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डेली न्यूज़

  • 06 Feb, 2023
  • 48 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पेरिस क्लब

प्रिलिम्स के लिये:

पेरिस क्लब, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, श्रीलंका में आर्थिक संकट, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD)

मेन्स के लिये:

श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय संवाद पर भारत की स्थिति, भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति।

चर्चा में क्यों?

कर्जदाता (Creditor) देशों का एक अनौपचारिक समूह जिसे पेरिस क्लब  के रूप में जाना जाता है, श्रीलंका को दिये जाने वाले ऋण पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) को वित्तीय गारंटी प्रदान करेगा।

  • वर्ष 2022 में उत्पन्न आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका को IMF से 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बेलआउट पैकेज प्राप्त करने हेतु पेरिस क्लब और अन्य कर्जदाताओं से गारंटी की आवश्यकता है।

पेरिस क्लब:

  • परिचय:  
    • पेरिस क्लब ज़्यादातर पश्चिमी कर्जदाता देशों का एक समूह है, जिसकी उत्पत्ति वर्ष 1956 में आयोजित बैठक से हुई है जिसमें अर्जेंटीना पेरिस में अपने सार्वजनिक कर्जदाताओं से मिलने हेतु सहमत हुआ था। 
      • यह खुद को एक मंच के रूप में वर्णित करता है जहाँ लेनदार देशों द्वारा सामना की जाने वाली भुगतान कठिनाइयों को हल करने हेतु आधिकारिक कर्जदाता बैठक करते हैं। 
    • इसका उद्देश्य उन देशों हेतु स्थायी ऋण-राहत समाधान खोजना है जो देश अपने द्विपक्षीय ऋण चुकाने में असमर्थ हैं। 
  • सदस्य:  
    • सदस्यों में शामिल हैं: ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, आयरलैंड, इज़रायल, जापान, नीदरलैंड, नॉर्वे, रूस, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य।
    • ये सभी 22 सदस्यीय आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) नामक समूह के सदस्य हैं।

Peris-club

  • ऋण समझौतों में शामिल:
    • इसकी आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, पेरिस क्लब ने 102 अलग-अलग देनदार देशों के साथ 478 समझौते किये हैं।
    • वर्ष 1956 के बाद से पेरिस क्लब समझौता ढाँचे के तहत 614 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण लिया गया है।
  • हालिया गतिविधि:
    • पिछली सदी में पेरिस समूह के देशों का द्विपक्षीय ऋण पर प्रभुत्त्व था, लेकिन पिछले दो दशकों में चीन के दुनिया के सबसे बड़े द्विपक्षीय ऋणदाता के रूप में उभरने के साथ उनका महत्त्व कम हो गया है।
    • उदाहरण के लिये श्रीलंका के मामले में भारत, चीन और जापान सबसे बड़े द्विपक्षीय लेनदार हैं।  
      • श्रीलंका के द्विपक्षीय ऋणों में चीन का 52%, जापान का 19.5% तथा भारत का 12% हिस्सा है।   

श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय वार्ता पर भारत की स्थिति:

  • भारत ने जनवरी 2023 में श्रीलंका के साथ अपनी द्विपक्षीय वार्ता शुरू की।
    • भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) को लिखित वित्त संबंधी आश्वासन भेजकर पिछले वर्ष हुए आर्थिक गिरावट के बाद इसके आवश्यक ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम का आधिकारिक समर्थन किया है, साथ ही अन्य देशों से इसके पालन की अपील की।
  • वित्तपोषण आश्वासन का निर्णय भी "पड़ोसी पहले (Neighborhood First)" के सिद्धांत पर भारत के विश्वास का पुन: दावा था जिसमें एक पड़ोसी को अकेला नहीं छोड़ा गया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. "रैपिड फाइनेंसिंग इंस्ट्रूमेंट" और "रैपिड क्रेडिट सुविधा" निम्नलिखित में से किसके द्वारा उधार देने के प्रावधानों से संबंधित हैं? (2022) 

(a) एशियाई विकास बैंक 
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 
(c) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम वित्त पहल 
(d) विश्व बैंक 

