सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए
प्रिलिम्स के लिये:अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, साइबर अपराध मेन्स के लिये:सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए और मध्यस्थ |
चर्चा में क्यों?
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए के तहत ट्विटर (माइक्रोब्लॉगिंग साइट) से कुछ पोस्ट हटाने के आदेश जारी किये है।
- ट्विटर ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसमें दावा किया गया है कि अधिनियम की धारा 69ए के तहत कई अवरुद्ध आदेश प्रक्रियात्मक रूप से अपर्याप्त हैं।
वर्तमान चुनौतियाँ:
- मंत्रालय ने कहा कि आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत कंपनी "कई मौकों पर निर्देशों का पालन करने में विफल रही है"।
- ट्विटर ने वर्ष 2021 में सरकार के अनुरोध के आधार पर 80 से अधिक खातों और ट्वीट्स की एक सूची प्रस्तुत की जिन्हें ब्लॉक कर दिया गया था।
- ट्विटर का दावा है कि जिस आधार पर मंत्रालय द्वारा कई खातों और पोस्ट को ब्लॉक किया गया है, वह या तो "व्यापक और मनमाना" है या "अनियमित" है।
- ट्विटर के अनुसार, मंत्रालय द्वारा चिह्नित कुछ सामग्री राजनीतिक दलों के आधिकारिक खातों से संबंधित हो सकती है, जिसे अवरुद्ध करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A:
- परिचय:
- यह केंद्र और राज्य सरकारों को "किसी भी कंप्यूटर संसाधन में उत्पन्न, प्रेषित, प्राप्त या संग्रहीत किसी भी जानकारी को इंटरसेप्ट, मॉनिटर या डिक्रिप्ट करने के लिये" निर्देश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
- जिन आधारों पर इन शक्तियों का प्रयोग किया जा सकता है वे हैं:
- भारत की संप्रभुता या अखंडता के हित में भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा।
- विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध।
- सार्वजनिक आदेश या इनसे संबंधित किसी भी संज्ञेय अपराध हेतु उकसाने से रोकने के लिये।
- किसी भी अपराध की जांँच के लिये।
- इंटरनेट वेबसाइटों को ब्लॉक करने की प्रक्रिया:
- धारा 69A समान कारणों और आधारों के लिये (जैसा कि ऊपर बताया गया है) केंद्र सरकार को किसी भी एजेंसी या मध्यस्थों से किसी भी कंप्यूटर संसाधन में उत्पन्न, पारेषित, प्राप्त या भंडारित की गई किसी भी जानकारी की जनता तक पहुंँच को अवरुद्ध करने के लिये कहने में सक्षम बनाती है।
- 'मध्यस्थों' शब्द में सर्च इंजन, ऑनलाइन भुगतान और नीलामी साइटों, ऑनलाइन मार्केटप्लेस तथा साइबर कैफे के अलावा दूरसंचार सेवा, नेटवर्क सेवा, इंटरनेट सेवा तथा वेब होस्टिंग के प्रदाता भी शामिल हैं।
- पहुंँच को अवरुद्ध करने के लिये ऐसा कोई भी अनुरोध लिखित में दिये गए कारणों पर आधारित होना चाहिये।
- धारा 69A समान कारणों और आधारों के लिये (जैसा कि ऊपर बताया गया है) केंद्र सरकार को किसी भी एजेंसी या मध्यस्थों से किसी भी कंप्यूटर संसाधन में उत्पन्न, पारेषित, प्राप्त या भंडारित की गई किसी भी जानकारी की जनता तक पहुंँच को अवरुद्ध करने के लिये कहने में सक्षम बनाती है।
अन्य संबंधित कानून:
- भारत में समय-समय पर संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000, कंप्यूटर संसाधनों के उपयोग से संबंधित सभी गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
- इसमें सभी 'मध्यस्थ' शामिल हैं जो कंप्यूटर संसाधनों और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के उपयोग में भूमिका निभाते हैं।
- सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश) नियम, 2011 में इस उद्देश्य के लिये बनाए गए अलग-अलग नियमों में मध्यस्थों की भूमिका का वर्णन किया गया है।
मध्यस्थों द्वारा अधिनियम का अनुपालन किये जाने का कारण:
- अंतर्राष्ट्रीय अनिवार्यताएँ:
- अधिकांश देशों ने कुछ परिस्थितियों में कानून और व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों के साथ इंटरनेट सेवा प्रदाताओं या वेब होस्टिंग सेवा प्रदाताओं तथा अन्य बिचौलियों द्वारा सहयोग को अनिवार्य बनाने वाले कानून बनाए हैं।
- साइबर अपराध से निपटने हेतु:
- वर्तमान में साइबर अपराध और कंप्यूटर संसाधनों से संबंधित अन्य कई अपराधों से लड़ने की प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता कंपनियों एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
- ऐसे अपराधों में हैकिंग, डिजिटल प्रतिरूपण और डेटा की चोरी शामिल होती है।
- इंटरनेट के दुरुपयोग को रोकने हेतु:
- इंटरनेट के दुरुपयोग की संभावनाओं ने कानून प्रवर्तन अधिकारियों को इसके दुष्प्रभावों को रोकने हेतु इंटरनेट पर अधिक नियंत्रण के लिये प्रेरित किया है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
मेटावर्स स्टैंडर्ड्स फोरम
प्रिलिम्स के लिये:मेटावर्स, ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी। मेन्स के लिये:मेटावर्स स्टैंडर्ड्स फोरम, मेटावर्स में अंतरसंचालनीयता की आवश्यकता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मेटावर्स स्टैंडर्ड्स फोरम की स्थापना के लिये कई बड़ी कंपनियाँ एक साथ आईं, जो मेटावर्स के विकास को गति प्रदान करने के लिये अंतरसंचालनीयता मानकों के विकास का नेतृत्व कर रही हैं।
मेटावर्स:
- मेटावर्स कोई नया विचार नहीं है; ‘साइंस फिक्शन’ लेखक नील स्टीफेंसन ने वर्ष 1992 में इस शब्द को गढ़ा था और यह अवधारणा वीडियो गेम कंपनियों के बीच आम है।
- मेटावर्स सामाजिक संपर्क पर केंद्रित इंटरनेट का अगला संस्करण है।
- इसे एक ‘सिम्युलेटेड’ डिजिटल वातावरण (Simulated Digital Environment) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो वास्तविक दुनिया की नकल करते हुए समृद्ध उपयोगकर्त्ता संपर्क वाले स्थान के सृजन के लिये सोशल मीडिया से प्राप्त सूचनाओंं के साथ-साथ संवर्द्धित वास्तविकता (AR), आभासी वास्तविकता (VR) और ब्लॉकचेन तकनीकी का उपयोग करता है।
- इसे लगातार विकसित होते पहलुओं वाली एक 3D आभासी दुनिया के रूप में समझा जा सकता है, जिसे इसके निवासियों द्वारा सामूहिक रूप से साझा किया जाता है; यह रियल-टाइम घटनाओं और ऑनलाइन अवसंरचना से युक्त एक आभासी दुनिया है।
