विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारत में 5G सेवा
- 28 Dec 2021
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:5G, IoT, बिग डेटा, AI, एज कंप्यूटिंग, चौथी औद्योगिक क्रांति। मेन्स के लिये:5G का उपयोग, भारत में 5G रोलआउट के लिये चुनौतियाँ, दूरसंचार प्रौद्योगिकी का विकास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दूरसंचार विभाग (DoT) ने घोषणा की है कि भारत के प्रमुख महानगरों में अगले साल 5G सेवाएँ संचालित होंगी।
- अन्य वैश्विक देशों की तरह भारत ने वर्ष 2018 में अतिशीघ्र 5G सेवाओं को शुरू करने की योजना बनाई थी, जिसका उद्देश्य उस बेहतर नेटवर्क गति और शक्ति का लाभ उठाना था, जिसका वादा प्रौद्योगिकी ने किया था।
प्रमुख बिंदु
- 5G तकनीक:
- 5G 5वीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है। यह 1G, 2G, 3G और 4G नेटवर्क के बाद एक नया वैश्विक वायरलेस मानक है।
- यह एक नए प्रकार के नेटवर्क को सक्षम बनाता है जिसे मशीनों, वस्तुओं और उपकरणों सहित लगभग सभी को और सब कुछ एक साथ जोड़ने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- 5G के हाई-बैंड स्पेक्ट्रम में इंटरनेट की गति का परीक्षण 20 Gbps (गीगाबिट प्रति सेकंड) के रूप में किया गया है, जबकि अधिकांश मामलों में 4G में अधिकतम इंटरनेट डेटा गति 1 Gbps दर्ज की गई है।
पहली पीढ़ी से पाँचवीं पीढ़ी तक का विकास
- 1G को 1980 के दशक में लॉन्च किया गया था, यह एनालॉग रेडियो सिग्नल पर काम करता था और केवल वॉयस कॉल का समर्थन करता था।
- 2G को 1990 के दशक में लॉन्च किया गया था जो डिजिटल रेडियो सिग्नल का उपयोग करता है और 64 Kbps की बैंडविड्थ के साथ वॉयस और डेटा ट्रांसमिशन दोनों को सपोर्ट करता है।
- 3G को 2000 के दशक में 1 एमबीपीएस से 2 एमबीपीएस की गति के साथ लॉन्च किया गया था और इसमें डिजिटल वॉयस, वीडियो कॉल और कॉन्फ्रेंसिंग सहित टेलीफोन सिग्नल प्रसारित करने की क्षमता है।
- 4G को वर्ष 2009 में 100 Mbps से 1 Gbps की ‘पीक स्पीड’ के साथ लॉन्च किया गया था और यह ‘3D वर्चुअल रियलिटी’ को भी सक्षम बनाता है।
- विभिन्न प्रकार के 5G बैंड्स:
- 5जी में बैंड्स- 5G मुख्य रूप से 3 बैंड (लो, मिड और हाई बैंड स्पेक्ट्रम) में कार्य करता है, जिसमें सभी के बैंड्स के कुछ विशिष्ट उपयोग और कुछ विशिष्ट सीमाएँ हैं।
- इसका मतलब यह है कि दूरसंचार कंपनियांँ इसे वाणिज्यिक सेलफोन उपयोगकर्त्ताओं जिनकी बहुत तेज़ गति के इंटरनेट की विशिष्ट मांग नहीं होती, के उपयोग हेतु स्थापित कर सकती हैं।
- हालांँकि उद्योग की विशेष ज़रूरतों के लिये लो बैंड स्पेक्ट्रम इष्टतम नहीं हो सकता है।
- 5जी में बैंड्स- 5G मुख्य रूप से 3 बैंड (लो, मिड और हाई बैंड स्पेक्ट्रम) में कार्य करता है, जिसमें सभी के बैंड्स के कुछ विशिष्ट उपयोग और कुछ विशिष्ट सीमाएँ हैं।
- इस बैंड का उपयोग उद्योगों और विशेष कारखाना इकाइयों द्वारा कैप्टिव नेटवर्क के निर्माण हेतु किया जा सकता है जिसे उस विशेष उद्योग की ज़रूरतों में ढाला जा सकता है।
- यह बैंड इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और स्मार्ट तकनीक जैसी भविष्य की 5G प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों को बढ़ावा देता है, लेकिन इसके लिये उचित बुनियादी ढांँचे की आवश्यकता होगी।
- लो बैंड स्पेक्ट्रम (Low Band Spectrum): इसमें इंटरनेट की गति और डेटा के इंटरैक्शन-प्रदान की अधिकतम गति 100Mbps (प्रति सेकंड मेगाबिट्स) तक होती है।
- मिड बैंड स्पेक्ट्रम (Mid-Band Spectrum): इसमें लो बैंड के स्पेक्ट्रम की तुलना में इंटरनेट की गति अधिक होती है, फिर भी इसके कवरेज क्षेत्र और सिग्नलों की कुछ सीमाएँ हैं।
- हाई बैंड स्पेक्ट्रम (High-Band Spectrum): इसमें उपरोक्त अन्य दो बैंड्स की तुलना में उच्च गति होती है, लेकिन कवरेज और सिग्नल भेदन की क्षमता बेहद सीमित होती है।
- 5G के अनुप्रयोग:
