विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
ड्रोन और भारत
- 18 Sep 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली के लुटियंस ज़ोन (Lutyens Zone) में दो अमेरिकी नागरिकों को राष्ट्रपति भवन के आस-पास कैमरा लैस ड्रोन (Drone) उड़ाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
क्या होते हैं ड्रोन
- ड्रोन एक प्रकार का फ्लाइंग रोबोट (Flying Robot) होता है, जिसे मनुष्यों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसकी खोज मनुष्यों ने अपने दैनिक कार्यों के संपादन के लिये की थी, परंतु वर्तमान में इसका प्रयोग खुफिया जानकारी प्राप्त करने हेतु भी काफी व्यापक स्तर पर किया जा रहा है।
- ड्रोन को मानव रहित विमान (Unmanned Aerial Vehicle-UAV) भी कहा जाता है।
- इसका प्रयोग सामान्यतः ऐसे स्थानों पर किया जाता है, जहाँ मनुष्य आसानी से नहीं पहुँच सकते।
ड्रोन के प्रकार
- नागर विमानन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation-DGCA) ने ड्रोन के मुख्यतः 5 प्रकार निर्धारित किये हैं (1) नैनो (2) माइक्रो (3) स्मॉल (4) मीडियम और (5) लार्ज।
- नैनो ड्रोन: वे ड्रोन जिनका वज़न 250 ग्राम तक होता है।
- माइक्रो ड्रोन: वे ड्रोन जिनका वज़न 250 ग्राम से अधिक लेकिन 2 किलो ग्राम से कम होता है।
- स्मॉल ड्रोन: वे ड्रोन जिनका वज़न 2 ग्राम किलो से अधिक लेकिन 25 किलो ग्राम से कम होता है।
- मीडियम ड्रोन: वे ड्रोन जिनका वज़न 25 किलो ग्राम से अधिक लेकिन 150 किलो ग्राम से कम होता है।
- लार्ज ड्रोन: वे ड्रोन जिनका वज़न 150 किलो ग्राम से अधिक होता है।
- नैनो ड्रोन के अतिरिक्त अन्य सभी ड्रोन को विमानन नियामक (Aviation Regulator) से विशिष्ट पहचान संख्या (Unique Identification Number-UIN) प्राप्त करना आवश्यक होता है। साथ ही यह भी आवश्यक है कि विशिष्ट पहचान संख्या ड्रोन पर प्रदर्शित हो।
- भारत में UIN सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिये ही होता है एवं यह विदेशी नागरिकों को जारी नहीं किया जाता।
ड्रोन उड़ाने संबंधी शर्तें
- नैनो ड्रोन के अतिरिक्त अन्य सभी ड्रोन के लिये आवश्यक उपकरण जैसे- जीपीएस (GPS), आईडी प्लेट (ID Plate), रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (Radio-Frequency Identification) आदि अनिवार्य हैं।
- साथ ही यह भी आवश्यक है कि यदि कोई व्यक्ति स्मॉल ड्रोन उड़ा रहा है तो उसे उड़ाने से पूर्व इसकी सूचना स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन को देनी होगी।
- ‘नैनो ड्रोन’ बिना किसी पंजीकरण या परमिट के स्वतंत्र रूप से प्रयोग किये जा सकते हैं, लेकिन उन्हें ज़मीन से 50 फीट से अधिक ऊँचाई पर नहीं उड़ाया जा सकता।
केवल दिन में ही होता है प्रयोग
- ड्रोन उड़ाने के संबंध में DGCA ने जो दिशा-निर्देश जारी किये हैं उनके अनुसार, किसी भी प्रकार के ड्रोन के लिये यह आवश्यक है कि उसका प्रयोग केवल दिन के समय ही किया जाए, परंतु रात के समय होने वाले सामाजिक समारोहों जैसे- विवाह समारोह आदि में फोटोग्राफी के लिये ड्रोन के प्रयोग को इस निर्देश का अपवाद माना गया है। प्रयोग करने से पूर्व स्थानीय पुलिस और प्रशासन को सूचना देना इस अपवाद के संबंध में भी अनिवार्य है।
क्या होता है नो फ्लाई ज़ोन (No Fly Zones)
- नो फ्लाई ज़ोन (No Fly Zones) सामान्यतः वह क्षेत्र होता है जहाँ किसी भी प्रकार के विमान को उड़ाने की अनुमति नहीं होती है।
- नो फ्लाई ज़ोन के संबंध में DGCA ने निम्नलिखित क्षेत्र निर्धारित किये हैं:
- मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बंगलूरू और हैदराबाद के उच्च यातायात हवाई अड्डों की परिधि से 5 किमी. तक का क्षेत्र।
- देश के अन्य हवाई अड्डों के लिये यह 3 किमी. तक का क्षेत्र है।
