आंतरिक सुरक्षा
लड़ाकू विमान: राफेल
- 31 Jul 2020
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प्रीलिम्स के लिये:राफेल लड़ाकू विमान, सुखोई-30 मेन्स के लिये:राफेल की विशेषताएँ और भारत के लिये सुरक्षा दृष्टि से इसका महत्त्व, भारतीय वायु सेना के समक्ष मौजूद चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 7000 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए पाँच राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) फ्रांँस से हरियाणा स्थित अंबाला एयर बेस (Ambala Air Base) पहुँचे हैं।
प्रमुख बिंदु:
- इन पाँच राफेल लड़ाकू विमानों के भारतीय वायु सेना में शामिल होने से उसकी युद्धक क्षमता में अतुलनीय बढ़ोतरी हुई है।
- फ्रांँस से भारत आए पाँच राफेल लड़ाकू विमानों को भारतीय वायु सेना के नंबर 17 ‘गोल्डन एरो स्क्वाड्रन’ (Golden Arrows Squadron) में शामिल किया जाएगा।
- 90 के दशक के अंत में रूस से सुखोई-30 (Sukhoi-30) के बाद से भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाला यह पहला आयातित लड़ाकू विमान है।
फ्राँस के साथ अंतर-सरकारी समझौता:
- सितंबर 2016 में भारत सरकार ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये फ्रांँस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
- ज्ञात हो कि सभी 36 राफेल लड़ाकू विमान वर्ष 2021 तक भारत पहुँच जाएँगे।
- साथ ही समझौते में यह भी तय किया गया था कि राफेल बनाने वाली फ्रांँस की डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) कंपनी भारतीय वायु सेना के पायलटों और सहायक कर्मियों को विमान और हथियार प्रणालियों पर पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करेगी।
क्या खास है राफेल में?
- वर्ष 2001 में प्रस्तुत किये गए राफेल (Rafale) फ्रांँस का डबल इंजन वाला और मल्टीरोल लड़ाकू विमान है, जिसे फ्रांँस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
- तमाम तरह के आधुनिक हथियारों से लैस राफेल लड़ाकू विमान में अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है और यह एक 4.5 जेनरेशन (4.5 Generation) वाला लड़ाकू विमान है।
- राफेल लड़ाकू विमान में मौजूद मीटीओर मिसाइल (Meteor Missile), SCALP क्रूज मिसाइल (Scalp Cruise Missile) और MICA मिसाइल प्रणाली (MICA Missile System) इसे सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण बनाती हैं।
- मीटीओर मिसाइल: यह हवा-से-हवा में मार करने वाली एक मिसाइल है, जो तकरीबन 150 किमी दूर से दुश्मन के विमानों को निशाना बना सकती है। इससे पहले की दुश्मन के विमान भारतीय विमानों के करीब पहुँचे, यह मिसाइल उनका विमानों को नष्ट कर सकती है।
- SCALP क्रूज मिसाइल: राफेल में लगी SCALP क्रूज मिसाइल प्रणाली हवा-से-ज़मीन पर हमला करने वाले मिसाइल प्रणाली है और यह तकरीबन 300 किलोमीटर दूर निशाना साधने में सक्षम है।
- MICA मिसाइल प्रणाली: राफेल में मौजूद यह मिसाइल प्रणाली एक बहुमुखी हवा-से-हवा में मार करने वाली प्रणाली है और इससे 100 किलोमीटर दूरी तक फायर किया जा सकता है। ध्यातव्य है कि यह मिसाइल प्रणाली पहले से ही भारतीय वायु सेना के मौजूद मिराज लड़ाकू विमान में कार्य कर रही है।
- भारतीय वायु सेना ने राफेल जेट के लिये अत्याधुनिक मध्यम दूरी की मॉड्यूलर एयर-टू-ग्राउंड हथियार प्रणाली हैमर (Hammer) की खरीदारी की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
- इस सटीक निशाना लगाने वाली मिसाइल प्रणाली को मूल रूप से फ्रांँस की वायु सेना और नौसेना के लिये डिज़ाइन किया गया था।
अन्य विशेषताएँ:
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भारत के लिये इसका महत्त्व
