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भारतीय अर्थव्यवस्था

अर्द्धचालकों के लिये डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव

  • 17 Jan 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव, सेमीकंडक्टर्स/अर्द्धचालक, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग

मेन्स के लिये:

भारत में अर्द्धचालक और उनका भविष्य, घटक एवं डीएलआई योजना का महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय  (MeitY) ने अपनी डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव ( Design Linked Incentive- DLI) योजना के तहत 100 घरेलू सेमीकंडक्टर चिप डिज़ाइन फर्मों, स्टार्ट-अप और सूक्ष्म, लघु एवं  मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises- MSMEs) से आवेदन आमंत्रित किये हैं।

  • DLI योजना देश में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिये  MeitY के व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा है।
  • हाल ही में  वैश्विक स्तर पर अर्द्धचालकों के उपयोग में एकाएक व्यापक कमी आई है।

अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर्स:

  • एक कंडक्टर और इन्सुलेटर के मध्य विद्युत चालकता में मध्यवर्ती क्रिस्टलीय ठोस का कोई भी वर्ग।
  • अर्द्धचालकों को डायोड, ट्रांजिस्टर और एकीकृत सर्किट सहित विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। इस तरह के उपकरणों को उनकी कॉम्पैक्टनेस, विश्वसनीयता, बिजली दक्षता और कम लागत  के कारण व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जाता है।
  • असतत घटकों के रूप में, उन्हें सॉलिड स्टेट लेज़र सहित बिजली उपकरणों, ऑप्टिकल सेंसर और प्रकाश उत्सर्जक में उपयोग किया जाता है।

प्रमुख बिंदु 

  • डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव योजना के बारे में:
    • DLE योजना के तहत घरेलू कंपनियों, स्टार्टअप्स और एमएसएमई को वित्तीय प्रोत्साहन तथा डिज़ाइन इंफ्रास्ट्रक्चर में मदद प्रदान की जाएगी।
    • यह मदद अगले पाँच साल के लिये एकीकृत सर्किट (आईसी), चिपसेट, सिस्टम ऑन  चिप्स (एसओसी), सिस्टम और आईपी कोर्स, सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिज़ाइन के विकास एवं डिप्लॉयमेंट के विभिन्न चरणों में प्रदान की जाएगी।
  • पात्रता:
    • योजना के तहत प्रोत्साहन का दावा करने वाले स्वीकृत आवेदकों को अपनी घरेलू स्थिति (अर्थात, इसमें पूंजी का 50% से अधिक लाभकारी रूप से निवासी भारतीय नागरिकों और/या भारतीय कंपनियों के स्वामित्व में हो) बनाए रखने के लिये तीन साल की अवधि हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा
    • योजना के तहत प्रोत्साहन के वितरण की पात्रता हेतु एक आवेदक को सीमा और उच्चतम सीमा को पूरा करना होगा।
      • एक समर्पित पोर्टल भी उपलब्ध कराया गया है।
  • लक्ष्य:
    • सेमीकंडक्टर डिज़ाइन में शामिल कम-से-कम 20 घरेलू कंपनियों का पोषण करना और उन्हें अगले 5 वर्षों में 1500 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार हासिल करने की सुविधा प्रदान करना।
  • दृष्टिकोण:
    • डीएलआई योजना राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के उत्पादों की पहचान करने और उनके पूर्ण या निकट स्वदेशीकरण व परिनियोजन के लिये रणनीतियों को लागू करने हेतु एक वर्गीकृत और पूर्व दृष्टिकोण अपनाएगी, जिससे रणनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में आयात प्रतिस्थापन एवं मूल्यवर्द्धन की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
  • नोडल एजेंसी:
  • डीएलआई के घटक: इस योजना के तीन घटक हैं- चिप डिज़ाइन अवसंरचना समर्थन, उत्पाद डिज़ाइन लिंक्ड प्रोत्साहन और परिनियोजन लिंक्ड प्रोत्साहन:
    • चिप डिजाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट: इसके तहत सी-डैक अत्याधुनिक डिज़ाइन इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ईडीए टूल्स, आईपी कोर और MPW (मल्टी प्रोजेक्ट वफर फैब्रिकेशन) की मेज़बानी के लिये इंडिया चिप सेंटर की स्थापना करेगा और पोस्ट-सिलिकॉन सत्यापन के लिये समर्थित कंपनियों तक इसकी पहुँच की सुविधा प्रदान करेगा।
    • उत्पाद डिज़ाइन लिंक्ड प्रोत्साहन: इसके तहत अर्द्धचालक की डिज़ाइन में लगे अनुमोदित आवेदकों को वित्तीय सहायता के रूप में प्रति आवेदन 15 करोड़ रुपये की सीमा के अधीन पात्र व्यय के 50% तक की क्षतिपूर्ति प्रदान की जाएगी।
    • डिप्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव: इसके तहत 5 वर्षों में शुद्ध बिक्री कारोबार के 6% से 4% की प्रोत्साहन राशि और 30 करोड़ रुपए प्रति आवेदन की सीमा के अधीन उन अनुमोदित आवेदकों को प्रदान की जाएगी जिनके इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी), चिपसेट, सिस्टम ऑन चिप्स के लिये सेमीकंडक्टर डिज़ाइन ( SoCs), सिस्टम और IP कोर एवं सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिज़ाइन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में तैनात किये गए हैं।
  • संबंधित पहल:
    • सेमीकंडक्टर फैब्स और डिस्प्ले फैब्स हेतु:
      • सरकार सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब्रिकेशन इकाइयों की स्थापना के लिये परियोजना लागत के 50% तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
    • सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी (SCL):
      • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी(SCL) के आधुनिकीकरण तथा व्यवसायीकरण हेतु आवश्यक कदम उठाएगा।
    • कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स: 
      • सरकार योजना के तहत स्वीकृत इकाइयों को पूंजीगत व्यय की 30 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
    • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन:
      • सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले के उत्पादन की एक सतत् प्रणाली विकसित करने हेतु दीर्घकालिक रणनीतियों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक विशेष और स्वतंत्र "इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM)" स्थापित किया जाएगा। 
    • उत्पादन-सह प्रोत्साहन

प्रगत संगणन विकास केंद्र (C-DAC):

  • ‘प्रगत संगणन विकास केंद्र’ यानी सी-डैक आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) का प्रमुख अनुसंधान और विकास संगठन है।
  • भारत का पहला सुपर कंप्यूटर ‘PARAM 8000’ स्वदेशी रूप से (वर्ष 1991 में) प्रगत संगणन विकास केंद्र (C-DAC) द्वारा ही बनाया गया था।

स्रोत: पी.आई.बी.

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