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डेली न्यूज़

  • 10 Sep, 2022
  • 46 min read
इन्फोग्राफिक्स

गुरदेव सिंह खुश द्वारा विकसित धान की किस्में

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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

दसवाँ अप्रसार संधि समीक्षा सम्मेलन

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), नो-फर्स्ट-यूज़ पॉलिसी, परमाणु हथियार, व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT), परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि (TPNW), परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह, मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था, बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ हेग आचार संहिता, वासेनार व्यवस्था।

मेन्स के लिये:

अप्रसार संधि के रास्ते में चुनौतियाँ, NPT पर रूस की असहमति, NPT पर भारत का रुख।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में न्यूयॉर्क में आयोजित अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty-NPT) समीक्षा सम्मेलन रूस की आपत्ति के कारण बिना किसी मज़बूत परिणाम के समाप्त हो गया।

परमाणु अप्रसार संधि (NPT):

  • परिचय:
    • NPT एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना तथा निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को आगे बढ़ाना है।
    • इस संधि पर वर्ष 1968 में हस्ताक्षर किये गए और यह 1970 में लागू हुई। वर्तमान में इसके 190 सदस्य देशों में लागू है।
      • भारत इसका सदस्य नहीं है।
    • इसके लिये देशों को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग तक पहुँच के बदले में परमाणु हथियार बनाने की किसी भी वर्तमान या भविष्य की योजना को त्यागने की आवश्यकता होती है।
    • यह परमाणु-हथियार वाले राज्यों द्वारा निरस्त्रीकरण के लक्ष्य हेतु एक बहुपक्षीय संधि में एकमात्र बाध्यकारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्त्व करती है।
    • NPT के तहत ‘परमाणु-हथियार वाले पक्षों’ को 01 जनवरी, 1967 से पहले परमाणु हथियार या अन्य परमाणु विस्फोटक उपकरणों का निर्माण एवं विस्फोट करने वाले देशों के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • भारत का पक्ष
    • भारत उन पाँच देशों में से एक है जिन्होंने या तो NPT पर हस्ताक्षर नहीं किये या हस्ताक्षर किये किंतु बाद में अपनी सहमति वापस ले ली, इस सूची में पाकिस्तान, इज़रायल, उत्तर कोरिया और दक्षिण सूडान शामिल हैं।
    • भारत ने हमेशा NPT को भेदभावपूर्ण माना और इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।
    • भारत ने अप्रसार के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय संधियों का विरोध किया है, क्योंकि वे चुनिंदा रूप से गैर-परमाणु शक्तियों पर लागू होती हैं और पाँच परमाणु हथियार सम्पन्न शक्तियों के एकाधिकार को वैध बनाती हैं।

रूस की असहमति से उत्पन्न चिंताएँ:

  • दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन में ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Zaporizhzhia nuclear power plant) पर नियंत्रण के साथ-साथ चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र का अधिग्रहण (वर्ष 1986 ) दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु आपदा के दृश्य, एक और परमाणु आपातकाल की वैश्विक आशंकाओं को जन्म देता है।
  • शीत युद्ध के दौर और बिगड़ते अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण के बाद से आज परमाणु हथियारों के उपयोग का खतरा किसी भी समय की तुलना में अधिक है।
  • यह NPT सम्मेलन परमाणु हथियारों की दौड़ और परमाणु हथियारों के उपयोग के बढ़ते खतरों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिये मानदंड और समय-सीमा के साथ एक विशिष्ट कार्य योजना पर सहमत होकर संधि एवं वैश्विक सुरक्षा को मज़बूत करने के एक अवसर का प्रतिनिधित्व करता है।

परमाणु हथियार से संबंधित अन्य संधियाँ और समझौते:

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ तथा ‘वासेनार व्यवस्था’ के नाम से ज्ञात बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करने का निर्णय लिया है। इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच क्या अंतर है? (2011)