- उन्नत मोबाइल ब्रॉडबैंड: हमारे स्मार्टफोन को बेहतर बनाने के अलावा 5G मोबाइल तकनीक वर्चुअल रियलिटी (Virtual reality- VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (Augmented Reality- AR) जैसे नए इमर्सिव सेवाओं को शुरू कर सकती है, जिसमें तीव्र, अधिक समान डेटा दर, कम विलंबता और कम लागत-प्रतिशत-अंश शामिल हैं।
- मिशन-क्रिटिकल कम्युनिकेशंस: 5G नई सेवाओं को सक्षम कर सकता है जो उद्योगों को अति-विश्वसनीय, उपलब्ध, कम-विलंबता लिंक जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांँचे, वाहनों और चिकित्सा प्रक्रियाओं के रिमोट कंट्रोल के साथ परिवर्तित कर सकता है।
- मैसिव इंटरनेट ऑफ थिंग्स: 5G डेटा दरों, पावर और मोबिलिटी को कम करने की क्षमता के माध्यम से बड़ी संख्या में एम्बेडेड सेंसरों को मूल रूप से जोड़ने से संबंधित है जो अत्यंत क्षीण और कम लागत वाला कनेक्टिविटी सल्यूशन प्रदान करता है।
- सामान्यत: 5G का उपयोग तीन मुख्य प्रकार की कनेक्टेड सेवाओं में किया जाता है, जिसमें उन्नत मोबाइल ब्रॉडबैंड, महत्त्वपूर्ण संचार मिशन और बड़े पैमाने पर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) शामिल हैं।
- IoT, क्लाउड, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एज कंप्यूटिंग के साथ, 5G चौथी औद्योगिक क्रांति का एक महत्त्वपूर्ण प्रवर्तक हो सकता है।
नोट
- भारत की राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018 में 5जी के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है, इसमें कहा गया है कि 5जी, क्लाउड, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और डेटा एनालिटिक्स सहित क्रांतिकारी प्रौद्योगिकियों का एक समूह बढ़ते स्टार्ट-अप समुदाय के साथ अवसरों का नया क्षितिज खोलता है और डिजिटल जुड़ाव को अधिक तीव्र तथा मज़बूत करता है।
- भारत में 5G रोलआउट के लिये चुनौतियाँ:
- कम फाइबराइज़ेशन फुटप्रिंट: पूरे भारत में फाइबर कनेक्टिविटी को अपग्रेड करने की आवश्यकता है, जो वर्तमान में भारत के केवल 30% दूरसंचार टावरों को जोड़ता है।
- कुशलता पूर्वक 5G को लॉन्च करने के लिये इस संख्या को दोगुना करना होगा।
- 'मेक इन इंडिया' हार्डवेयर चुनौती: कुछ विदेशी दूरसंचार OEMs (मूल उपकरण निर्माता) पर प्रतिबंध, जिस पर अधिकांश 5G प्रौद्योगिकी विकास निर्भर करता है, अपने आप में एक बाधा प्रस्तुत करता है।
- उच्च स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण: भारत का 5G स्पेक्ट्रम मूल्य वैश्विक औसत से कई गुना महँगा है।
- यह भारत के नकदी संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों के लिये नुकसानदायक होगा।
- इष्टतम 5G प्रौद्योगिकी मानक का चयन: 5G प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन में तेज़ी लाने हेतु घरेलू 5Gi मानक और वैश्विक 3GPP मानक के बीच संघर्ष को समाप्त करने की आवश्यकता है।
- जबकि 5Gi का स्पष्ट लाभ है, यह टेलीकॉम के लिये 5G इंडिया लॉन्च लागत और इंटरऑपरेबिलिटी मुद्दों को भी बढ़ाता है।
- कम फाइबराइज़ेशन फुटप्रिंट: पूरे भारत में फाइबर कनेक्टिविटी को अपग्रेड करने की आवश्यकता है, जो वर्तमान में भारत के केवल 30% दूरसंचार टावरों को जोड़ता है।
आगे की राह
- घरेलू 5G उत्पादन को बढ़ावा देना: देश को भारत में 5G के सपने को साकार करने के लिये अपने स्थानीय 5G हार्डवेयर निर्माण को अभूतपूर्व दर से प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- मूल्य निर्धारण युक्तिकरण: इस स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण के युक्तिकरण की आवश्यकता है, ताकि सरकार भारत में 5G के कार्यान्वयन योजनाओं को बाधित किये बिना नीलामी से पर्याप्त राजस्व उत्पन्न कर सके।
- ग्रामीण-शहरी अंतर को कम करना: 5G को विभिन्न बैंड स्पेक्ट्रम और निम्न बैंड स्पेक्ट्रम पर तैनात किया जा सकता है, यह सीमा बहुत लंबी है और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये भी सहायक हो सकती है।