डेली न्यूज़ (09 Nov, 2023)



डीपफेक

प्रिलिम्स के लिये:

डीपफेक टेक्नोलॉजी, डीप सिंथेसिस टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी

मेन्स के लिये:

डीपफेक टेक्नोलॉजी का प्रभाव, डीपफेक संबंधी चुनौतियों का निपटान, नैतिक चिंताएँ 

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में डीपफेक टेक्नोलॉजी के उपयोग से एक भारतीय अभिनेत्री की वास्तविक जैसी दिखने वाली लेकिन  नकली वीडियो के वायरल होने से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के दुरुपयोग को लेकर देशभर में नाराज़गी और चिंता का माहौल बन गया है।

डीपफेक क्या है?

  • परिचय:
    • "डीपफेक" कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग से तैयार किया गया या मनोरंजन/मीडिया का वह अवास्तविक रूप है, जिसका उपयोग ऑडियो और विज़ुअल कंटेंट के माध्यम से लोगों को बहकाने अथवा गुमराह करने के लिये किया जा सकता है।
  • डीपफेक बनाने की प्रक्रिया:
    • डीपफेक जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क (GAN) नामक तकनीक का उपयोग करके तैयार किये जाते हैं, जिसमें जनरेटर/उत्पादक और डिस्क्रिमीनेटर/विभेदक नामक दो प्रतिस्पर्द्धी न्यूरल नेटवर्क शामिल होते हैं।
      • जनरेटर अवास्तविक छवियाँ अथवा वीडियो बनाने में मदद करता है, ये दिखने में वास्तविक जैसे होते हैं और डिस्क्रिमीनेटर जनरेटर द्वारा बनाए गए डेटा से वास्तविक डेटा को अलग करने का प्रयास करता है।
      • डिस्क्रिमीनेटर की प्रतिक्रिया से सीखते हुए जनरेटर अपने आउटपुट में सुधार करता है जब तक कि वह विभिन्न परिणाम प्रदर्शित करके डिस्क्रिमीनेटर को दुविधा की स्थिति में नहीं ला देता है।
      • डीपफेक बनाने के लिये स्रोत और लक्षित व्यक्ति के फोटो अथवा वीडियो के रूप में बड़ी मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है, जिसे अक्सर उस व्यक्ति की सहमति अथवा जानकारी के बिना इंटरनेट या सोशल मीडिया से एकत्र कर लिया जाता है।
    • डीपफेक डीप सिंथेसिस प्रौद्योगिकी का एक हिस्सा है, जो आभासी दृश्य बनाने के लिये टेक्स्ट, चित्र, ऑडियो तथा वीडियो बनाने के लिये डीप लर्निंग और संवर्द्धित वास्तविकता (Augmented Reality) सहित अन्य प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है।
  • डीप लर्निंग के सकारात्मक अनुप्रयोग:
    • डीप लर्निंग तकनीक के कई सकारात्मक अनुप्रयोग हैं, इसका उपयोग ऑडियो कंटेंट को रिस्टोर करने और ऐतिहासिक कृतियों का पुनर्निर्माण करने आदि के लिये किया जा सकता है
    • कलात्मक अभिव्यक्ति को बेहतर बनाने के लिये इसका उपयोग कॉमेडी, सिनेमा, संगीत और गेमिंग में भी किया जा रहा है।
    • शारीरिक अथवा मानसिक रूप से अक्षम लोग अपने ऑनलाइन आवश्यकताओं के लिये सिंथेटिक/कृत्रिम अवतारों का उपयोग कर सकते हैं।
    • यह चिकित्सा प्रशिक्षण और सिमुलेशन को बेहतर बनाता है। यह आभासी रोगियों और परिदृश्यों का निर्माण कर चिकित्सीय स्थितियों एवं प्रक्रियाओं तथा प्रशिक्षण दक्षता में सुधार करने में मदद करता करता है।
    • इसका उपयोग संवर्द्धित वास्तविकता (Augmented Reality) और गेमिंग अनुप्रयोगों को बेहतर बनाने के लिये भी किया जा सकता है।
  • डीपफेक से संबंधित चिंताएँ:
    • डीपफेक का उपयोग विभिन्न दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है, जैसे-
      • फर्जी खबरों का प्रचार-प्रसार;
      • चुनावों और जनमत को प्रभावित करना;
      • व्यक्तियों अथवा संगठनों को ब्लैकमेल करना और जबरन वसूली करना;
      • मशहूर हस्तियों, राजनेताओं, कार्यकर्त्ताओं एवं पत्रकारों के मान-सम्मान तथा विश्वसनीयता को हानि पहुँचाना; और
      • अश्लील कंटेंट तैयार करना।
    • डीपफेक के विभिन्न नकारात्मक अनुप्रयोग हो सकते हैं, जैसे संस्थानों, मीडिया और लोकतंत्र में जनता के विश्वास कम करना तथा शासन व्यवस्था व मानवाधिकारों को क्षीण करना।
    • डीपफेक तकनीक व्यक्तियों की गोपनीयता, गरिमा व प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकती है, और विशेषकर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य तथा कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, क्योंकि वे इस प्रकार के दुर्भावनापूर्ण अनुप्रयोगों में सर्वाधिक लक्षित की जाती हैं।
  • पता लगाने की प्रक्रिया:
    • ऑडियो और वीडियो कंटेंट में किसी प्रकार की विसंगतियों की जाँच करना।
    • मूल स्रोत अथवा समान छवियों को खोजने के लिये रिवर्स इमेज सर्च तकनीक का उपयोग करना।
    • छवियों अथवा वीडियो की गुणवत्ता, स्थिरता और प्रामाणिकता का विश्लेषण करने के लिये AI-आधारित टूल्स का उपयोग करना।
    • मीडिया के स्रोत और इसकी प्रमाणिकता के लिये डिजिटल वॉटरमार्किंग या ब्लॉकचेन का उपयोग करना।
    • डीपफेक तकनीक तथा इसके निहितार्थों के बारे में स्वयं और दूसरों को शिक्षित करना।