  1. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ एक अनौपचारिक व्यवस्था है जिसका लक्ष्य निर्यातक देशों द्वारा रासायनिक तथा जैविक हथियारों के प्रगुणन में सहायक होने के जोखिम को न्यूनीकृत करना है, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ OECD के अंतर्गत गठित औपचारिक समूह है जिसके समान लक्ष्य हैं।
  2. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ के सहभागी मुख्यतः एशियाई, अफ्रीकी और उत्तरी अमेरिका के देश हैं, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ के सहभागी मुख्यतः यूरोपीय संघ और अमेरिकी महाद्वीप के देश हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • ऑस्ट्रेलिया समूह एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था और देशों का एक अनौपचारिक समूह है (अब यूरोपीय आयोग में शामिल हो गया)। इसे वर्ष 1985 में (1984 में इराक द्वारा रासायनिक हथियारों के उपयोग के बाद) सदस्य देशों को उन निर्यातों की पहचान करने, जिन्हें नियंत्रित करने की आवश्यकता है, में मदद के लिये स्थापित किया गया था ताकि रासायनिक एवं जैविक हथियारों का प्रसार न हो सके। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • औपचारिक रूप से जुलाई 1996 में स्थापित वासेनार व्यवस्था, पारंपरिक हथियारों के लिये एक स्वैच्छिक निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है तथा दोहरे उपयोग वाले सामान और प्रौद्योगिकी एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
    • वासेनार व्यवस्था, 42 देशों का समूह है, जिसमें शामिल होने वाला भारत सबसे नवीनतम देश है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


शासन व्यवस्था

विकिपीडिया कंटेंट मॉडरेशन

प्रीलिम्स के लिये:

विकिपीडिया और कंटेंट मॉडरेशन, IT अधिनियम 2000, IT नियम 2021, धारा 69A।

मेन्स के लिये:

इंटरनेट पर कंटेंट का विनियमन, ऑनलाइन कंटेंट को विनियमित करने की सरकार की शक्ति।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने विकिपीडिया के अधिकारियों को एक राष्ट्रीय क्रिकेटर के विकिपीडिया पृष्ठ को भ्रामक जानकारी के साथ संपादित किये जाने के एवज़ में तलब किया।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और IT राज्य मंत्री ने कहा है कि भारत में संचालित कोई भी मध्यस्थ इस प्रकार की गलत सूचना की अनुमति नहीं दे सकता है क्योंकि यह एक सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट की सरकार की अपेक्षा का उल्लंघन करता है।
  • कंटेंट मॉडरेशन से तात्पर्य यह सुनिश्चित करने की प्रक्रिया से है कि उपयोगकर्त्ता-जनित कंटेंट प्रकाशन के लिये कंटेंट की उपयुक्तता स्थापित करने हेतु प्लेटफॉर्म-विशिष्ट दिशानिर्देशों और नियमों का पालन करती है।

 विकिपीडिया:

  • परिचय:
    • विकिपीडिया एक फ्री इंटरनेट-आधारित विश्वकोश है, जिसे 2001 में शुरू किया गया था जो एक ओपन-सोर्स प्रबंधन शैली के तहत संचालित होता है।
    • इसकी देखरेख गैर-लाभकारी "विकिमीडिया फाउंडेशन" द्वारा की जाती है।
    • यह स्वयंसेवकों के एक समूह द्वारा खुले सहयोग और एक विकी-आधारित संपादन प्रणाली के माध्यम से अनुरक्षित है।
      • अद्यतन या सुधार के लिये मौजूदा पृष्ठों में संपादन करके कोई भी व्यक्ति अपने ज्ञान के पूल में योगदान कर सकता है और यहाँ तक कि नए पृष्ठ भी जोड़ सकता है।
  • विकिपीडिया की संरचना:
    • विकिपीडिया की संरचना एक मध्यस्थ की है, यानी यह अपने उपयोगकर्त्ताओं द्वारा उत्पन्न कंटेंट को होस्ट करती है।
  • कंटेंट के लिये जिम्मेदारी:
    • ऑनलाइन कंटेंट को विनियमित करने वाले अधिकांश कानूनों के तहत बिचौलियों को उनके द्वारा होस्ट की गई उपयोगकर्त्ता द्वारा उत्पन्न कंटेंट सुरक्षा के साथ संपन्न किया जाता है, बशर्ते वे अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ उचित कंटेंट रखें।
    • विकिपीडिया पर कंटेंट के लिये पिछली चुनौतियों में यह निर्णय दिया गया है कि विकिमीडिया फाउंडेशन कंटेंट पर स्वामित्त्व नहीं रखता है, और इसके लिये कानूनी जिम्मेदारी नहीं है।
      • हालाँकि, प्रशासकों या संपादकों ने स्थिति से उत्पन्न होने वाली कंटेंट संबंधी चिंताओं पर ध्यान दिया है और उपयुक्त संपादन किये हैं।
        • विकिमीडिया कानूनी अनुपालन के लिये "कंटेंट को जोड़ना, निगरानी या हटाना" भी कर सकता है।
        • इसलिये यह तर्कपूर्ण है कि चूँकि विकिमीडिया ऐसी शक्ति का प्रयोग कर सकता है, इसलिये इसे विकिपीडिया पर होस्ट किया जा रहा अवैध कंटेंट हेतु उसे ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।

