बायोडायवर्सिटी क्रेडिट
प्रिलिम्स के लिये:बायोडायवर्सिटी क्रेडिट, कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (KMGBF), UNCCD में पार्टियों का 15वाँ सम्मेलन (CoP15), बायोडायवर्सिटी क्रेडिट एलायंस मेन्स के लिये:जैवविविधता क्रेडिट, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (KMGBF) के तहत निर्धारित विभिन्न लक्ष्यों पर वित्तपोषण के रूप में बायोडायवर्सिटी क्रेडिट अथवा बायोक्रेडिट को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
- जैवविविधता अभिसमय (CBD) पर पक्षकारों के सम्मेलन (CoP15) की 15वीं बैठक में स्थापित किया गया KMGBF, जैवविविधता संरक्षण, सतत् उपयोग एवं न्यायसंगत लाभ साझाकरण के लिये महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करता है।
बायोडायवर्सिटी क्रेडिट क्या है?
- परिचय:
- बायोडायवर्सिटी क्रेडिट एक वित्तीय साधन है जिसे जैवविविधता-समृद्ध क्षेत्रों के संरक्षण, पुनर्स्थापन तथा सतत् उपयोग के लिये धन जुटाने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- ये कार्बन क्रेडिट के समान ही कार्य करते हैं किंतु नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के स्थान पर इनका उपयोग विशेष रूप से जैवविविधता संरक्षण पर केंद्रित है।
- बायोडायवर्सिटी क्रेडिट का मुख्य उद्देश्य CBD के तहत KMGBF जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों द्वारा उल्लिखित जैवविविधता के संरक्षण तथा पुनर्स्थापन के लक्ष्यों के अनुरूप पहल के लिये निजी निवेश को आकर्षित करना है।
- बायोडायवर्सिटी क्रेडिट एलायंस:
- बायोक्रेडिट को प्रोत्साहन देने के लिये CBD के CoP15 में बायोडायवर्सिटी क्रेडिट एलायंस लॉन्च किया गया था।
- वर्ष 2023 तक विभिन्न मंचों के माध्यम से इन्हें प्रोत्साहन देने का प्रयास किया गया। दिसंबर 2023 में दुबई में आयोजित UNFCCC के CoP28 में इससे संबंधित गहन चर्चा की गई।
- इसका उद्देश्य सरकारी निकायों, गैर-लाभकारी संस्थाओं तथा निजी उद्यमों सहित विभिन्न हितधारकों के बीच समर्थन जुटाना एवं जागरूकता फैलाना है।
- क्रियान्वयन एवं पहल:
- महासागर संरक्षण प्रतिबद्धताएँ (OCC): महासागर संरक्षण प्रतिबद्धताओं (Ocean Conservation Commitments- OCC) को सितंबर 2023 में न्यूए (Niue) के मोआना महू संरक्षित समुद्री क्षेत्र (127,000 वर्ग किलोमीटर) के लिये लॉन्च किया गया था।
- OCC इच्छुक खरीदारों द्वारा खरीद के लिये उपलब्ध हैं जिसमें प्रत्येक OCC 20 वर्षों के लिये संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है।
- 148 अमेरिकी डॉलर प्रति OCC की कीमत पर, इन प्रतिबद्धताओं ने ब्लू नेचर एलायंस, कंज़र्वेशन इंटरनेशनल तथा निजी दानदाताओं जैसे गैर-सरकारी संगठनों से निवेश जुटाने का सफल कार्य किया है।
- वालेसिया ट्रस्ट: जैवविविधता तथा जलवायु अनुसंधान पर केंद्रित यूनाइटेड किंगडम स्थित इस संगठन ने जैवविविधता क्रेडिट के लिये 5 मिलियन की पर्याप्त वित्तीय राशि उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई है। इसकी भागीदारी संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने के लिये जैवविविधता क्रेडिट का उपयोग करने में अनुसंधान-उन्मुख संस्थाओं की रुचि का संकेत देती है।
- महासागर संरक्षण प्रतिबद्धताएँ (OCC): महासागर संरक्षण प्रतिबद्धताओं (Ocean Conservation Commitments- OCC) को सितंबर 2023 में न्यूए (Niue) के मोआना महू संरक्षित समुद्री क्षेत्र (127,000 वर्ग किलोमीटर) के लिये लॉन्च किया गया था।
- चुनौतियाँ और अनिश्चितताएँ:
- पर्याप्त क्षमता के बावजूद, जैवविविधता क्रेडिट की सफलता निश्चित नहीं है। इसके समक्ष चुनौतियों में नियामक ढाँचे, मूल्य निर्धारण संरचनाएँ शामिल हैं जो खरीदारों तथा विक्रेताओं दोनों के लिये निष्पक्षता तथा यह सुनिश्चित करती हैं कि ये तंत्र वास्तव में कॉर्पोरेट हितों के स्थान पर जैवविविधता संरक्षण के लिये कार्य करते हैं।
जैवविविधता संरक्षण से संबंधित पहल क्या हैं?