- कोई भी ड्रोन अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं (नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा सहित) के 25 किमी. के भीतर नहीं उड़ाया जा सकता है।
- नई दिल्ली के विजय चौक से 5 किमी. तक का दायरा।
- गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित रणनीतिक स्थानों से 2 किमी. के भीतर भी ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता है।
- राज्य की राजधानियों में सचिवालय परिसर के 3 किमी. के दायरे में भी ड्रोन उड़ाना निषेध है।
ड्रोन के इस्तेमाल के फायदे
- ड्रोन, आधुनिक युग की तकनीक का एक नया आयाम है जिसे आसानी से किसी भी व्यक्ति द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है एवं दैनिक कार्यों के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है।
- वर्तमान में कई पश्चिमी देशों में ड्रोन का प्रयोग ई-कॉमर्स उद्योग में वस्तुओं की होम डिलीवरी (Home Delivery) हेतु किया जा रहा है, यह परीक्षण काफी सफल रहा है एवं इससे परिवहन लागत में भी कमी देखने को मिली है।
- ड्रोन के प्रयोग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे न केवल लागत में कमी आती है, बल्कि समय की भी काफी बचत होती है, क्योंकि इसे सामान्यतः ट्रैफिक अवरोध का सामना नहीं करना पड़ता, साथ ही इसके प्रयोग से कंपनियों की श्रम लागत भी काफी कम हो जाती है।
- ड्रोन उन स्थानों पर भी आसानी से पहुँच सकता है, जहाँ जाना इंसानों के लिये अपेक्षाकृत मुश्किल होता है या पूर्णतः असंभव होता है, अतः ड्रोन की यह विशेषता उसे आपदा प्रबंधन में प्रयोग करने के लिये भी एक अच्छा विकल्प बनाती है।
- कई देशों में ड्रोन का प्रयोग कृषि संबंधी कार्यों जैसे- कीटनाशक के छिड़काव और फसल की देखभाल आदि के लिये भी किया जा रहा है।
ड्रोन के इस्तेमाल से नुकसान
- ड्रोन एक मशीन है और अन्य मशीनों की तरह इस पर भी यही खतरा बना रहता है कि इसे आसानी से हैक (Hack) किया जा सकता है। हैकर आसानी से इसकी नियंत्रण प्रणाली (Control System) पर हमला कर ड्रोन को नुकसान पहुँचा सकता है एवं गोपनीय जानकारियाँ प्राप्त कर सकता है।
- यदि ड्रोन जैसी तकनीक असामाजिक या आपराधिक तत्त्वों के पास पहुँच जाती है तो वह काफी खतरनाक साबित हो सकती है, क्योंकि ड्रोन के सहारे न सिर्फ जासूसी की जा सकती है बल्कि आवश्यकता पड़ने पर इसके सहारे हमला भी किया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त ड्रोन के उड़ान भरते समय पक्षियों से टकराने का भी खतरा रहता है।
भारत की ड्रोन नीति (Drone Policy)
- भारत में ड्रोन का चलन जिस प्रकार बढ़ रहा था उसे देखते हुए 1 दिसंबर, 2018 को संपूर्ण भारत में ड्रोन नीति (Drone Policy) लागू की गई थी।
- इस नीति में यह निर्धारित किया गया था कि कोई भी व्यक्ति 18 वर्ष की उम्र से पहले ड्रोन नहीं उड़ा सकता है, साथ ही यह भी आवश्यक है कि उसने दसवीं क्लास तक पढ़ाई की हो और उसे ड्रोन से संबंधित बुनियादी चीज़ों की जानकारी हो।
- नीति ने ड्रोन उड़ाने संबंधी निम्नलिखित ज़ोन निर्धारित किये थे:
- रेड ज़ोन उड़ान की अनुमति नहीं
- येलो ज़ोन नियंत्रित हवाई क्षेत्र - उड़ान से पहले अनुमति लेना आवश्यक
- ग्रीन ज़ोन अनियंत्रित हवाई क्षेत्र - स्वचालित अनुमति
- नो ड्रोन ज़ोन कुछ विशेष जगहों पर ड्रोन संचालन की अनुमति नहीं
- ड्रोन नीति में कृषि, स्वास्थ्य, आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में ड्रोन का वाणिज्यिक इस्तेमाल 1 दिसंबर, 2018 से प्रभावी हो गया था, लेकिन खाद्य सामग्री समेत अन्य वस्तुओं की आपूर्ति के लिये अनुमति नहीं दी गई थी।
वर्तमान समय में ड्रोन तकनीक अपने विकास के एक नए दौर से गुज़र रही है जिसके कारण यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो जाता है कि इसका प्रयोग मानव जाति की सहायता एवं उसके हित के लिये ही हो, न कि असामाजिक तत्त्वों द्वारा मानवीय हितों को नुकसान पहुँचाने के लिये।