ऑनलाइन कंटेंट के संबंध में सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदम:

  • सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology-IT) अधिनियम  2000 की धारा 69A:
    • IT अधिनियम की धारा 69A केंद्र और राज्य सरकारों को "किसी भी कंप्यूटर संसाधन में उत्पन्न, प्रेषित, प्राप्त या संग्रहीत किसी भी जानकारी को इंटरसेप्ट, मॉनिटर या डिक्रिप्ट करने" के निर्देश जारी करने की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 69A केंद्र को सरकार की किसी भी एजेंसी या किसी मध्यस्थ से किसी भी कंप्यूटर संसाधन पर उत्पन्न, प्रसारित, प्राप्त या संग्रहीत या होस्ट की गई किसी भी जानकारी की जनता तक पहुँच को अवरुद्ध करने में सक्षम बनाती है।
      • 'मध्यस्थ' (Intermediaries) के अंतर्गत सर्च इंजन, ऑनलाइन भुगतान और नीलामी साइटों, ऑनलाइन मार्केटप्लेस और साइबर कैफे के अलावा दूरसंचार सेवा, नेटवर्क सेवा, इंटरनेट सेवा और वेब होस्टिंग के प्रदाता शामिल हैं।
    • पहुँच को अवरुद्ध करने के लिये ऐसा कोई भी अनुरोध लिखित में दिये गए कारणों पर आधारित होना चाहिये:
      • वर्ष 2020 में, सरकार ने विकिमीडिया फाउंडेशन को अपने एक पेज से एक नक्शा हटाने के लिये कहा था जिसमें अक्साई चिन को गलत तरीके से चीन का हिस्सा दिखाया गया था।
      • सरकार ने भारत की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करने के लिये IT अधिनियम की धारा 69A के उपयोग का प्रस्ताव दिया था।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79:
    • IT अधिनियम, 2000 की धारा 79 के तहत मध्यस्थ अपने द्वारा होस्ट की जाने वाली कंटेंट के लिये जिम्मेदार नहीं होने के "सुरक्षित पक्ष" (Safe Harbour) का दावा कर सकते हैं, वे अधिनियम और इसके नियमों के तहत उचित मानदंड आवश्यकताओं का पालन करते हैं।
  • सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021:
    • सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के अनुसार, सूचना की कुछ श्रेणियाँ हैं जिन्हें एक मध्यस्थ को अपने प्लेटफॉर्म पर होस्ट या अपलोड करने की अनुमति नहीं देनी चाहिये जिसमें शामिल हैं:
      • ऐसी जानकारी जो "स्पष्ट रूप से झूठी और असत्य है, और किसी व्यक्ति, संस्था या एजेंसी को वित्तीय लाभ हेतु गुमराह करने या परेशान करने या किसी व्यक्ति को कोई चोट पहुँचाने के इरादे से किसी भी रूप में लिखी या प्रकाशित की गई है"।
    • विकिमीडिया फाउंडेशन के संदर्भ में:
      • हालाँकि विकिमीडिया फाउंडेशन के पास विकिपीडिया पर प्रदर्शित की गई जानकारी का स्वामित्व नहीं है, एक बार जब विकिमीडिया फाउंडेशन को अपने प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित की जा रही ऐसी कंटेंट के बारे में "वास्तविक ज्ञान" हो जाता है, तो इसे भारतीय कानून के अनुसार इसके लिये ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा।
        • वास्तविक ज्ञान का अर्थ तब होता है जब किसी मध्यस्थ को या तो न्यायालय के आदेश द्वारा या आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने की मांग करने वाली उपयुक्त एजेंसी के आदेश के माध्यम से अधिसूचित किया गया हो।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (2017)