- भारतीय पहल:
- वैश्विक:
आगे की राह
- जैवविविधता क्रेडिट की अवधारणा कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) में उल्लिखित जैवविविधता संरक्षण के लिये आवश्यक वित्तीय अंतर को कम करती है। हालाँकि विनियमन, वास्तविक संरक्षण प्रभाव एवं जैवविविधता लक्ष्यों के साथ संरेखण के बारे में महत्त्वपूर्ण विचार सतर्क और सावधानीपूर्वक कार्यान्वयन की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
- यह तुरंत पता लगाना महत्त्वपूर्ण है कि उन्हें कैसे विनियमित किया जाना चाहिये और उनकी निगरानी किस प्रकार की जानी चाहिये। यह सुनिश्चित करना होगा कि वस्तु के मूल्य का निर्धारण विक्रेताओं के साथ-साथ खरीदारों के लिये भी उचित हो।
- ब्रिटेन और फ्राँसीसी सरकारें उच्च-अखंडता जैवविविधता क्रेडिट बाज़ार के लिये एक रोडमैप तैयार करने में अग्रणी हैं।
- इस बात को ध्यान में रखते हुए यह कठिन होगा क्योंकि अधिकांश बायोक्रेडिट समर्थक वाणिज्यिक क्षेत्र से हैं और जैवविविधता के बजाय जैवविविधता विनाश को किर्यांवित करने वाली फर्मों के हितों की रक्षा करने के इच्छुक हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
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वर्ष 2024 में अंतरिक्ष मिशन
प्रिलिम्स के लिये:2024 में अंतरिक्ष मिशन, NASA का OSIRIS-REx मिशन, NASA की आर्टेमिस कार्यक्रम, भारत का चंद्रयान- 3 मिशन। मेन्स के लिये:वर्ष 2024 में अंतरिक्ष मिशन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
NASA के OSIRIS-REx मिशन द्वारा एक क्षुद्रग्रह का सैंपल लाने तथा भारत के चंद्रयान -3 मिशन के साथ, वर्ष 2023 अंतरिक्ष अभियानों के लिये एक महत्त्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ एवं वर्ष 2024 अंतरिक्ष अन्वेषण के लिये एक और रोमांचक वर्ष होने जा रहा है।
- NASA की आर्टेमिस कार्यक्रम और कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज़ पहल के तहत कई नए मिशन चंद्रमा के लिये लक्षित होंगे।
वर्ष 2024 के लिये योजनाबद्ध अंतरिक्ष मिशन क्या हैं?
- यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper):
- NASA मिशन यूरोपा क्लिपर लॉन्च करेगा, जो बृहस्पति के सबसे बड़े चंद्रमाओं/ उपग्रहों में से एक, यूरोपा (Europa) का पता लगाएगा।
- यूरोपा पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा छोटा है, इसकी सतह बर्फ से बनी है। अपने बर्फीले आवरण के अंदर, यूरोपा में खारे जल का महासागर होने की संभावना है, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसमें पृथ्वी पर सभी महासागरों की तुलना में दोगुना जल है।
- यूरोपा क्लिपर के साथ, वैज्ञानिक यह अन्वेषण करना चाहते हैं कि क्या यूरोपा का महासागर परग्रहीय जीवन (Extraterrestrial Life) के लिये उपयुक्त निवास स्थान हो सकता है।
- इस मिशन के अंतर्गत उपग्रह के हिम आवरण, इसकी सतह के भू-विज्ञान और इसके उपसतही महासागर का अध्ययन करने के लिये यूरोपा के पास से लगभग 50 बार उड़ान भरने की योजना पर विचार किया गया है।
- मिशन यूरोपा पर मौजूद सक्रिय गीज़र/उष्णोत्स (Geyser) का भी पता लगाएगा।
- NASA मिशन यूरोपा क्लिपर लॉन्च करेगा, जो बृहस्पति के सबसे बड़े चंद्रमाओं/ उपग्रहों में से एक, यूरोपा (Europa) का पता लगाएगा।
- आर्टेमिस II लॉन्च:
- नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा– आर्टेमिस II, वर्ष 1972 से चंद्रमा की परिक्रमा करने के लिये तैयार एक मानवयुक्त चंद्र मिशन है जिसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर अन्य बिंदुओं पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है।
- आर्टेमिस कार्यक्रम का नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं में अपोलो की जुड़वाँ बहन के नाम पर रखा गया है।
- 10-दिवसीय यात्रा की योजना वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य चंद्रमा पर प्रणालियों की निरंतर उपस्थिति को प्रमाणित करना है।
- आर्टेमिस I की सफलता के अनुवर्ती इस महत्त्वपूर्ण मिशन, जिसमें पहली अश्वेत महिला अंतरिक्षयात्री शामिल हैं, ने वर्ष 2022 के अंत में एक मानव रहित लूनर कैप्सूल का परीक्षण किया है।
- आर्टेमिस II, विस्तारित अंतरिक्ष प्रवासन की तैयारियों और मंगल ग्रह पर आगामी मिशनों की आधारशिला के रूप में चंद्र अन्वेषण के लिये NASA की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा– आर्टेमिस II, वर्ष 1972 से चंद्रमा की परिक्रमा करने के लिये तैयार एक मानवयुक्त चंद्र मिशन है जिसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर अन्य बिंदुओं पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है।
- VIPER द्वारा चंद्रमा पर जल की खोज:
- वोलेटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर (VIPER), एक गोल्फ कार्ट के आकार का रोबोट है जिसका उपयोग NASA द्वारा वर्ष 2024 के अंत में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पता लगाने के लिये किया जाएगा।
- इस रोबोटिक मिशन को वाष्पशील पदार्थों की खोज करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, ये ऐसे अणु हैं जो उपग्रह के तापमान पर जल और कार्बन डाइऑक्साइड की तरह आसानी से वाष्पीकृत सकते हैं।
- ये पदार्थ चंद्रमा पर भविष्य में मानव अन्वेषण के लिये आवश्यक संसाधन प्रदान कर सकते हैं।
- VIPER रोबोट अपने 100-दिवसीय मिशन के दौरान बैटरी, हीट पाइप और रेडिएटर्स पर निर्भर रहेगा, क्योंकि यह चंद्रमा पर दिन के दौरान धूप की अत्यधिक गर्मी (जब तापमान 224℉ (107 ℃) तक होता है) से लेकर चंद्रमा के ठंडे क्षेत्रों तक (जहाँ तापमान -240℃ तक चला जाता है) सब कुछ नेविगेट करता है।
- लूनर ट्रेलब्लेज़र और प्राइम-1 मिशन:
- नासा ने हाल ही में SIMPLEx नामक छोटे, कम लागत वाले ग्रहीय मिशनों की एक श्रेणी में निवेश किया है, जो ग्रहों की खोज के लिये छोटे, नवोन्वेषी मिशन है।
- ये मिशन राइडशेयर या सेकेंडरी पेलोड के रूप में अन्य मिशनों के साथ लॉन्च करके धन की बचत करते हैं।
- एक उदाहरण लूनर ट्रेलब्लेज़र है, जो VIPER की तरह चंद्रमा पर पानी की खोज करेगा।
- लेकिन जब VIPER चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, तो दक्षिणी ध्रुव के निकट एक विशिष्ट क्षेत्र का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेगा।
- साथ ही लूनर ट्रेलब्लेज़र चंद्रमा की परिक्रमा करेगा, सतह के तापमान को मापेगा और विश्वभर में पानी के अणुओं के स्थानों का मानचित्रण करेगा।
- लूनर ट्रेलब्लेज़र को लॉन्च करने का समय प्राथमिक पेलोड की लॉन्च तैयारी पर निर्भर करता है।
- PRIME-1 मिशन वर्ष 2024 के मध्य में लॉन्च होने वाला है,जो कि एक लूनर ट्रेलब्लेज़र राइड है। PRIME-1 चंद्रमा में ड्रिल करेगा, यह उस प्रकार की ड्रिल का परीक्षण है जिसका उपयोग VIPER द्वारा किया जाएगा।
- नासा ने हाल ही में SIMPLEx नामक छोटे, कम लागत वाले ग्रहीय मिशनों की एक श्रेणी में निवेश किया है, जो ग्रहों की खोज के लिये छोटे, नवोन्वेषी मिशन है।
- JAXA का मंगल ग्रह का चंद्रमा अन्वेषण मिशन:
- JAXA MMX मिशन, मंगल ग्रह के चंद्रमाओं/उपग्रहों -फोबोस और डेमोस की अवधारणा का अध्ययन करने के लिये है।
- यह जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (Japanese Aerospace Exploration Agency), या JAXA, का मार्टियन मून एक्सप्लोरेशन, या MMX नामक एक रोबोटिक मिशन है, जिसे सितंबर 2024 के आसपास लॉन्च करने की योजना है।
- इस मिशन का मुख्य वैज्ञानिक उद्देश्य मंगल के उपग्रहों की उत्पत्ति का निर्धारण करना है।
- वैज्ञानिक इस बात पर निश्चित नहीं हैं कि फोबोस और डेमोस पूर्व क्षुद्रग्रह हैं जो मंगल के गुरुत्त्वाकर्षण द्वारा आकर्षित पिंडों से निर्मित हुए हैं या वे पहले से ही मंगल की कक्षा में मौजूद पिंडों से विकसित हुए थे।
- अंतरिक्ष यान फोबोस और डेमोस का निरीक्षण करने के लिये वैज्ञानिक संचालन करते हुए मंगल ग्रह के चारों ओर तीन वर्ष तक स्थित रहेगा। MMX फोबोस की सतह पर भी उतरेगा और पृथ्वी पर लौटने से पहले एक नमूना एकत्र करेगा।
- ESA का हेरा मिशन:
- यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency- ESA) का डिडिमोस-डिमोर्फोस क्षुद्रग्रह प्रणाली पर लौटने का एक मिशन है, जिसका नासा के DART मिशन ने 2022 में दौरा किया था।
- लेकिन DART सिर्फ इन क्षुद्रग्रहों के पास से नहीं गुजरा; इसने "गतिज प्रभाव (kinetic impact)" नामक ग्रह रक्षा तकनीक का परीक्षण करने के लिये उनमें से एक को नष्ट कर दिया।
- DART ने बलपूर्वक डिमोर्फोस पर प्रहार किया और उसने अपनी कक्षा बदल दी।
- गतिज प्रभाव तकनीक(kinetic impact technique) अपने पथ को बदलने के लिये किसी वस्तु को नष्ट कर देती है। यह तब उपयोगी साबित हो सकता है जब मानव को कभी भी पृथ्वी के साथ टकराव के रास्ते पर एक संभावित खतरनाक वस्तु मिलती है और उसे पुनर्निर्देशित करने की आवश्यकता होती है।
- हेरा अक्टूबर 2024 में लॉन्च होगा और 2026 के अंत में डिडिमोस व डिमोर्फोस तक पहुँचेगा, जहाँ यह क्षुद्रग्रहों के भौतिक गुणों का अध्ययन करेगा।
- यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency- ESA) का डिडिमोस-डिमोर्फोस क्षुद्रग्रह प्रणाली पर लौटने का एक मिशन है, जिसका नासा के DART मिशन ने 2022 में दौरा किया था।
2024 के लिये ISRO के अंतरिक्ष मिशन क्या हैं?