- सिद्धांतः यह वास्तविक दुनिया में होने वाली हर घटना को समाहित करता है और वास्तविक समय की घटनाओं और अद्यतित जानकारी को आगे ले जाता है। मेटावर्स में उपयोगकर्त्ता एक सीमा रहित आभासी दुनिया में मौजूद रहता है।
मेटावर्स स्टैंडर्ड्स फोरम:
- परिचय:
- मेटावर्स की अवधारणा अभी पूरी तरह से स्थापित नहीं हुई है लेकिन आभासी और संवर्द्धित वास्तविकताओं में रुचि विभिन्न मेटावर्स परियोजनाओं के विकास को तेज़ी से ट्रैक करती है।
- मेटावर्स के क्षेत्र में बढ़ती संभावना के आलोक में मेटावर्स स्टैंडर्ड्स फोरम की स्थापना "मेटावर्स हेतु खुले मानकों के विकास को बढ़ावा देने के लिये" की गई थी।
- "खुले मानक" आम जनता के लिये उपलब्ध कराए गए मानक हैं तथा इन्हें सहयोगी और सर्वसम्मति संचालित प्रक्रिया के माध्यम से विकसित (या अनुमोदित) और बनाए रखा जाता है। "खुले मानक" विभिन्न उत्पादों या सेवाओं के बीच अंतरसंचालनीयता एवं डेटा विनिमय की सुविधा प्रदान करते हैं तथा व्यापक रूप से अपनाने हेतु उपलब्ध हैं।
- जैसे HTML के द्वारा इंटरनेट अंतरसंचालनीय है, मेटावर्स को भी आभासी दुनिया के बीच स्वतंत्र रूप से नेविगेट करने हेतु उपयोगकर्त्ताओं के लिये एक समान इंटरफेस की आवश्यकता होती है।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य मेटावर्स के संचालन के लिये आवश्यक अंतःक्रियाशीलता का विश्लेषण करना है।
- पारस्परिकता, ओपन मेटावर्स के विकास और उसे अपनाने के लिये प्रेरक शक्ति है।
- यह मेटावर्स मानकों के परीक्षण तथा अपनाने में तेज़ी लाने के लिये व्यावहारिक, क्रिया-आधारित परियोजनाओं जैसे- कार्यान्वयन प्रोटोटाइप, हैकथॉन, प्लगफेस्ट और ओपन-सोर्स टूलिंग पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- यह ऑनलाइन युनिवर्स का विस्तार करने के लिये सुसंगत भाषा और परिनियोजन दिशा-निर्देश भी विकसित करेगा।
- इसका उद्देश्य मेटावर्स के संचालन के लिये आवश्यक अंतःक्रियाशीलता का विश्लेषण करना है।
मेटावर्स की अंतर-संचालनीयता की आवश्यकता
- अंतरसंचालनीयता परियोजनाओं में विभिन्न विशेषताओं और गतिविधियों के लिये मेटावर्स को समर्थन प्रदान करती है।
- खुले अंतरसंचालनीयता मानकों और दिशा-निर्देशों का पालन करने के साथ कंपनियाँं पूरी तरह से अंतरसंचालनीयता योजना लॉन्च कर सकती हैं, जिससे उन्हें अन्य परियोजनाओं के साथ अपने प्रोग्रामिंग इंटरफेस को एकीकृत करने की इजाज़त मिलती है।
- मेटावर्स के क्षेत्र में काम करने के लिये आमतौर पर सहमत प्रोटोकॉल का एक सेट होना चाहिये, ठीक उसी तरह जैसे ट्रांसफर कंट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल (TCP/IP) ने इंटरनेट को चार दशक पहले लाइव होने में सक्षम बनाया था।
- इस तरह के प्रोटोकॉल हमारे उपकरणों को बदले बिना घर और कार्यालय से वाईफाई नेटवर्क से जुड़ने में हमारी मदद करते हैं।
- वे खुले मानकों के परिणाम हैं। मेटावर्स की क्षमता का सबसे अच्छा परिणाम तभी प्राप्त होगा जब इसे खुले मानकों पर बनाया गया हो।
- मेटावर्स के समर्थक इसे इंटरनेट का भविष्य कहते हैं जिसके मूल में 3D है और डिजिटल दुनिया को पूरी तरह से इसका अनुकरण करने के लिये 3D अंतरसंचालनीयता को पूरा करना होगा।
मेटावर्स के निर्माण में भारत की भूमिका
- भारत मेटावर्स हेतु तैयार:
- वर्ष 2015 के बाद से भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में लगभग 40 स्थानों की वृद्धि कर चुका है जो अब विश्व में 46वें स्थान पर है।
- भारत में उद्यमिता की एक समृद्ध संस्कृति है जिसने हाल ही में महत्त्वपूर्ण वृद्धि प्राप्त की है।
- इस वातावरण को अनुकूल उपभोक्ता प्रवृत्तियों के एक समूह द्वारा बल दिया गया है, जिसमें खर्च करने योग्य आय में वृद्धि, स्मार्टफोन अपनाने में वृद्धि और किफायती मोबाइल डेटा शामिल हैं।
- उभरता हुआ डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर:
- पिछले दशक में इंडिया स्टैक का निर्माण हुआ है, जो राष्ट्रीय डिजिटल पहचान और भुगतान बुनियादी ढांँचे सहित प्रौद्योगिकी परियोजनाओं का एक संयोजन है, जिसने मिलकर देश में वित्तीय समावेशन के एक नए युग की शुरुआत की।
- ई-गवर्नेंस के लिये ब्लॉकचेन एप्लीकेशन का उपयोग करने की भारत की योजना में ब्लॉकचैन-समर्थित डिजिटल रुपया का प्रस्ताव शामिल है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा वर्ष 2022-23 तक जारी किया जाएगा।
- सरकार ने यह भी घोषणा की है कि वह 5G मोबाइल सेवाओं के रोलआउट की सुविधा के लिये स्पेक्ट्रम नीलामी आयोजित करेगी, जिससे गेमिंग और मेटावर्स सहित क्लाउड एप्लीकेशन की मांग में तेज़ी आएगी।
- विकसित नियामक परिदृश्य:
- मेटावर्स के लिये तकनीकी, जनसांख्यिकीय और नीतिगत नींव भारत में मौजूद प्रतीत होती है, इसके बावजूद मेटावर्स के निर्माण की परिचालन चुनौती बनी हुई है।
- यदि भारत को अग्रणी भूमिका निभानी है तो निजी क्षेत्र में सौदे के प्रवाह में तेज़ी लाने की आवश्यकता होगी।
- नवीनतम केंद्रीय बजट वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30% कर लगाता है, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी और संभावित रूप से नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) शामिल हो सकते हैं।
- जबककर क्रिप्टो को संपत्ति के रूप में मान्यता देगा जिसे विनियमित किया जा सकता है, यह क्रिप्टो स्वामित्व को वैध नहीं बनाता है, जबकि उचित कानून के माध्यम से किया जा सकता है।
- क्रिप्टो से परे मेटावर्स नीतिगत प्रश्न भी उठाता है कि गोपनीयता और सुरक्षा को कैसे संबोधित किया जाना चाहिये।
- मेटावर्स में ऑनलाइन जोखिम बढ़ सकते हैं, जहांँ अवांछित संपर्क की व्यापक स्तर पर अधिक घुसपैठ हो सकती है।
- आभासी दुनिया के लिये शासन तंत्र को डिजिटल साक्षरता, सुरक्षा और भलाई को बढ़ावा देने के प्रयासों को मज़बूत करने और बढ़ाने के लिये समर्थन की आवश्यकता होगी ताकि प्रतिभागी सचेत होकर हानिकारक सामग्री और व्यवहारों को नेविगेट करते हुए ऑनलाइन समुदायों में सार्थक रूप से संलग्न हो सकें।
स्रोत: द हिंदू