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • रैपिड फाइनेंसिंग इंस्ट्रूमेंट (RFI) त्वरित वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जो भुगतान संतुलन आवश्यकता हेतु सभी सदस्य देशों के लिये उपलब्ध है। RFI को सदस्य देशों की विविध ज़रूरतों को पूरा करने तथा IMF की वित्तीय सहायता को अधिक लचीला बनाने के लिये एक व्यापक सुधार के हिस्से के रूप में निर्मित किया गया था। रैपिड फाइनेंसिंग इंस्ट्रूमेंट, IMF की पूर्व आपातकालीन सहायता नीति का स्थानापन्न है और इसका उपयोग विभिन्न परिस्थितियों में किया जा सकता है।
  • रैपिड क्रेडिट सुविधा (RCF) कम आय वाले देशों को पूर्व निर्धारित शर्तों के साथ तत्काल भुगतान संतुलन (BoP) संबंधी आवश्यकता हेतु ऋण उपलध कराती है, जहाँ एक पूर्ण आर्थिक कार्यक्रम न तो आवश्यक है और न ही संभव है। RCF की स्थापना फंड की वित्तीय सहायता को अधिक लचीला बनाने और संकट के समय कम आय वाले देशों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक व्यापक सुधार के हिस्से के रूप में की गई थी।
  • RCF के तहत तीन क्षेत्र हैं: (i) घरेलू अस्थिरता, आपात स्थिति जैसे स्रोतों की एक विस्तृत शृंखला के कारण तत्काल भुगतान संतुलन की ज़रूरतों के लिये एक "नियमित विंडो" (ii) अचानक बाह्य कारणों जैसे कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण तत्काल भुगतान संतुलन संबंधी आवश्यकताओं हेतु "बहिर्जात शॉक विंडो" और (iii) एक "बड़ी प्राकृतिक आपदा विंडो" जहाँ क्षति सदस्य देशों के सकल घरेलू उत्पाद के 20% के बराबर या उससे अधिक होने का अनुमान है। 

प्रश्न. “स्वर्ण ट्रान्श” (रिज़र्व ट्रान्श) निर्दिष्ट करता है: (2020)

(a) विश्व बैंक की एक ऋण व्यवस्था को
(b) केंद्रीय बैंक की किसी एक क्रिया को
(c) WTO द्वारा इसके सदस्यों को प्रदत्त एक साख प्रणाली को
(d) IMF द्वारा इसके सदस्यों को प्रदत्त एक साख प्रणाली को

उत्तर: (d)


मेन्स: 

प्रश्न. भारत-श्रीलंका संबंधों के संदर्भ में विवेचना कीजिये कि किस प्रकार घरेलू आतंरिक (देशीय) कारक विदेश नीति को प्रभावित करते हैं। (2013)

प्रश्न. 'भारत, श्रीलंका का बरसों पुराना मित्र है।' पूर्ववर्ती कथन के आलोक में श्रीलंका के वर्तमान संकट में भारत की भूमिका की विवेचना कीजिये। (2022)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम

प्रिलिम्स के लिये:

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम, स्टार्टअप इंडिया पहल, DPIIT, स्टार्टअप इकोसिस्टम को समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग, मेक इन इंडिया, इन्वेस्ट इंडिया।

मेन्स के लिये:

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम और प्रारंभिक चरण में सीड फंड की आवश्यकता।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) के तहत 477.25 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी है, जो स्टार्टअप इंडिया पहल के अंतर्गत एक प्रमुख योजना है।

  • सीड फंडिंग (Seed Funding) एक स्टार्टअप या नए व्यवसाय में निवेश का एक प्रारंभिक चरण है। सीड फंडिंग का लक्ष्य कंपनी को एक ऐसे बिंदु तक पहुँचाने में मदद करना है जहाँ यह अतिरिक्त वित्तपोषण को सुरक्षित कर सकता है या आत्मनिर्भर बनने के लिये राजस्व उत्पन्न कर सकता है। 

स्टार्टअप इंडिया पहल:

  • स्टार्टअप इंडिया पहल में नवाचार को बढ़ावा देने और उभरते उद्यमियों को अवसर प्रदान करने के लिये देश में एक मज़बूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की परिकल्पना की गई है।
  • इस पहल के तहत जनवरी 2016 में प्रधानमंत्री द्वारा 19 कार्य बिंदुओं की एक कार्ययोजना का अनावरण किया गया था।
    • इस कार्ययोजना ने भारत में स्टार्टअप के लिये एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण हेतु रोडमैप निर्धारित किया।
  • स्टार्टअप इंडिया पहल फ्लैगशिप योजनाओं जैसे- स्टार्टअप्स हेतु फंड ऑफ फंड्स (FFS), SISFS और स्टार्टअप्स के लिये क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSS) को उनके व्यापार चक्र के विभिन्न चरणों में सहायता प्रदान करती है।

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): 

  • परिचय: 
    • इस योजना की घोषणा 16 जनवरी, 2021 को स्टार्टअप इंडिया इंटरनेशनल समिट में की गई थी। 
    • उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ने वर्ष 2021-22 से शुरू होने वाले 4 वर्षों की अवधि हेतु  945 करोड़ रुपए के परिव्यय को मंज़ूरी दी है ताकि स्टार्टअप को विचार अथवा सिद्धांत के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार प्रवेश और व्यावसायीकरण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके। 
  • निष्पादन और निगरानी: 
    • DPIIT द्वारा एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (EAC) का गठन किया गया है, जो स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के समग्र निष्पादन और निगरानी के लिये ज़िम्मेदार होगा। 
    • EAC बीज निधियों के आवंटन के लिये इनक्यूबेटरों का मूल्यांकन और चयन करेगी, प्रगति की निगरानी करेगी तथा स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में निधियों के कुशल उपयोग हेतु सभी आवश्यक उपाय करेगी। 