डीपफेक विनियमन से संबंधित वैश्विक दृष्टिकोण:

  • भारत:
    • भारत में ऐसे विशिष्ट कानून या नियम नहीं हैं जो डीपफेक तकनीक के उपयोग पर प्रतिबंध या विनियमन निर्धारित करते हों।
    • भारत ने "एथिकल" AI उपकरणों के विस्तार पर एक वैश्विक ढाँचे का आह्वान किया है।
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000) की धारा 67 और 67A जैसे मौजूदा कानूनों में ऐसे प्रावधान हैं जो डीप फेक के कुछ पहलुओं पर लागू किये जा सकते हैं, जैसे मानहानि तथा स्पष्ट सामग्री प्रकाशित करना।
    • भारतीय दंड संहिता (1860) की धारा 500 मानहानि के लिये सज़ा का प्रावधान करती है।
    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
    • सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021, दूसरों का प्रतिरूपण करने वाली सामग्री और कृत्रिम रूप से रूपांतरित छवियों को 36 घंटों के भीतर हटाने का आदेश देता है।
    • गोपनीयता, सामाजिक स्थिरता, राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र पर संभावित प्रभाव को देखते हुए भारत को विशेष रूप से डीपफेक को लक्षित करने के लिये एक व्यापक कानूनी ढाँचा विकसित करने की आवश्यकता है।
  • वैश्विक:
    • हाल ही में विश्व के प्रथम AI सुरक्षा शिखर सम्मेलन- 2023 में अमेरिका, चीन और भारत सहित 28 प्रमुख देशों ने AI के संभावित जोखिमों को दूर करने के लिये वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।
      • बैलेचली पार्क में हुए पहले एआई शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र में जानबूझकर किये गए
      • दुरुपयोग और AI प्रौद्योगिकियों पर नियंत्रण खोने के जोखिमों को स्वीकार किया गया।
    • यूरोपीय संघ:
      • दुष्प्रचार पर यूरोपीय संघ की आचार संहिता के तहत तकनीकी कंपनियों को संहिता पर हस्ताक्षर करने के छह माह के भीतर डीप फेक और नकली खातों का मुकाबला करने की आवश्यकता होती है।
        • गैर-अनुपालन में लिप्त पाए जाने पर, तकनीकी कंपनियों को अपने वार्षिक वैश्विक कारोबार का 6% तक जुर्माना भरना पड़ सकता है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका:
      • अमेरिका ने डीपफेक तकनीक का मुकाबला करने में होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की सहायता के लिये द्विदलीय डीपफेक टास्क फोर्स अधिनियम पेश किया।
    • चीन:
      • चीन ने डीप सिंथेसिस पर व्यापक विनियमन पेश किया, जो जनवरी 2023 से प्रभावी है।
        • दुष्प्रचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से विनियमन के लिये स्पष्ट लेबलिंग और गहन संश्लेषण सामग्री की ट्रेसबिलिटी की आवश्यकता होती है।
        • विनियम तथाकथित "डीप सिंथेसिस टेक्नोलॉजी" के प्रदाताओं और उपयोगकर्त्ताओं पर दायित्व थोपते हैं।
  • तकनीकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों का लचीला सिस्टम:
    • मेटा तथा गूगल जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों ने डीप फेक कंटेंट की समस्या से निपटने के लिये उपायों की घोषणा की है।
      • हालाँकि उनके सिस्टम में अभी भी कमियाँ हैं जो इस प्रकार की सामग्री के प्रसार की अनुमति देती हैं।
    • गूगल ने वॉटरमार्किंग तथा मेटाडेटा (डेटा के एक या अधिक पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान करने वाला डेटा ) सहित सिंथेटिक सामग्री की पहचान करने के लिये उपकरण पेश किये हैं।
      • वॉटरमार्किंग जानकारी को सीधे सामग्री में एम्बेड करता है, ताकि इसे बदलने से रोका जा सके, जबकि मेटाडेटा मूल फाइलों को अतिरिक्त संदर्भ प्रदान करता है।