भारत पशु स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन 2022
प्रिलिम्स के लिये:जानवरों से संबंधित रोग। मेन्स के लिये:मानव पर पशु स्वास्थ्य के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने नई दिल्ली में भारत के प्रथम पशु स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन 2022 का उद्घाटन किया।
- इंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (ICFA) और एग्रीकल्चर टुडे ग्रुप द्वारा आयोजित यह भारत का प्रथम पशु स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन है।
- पशु स्वास्थ्य, वन हेल्थ का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। वन हेल्थ एक ऐसा दृष्टिकोण है जो यह मानता है कि लोगों का स्वास्थ्य जानवरों के स्वास्थ्य और हमारे साझा पर्यावरण से निकटता से जुड़ा हुआ है।
पशु स्वास्थ्य का महत्त्व:
- पशु स्वास्थ्य की अवधारणा में पशु रोगों के साथ-साथ पशु कल्याण, मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण तथा खाद्य सुरक्षा के बीच परस्पर क्रिया शामिल है।
- कई ज्ञात मानव संक्रामक रोग जानवरों और जलवायु परिवर्तन में शुरू होते हैं, उदाहरण के लिये इनका उनके संचरण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है।
- हालाँकि सभी पशु रोग मनुष्यों के लिये सीधे तौर पर हानिकारक नहीं होते हैं, लेकिन उनके महत्त्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि कुछ लोगों का व्यवसाय और जीवन पशु स्वास्थ्य पर निर्भर होता है।
- 5 में से 1 व्यक्ति अपनी आय और आजीविका के लिये पशुओं के उत्पादन पर निर्भर करता है।
- फीड की मांग के लिये वर्ष 2050 तक वैश्विक खाद्य उत्पादन में 70 प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता होगी।
- वैश्विक पशु उत्पादन नुकसान का 20% पशु रोगों से जुड़ा हुआ है।
- विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH, जिसे पहले OIE के नाम से जाना जाता था) ने 117 बीमारियों को सूचीबद्ध किया है।
- WOAH एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो पशु रोगों पर पारदर्शी रूप से सूचना प्रसारित करने, विश्व स्तर पर पशु स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करने तथा इस प्रकार एक सुरक्षित, स्वस्थ एवं अधिक टिकाऊ दुनिया के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। भारत इसका सदस्य है।
जानवरों से संबंधित रोग:
- मंकीपॉक्स:
- यह बंदरों के बीच एक वायरल ज़ूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होती है तथा कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में संचारित हो जाती है।
- मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे फैमिली (Poxviridae Family) में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस (Orthopoxvirus Genus) का सदस्य है।
- गांँठदार त्वचा रोग (LSD):
- यह पॉक्सवायरस लम्पी स्किन डिज़ीज़ वायरस (LSDV) के कारण होने वाली उल्लेखनीय बीमारी है।
- यह मवेशियों और भैंसों को प्रभावित करती है, पशु स्वास्थ्य को नुकसान पहुंँचाती है और महत्त्वपूर्ण उत्पादन एवं व्यापार नुकसान का कारण बनती है।
- अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF):
- यह एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरल बीमारी है जो सभी उम्र के घरेलू और जंगली सूअर दोनों को प्रभावित करती है। ASF मानव स्वास्थ्य के लिये खतरा नहीं है और इसे सूअरों से मनुष्यों तक नहीं पहुंँचाया जा सकता है।
- खुरपका-मुँंहपका रोग:
- यह एक अत्यधिक संचारी रोग है जो कटे-फटे पैरों वाले जानवरों को प्रभावित करता है। यह बुखार, पुटिकाओं के गठन और मुंँह में छाले, थन, निप्पल और पैर की उंँगलियों के बीच एवं खुरों के ऊपर की त्वचा को प्रभावित करता है।
- भारत में इस रोग की व्यापकता देखी जाती है और यह पशुधन उद्योग में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
- यह रोग सीधे संपर्क या परोक्ष रूप से संक्रमित जल , खाद, घास एवं चरागाहों के माध्यम से फैलता है। इसकी ज़ानकारी पशुपालकों ने भी दी है। यह बरामद जानवरों, खेत के चूहों, साही और पक्षियों के माध्यम से फैलने के लिये जाना जाता है।
- रेबीज़:
- यह कुत्तों, लोमड़ियों, भेड़ियों, लकड़बग्घा और कहीं-कहीं यह चमगादड़ों (जो खून चूसते है) का रोग है।
- रेबीज़ वाले जानवर द्वारा काटे जाने पर यह रोग अन्य जानवरों या लोगों में फैल जाता है। रेबीज पैदा करने वाले रोगाणु बीमार (पागल) जानवर की लार में रहते हैं। यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन काटने वाला हर कुत्ता रेबीज़ से संक्रमित नहीं होता है।
- एवियन इन्फ्लुएंज़ा (बर्ड फ्लू):
- एवियन इन्फ्लुएंज़ा या बर्ड फ्लू पक्षियों की एक बीमारी है। इसके अलावा कुछ प्रकार के बर्ड फ्लू मनुष्यों को हो सकते हैं, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है।
पशु रोगों पर अंकुश लगाने के लिये सरकार की पहल:
- पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण:
- पशुधन और पशुओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये पशुपालन तथा डेयरी विभाग ने एक केंद्र प्रायोजित योजना "पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण" (LH एंड DC) लागू की है, जिसमें राज्यों को केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करके आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण पशु रोगों के नियंत्रण व रोकथाम की परिकल्पना की गई है।
- राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP):
- यह फुट एंड माउथ डिज़ीज़ और ब्रुसेलोसिस के नियंत्रण के लिये सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख योजना है। FMD के लिये 100% मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी, और सुअर आबादी तथा रुसेलोसिस के लिये 4-8 माह के 100% गोजातीय मादा बछड़ों का टीकाकरण।
- इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक फुट एंड माउथ डिज़ीज़ (FMD) का टीकाकरण और वर्ष 2030 तक इसके पूर्ण उन्मूलन के साथ नियंत्रित करना है।
स्रोत : पी.आई.बी.
