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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मेडिसिन फ्रॉम द स्काई प्रोजेक्ट : तेलंगाना

  • 20 May 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तेलंगाना सरकार ने एक महत्त्वाकांक्षी यानी इस प्रकार की पहली पायलट परियोजना 'मेडिसिन फ्रॉम द स्काई' के परीक्षण के लिये 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) का चयन किया है।

Leveraging-Technology

प्रमुख बिंदु 

परिचय:

  • इस परियोजना में ड्रोन के ज़रिये दवाओं की डिलीवरी करना शामिल है।
  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय की मंजूरी के पश्चात् इस परियोजना की शुरूआत की जा रही है।
    • मंत्रालय ने वैक्सीन की डिलीवरी हेतु प्रायोगिक बियॉन्ड विज़ुअल लाइन ऑफ साइट (BVLOS) ड्रोन उड़ानों के संचालन के लिये मानव रहित विमान प्रणाली नियम, 2021 से तेलंगाना सरकार को सशर्त छूट दी है।
  • परियोजना को तीन चरणों में शुरू किया जाएगा, जो एक पायलट परियोजना के रूप में  शुरू होगी और इसके बाद वांछित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में वैक्सीन/दवा पहुँचाने हेतु ड्रोन के संचालन के लिये रूट नेटवर्क की मैपिंग निर्धारित होगी।

सहयोगी:

  • इस परियोजना को तेलंगाना सरकार, विश्व आर्थिक मंच और हेल्थनेट ग्लोबल के सहयोग से संचालित किया जाएगा।
    • हेल्थनेट ग्लोबल (HealthNet Global) एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है जो व्यक्तियों, परिवारों, मेडिकेयर और व्यवसायों हेतु गुणवत्तापूर्ण किफायती स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करती है।

लक्ष्य:

  • दवाओं, कोविड -19 टीकों, लघु ब्लड बैंक और अन्य जीवन रक्षक उपकरणों जैसी स्वास्थ्य देखभाल वस्तुओं के सुरक्षित, सटीक और विश्वसनीय पिकअप और डिलीवरी प्रदान करने के लिये ड्रोन को स्वास्थ्य वितरण केंद्र से विशिष्ट स्थानों तक और पुन: वापस आने के लिये एक वैकल्पिक लॉजिस्टिक रूट का आकलन करना है।
  • साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के लिये स्वास्थ्य देखभाल में समानता सुनिश्चित करना।

महत्त्व :

  • इस मॉडल के सफल परीक्षण के पश्चात् यह ज़िला मेडिकल स्टोर्स और ब्लड बैंकों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) तथा आगे PHC/CHC से केंद्रीय डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं में डिलीवरी को सक्षम बनाएगा।
  • इसमें स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को बिना बाधित किये आपातकालीन स्थिति के दौरान तथा दुर्लभ भौगोलिक क्षेत्रों में लोगों की जान बचाने की क्षमता है।

अन्य ड्रोन समर्थित परियोजनाएँ:

ड्रोन :

  • ड्रोन को मानव रहित विमान (Unmanned Aerial Vehicle-UAV) भी कहा जाता है। मानव रहित विमान के तीन सबसेट हैं- रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट, ऑटोनॉमस एयरक्राफ्ट और मॉडल एयरक्राफ्ट।
  • रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट को उनके वज़न के आधार पर पाँच श्रेणियों में विभाजित किया गया है-
    • नैनो : 250 ग्राम या उससे कम 
    • माइक्रो: 250 ग्राम से 2 किलो तक 
    • स्मॉल: 2 किलो से 25 किलो तक 
    • मीडियम: 25 किलो से 150 किलो तक 
    • लार्ज: 150 किलो से अधिक
  • ड्रोन नियामक या नीति, 2018 के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयर स्पेस को रेड ज़ोन (उड़ान की अनुमति नहीं), येलो ज़ोन (नियंत्रित हवाई क्षेत्र) और ग्रीन ज़ोन (स्वचालित अनुमति) में विभाजित किया है।

बियॉन्ड विज़ुअल लाइन ऑफ साइट (BVLOS)

परिचय:

  • BVLOS मानव रहित विमानों (UAVs) के संचालन से संबंधित है जिसमें ड्रोन पायलट के सामान्य दृश्यमान सीमा के बाहर स्थित होता है।
  • BVLOS उड़ानों को आमतौर पर अतिरिक्त उपकरण और अतिरिक्त प्रशिक्षण तथा  प्रमाणन की आवश्यकता होती है जो विमानन अधिकारियों से अनुमति के अधीन है।
    • मानव रहित विमान प्रणाली नियम 2021 में यह प्रावधान है कि ड्रोन को BVLOS सीमा में संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जो इन उपकरणों के उपयोग को सर्वेक्षण, फोटोग्राफी, सुरक्षा और विभिन्न सूचना एकत्र करने के उद्देश्यों तक सीमित करता है।

लाभ:

  • BVLOS अत्यधिक लागत प्रभावी और दक्षतापूर्ण हैं, क्योंकि यह टेकऑफ़ और लैंडिंग चरण में कम समय लेते हैं, इसलिये मानव रहित विमान एक ही मिशन में सर्वाधिक क्षेत्र को कवर करेगा। 
  • BVLOS विमान न्यून मानवीय हस्तक्षेप वाली प्रणाली है क्योंकि कुछ या सभी मिशन स्वचालित हो सकते हैं। वे रिमोटेड या खतरनाक क्षेत्रों तक आसानी से पहुँच स्थापित करने की अनुमति भी दे सकते हैं।
  • BVLOS क्षमता ड्रोन को अधिकतम दूरी तय करने में सक्षम बनाती हैं।

जोख़िम:

  • इसके परिचालन में कुछ गतिविधियों के कारण सुरक्षा जोखिम की स्थिति उत्पन्न होती है जैसे- पायलट केवल रिमोट कैमरा फीड के माध्यम से संभावित बाधाओं पर नज़र रख सकता है या स्वचालित उड़ानों के मामले में कोई मानव अवलोकन नहीं हो सकता है।
  • विशेषकर जब उड़ानें गैर-पृथक हवाई क्षेत्र में होती हैं तब अन्य विमानों के साथ टकराव या संपत्ति की हानि तथा व्यक्तियों को क्षति  पहुँचने का खतरा बढ़ जाता है। 

स्रोत: द हिंदू

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