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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को प्रोत्साहन

  • 25 Jan 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति (NPE) 2019, डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना।

मेन्स के लिये:

इलेक्ट्रॉनिक उद्योग, संबंधित मुद्दे और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में इसकी भूमिका।

चर्चा में क्यों?

भारत में वर्ष 2026 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन हासिल करने की संभावना है, जो कि राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति (NPE) 2019 के अनुसार निर्धारित वर्ष 2025 तक 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य से कम है।

  • यह अनुमान भारत सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के सहयोग से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (MeitY) द्वारा जारी "वर्ष 2026 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर सस्टेनेबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग एंड एक्सपोर्ट्स" नामक 5 वर्षीय रोडमैप और विज़न दस्तावेज़ के अनुसार है।
    • ICEA मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग का शीर्ष औद्योगिक निकाय है जिसमें निर्माता भी शामिल हैं।
  • यह रोडमैप दो-भाग वाले विज़न दस्तावेज़ का दूसरा खंड है - जिसमें से पहला शीर्षक "भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में वृद्धि और वैश्विक मूल्य शृंखला (GVCs) में हिस्सेदारी" को नवंबर 2021 में जारी किया गया था।

प्रमुख बिंदु:

  • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का विकास:
    • दस्तावेज़ के अनुसार, लक्ष्य में कमी होने के बावजूद अभी भी वर्तमान स्तर से 400% की वृद्धि का लक्ष्य है।
    • मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के मौजूदा 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक उत्पादन को पार करने की उम्मीद है, जो इस महत्त्वाकांक्षी वृद्धि का लगभग 40% होने की उम्मीद है।
  • प्रमुख अपेक्षित उत्पाद:
    • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में भारत के विकास का नेतृत्त्व करने वाले प्रमुख उत्पादों में मोबाइल फोन, आईटी हार्डवेयर (लैपटॉप, टैबलेट), उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स (टीवी और ऑडियो), औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक घटक,  LED लाइटिंग, रणनीतिक इलेक्ट्रॉनिक्स, पीसीबीए (Printed Circuit Board Assembly) पहनने और सुनने योग्य व दूरसंचार उपकरण शामिल हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • उद्योगों को गुणात्मक (गैर-टैरिफ, बुनियादी ढाँचे से संबंधित) और मात्रात्मक (टैरिफ, मुक्त व्यापार समझौते आदि से संबंधित) पहलुओं में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सुझाव:
    • वर्ष 2025-26 तक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्राथमिक लक्ष्य प्रोत्साहन के माध्यम से पैमाने के निर्माण और लागत अक्षमताओं को दूर करना होगा।
    • दस्तावेज़ों में अगले 1,000 दिनों के भीतर मौजूदा नीतियों के संबंध में 'तेज़ी से बदलाव' का आह्वान किया गया है, जिसमें आयात शुल्क में स्थिरता, भारत में बिना विनिर्माण आधार वाले घटकों के लिये आयात शुल्क में कमी, कौशल का विकास और भारत में घटक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने हेतु प्रमुख विदेशी निर्माताओं को प्रोत्साहित करना शामिल है।
    • यह इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में कुल घरेलू मूल्यवर्द्धन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता का मज़बूती से समर्थन करता है, ताकि भारत अपनी वर्तमान स्थिति से एक ऐसी स्थिति में आ जाए जो चीन और वियतनाम के विकल्प के रूप में प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये तैयार हो।
    • यह वैश्विक कंपनियों के अलावा भारतीय समर्थकों (चैंपियंस) की अग्रणी भूमिका का भी महत्त्वपूर्ण विवरण देता है - दोनों पहले से ही उत्पादन-सह प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं का हिस्सा हैं।
      • 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने के लिये सरकार द्वारा घोषित यूएसडी 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर पीएलआई योजना के अंतर्गत आता है। सरकार ने अगले 6 वर्षों में चार पीएलआई योजनाओं - सेमीकंडक्टर और डिज़ाइन, स्मार्टफोन, आईटी हार्डवेयर एवं घटकों में लगभग 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वादा किया है।
  • संबंधित पहल:

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग

  • परिचय:
    • भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन वर्ष 2015-16 के 37.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 67.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
      • हालाँकि कोविड -19 से संबंधित व्यवधानों ने वर्ष 2020-21 में विकास प्रक्षेपवक्र को प्रभावित किया और विनिर्माण उत्पादन में 67.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई।
    • इस दस्तावेज़ के अनुसार, रणनीति में पूरी तरह से बदलाव आया है जो आयात प्रतिस्थापन की दृष्टि से "मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड" के दृष्टिकोण से परे है।
    • इस नए दृष्टिकोण का उद्देश्य प्रतिस्पर्द्धात्मकता, पैमाने और निर्यात पर ध्यान केंद्रित करके भारत के विनिर्माण कौशल को बदलना है।
    • इसके अलावा आयात प्रतिस्थापन को जारी रखते हुए भारत का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स बाज़ार अगले 4-5 वर्षों में मौजूदा USD65 बिलियन से 150-180 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
      • इस प्रकार इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिये 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये 120-140 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात महत्वपूर्ण है।
    • यह क्रमशः 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थव्यवस्था, 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था और MeitY (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा परिकल्पित 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर निर्यात लक्ष्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • महत्त्व:
    • चीन में श्रम लागत में वृद्धि, भू-राजनीतिक व्यापार एवं सुरक्षा वातावरण और कोविड -19 का प्रकोप कई वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स अग्रणियों/प्रमुखों को वैकल्पिक विनिर्माण स्थलों की तलाश करने और अपनी आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने के लिये विवश कर रहा है।
    • भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के लिये वैकल्पिक समाधान के प्रमुख दावेदारों में से एक है।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में इतनी क्षमता है कि वह आगामी 3-5 वर्षों में भारत के शीर्ष निर्यात में शामिल हो सकता है। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात विदेशी मुद्रा आय और रोज़गार सृजन के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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