गीगामेश समाधान
प्रिलिम्स के लिये:GigaMesh, ARTPARK, स्पेक्ट्रम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेन्स के लिये:ग्रामीण कनेक्टिविटी, डिजिटल समावेशन में एआई की भूमिका, ग्रामीण भारत में डिजिटल समावेशन की चुनौतियांँ, संबंधित सरकारी नीतियांँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एस्ट्रोम ने भारत में 15 गांँवों के साथ "गीगामेश संपर्क समाधान (GigaMesh Network Solution)" नामक पायलट परियोजना शुरू करने के लिये दूरसंचार विभाग के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।
- एस्ट्रोम द्वारा विकसित गीगामेश ग्रामीण 4जी बुनियादी ढांँचे में भीड़भाड़ की चुनौतियों को संबोधित करेगा और उच्च तकनीक एवं सस्ती इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
गीगामेश (GigaMesh):
- समाधान को एस्ट्रोम द्वारा विकसित किया गया है।
- स्टार्टअप को भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (ARTPARK), टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (TIH) द्वारा समर्थन प्रदान किया गया है।
- यह एक नेटवर्क समाधान है जो वायरलेस रूप से फाइबर जैसी बैकहॉल क्षमता प्रदान करेगा और 5जी के लिये मार्ग प्रशस्त करेगा।
- यह दुनिया का पहला मल्टी-बीम ई-बैंड रेडियो है जो इन टावरों में से प्रत्येक को मल्टी Gbps थ्रूपुट डिलीवर करते हुए एक टावर से कई टावरों तक एक साथ संचार करने में सक्षम है।
- एक एकल गीगामेश डिवाइस 2+ Gbps क्षमता के साथ 40 लिंक प्रदान कर सकता है, जो दस किलोमीटर की सीमा तक संचार कर सकता है।
- गीगामेश ई-बैंड में कई पॉइंट-टू-पॉइंट संचार की सुविधा देता है, लागत कम करता है और सॉफ्टवेयर द्वारा संचालित होता है जिससे इसे दूरस्थ रूप से तैनात, रखरखाव और मरम्मत करना आसान हो जाता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (ARTPARK):
- परिचय:
- ARTPARK भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बंगलूरू द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और रोबोटिक्स में प्रौद्योगिकी नवाचारों को बढ़ावा देने के लिये एक गैर-लाभकारी फाउंडेशन है।
- पहल:
- ARTPARK के AI शोधकर्त्ताओं ने हेल्थटेक स्टार्टअप निरामई हेल्थ एनालिटिक्स और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के सहयोग से एक्सरे सेतु (XraySetu) भी विकसित किया है।
- XraySetu एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो कुछ ही सेकंड में कोविड-19 के प्रति 98.86% संवेदनशीलता के साथ चेस्ट के एक्स-रे की व्याख्या कर सकता है।
- ARTPARK ने ARTPARK इनोवेशन समिट का भी आयोजन किया, जिसमें महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिये उद्योग, शिक्षा और सरकार को एक छत के नीचे लाया गया:
- जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में अगली पीढ़ी की संचार व्यवस्था (कनेक्टिविटी) कैसे बनाई जाए, भारत के लिये स्वास्थ्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), भारत को ड्रोन से जोड़ना, भविष्य के लिये समावेशी शिक्षा तथा एआई एवं अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण।
- इसके अलावा उन्होंने भारतीय सेना के एक मानव रहित ज़मीनी वाहन (UGV) के प्रयोग में भाग लिया और भारत के एकमात्र लेग्ड रोबोटिक डॉग का भी प्रदर्शन किया।
- ARTPARK के AI शोधकर्त्ताओं ने हेल्थटेक स्टार्टअप निरामई हेल्थ एनालिटिक्स और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के सहयोग से एक्सरे सेतु (XraySetu) भी विकसित किया है।
AI के उपयोग के अन्य क्षेत्र:
- पुलिसिंग:
- AI की मदद से केंद्रीय डेटाबेस के साथ चेहरे के मिलान, अपराध के पैटर्न के अनुमान और सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण द्वारा संदिग्धों की पहचान की जा सकती है।
- सरकार सभी रिकॉर्ड (विशेष रूप से अपराध रिकॉर्ड) का डिजिटलीकरण कर रही है; वह इसे CCTNS नामक एक ही स्थान पर एकत्र कर रही है जहाँ किसी अपराधी या संदिग्ध की तस्वीरों, बायोमीट्रिक्स या आपराधिक इतिहास सहित सभी डेटा उपलब्ध हैं।
- कृषि:
- AI कृषि डेटा का विश्लेषण करने में मदद करता है:
- किसान अपने निर्णयों को बेहतर ढंग से सूचित करने के लिये मौसम की स्थिति, तापमान, पानी के उपयोग या अपने खेत से एकत्रित मिट्टी की स्थिति जैसे कारकों का विश्लेषण कर सकते हैं।
- कृषि में सटीकता:
- कृषि में अधिक सटीकता लाने हेतु पौधों में बीमारियों, कीटों और पोषण की कमी आदि का पता लगाने के लिये कृषि एआई तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
- एआई सेंसर खरपतवारों की पहचान कर सकते हैं तथा फिर उनकी पहचान के आधार पर उपयुक्त खरपतवारनाशक का चुनाव कर उस क्षेत्र में सटीक मात्रा में खरपतवारनाशक का छिड़काव कर सकते हैं।
- AI कृषि डेटा का विश्लेषण करने में मदद करता है:
- शिक्षा:
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस साल अप्रैल में "युवाओं के लिये ज़िम्मेदार AI" कार्यक्रम लॉन्च किया था जिसमें सरकारी स्कूलों के 11,000 से अधिक छात्रों ने AI में बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा किया।
- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूली पाठ्यक्रम में AI को एकीकृत किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों को डेटा साइंस, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बुनियादी ज्ञान व कौशल हो।
- स्वास्थ्य देखभाल:
- मशीन लर्निंग:
- सटीक दवाओं में AI का अनुप्रयोग फायदेमंद हो सकता है, यह भविष्यवाणी करना कि विभिन्न रोग विशेषताओं और उपचार संदर्भ के आधार पर रोगी पर कौन से उपचार प्रोटोकॉल सफल होने की संभावना है।
- प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण:
- NLP में नैदानिक दस्तावेज़ीकरण और शोध का प्रकाशन, समझ और वर्गीकरण शामिल है।
- NLP सिस्टम रोगियों से संबंधित नैदानिक नोटों का विश्लेषण कर सकता है, रिपोर्ट तैयार कर सकता है, रोगी की बातचीत को ट्रांसक्रिप्ट कर सकता है और AI संवादों का संचालन कर सकता है।
- मशीन लर्निंग:
ग्रामीण संपर्क बढ़ाने के लिये सरकार द्वारा की गई पहल:
- राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन:
- NMB देश भर में विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिये सार्वभौमिक एवं समान पहुँच को सुविधाजनक बनाएगा।
- मिशन का उद्देश्य डिजिटल विभाजन को दूर करना, डिजिटल सशक्तीकरण एवं समावेशन की सुविधा प्रदान करना और सभी के लिये ब्रॉडबैंड तक सस्ती एवं सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना है।
- घर तक फाइबर योजना:
- GTFS बिहार के सभी 45,945 ग्रामों को हाई-स्पीड ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने का लक्ष्य रखता है।
- योजना के तहत बिहार को प्रति ग्राम कम-से-कम पाँच फाइबर-टू-द-होम (FTTH) कनेक्शन और प्रति ग्राम कम-से-कम एक वाईफाई हॉटस्पॉट प्रदान करना है।
- यह योजना बिहार में ई-शिक्षा, ई-कृषि, टेली-मेडिसिन, टेली-लॉ जैसी डिजिटल सेवाओं और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का नेतृत्व करेगी तथा राज्य के सभी निवासियों के लिये आसान पहुँच सुनिश्चित करेगी।
- यह भारतनेट पहल के कार्यान्वयन के साथ स्थानीय कर्मियों की भर्ती कर स्थानीय रोज़गार सृजन को भी बढ़ावा दे सकेगी।
आगे की राह
- इंटरनेट एक्सेस के न्यूनतम मानक और गुणवत्ता के साथ-साथ क्षमता निर्माण उपायों के लिये बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने हेतु राज्य को सकारात्मक दायित्व निभाना चाहिये जो सभी नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर होने की अनुमति देगा।
- बेहतर ग्रामीण डिजिटल बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये सरकार को ऑनलाइन सेवाओं को स्थानांतरित करके संसाधनों का निवेश करना चाहिये।
- इंटरनेट का उपयोग एवं डिजिटल साक्षरता एक-दूसरे पर निर्भर हैं और डिजिटल बुनियादी ढाँचे का निर्माण डिजिटल कौशल के निर्माण के साथ-साथ होना चाहिये।
- राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन का प्रभावी क्रियान्वयन और लेखा परीक्षा की जानी चाहिये।
- राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन का उद्देश्य है:
- वर्ष 2022 तक सभी गाँवों में ब्रॉडबैंड पहुँच प्रदान करना।
- मोबाइल और इंटरनेट के लिये सेवाओं की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार।
- राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन का उद्देश्य है:
स्रोत: पी.आई.बी.