India-Seed-Fund

  • पात्रता:
    • DPIIT (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) द्वारा मान्यता प्राप्त एक ऐसा स्टार्टअप जो आवेदन के समय से 2 वर्ष से अधिक पहले शामिल नहीं किया गया हो। 
    • स्टार्टअप ने केंद्रीय या राज्य सरकार की किसी अन्य योजना के तहत 10 लाख रुपए से अधिक की मौद्रिक सहायता प्राप्त नहीं की हो। 
    • सामाजिक प्रभाव, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, गतिशीलता, रक्षा, अंतरिक्ष, रेलवे, तेल और गैस, वस्त्र आदि जैसे क्षेत्रों में अभिनव समाधान प्रदान करने वाले स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी। 
  • अनुदान और समर्थन: 
    • यह अगले 4 वर्षों में 300 इनक्यूबेटरों के माध्यम से अनुमानतः 3,600 उद्यमियों को समर्थन देगा। 
    • समिति द्वारा चयनित पात्र इनक्यूबेटरों को 5 करोड़ रुपए तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा। 
    • चयनित इनक्यूबेटर स्टार्टअप विचार अथवा सिद्धांत के प्रमाण या प्रोटोटाइप विकास या उत्पाद परीक्षणों के सत्यापन के लिये 20 लाख रुपए तक का अनुदान प्राप्त करेंगे। 
    • परिवर्तनीय डिबेंचर या ऋण से जुड़ी प्रतिभूतियों के माध्यम से व्यवसायों को बाज़ार में प्रवेश, व्यावसायीकरण अथवा स्केलिंग के लिये 50 लाख रुपए तक की सहायता दी जाएगी।

सीड फंड की आवश्यकता: 

  • उद्यम के विकास के प्रारंभिक चरणों में उद्यमियों के लिये पूंजी की आसान उपलब्धता की आवश्यकता होती है।
  • भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम सीड और 'प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट' विकास चरण में पूंजी की कमी से ग्रस्त है
  • पूंजी की आवश्यकता को देखते हुए कई चरणों पर अच्छे व्यावसायिक अवधारणाओं वाले स्टार्टअप अक्सर खुद को मेक-या-ब्रेक की स्थिति में पाते हैं।
  • अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिये प्रारंभिक चरण में आवश्यक महत्त्वपूर्ण पूंजी की समस्या के कारण कई नवीन व्यावसायिक विचार क्रियान्वित नही हो पाते हैं।
  • स्टार्टअप के लिये पेश किया गया सीड फंड कई स्टार्टअप्स के व्यावसायिक विचारों को साकार करने में प्रभावी हो सकता है जिससे रोज़गार सृजन हो सकता है।

स्टार्टअप्स से संबंधित अन्य पहलें: 

  • स्टार्टअप नवाचार से संबंधित चुनौतियाँ: यह किसी भी स्टार्टअप के लिये अपनी नेटवर्किंग और फंड जुटाने के प्रयासों का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर है।
  • राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार: यह उन उत्कृष्ट स्टार्टअप्स और पारिस्थितिकी तंत्र के समर्थकों को पहचानने और पुरस्कृत करने का प्रयास करता है जो नवाचार एवं प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर आर्थिक गतिशीलता में योगदान दे रहे हैं।
  • स्टार्टअप इकोसिस्टम के समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग: यह संबंधित स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के व्यापक विकास के लिये राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के समर्थन को बढ़ाने हेतु डिज़ाइन किया गया एक उन्नत मूल्यांकन उपकरण है।
  • SCO स्टार्टअप फोरम: स्टार्टअप इकोसिस्टम को सामूहिक रूप से विकसित और बेहतर बनाने के लिये अक्तूबर 2020 में पहली बार शंघाई सहयोग संगठन (SCO) द्वारा SCO स्टार्टअप फोरम लॉन्च किया गया था।
  • प्रारंभ: ‘प्रारंभ’ शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दुनिया भर के स्टार्टअप्स और युवा प्रतिभाओं को नए विचार, नवाचार एवं आविष्कार को बढ़ावा देने हेतु मंच प्रदान करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. जोखिम पूंजी से क्या तात्पर्य है? (2014) 

(a) उद्योगों को उपलब्ध कराई गई अल्पकालिक पूंजी
(b) नए उद्यमियों को उपलब्ध कराई गई दीर्घकालिक प्रारंभिक पूंजी 
(c) उद्योग को हानि उठाते समय उपलब्ध कराई गई निधियाँ
(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीकरण के लिये उपलब्ध कराई गई निधियाँ

उत्तर: (b) 

व्याख्या : 