- XPoSat के साथ PSLV-C58:
- XPoSat, भारत का पहला एक्स-रे ध्रुवणमापी उपग्रह (Polarimeter Satellite), जनवरी 2023 में पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C58) द्वारा लॉन्च किया गया था।
- इस मिशन का उद्देश्य पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बायनेरिज़ तथा अन्य खगोलीय पिंडों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ब्रह्मांड में तीव्र एक्स-रे स्रोतों के ध्रुवीकरण की जाँच करना है।
- NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR):
- NASA तथा ISRO के बीच एक सहयोगी मिशन, NISAR, एक द्विक आवृत्ति सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह है जिसे रिमोट सेंसिंग के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो पारिस्थितिक तंत्र, हिम द्रव्यमान, वनस्पति बायोमास तथा प्राकृतिक खतरों सहित विभिन्न पृथ्वी प्रणालियों में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- गगनयान 1:
- गगनयान 1 मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- चालक दल के तीन सदस्यों वाली यह परीक्षण उड़ान, मानवयुक्त अंतरिक्ष अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त करने के लिये ISRO तथा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
- मंगलयान-2 (MOM 2):
- मंगलयान-2 अथवा मंगल कक्षित्र मिशन -2 (Mars Orbiter Mission- MOM 2), ISRO के सफल मंगल मिशन की महत्त्वाकांक्षी अगली शृंखला है।
- मंगल की सतह, वायुमंडल तथा जलवायु परिस्थितियों का अध्ययन करने के उद्देश्य से इस मिशन के तहत कक्षित्र/ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान को हाइपरस्पेक्ट्रल कैमरा, मैग्नेटोमीटर तथा रडार सहित उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों से लैस किया जाएगा।
- MOM 2 ग्रहों की खोज में भारत की बढ़ती क्षमता का प्रमाण है।
- शुक्रयान-1:
- वीनस ऑर्बिटर मिशन के तहत ISRO ने शुक्रयान-1 लॉन्च करने की योजना बनाई है, जो पाँच वर्ष के लिये शुक्र ग्रह का अध्ययन करने वाला अंतरिक्ष यान है।
- इसका उद्देश्य शुक्र के वातावरण का अध्ययन करना है, जो सूर्य के समीप स्थित ग्रह के रहस्यों की खोज में भारत का पहला प्रयास है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न . अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" (Bhuvan) क्या है? (वर्ष 2010) (A) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह Ans: (C) मेन्स:प्रश्न. भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिये। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को प्रस्तुत कीजिये और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के ‘आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केंद्र’ की उस भूमिका का वर्णन कीजिये जिसने श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण में योगदान दिया है। (2023) प्रश्न. भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा? (2019) प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की? (2016) |
विदेश में जेल में बंद भारतीयों का मुद्दा