जंगली प्रजातियों का सतत् उपयोग: आईपीबीईएस रिपोर्ट
प्रिलिम्स के लिये:IPBES मेन्स कर लिये:जंगली प्रजातियों का सतत् उपयोग |
चर्चा में क्यों?
इंटरगवर्नमेंटल साइंस-पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज़ (IPBES) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगली प्रजातियों का सतत् उपयोग अरबों लोगों की ज़रूरतों को पूरा कर सकता है।
- 140 देशों के प्रतिनिधि वन्यजीवों के सतत् उपयोग पर चर्चा करने और परिणाम पर पहुंँचने के लिये एक साथ आए।
- मूल्यांकन में जंगली प्रजातियों के लिये उपयोग की जाने वाली पाँच श्रेणियों की प्रथाओं को शॉर्टलिस्ट किया गया है- मछली पकड़ना, इकट्ठा करना, लॉगिंग करना, स्थलीय पशु का शिकार जैसी गैर-निष्कर्षण प्रथाओं का अवलोकन।
- यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है जो चार साल की अवधि के बाद जारी की गई है।
आईबीपीईएस
- यह वर्ष 2012 में सदस्य राज्यों द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है।
- यह जैवविविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग, दीर्घकालिक मानव कल्याण, सतत् विकास के लिये जैवविविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं हेतु विज्ञान-नीति इंटरफेस (science-policy interface) को मज़बूत करता है।
निष्कर्ष:
- जंगली प्रजातियों पर निर्भरता:
- विश्व की लगभग 70% गरीब आबादी सीधे तौर पर जंगली प्रजातियों पर निर्भर है।
- 20% अपना भोजन जंगली पौधों, शैवाल और कवक से प्राप्त करते हैं।
- वन्य-प्रजातियाँ आय का महत्त्वपूर्ण स्रोत:
- जंगली प्रजातियों का उपयोग लाखों लोगों की आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
- जंगली पेड़ प्रजातियों में जंगली पौधों, शैवाल और कवक में वैश्विक औद्योगिक राउंडवुड के व्यापार का दो-तिहाई हिस्सा शामिल है, यह एक अरब डॉलर का उद्योग हैै और यहाँ तक कि जंगली प्रजातियों का गैर-निष्कर्षण भी एक बड़ा व्यवसाय है।
- स्थानीय भिन्नताएँ:
- लगभग 34% समुद्री जंगली मछली स्टॉक ओवरफिश हैं और 66% जैविक रूप से टिकाऊ स्तरों के भीतर है, इस वैश्विक तस्वीर में महत्त्वपूर्ण स्थानीय और प्रासंगिक भिन्नताएँ हैं।
- वृक्ष प्रजातियों की सतत् कटाई:
- जंगली पेड़ों की अनुमानित 12% प्रजातियों के अस्तित्व को उनकी स्थायी कटाई से खतरा है।
- कई पौधों के समूहों, विशेष रूप से कैक्टि, साइकैड और ऑर्किड के लिये अस्थिर जमाव मुख्य खतरों में से एक है।
- अस्थिर शिकार को 1,341 जंगली स्तनपायी प्रजातियों के लिये एक खतरे के रूप में पहचाना गया है, जिसमें बड़ी-बड़ी प्रजातियों में गिरावट आई है, जिनमें वृद्धि की कम प्राकृतिक दर भी शिकार के दबाव से जुड़ी हुई है।
- जंगली प्रजातियों के सतत् उपयोग का खतरा:
- विकासशील देशों में ग्रामीण लोगों को जंगली प्रजातियों के निरंतर उपयोग से सबसे अधिक खतरा होता है, पूरक विकल्पों की कमी के कारण वे अक्सर पहले से ही खतरे में पड़ी जंगली प्रजातियों का दोहन करने के लिये मजबूर होते हैं।
- विभिन्न प्रथाओं के माध्यम से लगभग 50,000 जंगली प्रजातियों का उपयोग किया जाता है, जिसमें सीधे मानव भोजन (Human Food) के लिये 10,000 से अधिक जंगली प्रजातियाँ काटी जाती हैं।
- विकासशील देशों में ग्रामीण लोगों को जंगली प्रजातियों के निरंतर उपयोग से सबसे अधिक खतरा होता है, पूरक विकल्पों की कमी के कारण वे अक्सर पहले से ही खतरे में पड़ी जंगली प्रजातियों का दोहन करने के लिये मजबूर होते हैं।
- अग्रणी सांस्कृतिक महत्त्व के जंगली प्रजातियों को खतरा:
- कुछ प्रजातियों का सांस्कृतिक महत्त्व है क्योंकि वे कई लाभ प्रदान करते हैं जो लोगों की सांस्कृतिक विरासत की मूर्त और अमूर्त विशेषताओं को परिभाषित करते हैं।
- जंगली प्रजातियों का उपयोग भी ऐसे समुदायों के लिये सांस्कृतिक रूप से सार्थक रोज़गार का एक स्रोत है और वे सहस्राब्दियों से जंगली प्रजातियों एवं सामग्रियों के व्यापार में लगे हुए हैं।
- जंगली चावल (ज़िज़ानिया पलुस्ट्रिस एल) एक सांस्कृतिक कीस्टोन प्रजाति है, जो उत्तरी अमेरिका के ग्रेट लेक्स क्षेत्र में कई स्वदेशी लोगों के लिये भौतिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक जीविका प्रदान करती है।
- चालक और खतरा:
- भूमि और समुद्री दृश्य जैसे चालक जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ जंगली प्रजातियों की बहुतायत और वितरण को प्रभावित करते हैं तथा उन मानव समुदायों के बीच तनाव एवं चुनौतियों को बढ़ा सकते हैं जो उनका उपयोग करते हैं।
- अवैध व्यापार:
- पिछले चार दशकों में जंगली प्रजातियों के वैश्विक व्यापार में मात्रा, मूल्य और व्यापार नेटवर्क में काफी विस्तार हुआ है।
- जंगली प्रजातियों का अवैध व्यापार सभी अवैध व्यापार के तीसरे सबसे बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, इसका अनुमानित वार्षिक मूल्य USD199 बिलियन तक है। लकड़ी और मछली जंगली प्रजातियों में अवैध व्यापार की सबसे बड़ी मात्रा व मूल्य का निर्माण करते हैं।
पहल:
- विविध मूल्य प्रणालियों का एकीकरण, लागत और लाभों का समान वितरण, सांस्कृतिक मानदंडों, सामाजिक मूल्यों एवं प्रभावी संस्थानों तथा शासन प्रणालियों में परिवर्तन भविष्य में जंगली प्रजातियों के सतत् उपयोग की सुविधा प्रदान कर सकते हैं।
- असंधारणीय उपयोग के कारणों को संबोधित करना और जहांँ भी संभव हो इन प्रवृत्तियों में बदलाव के जंगली प्रजातियों एवं उन पर निर्भर लोगों के लिये उचित परिणाम प्राप्त होंगे।
- वैज्ञानिकों और स्वदेशी लोगों को एक-दूसरे से सीखने के लिये एक साथ लाने से जंगली प्रजातियों के सतत् उपयोग को मज़बूती मिलेगी।
- यह विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश राष्ट्रीय ढांँचे और अंतर्राष्ट्रीय समझौते आर्थिक एवं शासन के मुद्दों सहित पारिस्थितिक तथा कुछ सामाजिक विचारों पर ज़ोर देना जारी रखे हुए हैं, जबकि सांस्कृतिक संदर्भों पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