  • जोखिम पूंजी नई या बढ़ती कंपनी हेतु एक प्रकार की फंडिंग है। यह सामान्यतः उद्यम पूंजी फर्मों द्वारा प्रदान किया जाता है जो उच्च जोखिम वाले वित्तीय पोर्टफोलियो विकसित करने में विशेषज्ञ होते हैं।
  • जोखिम पूंजी के साथ जोखिम पूंजी फर्म स्टार्टअप में इक्विटी के बदले स्टार्टअप कंपनी को फंडिंग प्रदान करती है।
  • जो लोग इस पैसे का निवेश करते हैं उन्हें उद्यम पूंजीदाता (Venture capitalist- VC) कहा जाता है। उद्यम पूंजी निवेश को ज़ोखिम पूंजी के रूप में भी संदर्भित किया जाता है, क्योंकि इसमें उद्यम सफल नहीं होने पर धन हानि का ज़ोखिम होता है और निवेश की संवृद्धि के लिये मध्यम से लंबी अवधि की आवश्यकता होती है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.


आंतरिक सुरक्षा

निगरानी गुब्बारा

प्रिलिम्स के लिये:

निगरानी गुब्बारा, मानव खुफिया, बाह्य अंतरिक्ष संधि, 1967

मेन्स के लिये:

निगरानी तकनीक और  हवाई क्षेत्र से संबंधित कानून।

चर्चा में क्यों? 

संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक चीनी निगरानी गुब्बारे को मार गिराया, जिसे कुछ दिन पूर्व अमेरिकी हवाई क्षेत्र में देखा गया था।

निगरानी गुब्बारा: 

  • परिचय: 
    • इन सस्ते, शांत और दुर्गम इलाकों में पहुँच वाले गुब्बारों का उपयोग टोही उद्देश्यों के लिये किया गया है, जिसमें अमेरिकी गृहयुद्ध जैसे संघर्ष भी शामिल हैं।
    • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इन गुब्बारों का अधिकाधिक प्रयोग किया  गया और शीत युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर इनका इस्तेमाल तब किया गया जब अमेरिका ने सोवियत संघ तथा चीन को लेकर खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिये सैकड़ों गुब्बारे लॉन्च किये।
      • जबकि मानव रहित ड्रोन और उपग्रहों के उपयोग के कारण इनके उपयोग में गिरावट आई है, कई देश अभी भी निगरानी हेतु गुब्बारों का उपयोग करते हैं।  
  • गुब्बारा भेजने का उद्देश्य: 
    • दशकों से चीन द्वारा अपनी सीमाओं के पास अमेरिकी जहाज़ों और जासूसी विमानों द्वारा निगरानी किये जाने के बारे में शिकायत की गई है, जिससे कई बार झड़पें भी होती रहती हैं। चीन के अनुसार, गुब्बारे को अनुसंधान हेतु बनाया गया था, किंतु यह मार्ग से भटक गया।

सरकार निगरानी गुब्बारे का उपयोग क्यों करती है? 

  • क्लोज़-रेंज मॉनिटरिंग: उपग्रहों के इस युग में निगरानी गुब्बारे आमतौर पर उन्नत गुब्बारे हैं जो उच्च तकनीक, डाउनवर्ड-पॉइंटिंग इमेजिंग सुविधाओं और उपकरणों से लैस होते हैं एवं नियमित रूप से निगरानी करते हैं।
  • छवि गुणवत्ता: कम ऊँचाई पर उड़ने वाले गुब्बारे, जो वाणिज्यिक विमानों के समान ऊँचाई पर उड़ते हैं, आमतौर पर सबसे कम ऊँचाई पर परिक्रमा करने वाले उपग्रहों की तुलना में स्पष्ट चित्र ले सकते हैं।
    • ऐसे उपग्रह जो पृथ्वी के सामंजस्य में घूमते हैं, दूर की कक्षा के कारण निरंतर लेकिन धुँधली छवियों को कैप्चर करते हैं।
  • कम्युनिकेशन में बाधा: सर्विलांस गुब्बारे "इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल कैप्चर करने" और कम्युनिकेशन बाधा उत्पन्न करने में भी सक्षम हो सकते हैं।

निगरानी तकनीकों के अन्य तरीके: 