प्रिलिम्स के लिये:विदेश में जेल में बंद भारतीयों का मुद्दा, अनिवासी भारतीय, स्थानीय विदेश कार्यालय, कल्याण और कांसुलर सहायता मेन्स के लिये:विदेश में जेल में बंद भारतीयों का मुद्दा, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह, भारत और इसके हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
विश्व भर में सबसे अधिक भारतीय प्रवासी नागरिक होने के कारण, 9,500 से अधिक भारतीय वर्तमान में विदेशों की जेलों में हैं।
- मध्य पूर्व की जेलों में प्रत्येक पाँच में से तीन भारतीय जेल में हैं तथा इस क्षेत्र की जेलों में भारतीय कैदियों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी कतर में है।
नोट: विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs- MEA) के अनुसार, 1.3 करोड़ से अधिक अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indians- NRI), 1.8 करोड़ से अधिक भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) तथा 3.2 करोड़ से अधिक प्रवासी भारतीय 210 देशों में रहते हैं।
विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में कैद भारतीय:
- विदेश में जेल में बंद कुल भारतीय:
- जिन 210 देशों में भारतीय प्रवासी समुदाय रहते हैं उनमें से 89 देशों की जेलों में 9,521 भारतीय बंद हैं।
- मध्य पूर्व:
- 62% से अधिक लोग मध्य पूर्व की जेलों में हैं एवं उसके बाद एशिया का स्थान आता है।
- सबसे अधिक संख्या में भारतीय कैदी– 2,200, सऊदी अरब में बंद हैं जिसके बाद संयुक्त अरब अमीरात का स्थान है।
- कतर में 752 भारतीय कैदी हैं तथा इसके बाद कुवैत, बहरीन और ओमान का स्थान है।
- एशिया:
- एशिया में कुल 1,227 कैदियों में से 23% से अधिक कैदी नेपाल में हैं, इसके बाद मलेशिया, पाकिस्तान, चीन, सिंगापुर, भूटान एवं बांग्लादेश हैं।
- यूरोप:
- यूरोप में अधिकांश भारतीय कैदी (278) यूनाइटेड किंगडम की जेलों में हैं, इसके बाद इटली, जर्मनी, फ्राँस एवं स्पेन का स्थान है।
क्या होता है जब किसी भारतीय को विदेश में कैद कर लिया जाता है?
- निगरानी करना:
- विदेश मंत्रालय की मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, विदेशों में भारतीय मिशन और केंद्र स्थानीय कानूनों के कथित उल्लंघन के लिये भारतीय नागरिकों को जेल भेजे जाने की घटनाओं पर बारीकी से नज़र रखते हैं।
- जैसे ही मिशन या पोस्ट को किसी भारतीय नागरिक की हिरासत या गिरफ्तारी के बारे में जानकारी मिलती है, वह ऐसे व्यक्तियों तक कांसुलर पहुँच प्राप्त करने के लिये स्थानीय विदेश कार्यालय और अन्य स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करता है।
- कल्याण और कांसुलर सहायता सुनिश्चित करना:
- विदेश मंत्रालय के अधिकारी मामले के तथ्यों का पता लगाते हैं, भारतीय राष्ट्रीयता की पुष्टि करते हैं और विभिन्न तरीकों से ऐसे व्यक्तियों का कल्याण सुनिश्चित करना, जैसे कि हर संभव कांसुलर सहायता प्रदान करना, जहाँ भी आवश्यक हो, कानूनी सहायता प्रदान करने में मदद करना तथा न्यायिक कार्यवाही को जल्द-से-जल्द पूरा करने के लिये स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों से संपर्क करना।
विदेश में कैदियों को सहायता प्रदान करने हेतु सरकारी कदम क्या हैं?