- मछली पकड़ने में वर्तमान अक्षमताओं में सुधार, अवैध, असूचित और अनियमित मछली पकड़ने को कम करना, हानिकारक वित्तीय सब्सिडी में कमी, छोटे पैमाने पर मत्स्य पालन का समर्थन करना, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री उत्पादकता में परिवर्तन को सक्रिय रूप से प्रभावी सीमा तक सक्षम बनाने से स्थायी उपयोग में मदद मिलेगी।
- मज़बूत मत्स्य प्रबंधन वाले देशों में स्टॉक में बहुतायत में वृद्धि देखी गई है। उदाहरण के लिये अटलांटिक ब्लूफिन टूना आबादी का पुनर्विकास किया गया है और अब इसका टिकाऊ आधार पर मत्स्यन किया जा रहा है।
- लकड़ी के संदर्भ में इसे कई उपयोगों के लिये वनों के प्रबंधन और प्रमाणीकरण की आवश्यकता होगी, लकड़ी के उत्पादों के निर्माण में कचरे को कम करने के लिये तकनीकी नवाचार और आर्थिक एवं राजनीतिक पहल आवश्यक है, जो भूमि अधिग्रहण सहित स्वदेशी लोगों तथा स्थानीय समुदायों के अधिकारों को मान्यता देती है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
मिशन वात्सल्य
प्रिलिम्स के लिये:मिशन वात्सल्य, महिला और बाल विकास मंत्रालय, एकीकृत बाल संरक्षण योजना। मेन्स के लिये:मिशन वात्सल्य, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, बच्चों से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने मिशन वात्सल्य बाल संरक्षण योजना को लेकर राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किये थे।
नए दिशा-निर्देश:
- दिशा-निर्देशों के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा दी गई धनराशि तक पहुँच प्राप्त करने के लिये राज्य योजना का मूल नाम नहीं बदल सकते हैं।
- राज्यों को फंड मिशन वात्सल्य परियोजना अनुमोदन बोर्ड (PAB) के माध्यम से अनुमोदित किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता WCD सचिव करेंगे, जो अनुदान जारी करने के लिये राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त वार्षिक योजनाओं और वित्तीय प्रस्तावों की जाँच और अनुमोदन करेंगे।
- इसे 60:40 के अनुपात में फंड-शेयरिंग पैटर्न के साथ राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन के साथ साझेदारी में केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा।
- हालाँकि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिये केंद्र और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश का हिस्सा 90:10 में होगा।
- MVS, राज्यों और ज़िलों के साथ साझेदारी में बच्चों के लिये 24×7 हेल्पलाइन सेवा को क्रियान्वित करेगा, जैसा कि किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत परिभाषित किया गया है।
- यह राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसियों (SARA) का समर्थन करेगा जो देश में दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देने और अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण को विनियमित करने में केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) का समर्थन करेगा।
- SARA राज्य में दत्तक ग्रहण सहित गैर-संस्थागत देखभाल से संबंधित कार्यों का समन्वय, निगरानी और विकास करेगी।
- मिशन की योजना परित्यक्त और अवैध व्यापार किये गए बच्चों को प्राप्त करने के लिये प्रत्येक क्षेत्र में कम-से-कम एक विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी में पालना शिशु स्वागत केंद्र स्थापित करने की है।
- देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों के साथ-साथ विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को लिंग (ट्रांसजेंडर बच्चों के लिये अलग घरों सहित) और उम्र के आधार पर अलग-अलग घरों में रखा जाएगा।
- चूंँकि वे शारीरिक या मानसिक अक्षमताओं के कारण स्कूल नहीं जा पाते हैं, इसलिये ये संस्थान व्यावसायिक चिकित्सा, वाक् चिकित्सा, वर्बल थेरेपी और अन्य उपचारात्मक कक्षाएंँ प्रदान करने के लिये विशेष शिक्षक, चिकित्सक और नर्स प्रदान करेंगे।
- इसके अलावा इन विशिष्ट प्रभागों के कर्मचारियों को सांकेतिक भाषा, ब्रेल और अन्य संबंधित भाषाओं में पारंगत होना चाहिये।
- भागे हुए बच्चों, गुमशुदा बच्चों, तस्करी किये गये बच्चों, कामकाजी बच्चों, गली-मोहल्लों में रहने वाले बच्चों, बाल भिखारियों, मादक द्रव्यों के सेवन करने वाले बच्चों आदि की देखभाल के लिये राज्य सरकार द्वारा खुले आश्रयों की स्थापना का समर्थन किया जाएगा।
- विस्तारित परिवारों के साथ रहने वाले या पालक देखभाल में कमज़ोर बच्चों के लिये शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य आवश्यकताओं का समर्थन करते हुए वित्तीय सहायता भी निर्धारित की गई है।
मिशन वात्सल्य:
- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
- वर्ष 2009 से पहले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों हेतु तीन योजनाओं को लागू किया:
- देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के साथ-साथ बच्चों हेतु किशोर न्याय कार्यक्रम,
- सड़क पर रहने वाले बच्चों हेतु एकीकृत कार्यक्रम,
- बाल गृह सहायता योजना।
- वर्ष 2010 में इन्हें एक ही योजना में मिला दिया गया जिसे एकीकृत बाल संरक्षण योजना के रूप में जाना जाता है।
- वर्ष 2017 में इसका नाम बदलकर "बाल संरक्षण सेवा योजना" कर दिया गया और फिर वर्ष 2021-22 में मिशन वात्सल्य के रूप में नामित किया गया।
- वर्ष 2009 से पहले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों हेतु तीन योजनाओं को लागू किया:
- परिचय:
- यह देश में बाल संरक्षण सेवाओं हेतु अम्ब्रेला योजना है।
- मिशन वात्सल्य के तहत घटकों में सांविधिक निकायों के कामकाज में सुधार, सेवा वितरण संरचनाओं को मज़बूत करना, संपन्न संस्थागत देखभाल और सेवाएंँ, गैर-संस्थागत समुदाय-आधारित देखभाल को प्रोत्त्साहित करना, आपातकालीन पहुँच हेतु सेवाएंँ एवं प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण।