  1. सेवा प्रदाताओं
  2. डेटा केंद्र
  3. कॉर्पोरेट निकाय

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act) की धारा 70B के अनुसार, केंद्र सरकार ने अधिसूचना द्वारा घटना प्रतिक्रिया के लिये राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में कार्य करने हेतु भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) नामक एक एजेंसी का गठन किया गया है।
  • केंद्र सरकार ने IT अधिनियम, 2000 की धारा 70B के तहत वर्ष 2014 में CERT-In के लिये नियम स्थापित और अधिसूचित किये। नियम 12 (1) (A) के अनुसार, घटना होने के उचित समय के भीतर CERT-In को साइबर सुरक्षा की घटनाओं के लिये सेवा प्रदाताओं, मध्यस्थों, डेटा केंद्रों और कॉर्पोरेट निकायों हेतु रिपोर्ट करना अनिवार्य है। अत: विकल्प (d) सही है।

स्रोत: द हिंदू


नीतिशास्त्र

फॉस्टियन बार्गेन बनाम सैद्धांतिक स्थिति

मेन्स के लिये:

फॉस्टियन बार्गेन बनाम राजनीति में सैद्धांतिक स्थिति।

फॉस्टियन बार्गेन:

  • परिचय:
    • इसकी शास्त्रीय परिभाषा एक ऐसे समझौते को संदर्भित करती है जहाँ कोई व्यक्ति सर्वोच्च नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य का व्यापार करता है, यह एक मूल सिद्धांत जो शक्ति, ज्ञान या धन के बदले में उनके आवश्यक अस्तित्व को परिभाषित करता है।
    • यह विचार जोहान जॉर्ज फॉस्ट की जर्मन किंवदंती से आया है जिन्होंने असीमित ज्ञान और सांसारिक सुखों के लिये अपनी आत्मा शैतानों के हाथों को बेच दी थी।
      • यह एक ऐसी कहानी है जिसने क्रिस्टोफर मार्लो के नाटक ‘डॉक्टर फॉस्टस’ से लेकर गोएथे के नाटक ‘फॉस्ट’ तक के महान साहित्य को प्रेरित किया है।
      • इस सौदे में अनुबंध समाप्त होने पर फॉस्ट की आत्मा को शैतान द्वारा अनंत काल के लिये पुनः प्राप्त कर लिया जाता है। यह एक कठिन सौदा है।
    • आधुनिक शब्दों में इसका अर्थ है किसी के विवेक के निलंबन या दमन के बदले प्राप्त अस्थायी लाभ। हालाँकि इससे समझौते का दोष दूर नहीं होता है।
  • उदाहरण:
    • दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी ऐसा सौदा किया होगा जब उन्होंने गुजरात चुनाव में प्रचार करते हुए बिलकिस बानो मामले में गंभीर अपराधों के लिये दोषी 11 लोगों की रिहाई की निंदा नहीं करने का फैसला किया।
    • शायद अपदस्थ म्याँमार की नेता आंग सान सू ची ने भी रोहिंग्या के खिलाफ सेना के अत्याचारों के बावजूद सत्ता में आने के लिये म्याँमार के जनरलों के साथ सौदा किया था।
    • भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के मामले को भी सरकार के साथ एक फॉस्टियन बार्गेन माना जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप उन्हें राज्यसभा के लिये नामांकन मिला।
    • फॉस्टियन बार्गेन भले ही अरुचिकर और अनैतिक क्यों न हो उपयोगितावादी शब्दों में मापे गए बेहतर परिणामों द्वारा उचित ठहराया जा सकता है।
      • श्री केजरीवाल गुजरात में बेहतर सरकार बना सकते हैं और आंग सान सू की ने म्याँमार में लोकतांत्रिक सरकार का निर्माण किया।

सैद्धांतिक स्थिति

  • परिचय:
    • फॉस्टियन बार्गेन के विपरीत कुछ राजनेता यह मानते हुए समझौता नहीं करना पसंद करते हैं कि भविष्य की भलाई के लिये बुराई के साथ समझौता करने के उपयोगितावादी कलन को अपनाने के बजाय सार्वजनिक पदों को स्वीकारना बेहतर है जो किसी के मूल्यों के अनुरूप हों।
  • उदाहरण:
    • बाबासाहेब अम्बेडकर ने वर्ष 1951 में इस्तीफा दे दिया जब उन्हें लगा कि नेहरू ने हिंदू कोड बिल पर कानून मंत्री के रूप में उनकी स्थिति को कम कर दिया है, जिस पर वे चर्चा करना चाहते थे।
    • उनका इस्तीफा भाषण सैद्धांतिक स्थिति का एक कलात्मक बयान है।
    • गांधीजी ने कोई फॉर्स्टियन सौदेबाजी नहीं की, न ही नेल्सन मंडेला या जवाहरलाल नेहरू या रवींद्रनाथ टैगोर ने।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

