेश करती हैं तथा इन्हें समतापमंडलीय वायु गति के माध्यम से ध्रुवों की ओर ले जाया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त सर्दियों के माह में अंटार्कटिक क्षेत्र में समतापमंडलीय वायु लंबे समय तक अपेक्षाकृत पृथक रहती है क्योंकि तीव्र पवन अंटार्कटिक को घेर लेती हैं, जिससे एक ध्रुवीय भँवर उत्पन्न होता है जो ध्रुवीय समतापमंडल के अंदर अथवा बाहर वायु की पर्याप्त गति को बाधित करता है।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।


मेन्स:

प्रश्न.1 हिमांक-मंडल (क्रायोस्फेयर) वैश्विक जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करता है? (2017)

प्रश्न.2 आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप तथा मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं? स्पष्ट कीजिये। (2021)

प्रश्न 3. भारत आर्कटिक प्रदेश के संसाधनों में किस प्रकार गहन रुचि ले रहा है? (2018)


शासन व्यवस्था

ओडिशा और आंध्र प्रदेश में PVTG को ST सूची में शामिल करने हेतु विधेयक

प्रिलिम्स के लिये:

संसद, अनुसूचित जनजाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG), पीएम-जनमन

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, आबादी के कमज़ोर वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में संसद ने दो विधेयक पारित किये जिनका उद्देश्य आंध्र प्रदेश और ओडिशा में अनुसूचित जनजाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची को संशोधित करना है। लोकसभा में ये विधेयक ध्वनि मत (Voice Vote) से पारित हो गए।

ध्वनि मत:

  • ध्वनि मत में सदन के अध्यक्ष/सभापति द्वारा सदन के समक्ष प्रश्न रखते हुए सदन के सदस्यों से ‘हाँ’ (Ayes) और ‘ना’ (Noes) के रूप में अपनी राय देने को कहा जाता है। ध्वनि के आधार पर बहुमत का निर्णय करते हुए अध्यक्ष/सभापति तय करते हैं कि प्रस्ताव पारित किया गया था या नहीं।

विधेयक क्या हैं और वे क्या प्रस्तावित करते हैं?

  • आंध्र प्रदेश: संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 आंध्र प्रदेश के संबंध में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करना चाहता है।
    • आदेश में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अनुसूचित जनजाति मानी जाने वाली जनजातियों को सूचीबद्ध किया गया है।
    • विधेयक आंध्र प्रदेश में ST की सूची में निम्नलिखित विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) को जोड़ता है: (i) बोंडो पोरजा, (ii) खोंड पोरजा, और (iii) कोंडा सावरस।
  • ओडिशा: संविधान (अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 ओडिशा में SC और ST की सूची को संशोधित करने के लिये संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 एवं संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करता है।
    • ओडिशा में अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किये गए PVTG:
      • पौडी भुइयाँ और पौड़ी भुइयाँ (भुइयाँ जनजाति के पर्यायवाची के रूप में शामिल)।
      • चुकटिया भुंजिया (भुंजिया जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त)।
      • बॉन्डो समुदाय (बॉन्डो पोराजा की उप-जनजाति)।
      • मनकिडिया समुदाय (मानकिर्डिया जनजाति का पर्यायवाची)।
    • ओडिशा की ST सूची दो नई प्रविष्टियों के साथ विस्तारित हुई जिसमें मुका डोरा (मूका डोरा, नुका डोरा और नूका डोरा भी) तथा कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल हैं।
    • यह विधेयक ओडिशा में तमाडिया और तमुडिया समुदायों को SC की सूची के स्थान पर ST की सूची में शामिल करता है।

नोटः

  • बिल में केवल ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश में मौजूदा ST के पर्यायवाची शब्द, ध्वन्यात्मक विविधताएँ और उप-जनजातियाँ शामिल की गईं तथा भारत में PVTG की संख्या 75 पर अपरिवर्तित बनी हुई है।

इन विधेयकों का महत्त्व क्या है?

  • यह संशोधन विभिन्न क्षेत्रों में कुछ जनजातियों के साथ होने वाली व्यावहारिक विसंगतियों का समाधान करता है।
    • कोंडा रेड्डी और मुका डोरा जैसे समुदायों को आंध्र प्रदेश में ST के रूप में मान्यता दी गई थी लेकिन ओडिशा में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा।
    • ST सूची में इन समूहों को शामिल करने से लंबे समय से चली आ रही असमानताएँ दूर हो जाती हैं जिससे सरकारी प्रावधानों तथा सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित होती है।
  • ST के रूप में सूचीबद्ध PVTG को शिक्षा, रोज़गार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में आरक्षण कोटा तक पहुँच प्राप्त होती है।
  • ST का दर्जा शैक्षणिक संस्थानों में सकारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करता है, जिससे PVTG छात्रों को समान अवसर पर प्रतिस्पर्द्धा करने का अवसर मिलता है।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह क्या है?

