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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत ने विदेशी ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगाया

  • 18 Feb 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ड्रोन शक्ति योजना, ड्रोन नियम 2021।

मेन्स के लिये:

ड्रोन आयात पर प्रतिबंध और उसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने विदेशी ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

  • यह कदम केंद्रीय बजट 2022 द्वारा देश में 'सेवा के रूप में ड्रोन' के उपयोग की सुविधा हेतु ड्रोन शक्ति योजना के प्रस्ताव के बाद उठाया गया है।
  • हालाँकि ड्रोन घटकों के आयात पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है और इसके लिये किसी अनुमोदन की आवश्यकता भी नहीं होगी।
    • रक्षा और सुरक्षा उद्देश्यों के लिये ड्रोन के आयात को भी विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) से अनुमोदन के अधीन अनुमति दी जाएगी।
  • इस कदम का उद्देश्य मेड-इन-इंडिया ड्रोन को बढ़ावा देना है।

पृष्ठभूमि:

  • ड्रोन नियम: वर्ष 2021 में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने और भारत को ड्रोन हब बनाने के उद्देश्य से उदारीकृत ड्रोन नियमों को अधिसूचित किया। 
    • इसके तहत कई प्रकार की अनुमतियों और अनुमोदनों को समाप्त कर दिया। इसके लिये जिन प्रपत्रों को भरने की आवश्यकता होती है, उनकी संख्या 25 से घटाकर पाँच कर दी गई और शुल्क के प्रकार को 72 से घटाकर 4 कर दिया गया।
    • अब ग्रीन ज़ोन में ड्रोन के संचालन के लिये किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है और सूक्ष्म एवं नैनो ड्रोन के गैर-व्यावसायिक उपयोग हेतु किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है।
    • 500 किलोग्राम तक के पेलोड की अनुमति दी गई है ताकि ड्रोन को मानव रहित उड़ान वाली टैक्सियों के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
    • इसके अलावा ड्रोन का संचालन करने वाली कंपनियों के विदेशी स्वामित्व की भी अनुमति दी गई है।
  • ड्रोन के लिये पीएलआई योजना: सरकार ने ड्रोन और उनके घटकों के लिये तीन वित्तीय वर्षों में 120 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ एक उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को भी मंज़ूरी दी।
    • ड्रोन और ड्रोन घटकों से संबंधित उद्योग के लिये पीएलआई योजना इस क्रांतिकारी तकनीक के रणनीतिक, सामरिक और परिचालन उपयोगों को संबोधित करती है।
  • सितंबर 2021 में DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने ड्रोन ऑपरेटरों की नो-फ्लाई ज़ोन की जाँच करने में मदद के लिये एक इंटरेक्टिव एयरस्पेस मैप लॉन्च किया, जहाँ उन्हें ड्रोन उड़ाने से पहले कुछ औपचारिकताओं से गुज़रना पड़ता है।
  • भारत सरकार ने अप्रैल 2020 में शुरू की गई SVAMITVA (ग्रामीण क्षेत्रों में सुधारित प्रौद्योगिकी के साथ सर्वेक्षण और मानचित्रण) योजना के तहत एक व्यापक ई-प्रॉपर्टी लेज़र बनाने की अपनी महत्त्वाकांक्षा की प्राप्ति में मदद के लिये ड्रोन को ही चुना है।

क्या है ड्रोन शक्ति योजना?

  • केंद्रीय बजट में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में स्टार्टअप और स्किलिंग के माध्यम से ड्रोन को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है।
  • विभिन्न अनुप्रयोगों के माध्यम से और ‘ड्रोन-ए-ए-सर्विस’ (DrAAS) के लिये 'ड्रोन शक्ति' की सुविधा हेतु स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जाएगा। सभी राज्यों के चुनिंदा आईटीआई में स्किलिंग के लिये कोर्स भी शुरू किये जाएंगे।
    • DrAAS उद्यमों को ड्रोन कंपनियों से विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने हेतु अनुमति प्रदान करता है, जिससे उन्हें ड्रोन हार्डवेयर या सॉफ़्टवेयर, पायलट और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करने की ज़रूरत नहीं होती।
    • ऐसे क्षेत्र जहाँ ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है, अंतहीन हैं तथा इनमें फोटोग्राफी, कृषि, खनन, दूरसंचार, बीमा, तेल और गैस, निर्माण, परिवहन, आपदा प्रबंधन, भू-स्थानिक मानचित्रण, वन व वन्यजीव, रक्षा तथा कानून प्रवर्तन आदि शामिल हैं।
  • फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्त्वों के छिड़काव (किसान ड्रोन) हेतु भी ड्रोन को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • अगले तीन वर्षों में ड्रोन सेवा उद्योग में 30,000 करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि तथा पाँच लाख से अधिक रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।

ड्रोन:

  • ड्रोन मानव रहित विमान (Unmanned Aircraft) के लिये प्रयुक्त एक आम शब्दावली है।
  • मूल रूप से सैन्य और एयरोस्पेस उद्योगों के लिये विकसित ड्रोन ने सुरक्षा एवं दक्षता के उन्नत स्तरों के परिणामस्वरूप अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
  • ड्रोन निम्न स्तर से लेकर उन्नत स्तर तक संचालित हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि यह अपनी गति की गणना करने के लिये सेंसर और LiDAR (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) डिटेक्टरों की एक प्रणाली पर निर्भर करता है।

ड्रोन के विभिन्न अनुप्रयोग:

  • कृषि:
    • कृषि क्षेत्र में ड्रोन के बहुत सारे अनुप्रयोग शामिल हैं, जिसमें दैनिक कार्यों को पूरा करना जैसे- स्वचालित आधार पर फसल में खाद डालना, यातायात की निगरानी करना, कठिन पहुंँच वाले स्थानों पर पहुँच हेतु सर्वेक्षण करना।
  • स्वास्थ्य देखभाल:
    • ड्रोन दवा वितरण को अधिक सुलभ और तेज़ बना सकते हैं, खासकर दूरस्थ क्षेत्रों में। चिकित्सा सामान और समय पर संवेदनशील प्रत्यारोपण अंगों की ड्रोन डिलीवरी भी सीमित आपूर्ति के बेहतर संसाधन प्रबंधन में सहायता करेगी।
    • उदाहरण के लिये तेलंगाना सरकार का 'मेडिसिन फ्रॉम द स्काई' कार्यक्रम।
  • सूची प्रबंधन:
    • गोदामों में इन्वेंट्री को स्कैन करने के लिये ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
    • वे मशीनें, जो सेंसर से जुड़ी हैं, उद्यमों को रीयल-टाइम में डेटा की त्वरित निगरानी और संचार कर सकती हैं, जिससे वे गोदामों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन कर सकते हैं।
  • सुरक्षा और निगरानी:
    • ड्रोन का ममहत्त्वपूर्ण उपयोग निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिये भी किया जा सकता है तथा उनकी दूरस्थ निगरानी क्षमता बेहद खास है।
    • उनका उपयोग निर्माण स्थलों पर रीयल-टाइम फुटेज का निरीक्षण करने के लिये भी किया जा सकता है।
  • आपदा प्रबंधन:
    • भूकंप या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी हेतु ड्रोन भेज सकते हैं।
    • ड्रोन का सामाजिक बचाव उपकरण के रूप में संभावित इस्तेमाल किया जा सकता है, जो फंँसे हुए व्यक्तियों का पता लगा सकता है और उन्हें सुरक्षित क्षेत्रों में पहुँचा सकता है।

स्रोत: द हिंदू 

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