  • इलेक्ट्रॉनिक निगरानी: इसका उपयोग संचार संकेतों को बाधित करने, फोन कॉल टैप करने और ई-मेल तथा डिजिटल संचार के अन्य रूपों की निगरानी करने में किया जा सकता है।
  • मानव बुद्धिमता (HUMINT): संवेदनशील जानकारी तक पहुँच रखने वाले लोगों की भर्ती करना, जैसे कि राजनयिक कर्मचारी, सैन्यकर्मी या सरकारी अधिकारी, निगरानी में नियोजित प्रमुख तत्त्वों में से हैं।
  • साइबर जासूसी: यह साइबर हमले का एक रूप है जो प्रतिस्पर्द्धी कंपनी अथवा सरकारी संस्था द्वारा लाभ प्राप्त करने के लिये वर्गीकृत, संवेदनशील डेटा या बौद्धिक संपदा की चोरी करता है।
  • सैटेलाइट इमेजरी: कभी-कभी विदेशों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिये उपग्रहों का उपयोग किया जाता है।
  • ड्रोन प्रौद्योगिकी: ड्रोन, जिसे मानव रहित हवाई विमान (Unmanned Aerial Vehicles- UAV) के रूप में भी जाना जाता है, का उपयोग निगरानी और जासूसी उद्देश्यों हेतु किया जा सकता है। ड्रोन कैमरे, श्रवण यंत्र एवं अन्य सेंसर से लैस विदेशी क्षेत्रों में उड़ान भर सकते हैं और खुफिया जानकारी जुटा सकते हैं। 

हवाई क्षेत्र और इससे संबंधित कानून: 

  • परिचय: 
    • अंतर्राष्ट्रीय कानून में वायु क्षेत्र, एक विशेष राष्ट्रीय क्षेत्र के ऊपर का स्थान है, जिसे क्षेत्र को नियंत्रित करने वाली सरकार से संबंधित माना जाता है।
    • इसमें बाहरी अंतरिक्ष शामिल नहीं है, जिसे वर्ष 1967 की बाह्य अंतरिक्ष संधि (Outer Space Treaty) के तहत मुक्त घोषित किया गया है और राष्ट्रीय विनियोग के अधीन नहीं है।
      • हालाँकि संधि ने उस ऊँचाई को परिभाषित नहीं किया जिस पर बाह्य अंतरिक्ष शुरू होता है और वायु स्थान समाप्त होता है।
  • हवाई क्षेत्र संप्रभुता: 
    • यह एक संप्रभु राज्य का अपने हवाई क्षेत्र के उपयोग को विनियमित करने और अपने स्वयं के विमानन कानून को लागू करने का मौलिक अधिकार है।
    • इसके तहत राज्य अपने क्षेत्र में विदेशी विमानों के प्रवेश को नियंत्रित करता है और इस क्षेत्र में सभी व्यक्ति राज्य के कानूनों के अधीन होंगे।
    • हवाई क्षेत्र संप्रभुता का सिद्धांत पेरिस कन्वेंशन ऑन रेगुलेशन ऑफ एरियल नेविगेशन (1919) और बाद में अन्य बहुपक्षीय संधियों द्वारा स्थापित किया गया है।
    • अनुबंधित राज्य शिकागो कन्वेंशन, 1944 के तहत अन्य अनुबंधित राज्यों में पंजीकृत विमान और पूर्व राजनयिक अनुमति के बिना अपने क्षेत्र में उड़ान भरने हेतु व्यावसायिक गैर-अनुसूचित उड़ानों में संलग्न होने के साथ-साथ यात्रियों, कार्गो एवं डाक प्राप्त करने और उतारने की अनुमति देने के लिये सहमत हैं।
      • यह प्रावधान व्यवहार में मृत पत्र बन गया है।
  • निषिद्ध हवाई क्षेत्र:
    • यह ऐसे हवाई क्षेत्र को संदर्भित करता है जिसके भीतर आमतौर पर सुरक्षा चिंताओं के कारण विमान के उड़ान की अनुमति नहीं है। यह कई प्रकार के विशेष उपयोग वाले हवाई क्षेत्र पदनामों में से एक है और इसे वैमानिकी चार्ट पर "पी" अक्षर के साथ अनुक्रमांक संख्या द्वारा दर्शाया गया है।
  • प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र:
    • निषिद्ध वायु क्षेत्र से भिन्न इस क्षेत्र में आमतौर पर सभी विमानों का प्रवेश वर्जित है और वायु यातायात नियंत्रण (ATC) या वायु क्षेत्र के नियंत्रण निकाय से मंज़ूरी के अधीन नहीं है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन कानून सभी देशों को उनके क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र पर पूर्ण और अनन्य संप्रभुता प्रदान करते हैं। 'हवाई क्षेत्र' से आप क्या समझते हैं ? इस हवाई क्षेत्र के ऊपर अंतरिक्ष पर इन कानूनों के क्या प्रभाव हैं? इससे उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और खतरे को नियंत्रित करने के उपाय सुझाइये। (मुख्य परीक्षा, 2014)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत, फ्राँस, संयुक्त अरब अमीरात त्रिपक्षीय पहल

प्रिलिम्स के लिये:

भारत, फ्राँस, संयुक्त अरब अमीरात, नाभिकीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, गावी-द वैक्सीन एलायंस, शक्ति अभ्यास (सेना), वरुण अभ्यास (नौसेना), गरुड़ अभ्यास (वायु सेना), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, वायरल (वीनस इन्फ्रारेड एन्वायरनमेंट गैस लिंकर)।

