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शासन व्यवस्था

टेली-लॉ कार्यक्रम

  • 04 Nov 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

टेली-लॉ कार्यक्रम, कॉमन सर्विस सेंटर, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण

मेन्स के लिये

टेली-लॉ कार्यक्रम और मौजूदा समय में इसकी प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार के न्याय विभाग द्वारा शुरू किये गए ‘टेली-लॉ कार्यक्रम’ ने 30 अक्तूबर, 2020 तक 4 लाख लाभार्थियों को कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से कानूनी सलाह प्रदान करने का नया रिकॉर्ड स्थापित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2017 में कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद से अप्रैल 2020 तक जहाँ कुल 1.95 लाख लोगों को सलाह दी गई वहीं मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान 2.05 लाख लोगों को कानूनी सलाह प्रदान की गई, जिसका अर्थ है कि देशव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान लोगों ने इस कार्यक्रम का काफी उपयोग किया है।

टेली-लॉ कार्यक्रम

  • विशेषता: वर्ष 2017 में शुरू किया गया यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों और नागरिकों हेतु कानूनी सहायता को सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
    • इस कार्यक्रम के तहत कानूनी जानकारी और सलाह के वितरण के लिये संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की परिकल्पना की गई है।
    • इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत के स्तर पर स्थापित कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर लोग टेली-लॉ नामक पोर्टल के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये वकीलों से कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
    • इस तरह यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या टेलीफोन के माध्यम से वकीलों और नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।
    • यह सेवा ग्रामीण क्षेत्रों में कॉमन सर्विस सेंटरों के पास मौजूद अवसंरचना का उपयोग कर ग्रामीण लोगों को उनके घर पर ही कानूनी सेवा प्रदान करने का प्रयास करती है।
    • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा सभी राज्यों की राजधानियों में वकीलों का एक पैनल उपलब्ध कराएगा, जो आवेदकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये कानूनी सलाह और परामर्श प्रदान करेंगे।
  • उद्देश्य: भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया विज़न’ (Digital India Vision) के माध्यम से ‘स्वदेशी’ डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर ‘सभी के लिये न्याय’ को वास्तविकता प्रदान करना और सभी की न्याय तक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • महत्त्व: टेली लॉ सेवा किसी भी व्यक्ति को कीमती समय और धन बर्बाद किये बिना कानूनी सलाह लेने में सक्षम बनाती है।
    • यह सेवा वंचित वर्ग के समूह के लिये पूर्णतः मुफ्त है, जबकि अन्य लोगों को इस सेवा का लाभ प्राप्त करने के लिये 30 रुपए प्रदान करने होंगे।

संबंधित कानूनी प्रावधान

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (A) के अनुसार, ‘राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि न्यायतंत्र इस प्रकार से काम करें कि सभी को न्याय का समान अवसर मिले एवं आर्थिक या किसी अन्य कारण से कोई नागरिक न्याय प्राप्ति से वंचित न रह जाए। इसके लिये राज्य निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा।’
  • अनुच्छेद 14 और 22 (1) भी विधि के समक्ष समता सुनिश्चित करने का प्रावधान करते हैं।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA)

  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नालसा (National Legal Services Authority-NALSA) का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अंतर्गत समाज के कमज़ोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लोक अदालतों का आयोजन करने के उद्देश्य से किया गया है।
  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यों में कानूनी साक्षरता प्रदान करना, जागरूकता फैलाना और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना शामिल हैं।
  • भारत का मुख्य न्यायाधीश इसका मुख्य संरक्षक होता है है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है।

स्रोत: पी.आई.बी

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