शहरी रोज़गार गारंटी

प्रिलिम्स के लिये:

भारत के बेरोज़गारी के आँकड़े , शहरी रोज़गार गारंटी योजनाएँ, मनरेगा।

मेन्स के लिये:

भारत में बेरोज़गारी का मुद्दा, शहरी रोज़गार गारंटी योजनाओं का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान सरकार ने शहरी रोज़गार को बढ़ावा देने हेतु प्रमुख योजना इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार योजना शुरू की है।

योजना का परिचय:

  • उद्देश्य:
  • लक्षित जनसंख्या: 18 से 60 आयु वर्ग के लोग योजना के लिये पात्र हैं।
  • रोज़गार के अवसर:
    • जल संरक्षण: खानियों की बावड़ी में नवीनीकरण कार्य योजना के जल संरक्षण कार्यों के अंतर्गत आता है।
    • अभिसरण: लोगों को अन्य केंद्र या राज्य स्तर की योजनाओं में नियोजित किया जा सकता है, जिनके पास पहले से ही एक भौतिक घटक है और जिसके लिये श्रम कार्य की आवश्यकता होती है।
    • अन्य कार्यों में शामिल हैं:
  • अन्य राज्यों की शहरी रोज़गार गारंटी योजनाएँ:
    • केरल:
      • वर्ष 2010 में शुरू की गई अय्यंकाली शहरी रोज़गार गारंटी योजना (AUEGS) का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में लोगों की आजीविका सुरक्षा को एक वित्तीय वर्ष में 100 के वेतन रोज़गार की गारंटी देकर बढ़ाना है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिये स्वेच्छा से काम करते हैं।
    • हिमाचल प्रदेश:
      • मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना 2020 में शहरी क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के लिये एक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक परिवार को 120 दिनों की गारंटी मज़दूरी रोज़गार प्रदान करने के लिये शुरू की गई थी।
    • झारखंड:
      • मुख्यमंत्री श्रमिक योजना 2020 में झारखंड राज्य में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के लिये एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के वेतन रोज़गार की गारंटी प्रदान करके शुरू की गई थी।

भारत में शहरी रोज़गार गारंटी योजनाएँ:

  • "गारंटी" योजनाओं का अभाव:
    • वर्ष 1997 में शुरू की गई स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना (SJSRY) ने बेरोज़गार और अल्परोज़गार शहरी गरीबों को स्वरोज़गार तथा मज़दूरी रोज़गार के माध्यम से रोज़गार प्रदान किया
    • वर्ष 2013 में, SJSRY राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
    • भारत में शहरी रोज़गार योजनाओं का इतिहास रहा है, लेकिन उनमें से कोई भी रोज़गार "गारंटी" योजना नहीं थी।
  • शहरी बेरोज़गारी दर:
  • कमजोर अनौपचारिक क्षेत्र:
    • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में 535 मिलियन श्रम बल में से लगभग 398.6 मिलियन के पास खराब गुणवत्ता वाले रोज़गार हैं। इसके अलावा, लॉकडाउन ने शहरी निम्न-स्तरीय अनौपचारिक नौकरियों में कमजोर रोज़गार की स्थिति को उजागर किया।
      • कमजोर रोज़गार की विशेषता अपर्याप्त आय, कम उत्पादकता और काम की कठिन परिस्थितियांँ हैं जो श्रमिकों के मूल अधिकारों को कमजोर करती हैं।
  • ग्रामीण केंद्रित योजनाएँ:
    • राहत प्रदान करने वाली अधिकांश सरकारी योजनाएँ, चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य, ग्रामीण बेरोज़गारी और मनरेगा जैसी गरीबी को प्राथमिकता देती हैं।
    • कोविड के प्रकोप के मद्देनजर गांँवों में लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिये रोज़गार और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिये, 50,000 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ, 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान शुरू किया गया था।

क्या UEG मनरेगा के विस्तार के रूप में कार्य कर सकता है?