आगे की राह 

  • व्यापक कानूनों तथा विनियमों को विकसित करना एवं उन्हें लागू करना जो विशेष रूप से भाषण व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित करते हुए डीपफेक के निर्माण और प्रसार का समाधान करते हैं
  • डीपफेक के संभावित जोखिमों तथा प्रभावों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता के साथ-साथ मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देना और मीडिया के विभिन्न स्रोतों एवं सामग्री की आलोचनात्मक सोच व सत्यापन को प्रोत्साहित करना।
  • ऐसे तकनीकी समाधान व मानक स्थापित करना एवं अपनाना जो डिजिटल वॉटरमार्क और ब्लॉकचेन जैसे डीपफेक का पता लगा कर उनके प्रसार को रोक सकें तथा उससे प्रभावित सामग्री को हटा सकें।
  • डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी तथा सिंथेटिक मीडिया के नैतिक एवं ज़िम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देना साथ ही डीपफेक के रचनाकारों व उपयोगकर्ताओं के लिये आचार संहिता और उपयुक्त प्रथाओं की स्थापना करना।
  • डीपफेक द्वारा उत्पन्न चुनौतियों व अवसरों का समाधान करने के लिये सरकारों, मीडिया, नागरिक समाज, शिक्षा एवं उद्योग जैसे विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग तथा समन्वय को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आईटी उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं? (2022)


GRAP स्टेज-IV के तहत एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों में 8-सूत्रीय कार्य योजना

प्रिलिम्स के लिये:

एन.सी.आर. एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग, ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान, PM2.5 उत्सर्जन, हल्के वाणिज्यिक वाहन, वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के चरण, वायु प्रदूषण से संबंधित भारत सरकार की पहल

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चरण-IV के अनुरूप आठ-सूत्रीय कार्य योजना लागू की है, जिसका लक्ष्य संबद्ध क्षेत्र की वायु गुणवत्ता में होने वाली किसी भी अतिरिक्त गिरावट को नियंत्रित करना है।

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) क्या है? 