मेन्स के लिये:

त्रिपक्षीय पहल की प्रमुख विशेषताएँ, भारत-फ्राँस संबंध, भारत और UAE संबंध।

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में भारत, फ्राँस और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और जैवविविधता की रक्षा के साथ-साथ नाभिकीय तथा सौर ऊर्जा के विकास पर सहयोग करने के लिये मिलकर काम करने का फैसला किया है।

  • सितंबर 2022 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान इस साझेदारी की अवधारणा पर पहली बार प्रस्तावित किया गया था।

त्रिपक्षीय पहल की प्रमुख विशेषताएँ:  

  • यह त्रिपक्षीय पहल ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोगी परियोजनाओं के डिज़ाइन और निष्पादन को बढ़ावा देने के लिये एक मंच के रूप में काम करेगी। इसमें सौर और नाभिकीय ऊर्जा पर ध्यान देने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की दिशा में प्रयास करना और विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में जैवविविधता की सुरक्षा शामिल है।
  • ये तीनों देश रक्षा क्षेत्र में एक-साथ काम करने, संक्रामक रोगों का मुकाबला करने और विश्व स्वास्थ्य संगठन, गावी-वैक्सीन एलायंस, ग्लोबल फंड जैसे वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों में सहयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमत हुए हैं।
  • इसके अलावा तीनों देश "वन हेल्थ" दृष्टिकोण को लागू करने हेतु मज़बूत सहयोग स्थापित करने का प्रयास करेंगे, साथ ही विकासशील देशों में बायोमेडिकल नवाचार एवं उत्पादन में स्थानीय क्षमताओं के विकास का समर्थन करेंगे।
  • तीनों देश संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व में मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट और भारत एवं फ्राँस के नेतृत्व में इंडो-पैसिफिक पार्क्स पार्टनरशिप जैसी पहलों के माध्यम से अपने सहयोग का विस्तार करने पर भी सहमत हुए। 

भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के अन्य क्षेत्र: 

  • रक्षा सहयोग: 
  • अन्य पहल:  
    • भारत और फ्राँस जलवायु परिवर्तन को सीमित करने और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के विकास के लिये संयुक्त प्रयास कर रहे हैं। 
    • फ्राँस ने वर्ष 2025 के लिये निर्धारित भारत के वीनस मिशन का हिस्सा बनने पर सहमति व्यक्त की है। 
      • इसके अलावा ISRO के वीनस उपकरण, VIRAL (Venus Infrared Atmospheric Gases Linker) रूसी और फ्राँसीसी एजेंसियों द्वारा सह-विकसित हैं।

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच सहयोग के अन्य क्षेत्र:

  • सहयोग: ये दोनों I2U2 समूह के सदस्य हैं।
  • आर्थिक साझेदारी: वर्ष 2022 में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने द्विपक्षीय व्यापार को 5 वर्षों के भीतर 100 बिलियन अमेरिकी डाॅलर तक पहुँचाने के उद्देश्य से एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर किये।
    • इसके अलावा भारत और संयुक्त अरब अमीरात रुपए में गैर-तेल व्यापार को बढ़ावा देने के तरीकों पर वार्ता कर रहे हैं जो रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देगा।  
    • संयुक्त अरब अमीरात वर्ष 2021-22 के लिये 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि के साथ भारत (अमेरिका के बाद) का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है।   
      • संयुक्त अरब अमीरात के लिये भारत वर्ष 2021 में लगभग 45 बिलियन अमेरिकी डॉलर (गैर-तेल व्यापार) की राशि के साथ दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
  • रक्षा सहयोग: खाड़ी और दक्षिण एशिया में कट्टरपंथ के प्रसार के साथ भारत आतंकवादी खतरों का मुकाबला करने तथा कट्टरपंथ से निपटने हेतु संयुक्त अरब अमीरात के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
    • 'डेज़र्ट ईगल II', भारत और संयुक्त अरब अमीरात की वायु सेनाओं के मध्य एक संयुक्त वायु युद्ध अभ्यास है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में वर्ष 2015 को लॉन्च किया गया था।
  2. गठबंधन में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश शामिल हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)


मेन्स:

Q. I2U2 (भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) समूहन वैश्विक राजनीति में भारत की स्थिति को किस प्रकार रूपांतरित करेगा? (2022)

स्रोत: द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

प्रिलिम्स के लिये:

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क, वेरिएशनल ऑटोएन्कोडर्स (VAE), कृत्रिम बुद्धिमत्ता हेतु राष्ट्रीय रणनीति।

मेन्स के लिये:

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोग, जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,  कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नैतिकता संबंधी मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Generative Artificial Intelligence- GAI) का उपयोग अभी भी अपने शुरुआती चरण में है लेकिन इसका प्रभाव बढ़ने की संभावना है क्योंकि प्रौद्योगिकी का निरंतर विकास और सुधार जारी है।