- कानूनी सहयोग:
- भारतीय मिशन और पोस्ट उन देशों में वकीलों का एक स्थानीय पैनल बनाए रखते हैं जहाँ भारतीय समुदाय बड़ी संख्या में रहते हैं।
- दूतावास द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के लिये कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
- भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF) की स्थापना विदेशों में मिशनों और केंद्रों पर संकट की स्थिति में प्रवासी भारतीय नागरिकों की सहायता के लिये की गई है।
- ICWF के तहत दिये जाने वाले समर्थन में कानूनी सहायता के लिये वित्तीय सहायता के साथ-साथ स्वदेश वापसी के दौरान यात्रा दस्तावेज़ और हवाई टिकट भी शामिल हैं।
- भारतीय नागरिकों की स्वदेश वापसी:
- सरकार विभिन्न देशों के साथ कांसुलर और अन्य परामर्शों के दौरान विदेशी जेलों में बंद भारतीय नागरिकों की रिहाई तथा स्वदेश वापसी के मुद्दे पर कार्रवाई करती है।
- क्षमा और जेल की सज़ा में कमी:
- कुछ देश समय-समय पर विभिन्न राष्ट्रीयताओं के कैदियों को माफी देते हैं या उनकी सज़ा कम करते हैं, लेकिन संबंधित देशों के साथ डेटा साझा नहीं करते हैं।
- वर्ष 2014 के बाद से विभिन्न चैनलों के माध्यम से भारत सरकार के प्रयासों के कारण 4,597 भारतीय नागरिकों को विदेशी सरकारों द्वारा माफी या उनकी सज़ा में कमी मिली है।
- कुछ देश समय-समय पर विभिन्न राष्ट्रीयताओं के कैदियों को माफी देते हैं या उनकी सज़ा कम करते हैं, लेकिन संबंधित देशों के साथ डेटा साझा नहीं करते हैं।
- सज़ायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण (TSP) पर समझौते:
- भारत ने 31 देशों के साथ TSP पर समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसके तहत विदेशों में बंद भारतीय कैदियों को उनकी शेष सज़ा काटने के लिये भारत में स्थानांतरित किया जा सकता है और इसके विपरीत भी।
- इनमें ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, बोस्निया और हर्जेगोविना, ब्राज़ील, बुल्गारिया, कंबोडिया, मिस्र, एस्टोनिया, फ्राँस, हाॅन्गकाॅन्ग, ईरान, इज़रायल, इटली, कज़ाखस्तान, कोरिया, कुवैत, मालदीव, मॉरीशस, मंगोलिया, कतर, रूस, सऊदी अरब, सोमालिया, स्पेन, श्रीलंका, थाईलैंड, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम शामिल हैं।
- भारत ने सज़ायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण पर दो बहुपक्षीय सम्मेलनों पर भी हस्ताक्षर किये हैं, विदेश में आपराधिक सज़ा काटने पर अंतर-अमेरिकी कन्वेंशन और सज़ा पाए व्यक्तियों के स्थानांतरण पर यूरोप काउंसिल कन्वेंशन, जिसके तहत सदस्य राज्यों तथा अन्य देशों के सज़ायाफ्ता व्यक्ति, जो इनमें शामिल हो गए हैं, कैदियों के स्थानांतरण की मांग कर सकते हैं।
- वर्ष 2006 से जनवरी 2022 तक, 86 कैदियों को TSP के तहत स्थानांतरित किया गया, इनमें 75 कैद भारतीयों को भारत में स्थानांतरित किया गया और 11 विदेशी कैदियों को उनके संबंधित देशों में स्थानांतरित किया गया।
- भारत ने 31 देशों के साथ TSP पर समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसके तहत विदेशों में बंद भारतीय कैदियों को उनकी शेष सज़ा काटने के लिये भारत में स्थानांतरित किया जा सकता है और इसके विपरीत भी।
आगे की राह
- जेल में बंद कैदियों को नियमित और व्यापक कौंसल-संबंधी सहायता प्रदान करने के लिये विदेशों में भारतीय मिशनों के संसाधनों तथा क्षमताओं को मज़बूत किया जाना चाहिये।
- संभवतः आउटरीच कार्यक्रमों या सूचना अभियानों के माध्यम से, उन देशों में स्थानीय कानूनों और रीति-रिवाज़ों के बारे में भारतीय प्रवासियों के बीच जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।
- कैदियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया को सरल बनाने और विदेशी जेलों में भारतीय लोगों के लिये उचित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिये अन्य देशों के साथ राजनीतिक प्रयासों तथा समझौतों को बढ़ाना आवश्यक है।
- विदेश में कैद भारतीय नागरिकों से संबंधित नीतियों की लगातार समीक्षा और अद्यतन करना, सहज प्रत्यावर्तन या सज़ा हस्तांतरण(smoother repatriation or sentence transfers) की सुविधा के लिये संभावित रूप से मौजूदा समझौतों में संशोधन करना।