  • परिचय: 
    • GRAP के तहत दिल्ली-NCR क्षेत्र में निर्धारित सीमा के बाद वायु की गुणवत्ता में होने वाली गिरावट को रोकने के लिये डिज़ाइन किये गए आपातकालीन उपाय शामिल हैं।
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा वर्ष 2017 में GRAP को अधिसूचित किया।
    • NCR एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) GRAP लागू करता है।
  • कार्यान्वयन: इसे चार चरणों के अंतर्गत कार्यान्वित किया जाता है: 

  • GRAP की प्रकृति वृद्धिशील है तथा इस प्रकार वायु गुणवत्ता के 'खराब' से 'बहुत खराब' होने पर दोनों वर्गों के तहत सूचीबद्ध उपायों का पालन करना पड़ता है।

GRAP के चरण-IV के अनुसार आठ सूत्रीय कार्य योजना क्या है?

  • आवश्यक सेवा वाहकों के अतिरिक्त गैर-दिल्ली-पंजीकृत हल्के वाणिज्यिक वाहनों (LCV) को दिल्ली में प्रवेश करने से प्रतिबंधित करना, जब तक कि वे EVs/CNG/BS-VI डीज़ल चालित वाहन न हों।
  • आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के अतिरिक्त दिल्ली-पंजीकृत डीज़ल चालित मध्यम माल वाहन (MGV) तथा भारी माल वाहन (HGV) की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाना
  • राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, बिजली ट्रांसमिशन व पाइपलाइन जैसी रैखिक सार्वजनिक परियोजनाओं के निर्माण के दौरान विध्वंस (C&D) गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना। 
  • NCR राज्य सरकारों व GNCTD को कक्षा VI से IX, कक्षा XI के लिये भौतिक कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में बदलने की सलाह देना।
  • NCR राज्य सरकारों/GNCTD को सरकारी, नगरपालिका एवं निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत क्षमता पर कार्य करने की अनुमति देने पर विचार करने का निर्देश देना और शेष को घर से कार्य करने की अनुमति देना।
  • केंद्र सरकार के कार्यालयों में कर्मचारियों को घर से कार्य करने की अनुमति देने पर केंद्र सरकार उचित निर्णय ले सकती है।
  • राज्य सरकारों को शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने, गैर-आवश्यक व्यावसायिक गतिविधियों और सम-विषम वाहन पंजीकरण संख्या योजना को लागू करने जैसे अतिरिक्त आपातकालीन उपायों पर विचार करने के लिये प्रोत्साहित करना।

दिल्ली-NCR क्षेत्र में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण और स्रोत: 

  • पराली जलाना: हालाँकि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा फसल अवशेषों को जलाना काफी हद तक कम हो गया है, लेकिन अभी भी यह अक्तूबर और नवंबर के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण बढ़े वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बना हुआ है।
    • SAFAR के अनुसार वर्ष 2021 में दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 25% था।
      • SAFAR का मतलब सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च है। यह वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता पर विशिष्ट जानकारी प्रदान करने के लिये पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा शुरू की गई एक राष्ट्रीय पहल है।
  • वाहन उत्सर्जन: दिल्ली और NCR की सड़कों पर बड़ी संख्या में चलने वाली कारों, ट्रकों, बसों तथा दोपहिया वाहनों से होने वाला उत्सर्जन वायु प्रदूषण का एक और मुख्य कारण है।
    • ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार, परिवहन क्षेत्र दिल्ली में PM2.5 उत्सर्जन (सभी PM2.5 उत्सर्जन का 28%) का मुख्य स्रोत है।
  • औद्योगिक उत्सर्जन: NCR क्षेत्र में और उसके आसपास कई उद्योगों की उपस्थिति वातावरण में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करती है। उद्योग सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) और पार्टिकुलेट मैटर जैसे विभिन्न प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं, जो वायु प्रदूषण में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • निर्माण गतिविधियाँ: निर्माण स्थल, विशेष रूप से बाह्य इलाकों में मौजूद ईंट के भट्टे, उच्च स्तर के प्रदूषक उत्पन्न करते हैं।
    • पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन में कमी, अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन और निर्माण परियोजनाओं के लिये अपर्याप्त समयसीमा समस्या को बढ़ा देती है।
  • अपशिष्ट दहन और लैंडफिल: अपशिष्ट का अनुचित निपटान, जिसमें खुले में अपशिष्ट जलाना और लैंडफिल साइटें शामिल हैं, हवा में हानिकारक गैसों एवं कणों का उत्सर्जन करता है, जिससे वायु की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
    • उदाहरण: गाज़ीपुर लैंडफिल साइट।
  • भौगोलिक और मौसम संबंधी कारक: NCR क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति सर्दियों के दौरान व्युत्क्रमित तापमान जैसी विशिष्ट मौसम संबंधी स्थितियों के साथ प्रदूषकों के भूमि में अवशोषित होने में योगदान करती है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
    • अक्तूबर 2023 में दिल्ली-NCR में वर्ष 2020 के बाद से आंशिक रूप से न्यूनतम वर्षा के कारण सर्वाधिक प्रदूषण स्तर देखा गया।
      • बारिश आम तौर पर कणों और धूल को व्यवस्थित करने में सहायता करती है, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक में वृद्धि होती है।

