भारतीय अर्थव्यवस्था
ऑटो और ड्रोन उद्योगों के लिये PLI योजना
- 17 Sep 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लियेउत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना मेन्स के लियेऑटो और ड्रोन उद्योगों के लिये PLI योजना का महत्त्व और संबंधित चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने हेतु ऑटो, ऑटो-कंपोनेंट्स और ड्रोन उद्योगों के लिये 26,058 करोड़ रुपए की ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन' (PLI) योजना को मंज़ूरी दी है।
- ऑटो, ऑटो-कंपोनेंट्स और ड्रोन उद्योगों के लिये शुरू की गई ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना, केंद्रीय बजट 2021-22 के दौरान 13 क्षेत्रों के लिये घोषित PLI योजना का हिस्सा है, जिसमें 1.97 लाख करोड़ रुपए का परिव्यय शामिल है।
- यह 'आत्मनिर्भरता' की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है और भारत को ऑटो एवं ड्रोन निर्माता देशों की शीर्ष सूची में शामिल करने में मददगार हो सकता है।
प्रमुख बिंदु
- ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना
- मार्च 2020 में शुरू की गई ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना का उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की बढ़ती बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है।
- विदेशी कंपनियों को भारत में इकाई की स्थापना के लिये आमंत्रित करने के अलावा इस योजना का उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों की स्थापना या विस्तार हेतु प्रोत्साहित करना भी है।
- इस योजना को ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, आईटी हार्डवेयर जैसे- लैपटॉप, मोबाइल फोन और दूरसंचार उपकरण, व्हाइट गुड्स, रासायनिक सेल, खाद्य प्रसंस्करण एवं वस्त्र उद्योग आदि क्षेत्रों के लिये भी अनुमोदित किया गया है।
- ऑटो सेक्टर के लिये PLI योजना
- इसमें पारंपरिक पेट्रोल, डीज़ल और CNG सेगमेंट (आंतरिक दहन इंजन) को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि भारत में इनकी पर्याप्त क्षमता मौजूद है।
- इसके तहत केवल एडवांस ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकियों या ऑटो घटकों को ही प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिनकी आपूर्ति शृंखला भारत में कमज़ोर या निष्क्रिय है।
- इसका उद्देश्य नई तकनीक और स्वच्छ ईंधन की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
- अवयव:
- चैंपियन मूल उपकरण निर्माता (Original Equipment Manufacturers- OEM) योजना:
- यह एक सेल्स वैल्यू लिंक्ड प्लान है, जो सभी सेगमेंट के बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहनों पर लागू होता है।
- चैंपियन प्रोत्साहन योजना:
- यह उन्नत प्रौद्योगिकी घटकों, कंप्लीट-नॉक्ड डाउन (CKD) या सेमी-नॉक्ड डाउन (SKD) किट, दोपहिया वाहनों, तीन पहिया वाहनों, यात्री वाहनों, वाणिज्यिक वाहनों और ट्रैक्टरों के लिये बिक्री मूल्य से जुड़ी योजना है।
- चैंपियन मूल उपकरण निर्माता (Original Equipment Manufacturers- OEM) योजना:
- महत्त्व:
- उन्नत रसायन बैटरी (Advanced Chemistry Cell) के लिये पहले से शुरू की गई PLI और फास्टर एडॉप्शन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) योजना के साथ यह योजना भी इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को बढ़ावा देगी।
- यह कार्बन उत्सर्जन और तेल आयात को कम करने में योगदान देगा।
- यह उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके ऑटो घटकों के उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा जो स्थानीयकरण, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देगा और विदेशी निवेश को भी आकर्षित करेगा।
- यह नई सुविधाएँ स्थापित करने और अधिक रोज़गार सृजित करने में मदद करेगा। इससे ऑटो सेक्टर के लिये 7.5 लाख नौकरियाँ पैदा होने की उम्मीद है।
- ड्रोन सेक्टर हेतु प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) :
- परिचय :
- इसमें एयरफ्रेम, प्रोपल्शन सिस्टम, पावर सिस्टम, बैटरी, इनर्टियल मेजरमेंट यूनिट, फ्लाइट कंट्रोल मॉड्यूल, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन, कम्युनिकेशन सिस्टम, कैमरा, सेंसर, स्प्रेइंग सिस्टम, इमरजेंसी रिकवरी सिस्टम और ट्रैकर्स सहित विभिन्न प्रकार के ड्रोन कंपोनेंट्स शामिल हैं।
- इससे 5,000 करोड़ रुपए से अधिक के नए निवेश को बढ़ावा एवं 1,500 करोड़ रुपए से अधिक के वृद्धिशील उत्पादन तथा लगभग 10,000 नौकरियों के अतिरिक्त रोज़गार सृजित होने की संभावना व्यक्त की गई है।
- महत्त्व :
- यह उद्यमियों को वैश्विक बाज़ार के लिये ड्रोन, घटकों और सॉफ्टवेयर के निर्माण की दिशा में प्रयास करने हेतु प्रोत्साहित करेगा। यह ड्रोन के अनुप्रयोग के लिये विभिन्न प्रकार के कार्यक्षेत्र भी खोलेगा।
- इससे आयात कम करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में भारत में 90% ड्रोन आयातित हैं।
- सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत को वैश्विक ड्रोन का हब (केंद्र) बनाना है।
- परिचय :