  • मौजूदा योजना की रूपरेखा:
    • वर्तमान में भारत में, अधिकांश UEG शहरी क्षेत्रों में मनरेगा का एक मात्र विस्तार प्रतीत होते हैं।
      • हिमाचल प्रदेश, ओडिशा या केरल में UEG होने के नाते, उनमें से एक सामान्य विशेषता शहरी परिवारों को वर्ष के दौरान विशिष्ट दिनों के लिए रोज़गार प्रदान करना है।
  • हालांँकि, UEG निम्नलिखित कारणों से केवल मनरेगा का विस्तार नहीं हो सकता है:
    • ग्रामीण बेरोज़गारी ज़्यादातर मौसमी होती है।
      • खेती के चरम मौसम के दौरान, बहुत कम ग्रामीण लोग बेरोज़गार हो सकते हैं।
      • लेकिन शहरी बेरोज़गारी में ऐसा कोई मौसम नहीं है।
    • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाओं की क्षमता।
    • सार्वजनिक कार्य में शामिल श्रम का ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्थाओं में परिदृश्य भिन्न-भिन्न है।

आगे की राह:

  • राज्यों द्वारा UEG योजना का हस्तक्षेप एक स्वागत योग्य कदम है जो शहरी निवासियों को काम करने का अधिकार देता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
  • स्मार्ट सिटी मिशन और कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation-AMRUT) जैसे कार्यक्रमों ने महानगरों और शहरों के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है।
    • भारत के शहरी क्षेत्रों में आजीविका और पारिस्थितिकी में सुधार हेतु अपना ध्यान फिर से केंद्रित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • शहरी रोज़गार गारंटी कार्यक्रम न केवल श्रमिकों की आय में सुधार करता है बल्कि अर्थव्यवस्था पर कई गुना प्रभाव डालता है।
    • यह छोटे शहरों में स्थानीय मांग को बढ़ावा देगा, सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और सेवाओं में सुधार करेगा, उद्यमशीलता को बढ़ावा देगा, श्रमिकों के कौशल का निर्माण करेगा तथा सार्वजनिक वस्तुओं की साझा भावना पैदा करेगा।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. प्रच्छन्न बेरोज़गारी का सामान्यतः अर्थ होता है कि: (2013)

(a) लोग बड़ी संख्या में बेरोज़गार रहते हैं
(b) वैकल्पिक रोज़गार उपलब्ध नही है
(c) श्रमिक की सीमांत उत्पादकता शून्य है
(d) श्रमिकों की उत्पादकता निम्न है

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • एक अर्थव्यवस्था प्रच्छन्न बेरोज़गारी को प्रदर्शित करती है जब उत्पादकता कम होती है फिर भी आवश्यकता से अधिक श्रमिक उस कार्य में संलग्न होते हैं।
  • चूंँकि प्रच्छन्न बेरोज़गारी में आवश्यकता से अधिक श्रमिक संलग्न होते हैं, अतः श्रम की सीमांत उत्पादकता शून्य है।
  • सीमांत उत्पादकता अतिरिक्त उत्पादन को संदर्भित करता है जो श्रम की एक इकाई पर अतिरिक्त प्राप्त होता है।
  • अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान, क्षय रोग (TB), आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन, सतत् विकास लक्ष्य (SDG)।

मेन्स के लिये:

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान, स्वास्थ्य, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में क्षय रोग (TB) के खिलाफ देश की लड़ाई में तेज़ी लाने और वर्ष 2025 तक रोग को खत्म करने के प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ किया।

‘क्षय रोग’ (TB)