नोट: विश्व भर में किये गए विभिन्न शोधों में पाया गया है कि वायु प्रदूषण, एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया और बच्चों में गैर-हॉजकिन लिंफोमा (एक शब्द है जिसका उपयोग 75 से अधिक विभिन्न प्रकार के कैंसर का वर्णन करने के लिये किया जाता है) आपस में संबंधित हैं। ये मुख्य रूप से बेंजीन, नाइट्रस ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसे प्रदूषकों के कारण होता है। कम प्रदूषण स्तर वाले क्षेत्रों की तुलना में दिल्ली में ल्यूकेमिया और लिम्फोमा से पीड़ित बच्चों की संख्या काफी अधिक है।

वायु प्रदूषण से संबंधित भारत सरकार की पहल क्या हैं?

आगे की राह

  • उत्सर्जन नियंत्रण संबंधी सख्त नीतियाँ: वायुमंडल में मुक्त होने वाले प्रदूषकों को सीमित करने के लिये उद्योगों, वाहनों तथा विनिर्माण गतिविधियों के लिये उत्सर्जन मानदंडों को और सख्त बनाना।
  • सार्वजनिक परिवहन और यातायात प्रबंधन: वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिये सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करना। सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क का विस्तार व सुधार सड़क पर अतिरिक्त वाहनों की भीड़भाड़ तथा उत्सर्जन को नियंत्रित करने में सहायता कर सकता है।
    • दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या में वृद्धि और दिल्ली मेट्रो में यात्रियों की सुविधाओं को बेहतर बनाने जैसी हालिया पहल इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन और विनियमन: खुले में अपशिष्ट जलाने और लैंडफिल उत्सर्जन को कम करने के लिये अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी सख्त नियमों का निर्धारण एवं उनका प्रभावी क्रियान्वयन करना
    • खुले में जलाए जाने वाले अपशिष्ट की मात्रा को कम करने के लिये पुनर्चक्रण, खाद निर्माण और अपशिष्ट-से- ऊर्जा बनाने की पहल इत्यादि को प्रोत्साहित करना।
  • फसल अवशेष प्रबंधन: किसानों को हैप्पी सीडर जैसे वित्तीय रूप से व्यवहार्य और पर्यावरण के अनुकूल अवशेष प्रबंधन विकल्प प्रदान करके फसल अवशेषों को जलाने की समस्या का समाधान करना।
    • इन तरीकों को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने से अवशेषों को जलाने की अनिवार्यता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, वित्त वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) के परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2.  कार्बन मोनोक्साइड
  3.  नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  4.  सल्फर डाइऑक्साइड
  5.  मेथैन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों (ए.क्यू.जी.) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत 2005 के अद्यतन से ये कैसे भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है? (2021)


विश्व क्षय रोग रिपोर्ट, 2023

प्रिलिम्स के लिये:

ग्लोबल टी.बी. रिपोर्ट 2023, क्षय रोग (टीबी), कोविड-19, मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट टी.बी. (MDR-TB), संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC)।

मेन्स के लिये:

विश्व क्षय रोग रिपोर्ट, 2023, केंद्र और राज्यों द्वारा आबादी के सुभेद्य वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ एवं इन योजनाओं का प्रदर्शन

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्व क्षय रोग रिपोर्ट, 2023 (Global TB Report 2023) जारी की है, जिसमें वर्ष 2022 में विश्वभर में क्षय रोग के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को उजागर किया गया है।

  • वर्ष 2022 में विश्वभर में क्षय रोग के सर्वाधिक मामले (2.8 मिलियन टी.बी. मामले) भारत में पाए गए थे, यह अर्थव्यवस्था पर क्षय रोग के कारण पड़ने वाले वैश्विक बोझ का 27% है।

विश्व क्षय रोग रिपोर्ट 2023 के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • क्षयरोग का बोझ: 
    • कोविड-19 के बाद वर्ष 2022 में विश्वभर में होने वाली मौतों का दूसरा प्रमुख कारण क्षय रोग था।
    • क्षयरोग के कारण ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (HIV)/एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम स्टेज (AIDS) की तुलना में लगभग दोगुनी मौतें होती हैं। प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन से अधिक लोग क्षय रोग से पीड़ित होते हैं।
    • वर्ष 2022 में विश्वभर में कुल मामलों में क्षय रोग से प्रभावित होने वाले शीर्ष 30 देशों की सामूहिक भागीदारी 87% थी।
      • शीर्ष देशों में भारत के अतिरिक्त, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य शामिल हैं।
  • क्षय रोग निदान में वृद्धि:
    • वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर 7.5 मिलियन TB से पीड़ित लोगों का निदान किया गया, जो वर्ष 1995 से WHO द्वारा वैश्विक TB निगरानी शुरू करने के बाद से दर्ज किया गया सबसे बड़ा आँकड़ा है।
  • उपचार की कमी के कारण उच्च मृत्यु दर:
    • क्षय रोगों में उपचार की कमी के कारण मृत्यु दर लगभग 50% अधिक है।
    • हालाँकि वर्तमान में WHO द्वारा अनुशंसित उपचार (क्षयरोग-रोधी दवाओं का 4-6 महीने का कोर्स) से क्षय रोग से पीड़ित लगभग 85% लोगों के स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
  • TB निदान एवं उपचार में वैश्विक पुनर्प्राप्ति:
    • दो वर्षों के कोविड-19 से संबंधित व्यवधानों के बाद वर्ष 2022 में T.B से पीड़ित तथा उपचार किये गए लोगों की संख्या में सकारात्मक वैश्विक सुधार हुआ है।
    • भारत, इंडोनेशिया तथा फिलीपींस जैसे देशों की वैश्विक कटौती में 60% से अधिक की हिस्सेदारी है।
  • TB की घटना दर: 
    • TB की घटना दर, जो प्रति वर्ष प्रति 100,000 जनसंख्या पर नए मामलों का आंकलन करती है, में वर्ष 2020 से 2022 के बीच 3.9% की वृद्धि हुई है।
    • इस वृद्धि ने प्रति वर्ष लगभग 2% की गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया जो पिछले दो दशकों से देखी जा रही थी।

भारत से संबंधित क्या निष्कर्ष हैं?

  • भारत में TB के मामले में मृत्यु दर का अनुपात: 
    • भारत में TB के मामलों में मृत्यु दर का अनुपात 12% बताया गया है, जो दर्शाता है कि देश में TB के 12% मामलों में मृत्यु हुई।
    • रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्ष 2022 में भारत में TB से संबंधित 3,42,000 मृत्यु हुईं, जिनमें HIV-नकारात्मक व्यक्तियों में 3,31,000 तथा HIV वाले 11,000 लोग शामिल थे।
  • मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट TB (MDR-TB): 
    • भारत में वर्ष 2022 में मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट TB (MDR-TB) के 1.1 लाख मामले दर्ज किये गए, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में MDR-TB की निरंतर चुनौती को प्रदर्शित करते हैं।

रिपोर्ट की सिफारिशें क्या हैं?

