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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चौथा भारत-फ्राँस वार्षिक रक्षा संवाद

  • 29 Nov 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चौथा भारत-फ्राँस वार्षिक रक्षा संवाद, भारत-फ्राँस सैन्य अभ्यास, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन।

मेन्स के लिये:

भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव, भारत-फ्राँस संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चौथी भारत-फ्राँस रक्षा वार्ता, भारत में आयोजित की गई।

France

प्रमुख बिंदु:

  • रक्षा औद्योगिक सहयोग:
    • दोनों ही देशों ने 'मेक इन इंडिया' पर बल देने के साथ रक्षा औद्योगिक सहयोग पर चर्चा की।
    • इस वार्ता के दौरान द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और रक्षा औद्योगिक सहयोग के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।
  • सैन्य सहयोग:
    • दोनों देशों ने भावी सैन्य सहयोग की समीक्षा की, जिसमें हाल के वर्षों में काफी वृद्धि हुई है।
    • इन्होंने कई "रणनीतिक मुद्दों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने हेतु एक साथ काम करने की प्रतिबद्धता दिखाई ।
  • हिंद महासागर क्षेत्र:
    • इस वार्ता के दौरान IOR (हिंद महासागर क्षेत्र) में समुद्री चुनौतियों के आलोक में आपसी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई।
    • फ्राँस ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र मे फ्राँसीसी रणनीति के संदर्भ में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला।
      • फ्राँस, हिंद महासागर आयोग (IOC) और हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) का वर्तमान अध्यक्ष है और दोनों ही देश इन मंचों पर सहयोगी भूमिका में हैं।

भारत-फ्राँस सामरिक संबंध:

  • पृष्ठभूमि:
    • जनवरी 1998 में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद फ्राँस उन पहले देशों में से एक था जिसके साथ भारत ने ‘रणनीतिक साझेदारी’ पर हस्ताक्षर किये थे।
    • वर्ष 1998 में परमाणु हथियारों के परीक्षण के भारत के फैसले का समर्थन करने वाले बहुत कम देशों में से फ्राँस एक था।
  • रक्षा सहयोग: दोनों देशों के बीच मंत्रिस्तरीय रक्षा वार्ता आयोजित की जाती है।
    • तीनों सेनाओं द्वारा नियमित समयांतराल पर रक्षा अभ्यास किया जाता है; अर्थात्
    • हाल ही में भारतीय वायु सेना (IAF) में फ्रेंच राफेल बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान को शामिल किया गया है।
    • भारत ने वर्ष 2005 में एक प्रौद्योगिकी-हस्तांतरण व्यवस्था के माध्यम से भारत के मझगाँव डॉकयार्ड में छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण के लिये एक फ्राँसीसी कंपनी के साथ अनुबंध किया।
    • दोनों देशों ने पारस्परिक ‘लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट’ (Logistics Support Agreement- LSA) के प्रावधान के संबंध में समझौते पर भी हस्ताक्षर किये।
      • यह समझौता नियमित पोर्ट कॉल के साथ-साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के अंतर्गत अन्य देशों के युद्धपोतों, सैन्य विमानों एवं सैनिकों के लिये ईंधन, राशन, उपकरणों रखरखाव तथा आपूर्ति की सुविधा में मदद करेगा।
  • हिंद महासागर क्षेत्र: साझा सामरिक हित:
    • फ्राँस को अपनी औपनिवेशिक क्षेत्रीय संपत्ति जैसे- रीयूनियन द्वीप और हिंद महासागर के भारतीय क्षेत्र पर पड़ने वाले इसके प्रभावों की रक्षा करने की आवश्यकता है।
    • हाल ही में फ्राँस हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) का 23वाँ सदस्य बन गया है।
      • यह पहली बार है कि कोई ऐसा देश जिसकी मुख्य भूमि हिंद महासागर में नहीं है और उसे IORA की सदस्यता प्रदान की गई है।
    • आतंकवाद विरोधी: फ्राँस ने आतंकवाद पर वैश्विक सम्मेलन के लिये भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया। दोनों देश एक नए ‘नो मनी फॉर टेरर’ - फाइटिंग टेररिस्ट फाइनेंसिंग पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन का भी समर्थन करते हैं।
    • फ्राँस द्वारा भारत का समर्थन: फ्राँस भी कश्मीर को लेकर भारत का लगातार समर्थन कर रहा है जबकि पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों में हाल के दिनों में कमी देखी गई है और चीन का दृष्टिकोण संदेहास्पद रहा है।
  • द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंध:
    • भारत-फ्राँस प्रशासनिक आर्थिक और व्यापार समिति (India-France Administrative Economic and Trade Committee- AETC) द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश को और बढ़ावा देने के साथ-साथ आर्थिक ऑपरेटरों के लाभ के लिये बाजार पहुँच के मुद्दों के समाधान को गति देने के तरीकों का आकलन करने एवं खोजने हेतु एक उपयुक्त ढाँचा प्रदान करती है।
    • अप्रैल 2000 से जून 2022 तक 10.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश के साथ फ्राँस भारत में 11वाँ सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जो उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा प्रदान किये गए आँकड़ों के अनुसार भारत में कुल FDI प्रवाह का 1.70% है।।
    • फ्राँस के भारत को होने वाले कुल निर्यात में एयरोनॉटिक्स की हिस्सेदारी 50% है। भारत से फ्राँसीसी आयात में भी साल-दर-साल 39% (2019 की तुलना में 7%) की वृद्धि हुई है।
  • वैश्विक एजेंडा:
    • जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, नवीकरणीय ऊर्जा, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकी, आदि:
    • जलवायु परिवर्तन को सीमित करने और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को विकसित करने के लिये संयुक्त प्रयास किये गए हैं।
    • दोनों देश साइबर सुरक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकी पर एक रोड मैप पर सहमत हुए हैं।
  • अंतरिक्ष:
    • फ्राँस ने वर्ष 2025 के लिये निर्धारित भारत के वीनस मिशन का हिस्सा बनने पर सहमति व्यक्त की है।
    • ISRO के वीनस उपकरण, VIRAL (Venus Infrared Atmospheric Gases Linker) को रूसी और फ्राँसीसी एजेंसियों द्वारा सह-विकसित किया गया है।

आगे की राह:

  • फ्राँस, जिसने अमेरिका के साथ अपने गठबंधन के ढाँचे के भीतर रणनीतिक स्वायत्तता की मांग की थी और भारत, जिसने स्वतंत्र विदेश नीति को महत्त्व दिया है, अनिश्चित काल के लिये नए गठबंधन के निर्माण में स्वाभाविक भागीदार हैं।
  • फ्राँस वैश्विक मुद्दों पर यूरोप के साथ गहरे जुड़ाव का मार्ग भी खोलता है, विशेषकर ब्रेक्ज़िट (BREXIT) के कारण इस क्षेत्र में अनिश्चितता के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई।
  • यह संभावना व्यक्त की गई कि फ्राँस, जर्मनी और जापान जैसे अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ नई साझेदारी वैश्विक मंच पर भारत के प्रभाव के लिये कहीं अधिक परिणामी साबित होगी।

स्रोत: द हिंदू

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