  • परिचय:
    • PVTG एक अनुसूचित जनजाति अथवा अनुसूचित जनजाति के उस वर्ग का उप-वर्गीकरण है जिसे नियमित अनुसूचित जनजाति की तुलना में अधिक असुरक्षित माना जाता है। भारत सरकार ने उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिये PVTG सूची बनाई।
      • भारत में 75 PVTG हैं जिसमें सबसे अधिक 13 ओडिशा में हैं तथा इसके बाद 12 आंध्र प्रदेश में हैं।
    • अनुच्छेद 342(1): किसी भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में राष्ट्रपति (राज्य के मामले में राज्यपाल से परामर्श के बाद) उस राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में जनजातियों/आदिवासी समुदायों/जनजातियों/आदिवासी समुदायों के हिस्से या समूहों को अनुसूचित जनजाति के रूप में निर्दिष्ट कर सकते हैं।
      • किसी भी जनजाति, आदिवासी समुदाय, या किसी जनजाति तथा आदिवासी समुदाय के हिस्से एवं समूह को कानून के माध्यम से संसद द्वारा अनुच्छेद 342(1) के तहत जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट ST की सूची में शामिल किया जा सकता है या हटाया जा सकता है; हालाँकि जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, को छोड़कर उक्त खंड के तहत जारी अधिसूचना किसी भी बाद की अधिसूचना से भिन्न नहीं होगी।
  • पहल:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

 प्रश्न. भारत में विशिष्टत: असुरक्षित जनजातीय समूहों पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप्स (PVTGs) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

1. PVTGs देश के 18 राज्यों तथा एक संघ राज्यक्षेत्र में निवास करते हैं।
2. स्थिर या कम होती जनसंख्या, PVTG स्थिति के निर्धारण के मानदंडों में से एक है।
3. देश में अब तक 95 PVTGs आधिकारिक रूप से अधिसूचित  हैं।
4. PVTGs की सूची में ईरूलार और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल की गई हैं।

उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?

(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) 1, 3 और 4

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (एस.टी.) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गईं दो प्रमुख विधिक पहलें क्या हैं? (2017)

प्रश्न. क्या कारण है कि भारत में जनजातियों को 'अनुसूचित जनजातियाँ' कहा जाता है? भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित उनके उत्थान के लिये प्रमुख प्रावधानों को सूचित कीजिये। (2016)


सामाजिक न्याय

SMILE के माध्यम से एक समावेशी समाज का निर्माण

प्रिलिम्स के लिये:

ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) बिल, 2019, NALSA निर्णय 2014, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020, गरिमा गृह

मेन्स के लिये:

भारतीय समाज और ट्रांसजेंडरों के सामने आने वाली चुनौतियाँ, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये सुधार, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) बिल - प्रावधान और संबंधित चिंताएँ

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

2021 में आजीविका और उद्यम के लिये सीमांत व्यक्तियों हेतु समर्थन" (Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise-SMILE) योजना शुरू की गई, जिसका उद्देश्य विकसित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है। इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण तथा व्यापक पुनर्वास के लिये केंद्रीय क्षेत्र योजना का शुभारंभ शामिल था।

ट्रांसजेंडर कौन हैं?

  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) बिल, 2019 के अनुसार, ट्रांसजेंडर का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जिसका लिंग उस व्यक्ति के जन्म के समय दिये गए लिंग से मेल नहीं खाता है।
  • इसमें ट्रांस-मेन (परा-पुरुष) और ट्रांस-वूमेन (परा-स्त्री), इंटरसेक्स भिन्नताओं एवं जेंडर क्वीर (Queer) आते हैं।
  • भारत की 2011 की जनगणना अपने इतिहास में देश की 'किन्नर/ट्रांस' आबादी को शामिल करने वाली पहली जनगणना थी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 4.8 मिलियन भारतीयों की पहचान ट्रांसजेंडर के रूप में की गई है।

SMILE योजना क्या है?