- उद्देश्य:
- देश के प्रत्येक बच्चे के लिये स्वस्थ और खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना।
- बच्चों के विकास के लिये एक संवेदनशील, सहायक और समकालिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अधिदेश को वितरित करने में राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता करने हेतु उन्हें अपनी पूरी क्षमता प्राप्त करने व सभी प्रकार से पालन-पोषण में सहायता करने के अवसर सुनिश्चित करने के लिये सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करना।
- यह अंतिम उपाय के रूप में बच्चों के ‘संस्थागतकरण के सिद्धांत’ के आधार पर कठिन परिस्थितियों में बच्चों की परिवार-आधारित गैर-संस्थागत देखभाल को बढ़ावा देता है।
आगे की राह
- ये दिशा-निर्देश सही दिशा में हैं, क्योंकि हमारे देश में ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांग हैं, इन सभी पहलों से उनका जीवन आसान हो जाएगा।
- इन सभी पहलों को कुशलतापूर्वक और बेहतर गति से लागू करने की आवश्यकता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
किसान क्रेडिट कार्ड
प्रिलिम्स के लिये:किसान क्रेडिट कार्ड, नाबार्ड, बैंकिंग प्रणाली, कृषि, सरकारी योजनाएँ मेन्स के लिये:किसान क्रेडिट कार्ड, कृषि के लिये सरकारी नीतियाँ, भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका, समावेशी विकास की चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्र के गरीब किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने की प्रगति की समीक्षा की।
किसान क्रेडिट कार्ड:
- परिचय:
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी। किसानों की ऋण आवश्यकताओं (कृषि संबंधी खर्चों) की पूर्ति के लिये पर्याप्त एवं समय पर ऋण की सुविधा प्रदान करना, साथ ही आकस्मिक खर्चों के अलावा सहायक कार्यकलापों से संबंधित खर्चों की पूर्ति करना। यह ऋण सुविधा एक सरल कार्यविधि के माध्यम से यथा- आवश्यकता के आधार पर प्रदान की जाती है।
- वर्ष 2004 में इस योजना को किसानों की निवेश ऋण आवश्यकता जैसे संबद्ध और गैर-कृषि गतिविधियों के लिये आगे बढ़ाया गया था।
- बजट-2018-19 में सरकार ने मत्स्य पालन और पशुपालन किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा के विस्तार की घोषणा की।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ:
- वाणिज्यिक बैंक
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs)
- लघु वित्त बैंक
- सहकारी समितियाँ
- विशेषताएँ:
- यह योजना एटीएम-सक्षम रुपे डेबिट कार्ड के साथ संबंद्ध है जिसमें एकमुश्त दस्तावेज़ीकरण, सीमा में अंतर्निहित लागत वृद्धि और सीमा के भीतर किसी भी संख्या में निकासी की सुविधा है।
- संतृप्ति सुनिश्चित करने के अलावा बैंक को आधार से जोड़ने के लिये भी तुरंत कदम उठाए जायेंगे क्योंकि आधार संख्या को केसीसी खातों से नहीं जोड़े जाने पर ब्याज सहायता प्रदान नहीं की जा सकती।
- इसके अलावा सरकार ने KCC संतृप्ति के लिये कई पहल की हैं जिसमें पशुपालन और मत्स्य पालन में लगे किसानों को शामिल करना, KCC के तहत ऋण का कोई प्रक्रिया शुल्क नहीं है एवं संपार्श्विक मुक्त कृषि ऋण की सीमा को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.6 लाख रुपए करना शामिल है।
- KCC सुविधा मत्स्य पालन और पशुपालन किसानों को जानवरों, पोल्ट्री पक्षियों, मछली, झींगा, अन्य जलीय जीवों के पालन एवं मछली पकड़ने की उनकी अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगी।
- उद्देश्य:
- फसलों की खेती के लिये अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना।
- फसल के बाद का खर्च।
- विपणन ऋण का उत्पादन करना।
- किसान परिवारों की खपत आवश्यकताएँ।
- कृषि संपत्ति और कृषि से संबद्ध गतिविधियों के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी।
- कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिये निवेश ऋण की आवश्यकता।
- वित्तीय प्रावधान:
- किसानों को 7% प्रतिवर्ष की उचित लागत पर कृषि ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये:
- भारत सरकार ने 3 लाख रुपए तक के अल्पकालिक फसल ऋण के लिये 2% की ब्याज़ सहायता योजना लागू की है।
- इसके अतिरिक्त भारत सरकार किसानों को 2% की ब्याज़ सहायता और 3% का त्वरित पुनर्भुगतान प्रोत्त्साहन प्रदान करती है।
- किसानों को 7% प्रतिवर्ष की उचित लागत पर कृषि ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये:
KCC की उपलब्धियांँ:
- जून 2020 तक राष्ट्रव्यापी मत्स्य पालन हेतु KCC के लिये लगभग 25 लाख आवेदन स्वीकृत किये गए हैं।
- आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में सरकार ने एक विशेष सेचुरेशन कैंपेन के माध्यम से 2 लाख करोड़ रुपए के ऋण संवर्द्धन के साथ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना के तहत 2.5 करोड़ किसानों को कवर करने की घोषणा की है।
- समन्वित प्रयासों के परिणामस्वरूप 1.35 लाख करोड़ रुपए की स्वीकृत ऋण सीमा के साथ KCC के तहत 1.5 करोड़ से अधिक किसानों को कवर करने का एक प्रमुख लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।
KCC का दुरुपयोग:
- क्रेडिट अक्सर आर्थिक रूप से संपन्न लोगों को प्रदान किया जा रहा है।
- इस धन का उपयोग गैर-कृषि कार्यों हेतु किया जाता है, जैसे:
- रियल एस्टेट में निवेश
- वाहनों की खरीद पर
- विदेशों में बच्चों की उच्च शिक्षा पर
- उच्च ऋण प्राप्त करने के लिये भूमि की मात्रा को बढ़ाया जाता है।
- KCC रूट का उपयोग धन शोधन के लिये किया जाता है।
सिफारिशें:
- सभी बैंकों को केसीसी के दिशा-निर्देशों का ठीक से पालन करना चाहिये, आवेदकों को KCC आवेदन की देय पावती दी जानी चाहिये, साथ ही आवेदन पर एक समयबद्ध निर्णय तय किया जाना चाहिये।
- अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट रूप से इंगित किया जाना चाहिये ताकि फील्ड अधिकारी सुधार कर सकें और फॉर्म को फिर से जमा कर सकें।
- KCC मालधारी (घुमंटू) समुदाय के उन लोगों को दिया जाना चाहिये जो एक स्थान पर नहीं रहते हैं और न ही जिनके पास कोई संपार्श्विक सुरक्षा होती है।
- मालधारी गुजरात, भारत में एक आदिवासी चरवाहा समुदाय है। मूल रूप से यह एक खानाबदोश समुदाय है, जो जूनागढ़ ज़िले (मुख्य रूप से गिर वन) में बसने के बाद मालधारी के रूप में जाने जाते है।
- KCC उन गरीब मछुआरों को दिया जाना चाहिये जो कोई संपार्श्विक (Collateral) देने में असमर्थ हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसानों को निम्नलिखित में से किस उद्देश्य के लिये अल्पकालिक ऋण सुविधा प्रदान की जाती है? (2020)
निम्नलिखित कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिये: (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर: (b)
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत का रक्षा निर्यात
प्रिलिम्स के लिये:रक्षा प्रौद्योगिकी। मेन्स के लिये:प्रौद्योगिकी, रक्षा निर्यात, प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण |
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2021-22 के लिये भारत का रक्षा निर्यात 13,000 करोड़ रुपए अनुमानित था जो अब तक का सबसे अधिक है।
- अमेरिका एक प्रमुख खरीदार था साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के राष्ट्र भी शामिल थे।
प्रमुख बिंदु
- निजी क्षेत्र का निर्यात में 70% हिस्सा था, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की फर्म बाकी के लिये ज़िम्मेदार थी।
- पहले निजी क्षेत्र का 90% हिस्सा हुआ करता था लेकिन अब रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का हिस्सा बढ़ गया।
- जबकि हाल के वर्षों में अमेरिका से भारत का रक्षा आयात काफी बढ़ गया है, भारतीय कंपनि तेज़ी से अमेरिकी रक्षा कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन रही हैं।
रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने हेतु हाल के पहल:
- जनवरी 2022 में भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के तट-आधारित एंटी-शिप संस्करण की तीन बैटरियों की आपूर्ति के लिये फिलीपींस के साथ 374.96 मिलियन अमेरिकी डाँलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये, जो उसका सबसे बड़ा रक्षा निर्यात आदेश है।
- भारत ने पिछले दो वर्षों के दौरान 310 विभिन्न हथियारों और प्रणालियों पर चरणबद्ध आयात प्रतिबंध लगाया है, जिससे निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिली है।
- इन हथियारों और प्लेटफॉर्मों का अगले पाँच से छह वर्षों में कई चरणों में स्वदेशीकरण किया जाएगा।
- निजी क्षेत्र के साथ बढ़ी हुई भागीदारी से रक्षा निर्यात में पर्याप्त वृद्धि हुई है।
भारत का रक्षा निर्यात:
- रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये रक्षा निर्यात सरकार के अभियान का प्रमुख स्तंभ है।
- 30 से अधिक भारतीय रक्षा कंपनियों ने इटली, मालदीव, श्रीलंका, रूस, फ्राँस, नेपाल, मॉरीशस, श्रीलंका, इज़रायल, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, इथियोपिया, सऊदी अरब, फिलीपींस, पोलैंड, स्पेन जैसे देशों को हथियारों और उपकरणों का निर्यात किया है।
- निर्यात में व्यक्तिगत सुरक्षा सामग्री, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणाली, इंजीनियरिंग यांत्रिक उपकरण, अपतटीय गश्ती ज़हाज़, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर, एवियोनिक्स सूट, रेडियो सिस्टम तथा रडार सिस्टम शामिल हैं।
- हालाँकि भारत का रक्षा निर्यात अभी भी अपेक्षित सीमा तक नहीं पहुँच पाया है।
- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने 2015-2019 के लिये प्रमुख हथियार निर्यातकों की सूची में भारत को 23वें स्थान पर रखा।
- भारत अभी भी वैश्विक हथियारों का केवल 0.17% हिस्सा ही निर्यात करता है।
- भारत के रक्षा निर्यात में निराशाजनक प्रदर्शन का कारण यह है कि भारत के रक्षा मंत्रालय के पास अब तक निर्यात के लिये कोई समर्पित एजेंसी नहीं है।
- भारत ने 2024 तक 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है।
रक्षा क्षेत्र से संबंधित पहल:
- रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्द्धन नीति 2020 (DPEPP 2020):
- DPEPP 2020 को आत्मनिर्भरता और निर्यात के लिये देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं पर एक केंद्रित संरचित एवं महत्त्वपूर्ण रूप से बल प्रदान करने के लिये व्यापक मार्गदर्शक दस्तावेज़ के रूप में परिकल्पित किया गया है।
- आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की दिशा में बहुआयामी कदम:
- निजी उद्योग को सशक्त बनाने के लिये फोकस के साथ प्रगतिशील परिवर्तन हुए हैं।
- डीपीपी 2016 भारतीय आईडीडीएम (स्वदेशी रूप से डिज़ाइन, विकसित और निर्मित) नामक एक नई श्रेणी के साथ सामने आया है।
- यदि कोई भारतीय कंपनी भारतीय आईडीडीएम का विकल्प चुनती है तो उसे अन्य सभी श्रेणियों पर वरीयता दी जाती है।
- रणनीतिक साझेदारी:
- एक रणनीतिक साझेदारी मॉडल भारतीय कंपनियों को विदेशी ओईएम के साथ सहयोग और प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करने तथा भारत के निर्माण और भारत में परियोजनाओं को बनाए रखने की अनुमति प्रदान करता है।
- कामकाज में पारंपरिक पनडुब्बियों के लिये पहला आरएफपी।
- सकारात्मक स्वदेशीकरण:
- पहली बार सरकार किसी वस्तु के आयात पर खुद पर प्रतिबंध लगा रही है, सरकार स्वदेशी उद्योग को सशक्त बनाना चाहती है।
- 101 वस्तुओं तथा 108 वस्तुओं की दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ हैं जिसकी रेंज़ प्लेटफार्मों से लेकर हथियार प्रणालियों तक तथा सेंसर से लेकर अधिकतम वस्तुओं तक हैं।