  • वर्ष 2030 तक वैश्विक TB महामारी को समाप्त करने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है जो संयुक्त राष्ट्र (UN) और WHO के सभी सदस्य राष्ट्रों द्वारा अपनाया गया एक लक्ष्य है।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल (UHC) यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है कि जिन सभी लोगों को TB रोग या संक्रमण के इलाज की आवश्यकता है, वे इन उपचारों तक पहुँच सकें।
  • गरीबी, अल्पपोषण, HIV संक्रमण, धूम्रपान और मधुमेह से ग्रसित TB के संभावित निर्धारकों को इस रोग से बचाव के लिये बहुक्षेत्रीय कार्रवाई की भी आवश्यकता है ताकि TB रोग से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या को कम किया जा सके।

क्षय रोग (Tuberculosis) क्या है?

  • परिचय:
    • क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होने वाला एक संक्रमण है। यह व्यावहारिक रूप से शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। इनमें सबसे आम हैं फेफड़े, फुस्फुस (फेफड़ों के चारों ओर की परत), लिम्फ नोड्स, आँत, रीढ़ और मस्तिष्क।
  • ट्रांसमिशन:
    • यह एक वायवीय संक्रमण है जो संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से फैलता है,  विशेषकर खराब वेंटिलेशन वाले घनी आबादी वाले स्थानों में।
  • लक्षण:
    • TB के सामान्य लक्षण हैं बलगम वाली खाँसी और कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वज़न कम होना, बुखार तथा रात में पसीना आना।
  • इलाज:
    • TB एक इलाज योग्य उपचारात्मक बीमारी है। इसका इलाज 4 रोगाणुरोधी दवाओं के 6 महीने के मानक पाठ्यक्रम के साथ किया जाता है जिसके तहत एक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता या प्रशिक्षित स्वयंसेवक द्वारा रोगी को जानकारी, पर्यवेक्षण एवं सहायता प्रदान की जाती है।
    • TB-रोधी दवाओं का उपयोग दशकों से किया जा रहा है और सर्वेक्षण किये गए प्रत्येक देश में एक या अधिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी उपभेदों का दस्तावेज़ीकरण किया गया है।
  • बहुऔषधि- रोधी क्षय रोग (MDR-TB):
    • MDR-TB का उपचार बेडाक्विलिन जैसी दूसरी पंक्ति की दवाओं के उपयोग से संभव है।
      • व्यापक रूप से औषधि- रोधी क्षय रोग (XDR-TB) MDR-TB का एक अधिक गंभीर रूप है जो बैक्टीरिया के कारण होता है, जिस पर दूसरी सबसे प्रभावी क्षय रोग प्रतिरोधी दवाओं का प्रभाव नहीं पड़ता है जिसके कारण रोगियों के पास आमतौर पर उपचार का अन्य कोई विकल्प नहीं बचता है।
      • यह बैक्टीरिया के कारण होने वाली TB का एक रूप है जिस पर आइसोनियाज़िड और रिफैम्पिसिन जैसी सबसे प्रभावशाली क्षय रोग प्रतिरोधी औषधियों का कोई असर नहीं होता है।

टीबी से निपटने हेतु क्या पहलें हैं? 

  • वैश्विक पहलें:
  • भारतीय पहलें:
    • क्षय रोग उन्मूलन (2017-2025) हेतु राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP), निक्षय पारिस्थितिकी तंत्र (राष्ट्रीय टी.बी. सूचना प्रणाली), निक्षय पोषण योजना (NPY- वित्तीय सहायता), ‘टी.बी. हारेगा, देश जीतेगा अभियान’। 
    • वर्तमान में क्षय रोग के उपचार हेतु दो टीके विकसित एवं चिह्नित गए हैं जो VPM (वैक्सीन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट) 1002 और MIP (माइकोबैक्टीरियम इंडिकस प्रानी) हैं। ये टीके वर्तमान में नैदानिक परीक्षण के चरण-3 से गुज़र रहे हैं।
    • वर्ष 2018 में निक्षय पोषण योजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य पोषण संबंधी ज़रूरतों के लिये प्रतिमाह 500 रुपए का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रदान कर प्रत्येक क्षय रोगी की सहायता करना था।