  • भारत सरकार GAI प्रौद्योगिकियों के उद्भव और शिक्षा, विनिर्माण, स्वास्थ्य देखभाल, वित्त एवं अन्य क्षेत्रों में उनके तेज़ी से प्रसार से अवगत है।

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस:

  • परिचय: 
    • GAI कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तेज़ी से विकसित होने वाली शाखा है जो डेटा के अनुरूप प्रतिरूप और नियमों के आधार पर नई सामग्री (जैसे चित्र, ऑडियो, पाठ आदि) उत्पन्न करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
    • GAI के उदय का श्रेय उन्नत जेनरेटिव मॉडल के विकास को दिया जा सकता है, जैसे कि जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क्स (GANs) और वैरिएशनल ऑटोएन्कोडर्स (VAEs)।
      • इन मॉडलों को बड़ी मात्रा में डेटा के अनुसार प्रशिक्षित किया जाता है जिससे ये नए आउटपुट उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं जो प्रशिक्षण डेटा के समान होते हैं। उदाहरण के लिये प्रशिक्षित GAN चेहरों की नई यथार्थवादी दिखने वाली सिंथेटिक छवियाँ उत्पन्न कर सकता है। 
    • हालाँकि GAI, ChatGPT और डीप फेक से संबंधित है, शुरुआत में इस तकनीक का उपयोग डिजिटल छवि सुधार और डिजिटल ऑडियो सुधार में उपयोग की जाने वाली दोहराव वाली प्रक्रियाओं को स्वचालित करने हेतु किया गया था।
    • चूँकि मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग स्वाभाविक रूप से जेनरेटिव प्रक्रियाओं पर केंद्रित हैं, अर्थात् इन्हें GAI के प्रकार भी माना जा सकता है।
  • अनुप्रयोग: 
    • कला और रचनात्मकता:  
      • इसका उपयोग कला के अद्वितीय और अभिनव कार्यों को सृजित करने हेतु किया जा सकता है जो कलाकारों एवं रचनाकारों को नए विचारों का पता लगाने तथा पारंपरिक कला रूपों की सीमाओं को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।
        • डीप ड्रीम जेनरेटर एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है जो अतियथार्थवादी, सपनों जैसी छवियों को बनाने हेतु डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करता है।
        • DALL·E2 - ओपन AI का यह AI मॉडल पाठ्य (टेक्स्ट) विवरण से नई इमेज उत्पन्न करता है।
    • संगीत:  
      • यह संगीतकारों और संगीत निर्माताओं को नई ध्वनियों और शैलियों का पता लगाने में मदद कर सकता है, जिससे अधिक विविध एवं दिलचस्प संगीत बन सकता है। 
        • एम्पर म्यूज़िक- यह पहले से रिकॉर्ड किये गए नमूनों से संगीतमय ट्रैक बनाता है।
        • AIVA- विभिन्न रचना-पद्धति और शैलियों में मूल संगीत की रचना करने के लिये AI एल्गोरिदम का उपयोग करता है। 
    • कंप्यूटर ग्राफिक्स:
      • यह नए 3D मॉडल, एनिमेशन और विशेष प्रभाव उत्पन्न कर सकता है, जिससे फिल्म स्टूडियो तथा गेम डेवलपर्स को अधिक यथार्थवादी एवं आकर्षक अनुभव करने में मदद मिलती है।
    • स्वास्थ्य देखभाल:  
      • नई चिकित्सा इमेज और सिमुलेशन उत्पन्न करके चिकित्सा निदान एवं उपचार की सटीकता तथा दक्षता में सुधार करना।
    • विनिर्माण और रोबोटिक्स:
      • यह विनिर्माण प्रक्रियाओं को अनुकूलित करने तथा इन प्रक्रियाओं की दक्षता एवं गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है। 
  • भारत के लिये महत्त्व:
    • NASSCOM के आँकड़ों के अनुसार, भारत में कुल AI रोज़गार लगभग 416,000 होने का अनुमान है।
    • इस क्षेत्र की विकास दर लगभग 20-25% होने का अनुमान है। इसके अलावा AI से वर्ष 2035 तक भारत की अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त 957 बिलियन अमेरिकी डॉलर के योगदान की उम्मीद है।

GAI से संबंधित चिंताएँ:

  • सटीकता: 
    • सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि GAI  द्वारा उत्पन्न आउटपुट उच्च गुणवत्तायुक्त और सटीक हो।  
    • इसके लिये उन्नत जेनरेटिव मॉडल के विकास की आवश्यकता है जो डेटा से सीखे गए पैटर्न और नियमों को सटीक रूप से कैप्चर कर सके।
  • पक्षपातपूर्ण GAI मॉडल:
    • GAI मॉडल को बड़ी मात्रा में डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता है और यदि वह डेटा पक्षपाती है, तो GAI द्वारा उत्पन्न आउटपुट भी पक्षपाती हो सकते हैं। यह भेदभाव को जन्म दे सकता है और मौज़ूदा सामाजिक पूर्वाग्रहों को मज़बूत कर सकता है।
  • गोपनीयता:  
    • GAI मॉडल के प्रशिक्षण हेतु बड़ी मात्रा में डेटा तक पहुँच की आवश्यकता होती है, जिसमें व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी शामिल हो सकती है।
    • इस बात का ज़ोखिम है कि इस डेटा का उपयोग अनैतिक उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है, जैसे लक्षित विज्ञापन या राजनीतिक हेरफेर के लिये।
  • उत्तरदायित्त्व:  
    • चूँकि GAI मॉडल नई सामग्री जैसे चित्र, ऑडियो या टेक्स्ट उत्पन्न कर सकते हैं इसलिये इसका उपयोग फ़ेक न्यूज़ या अन्य दुर्भावनापूर्ण सामग्री उत्पन्न करने हेतु किया जा सकता है, यह जाने बिना कि आउटपुट के लिये कौन उत्तरदायी है। इससे उत्तरदायित्त्व पर नैतिक दुविधा उत्पन्न हो सकती हैं।
  • स्वचालित यंत्र एवं रोज़गार को कम करना:  
    • GAI में कई प्रक्रियाओं को स्वतः संचालित करने की क्षमता है, जिससे उन क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों के रोज़गार का विस्थापन हो सकता है।  
    • यह रोज़गार के विस्थापन के लिये AI का उपयोग करने की नैतिकता और श्रमिकों तथा समाज पर संभावित प्रभाव के बारे में प्रश्न उठाता है। 

संबंधित भारतीय पहल:

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हेतु राष्ट्रीय रणनीति: 
    • सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुसंधान को स्वीकारने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के उद्देश्य से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हेतु राष्ट्रीय रणनीति प्रकाशित की है।  
  • बहुविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन:  
    • इस मिशन के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (TIH) स्थापित किये गए हैं, जिसका उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, तकनीशियनों और टेक्नोक्रेट्स के निर्माण हेतु अत्याधुनिक प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण प्रदान करना है।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च, एनालिटिक्स और नॉलेज समावेश प्लेटफॉर्म:
    • यह एक क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य भारत को AI के संबंध में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी बनाना और शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, शहरीकरण तथा मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में बदलाव लाना है।

आगे की राह

  • GAI मॉडल की सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार करने तथा प्रौद्योगिकी से संबंधित नैतिक बाधाओं को दूर करने के लिये अधिक शोध एवं विकास की आवश्यकता है। इसमें नए एल्गोरिदम और मॉडल का विकास किया जाना शामिल है जो अपने आउटपुट के लिये अधिक पारदर्शी व जवाबदेह होंगे। 
  • यह सुनिश्चित करने के लिये नियमों और मानकों को लागू किया जाना चाहिये कि GAI का उपयोग जवाबदेह तथा नैतिक माध्यमों द्वारा लागू किया जाएगा। इसमें डेटा गोपनीयता, पक्षपात एवं उत्तरदायित्त्व के लिये दिशा-निर्देश शामिल किया जाना आवश्यक है, साथ ही यह सुनिश्चित करना भी आवशयक है कि GAI का उपयोग समाज के लाभ के लिये किया जाता है, न कि व्यक्तियों या समूहों के नुकसान के लिये।
  • उद्योग, सरकार, शिक्षाविदों और नागरिक समाज सहित हितधारकों के बीच सहयोग, यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि GAI का उपयोग ज़िम्मेदार और नैतिक तरीकों से किया जाए।  
  • यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि GAI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिये उपयोग किया जाने वाला डेटा नैतिक और निष्पक्ष रूप से तटस्थ हो क्योंकि GAI मॉडल केवल उतने ही प्रभावी होते हैं जितना उन्हें डेटा के आधार पर प्रशिक्षित किया जाता है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाना शामिल है कि प्रशिक्षण के लिये उपयोग की जाने वाली जानकारी एकत्र करने के साथ ही इस तरह से लागू की जाती है जो लोगों की गोपनीयता का सम्मान करती है तथा पहले से मौज़ूद पूर्वाग्रहों पर आधारित नहीं होती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमता निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना 
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना 
  3. रोगों का निदान 
  4. टेक्स्ट-से-स्पीच में परिवर्तन 
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)

 

कभी-कभी समाचारों में आने वाले शब्द 

संदर्भ/विषय 

1. 

बेल II प्रयोग 

कृत्रिम बुद्धि 

2. 

ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी 

डिजिटल/क्रिप्टोकरेंसी

3. 

CRISPR–Cas9 

कण भौतिकी 

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

स्रोत: पी.आई.बी.


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