  • परिचय: टीबी या क्षय रोग ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस’ नामक जीवाणु के कारण होता है,
    • यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है।
    • यह एक इलाज योग्य और साध्य रोग है।
  • संचरण: टीबी रोग हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जब ‘पल्मोनरी टीबी’ से पीड़ित कोई व्यक्ति खाँसता, छींकता या थूकता है, तो वह टीबी के कीटाणुओं को हवा में फैला देता है।
  • लक्षण: ‘पल्मोनरी टीबी’ के सामान्य लक्षणों में बलगम, कई बार खून के साथ खाँसी और सीने में दर्द, कमज़ोरी, वज़न कम होना, बुखार और रात को पसीना आना शामिल है।
  • वैक्सीन: बैसिल कैलमेट-गुएरिन (BCG) टीबी रोग के लिये एक टीका है।
  • संबंधित आँकड़े:
    • वर्ष 2020 में टीबी से कुल 1.5 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई और अनुमानित 10 मिलियन लोग दुनिया भर में तपेदिक (टीबी) से बीमार हुए।
    • भारत में दुनिया का सबसे अधिक तपेदिक का बोझ है, अनुमानित 26 लाख लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं और लगभग 4 लाख लोग प्रत्येक वर्ष इस बीमारी से मरते हैं।
  • भारत के लिये चुनौतियाँ:
    • भारत में टीबी को नियंत्रित करने के लिये प्रमुख चुनौतियों में शामिल हैं:
      • कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में खराब प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचा।
        • अनियमित निजी स्वास्थ्य देखभाल के कारण पहली पंक्ति और दूसरी पंक्ति की टीबी रोधी दवाओं का व्यापक तर्कहीन उपयोग।
    • गरीबी:
      • राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और इसके अतिरिक्त, भ्रष्ट प्रशासन।

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान:

  • परिचय:
    • यह वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन की दिशा में देश की प्रगति में तेज़ी लाने के लिये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की एक पहल है।
  • उद्देश्य:
    • टीबी रोगियों के उपचार परिणामों में सुधार के लिये अतिरिक्त रोगी सहायता प्रदान करना।
    • 2025 तक टीबी को समाप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने में समुदाय की भागीदारी बढ़ाना।
    • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility-CSR) गतिविधियों का लाभ उठाना।
  • घटक:
    • नि-क्षय मित्र पहल: यह टीबी के इलाज के लिये अतिरिक्त निदान, पोषण और व्यावसायिक सहायता सुनिश्चित करता है।
      • नि-क्षय मित्र (दाता) सरकारी प्रयासों के पूरक के लिये टीबी के खिलाफ प्रतिक्रिया में तेज़ी लाने हेतु स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये (व्यक्तिगत दाता के लिये ), ब्लॉक/शहरी वार्डों/ज़िलों/राज्यों के स्तर पर सहायता करते हैं।
    • नि-क्षय डिजिटल पोर्टल: यह टीबी से पीड़ित व्यक्तियों के लिये सामुदायिक सहायता के लिये एक मंच प्रदान करेगा।

टीबी के इलाज से संबंधित अन्य पहलें:

  • वैश्विक प्रयास:
  • भारत के प्रयास:
    • भारत के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals-SDGs) में निर्धारित वर्ष 2030 की अवधि से पाँच वर्ष पूर्व देश से वर्ष 2025 तक टीबी महामारी को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
    • क्षय रोग उन्मूलन (वर्ष 2017-2025), निक्षय पारिस्थितिकी तंत्र (राष्ट्रीय टीबी सूचना प्रणाली), निक्षय पोषण योजना- वित्तीय सहायता, टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान के लिये राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP) आदि।
    • वर्तमान में टीबी के लिये दो टीके वैक्सीन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट (Vaccine Projekt Management- VPM) 1002 और माइकोबैक्टीरियम इंडिकस प्रणी (Mycobacterium indicus pranii) विकसित और पहचाने गए हैं जो नैदानिक परीक्षण के तीसरे चरण से गुजर रहे हैं।
    • नि-क्षय पोषण योजना: यह रोगियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 500 रुपए की सहायता प्रदान करती है।
    • आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन: सरकार ने आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत टीबी रोगियों के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है ताकि उचित निदान और उपचार सुनिश्चित किया जा सके।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):

प्रश्न: भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया मिशन ‘इंद्रधनुष' किससे संबंधित है? (2016)

(a) बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण
(b) देश भर में स्मार्ट शहरों का निर्माण
(c) बाहरी अंतरिक्ष में पृथ्वी सदृश ग्रहों के संदर्भ में भारत की खोज़
(d) नई शिक्षा नीति

उत्तर: A

व्याख्या:

  • मिशन इंद्रधनुष 25 दिसंबर, 2014 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक टीकाकरण योजना है।
  • इंद्रधनुष के सात रंगों को दर्शाते हुए, इसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक उन सभी बच्चों को कवर करना है, जो डिप्थीरिया, काली खाँसी, टेटनस, पोलियो, तपेदिक, खसरा और हेपेटाइटिस B सहित सात टीकों से बचाव योग्य रोगों के खिलाफ आंशिक रूप से टीका लगाया गया है।
  • यह मिशन तकनीकी रूप से WHO, यूनिसेफ, रोटरी इंटरनेशनल और अन्य दाता भागीदारों द्वारा समर्थित है।

अतः विकल्प A सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत पहला संवितरण

प्रिलिम्स के लिये:

उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना, बजट 2022-23.