  • परिचय:
    • यह भिखारियों और ट्रांसजेंडर्स के लिये मौजूदा योजनाओं के विलय के बाद एक नई योजना है।
      • SMILE की दो उप-योजनाएँ  - एक 'ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण हेतु व्यापक पुनर्वास हेतु केंद्रीय क्षेत्र योजना' तथा दूसरी 'भिक्षावृत्ति के कार्य में लगे लोगों के व्यापक पुनर्वास के लिये केंद्रीय क्षेत्र योजना' ट्रांसजेंडर समुदाय और भिक्षावृत्ति में लगे लोगों के लिये व्यापक कल्याण एवं पुनर्वास उपाय प्रदान करना।
        • यह योजना ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पुनर्वास के लिये राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों और शहरी स्थानीय निकायों के पास उपलब्ध मौजूदा आश्रय घरों के उपयोग का प्रावधान करती है।
        • मौजूदा आश्रय गृहों की अनुपलब्धता की स्थिति में, कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा नए समर्पित आश्रय गृह स्थापित किये जाने हैं।
  • मुख्य बिंदु:
    • इस योजना के केंद्र में बड़े पैमाने पर पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान, परामर्श, बुनियादी दस्तावेज़, शिक्षा, कौशल विकास आदि हैं।
    • अनुमान है कि इस योजना के तहत लगभग 60,000 सबसे निर्धन व्यक्तियों को गरिमापूर्ण जीवन जीने हेतु लाभान्वित किया जाएगा।
      • यह कक्षा 9वीं और उससे ऊपर की कक्षाओं में पढ़ने वाले ट्रांसजेंडर छात्रों को स्नातकोत्तर तक छात्रवृत्ति प्रदान करता है ताकि वे अपनी शिक्षा पूर्ण कर सकें।
      • इसमें PM-DAKSH योजना के तहत कौशल विकास और आजीविका के प्रावधान हैं।
      • समग्र चिकित्सा स्वास्थ्य के माध्यम से यह चयनित अस्पतालों के माध्यम से लिंग-पुनर्पुष्टि सर्ज़री का समर्थन करने वाले प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Pradhan Mantri Jan Aarogya Yojana - PM-JAY) के साथ मिलकर एक व्यापक पैकेज प्रदान करता है।
      • 'गरिमा गृह' के रूप में आवास सुविधा ट्रांसजेंडर समुदाय और भीख मांगने के कार्य में लगे लोगों को भोजन, कपड़े, मनोरंजन सुविधाएँ, कौशल विकास के अवसर, मनोरंजक गतिविधियाँ एवं चिकित्सा सहायता आदि सुनिश्चित करती है।
  • कार्यान्वयन:
    • इसे राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों/स्थानीय शहरी निकायों, स्वैच्छिक संगठनों, समुदाय आधारित संगठनों (CBOs), संस्थानों और अन्य के सहयोग से लागू किया जाएगा।
    • प्रत्येक राज्य में ट्रांसजेंडर संरक्षण सेल का प्रावधान अपराधों के मामलों की निगरानी करेगा और अपराधों का समय पर पंजीकरण, जाँच एवं अभियोजन सुनिश्चित करेगा।
    • राष्ट्रीय पोर्टल और हेल्पलाइन ट्रांसजेंडर समुदाय तथा इस कार्य में लगे लोगों को ज़रूरत पड़ने पर आवश्यक जानकारी एवं समाधान प्रदान करेगा।
  • ट्रांसजेंडर के व्यापक पुनर्वास के लिये योजना:
    • यह योजना पायलट आधार पर उन चयनित शहरों में लागू की गई है, जहाँ भिक्षावृत्ति और ट्रांसजेंडर समुदाय की बड़ी आबादी है।
    • वर्ष 2019-20 के दौरान इस मंत्रालय ने भिखारियों के लिये कौशल विकास कार्यक्रमों हेतु राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (NISD) को 1 करोड़ रुपए और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (NBCFDC) को 70 लाख रुपए की राशि जारी की थी।