- वायु युद्धक क्षमता में बढ़ोतरी: विशेषज्ञों का मानना है कि राफेल लड़ाकू विमान ऐसे समय में भारत आए हैं, जब भारत चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के संबंधों में तनाव का सामना कर रहा है, ऐसे में ये लड़ाकू विमान भारत की वायु युद्धक
- क्षमता में कई गुना बढ़ोतरी करेंगे, साथ ही इनके आने से वायु सेना के मनोबल में भी काफी वृद्धि होगी।
- बेजोड़ क्षमता: भारतीय पड़ोसी देशों खासकर चीन और पाकिस्तान के बेड़े में मौजूद कोई भी लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना के इस विमान के साथ मुकाबला करने में सक्षम नहीं है और यह राफेल बीते कुछ वर्षों में अफगानिस्तान, लीबिया, इराक और सीरिया में हुए वायु युद्ध अभियानों में अपनी बेजोड़ क्षमताओं को साबित कर चुका है।
- भारत के अलावा मिस्र और कतर के पास भी यह लड़ाकू विमान मौजूद है।
- लगभग दो दशक तक भारतीय वायु सेना लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले हथियारों और अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली की कमी का सामना कर रही थी, इस प्रकार राफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना के लिये निर्णायक साबित होंगे।
- सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि राफेल लड़ाकू विमान खतरे की स्थिति में भारतीय वायु सीमा को पार किये बिना भी दुश्मन के लड़ाकू विमानों पर निशाना साध सकते हैं।
संबंधित चिंताएँ:
- ध्यातव्य है कि भारत और वायु सेना के लिये भले ही राफेल लड़ाकू विमान निर्णायक साबित हो, हालाँकि इसे भारतीय वायु सेना के समक्ष मौजूद चुनौतियों के एकमात्र हल के रूप में नहीं देखा जा सकता है।
- लड़ाकू विमानों की घटती संख्या भारतीय वायु सेना के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। वर्तमान में भारतीय वायु के बेड़े में लड़ाकू विमानों के कुल 30 स्क्वाड्रन शामिल हैं, जबकि भारतीय वायु के लिये प्राधिकृत स्क्वाड्रनों की कुल संख्या 42 है।
- एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2023 तक पाकिस्तान की वायु सेना के बेड़े में कुल 27 स्क्वाड्रन होंगे, जबकि चीन की वायु सेना के बेड़े में कुल 42 स्क्वाड्रन होंगे, यह स्थिति भारतीय सुरक्षा की दृष्टि से काफी चिंताजनक हो सकती है।
- ऐसे में आवश्यक है कि नीति निर्माता जल्द-से-जल्द भारतीय वायु सेना की प्राधिकृत क्षमता में विस्तार कर ध्यान केंद्रित करें।
- बीते कई वर्षों में भारतीय वायु सेना में मौजूद स्क्वाड्रनों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है और विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले समय में भी यह कमी जारी रहेगी।
- गौरतलब है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारतीय वायु सेना में मौजूद रूस के पुराने मिग (MiG) विमानों के पाँच स्क्वाड्रन डीकमीशन (Decommission) हो रहे हैं।
निष्कर्ष:
गौरतलब है कि राफेल लड़ाकू विमान भारत की सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण हैं और इनमें भारत के रक्षा क्षेत्र को भी बढ़ावा देने की क्षमता मौजूद है, अतः आवश्यक है कि भारत और फ्रांँस के बीच रक्षा क्षेत्र से संबंधित निरंतर संवाद के लिये एक तंत्र स्थापित किया जाए और सामरिक संबंधों को मज़बूत करने के साथ-साथ रक्षा संबंधों को मज़बूत करने पर भी ध्यान दिया जाए। इसके अलावा भारत सरकार और शीर्ष सैन्य अधिकारियों को भारतीय वायु सेना समेत भारत की तीनों सेनाओं के समक्ष मौजूद चुनौतियों को जल्द-से-जल्द हल करने का प्रयास करना चाहिये, ताकि भारतीय सेनाओं को और मज़बूत बनाया जा सके और सेना में कार्यरत जवानों को प्रोत्साहन मिल सके।