मेन्स के लिये:

उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना और इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, 'बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण' क्षेत्र के तहत मोबाइल निर्माण के लिये उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (Production Linked Incentive-PLI) योजना में अधिकार प्राप्त समिति द्वारा पहले संवितरण को मंजूरी प्रदान की गई।

  • भारतीय कंपनी ‘पेजेट इलेक्ट्रॉनिक्’ (Padget Electronics) यह प्रोत्साहन प्राप्त करने वाली पहली लाभार्थी कंपनी है।

‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना (PLI Scheme):

  • परिचय:
    • उच्च आयात प्रतिस्थापन और रोज़गार सृजन के साथ घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिये PLI योजना की कल्पना की गई थी।
    • सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों हेतु PLI योजनाओं के तहत 1.97 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया तथा वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सौर पीवी मॉड्यूल के लिये PLI हेतु 19,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन किया गया है।
    • मार्च 2020 में शुरू की गई इस योजना ने शुरू में तीन उद्योगों को लक्षित किया था:
      • मोबाइल और संबद्ध घटक निर्माण
      • विद्युत घटक निर्माण
      • चिकित्सा उपकरण
  • योजना के तहत प्रोत्साहन:
    • संवर्द्धित बिक्री के आधार पर गणना की गई प्रोत्साहन राशि, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिये कम-से-कम 1% से लेकर महत्त्वपूर्ण प्रारंभिक दवाओं के संबंध में 20% तक है।
    • उन्नत रसायन सेल बैटरी, कपड़ा उत्पाद और ड्रोन उद्योग जैसे कुछ क्षेत्रों में प्रोत्साहन की गणना पाँच वर्षों की अवधि में की गई बिक्री, प्रदर्शन एवं स्थानीय मूल्यवर्द्धन के आधार पर की जाएगी।
  • वे क्षेत्र जिनके लिये PLI योजना की घोषणा की गई है:
  • उद्देश्य:
    • सरकार ने चीन एवं अन्य देशों पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिये इस योजना की शुरुआत की है।
    • यह श्रम प्रधान क्षेत्रों का समर्थन करती है और भारत में रोज़गार अनुपात को बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
    • यह योजना आयात बिलों को कम करने एवं घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये भी काम करती है।
      • PLI योजना विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी इकाइयाँ स्थापित करने के लिये आमंत्रित करती है और घरेलू उद्यमों को अपनी उत्पादन इकाइयों का विस्तार करने हेतु प्रोत्साहित करती है।

बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण हेतु PLI योजना:

  • परिचय:
    • इसे केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है।
    • व्‍यापक स्‍तर पर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिये PLI योजना’, जिसमें मोबाइल फोन का विनिर्माण करना और विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का विनिर्माण करना शामिल है, को मार्च 2020 में 38,645 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ मंज़ूरी दी गई थी।
  • धीमी प्रगति:
    • ‘व्‍यापक स्‍तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिये PLI योजना’ के तहत 32 लाभार्थियों को मंज़ूरी दी गई थी, जिनमें से 10 लाभार्थियों (5 वैश्विक और 5 घरेलू कंपनियों) को मोबाइल विनिर्माण के लिये मंज़ूरी दी गई थी।
    • इस PLI योजना से 28,636 लोगों को रोज़गार भी मिला है।
    • पिछले 3 वर्षों के दौरान निर्यात में 139% की ज़ोरदार वृद्धि दर्ज की गई है।
  • महत्त्व:
    • इससे भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिये एक प्रतिस्पर्द्धी गंतव्य बनाने की उम्मीद है।
    • इसके अलावा, यह अधिक वैश्विक चैंपियन बनाते हुए आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देगा।
    • इस योजना से 10,69,432 करोड़ रुपए का अतिरिक्त उत्पादन और 7,00,000 लोगों के लिये रोज़गार पैदा होने की उम्मीद है।

स्रोत: पी.आई.बी.


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