ट्रांसजेंडरों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

  • सामाजिक कलंक:
    • सामाजिक बहिष्कार: ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अक्सर अलगाव और हाशिये का सामना करना पड़ता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, मादक द्रव्यों का सेवन तथा जीवन की गुणवत्ता में कमी आती है।
    • रूढ़िवादिता और मिथ्या प्रस्तुति: समाज ट्रांसजेंडर लोगों को रूढ़िबद्ध मानता है, जिससे उनके रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के अवसर सीमित हो जाते हैं।
    • पारिवारिक अस्वीकृति: कई ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को उनके परिवारों द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है, जिससे वे पारिवारिक समर्थन और आर्थिक स्थिरता से वंचित हो जाते हैं।
  • भेदभाव:
    • हिंसा और घृणा अपराध: घृणा अपराध, शारीरिक और मौखिक दुर्व्यवहार तथा यौन उत्पीड़न ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सुरक्षा एवं भलाई के लिये महत्त्वपूर्ण खतरे हैं।
    • शैक्षिक बाधाएँ: शैक्षिक संस्थानों में भेदभाव गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और भविष्य के कॅरियर के अवसरों तक पहुँच में बाधा डालता है।
    • रोज़गार भेदभाव: ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अक्सर नौकरी में भेदभाव का अनुभव होता है, जिससे बेरोज़गारी या अल्परोज़गार होता है, जिससे उनकी आर्थिक कमज़ोरी बनी रहती है।
    • स्वास्थ्य देखभाल असमानताएँ: स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा भेदभाव अक्सर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लिंग-पुष्टि प्रक्रियाओं सहित आवश्यक चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने से रोकता है।
  • कानूनी मान्यता का अभाव:
    • कानूनी अस्पष्टता: जबकि भारत ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के साथ प्रगति की है, फिर भी कानूनी अस्पष्टताएँ और कमियाँ हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है।
      • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को ठीक से परिभाषित नहीं किया गया है और अधिनियम में लिंग के स्व-निर्णय के लिये कोई प्रावधान नहीं है।
    • व्यापक नीतियों का अभाव: लिंग पहचान, गैर-बाइनरी लिंग और ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिये एक स्पष्ट कानूनी ढाँचे पर व्यापक नीतियों का अभाव एक चुनौती बनी हुई है।
    • कार्यान्वयन में अंतराल: अधिकारियों की ओर से जागरूकता की कमी, पूर्वाग्रह और अनिच्छा के कारण मौजूदा कानूनों का कार्यान्वयन अक्सर अप्रभावी होता है।

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये विभिन्न पहल क्या हैं?

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के उत्थान हेतु और क्या किया जा सकता है?

  • ट्रांसजेंडर-समावेशी नीतियाँ: ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित मुद्दों पर विधिक तथा विधि प्रवर्तन प्रणालियों को सशक्त एवं संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है।
    • सरकार और समाजिक संगठनों द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये समावेशी दृष्टिकोण की योजना बना कर उसका अंगीकरण किया जाना चाहिये।
    • नीतियों के निर्माण अथवा निर्णय लेने में शामिल न किये जाने की उनकी शिकायत को दूर करने की ज़रूरत है तथा उनकी सार्वजनिक भागीदारी की संभावना को बढ़ाना चाहिये।
  • सामाजिक चिंताओं का समाधान करना: NALSA निर्णय के सुझाव के अनुसार ज़मीनी स्तर पर ट्रांसजेंडर समुदाय के लिये निःशुल्क विधिक सहायता, सहायक शिक्षा और सामाजिक अधिकार का प्रावधान सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
    • सभी निजी और सार्वजनिक अस्पतालों तथा क्लीनिकों में स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित अलग-अलग नीतियाँ बनाकार उन्हें संप्रेषित किया जाना चाहिये।
    • ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सम्मान एवं स्वीकार्यता की भावना बढ़ाने की ज़रूरत है।
  • वित्तीय सुरक्षा: SHG-बैंक लिंकेज कार्यक्रमों की तर्ज़ पर एक उद्यमी अथवा व्यवसायी के रूप में अपना कॅरियर शुरू करने के लिये उदार ऋण सुविधाएँ और वित्तीय सहायता सुनिश्चित की जानी चाहिये।
  • जेलों में ट्रांसजेंडर: अल्पसंख्यकों, विशेषकर ट्रांसजेंडर कैदियों के संदर्भ में सुधारों को संबोधित करने के लिये जागरूकता और दस्तावेज़ीकरण दो महत्त्वपूर्ण माध्यम हैं।
    • कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) द्वरा अनुसमर्थित ट्रांसजेंडर कैदियों के इलाज के लिये लैंगिकता का आधार अपनाने की आवश्यकता है।
    • NALSA निर्णय के आदेश का नुपालन करते हुए ट्रांस समुदाय के सदस्यों के साथ परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से, ट्रांस कैदियों की विशेष आवश्यकताओं पर एक 'मॉडल नीति' विकसित करने के लिये केंद्र सरकार को CHRI की सिफारिशों पर विचार करना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में विधिक सेवा प्रदान करने वाले प्राधिकरण, निम्नलिखित में से किस प्रकार के नागरिकों को निः शुल्क  विधिक सेवाएँ प्रदान करते हैं? (2020)

  1. ₹ 1,00,000 से कम वार्षिक आय वाला व्यक्ति को। 
  2. ₹ 2,00,000 से कम वार्षिक आय वाले ट्रांसजेंडर को। 
  3. ₹ 3,0 0,000 से कम वार्षिक आय वाले अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) के सदस्य को। 
  4. सभी वरिष्ठ नागरिकों को। 

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (a)


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