डेली न्यूज़ (01 Jun, 2022)



विश्व तंबाकू निषेध दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य 

चर्चा में क्यों? 

तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रत्येक वर्ष 31 मई को 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 

  • विश्व तंबाकू निषेध दिवस कीघोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य राष्ट्रों द्वारा वर्ष 1987 में की गई ताकि तंबाकू महामारी से होने वाली मृत्यु तथा बीमारियों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया जा सके। 
    • वर्ष 1988 में संकल्प WHA 42.19 पारित कर प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था।

मुख्य विषय: 

  • विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2022 की थीम "पर्यावरण की रक्षा" है।
    • WHO के अनुसार, "पर्यावरण पर तंबाकू उद्योग का हानिकारक प्रभाव व्यापक रूप से बढ़ रहा है, जिससे हमारे ग्रह पर “दुर्लभ संसाधनों और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र” पर पहले से ही उपस्थित दबाव में अनावश्यक वृद्धि हो रही है।"
  • WHO प्रत्येक वर्ष तंबाकू के उपयोग को रोकने के लिये सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों द्वारा किये गए प्रयासों और योगदान के लिये उन्हें सम्मानित करता है।
    • इस वर्ष WHO ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस (WNTD) पुरस्कार-2022 के लिये झारखंड का चयन किया है।

तंबाकू के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव: 

  • तंबाकू की लत को दुनिया भर में रोके जा सकने वाली मौतों और विकलांगता का सबसे बड़ा कारण माना गया है।
  • तंबाकू के सेवन से हर वर्ष लाखों लोगों की मौत होती है।
    • भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 35 मिलियन मौतें तंबाकू के सेवन की वजह से होती हैं और यह तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं उत्पादक देश भी है।
    • विश्व स्तर पर प्रत्येक वर्ष लगभग 80 लाख लोगों की मृत्यु तंबाकू के सेवन से होती है, जिनमें5 लाख भारतीय शामिल हैं।
  • धूम्रपान कैंसर, दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (COPD) और पेरिफेरल वैस्कुलरडिज़ीज़ (PVD) से मौत का कारण बनता है।
  • विश्व में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। महिलाओं को अतिरिक्त खतरों का सामना करना पड़ता है जैसे- प्रतिकूल गर्भावस्था के परिणाम, महिला विशिष्ट कैंसर जैसे- स्तन, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और हृदय संबंधी जोखिम में वृद्धि आदि।
  • यदि निरंतर और प्रभावी पहलों को लागू नहीं किया जाता है तो महिला धूम्रपान की व्यापकता वर्ष 2025 तक 20% तक बढ़ने की संभावना है।

 तंबाकू का पर्यावरण पर पड़ने वाला दुष्प्रभाव:  

  • ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन: तंबाकू से एक वर्ष में 84 मेगा टन से अधिक ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है।
  • मृदा और जल संदूषण: सिगरेट के बट्स व एकल उपयोग वाले जैव अनिम्नकरणीय पाउच और ई-सिगरेट के माइक्रोप्लास्टिक द्वारा मृदा में विषाक्त पदार्थों के मिश्रण के कारण यह मृदा एवं जल को दूषित करता है।
  • सिगरेट बनाने के लिये जल की बहुत अधिक मात्रा का उपयोग किया जाता है फलस्वरूप यह अत्यधिक जल का दोहन करता है।

भारत के संदर्भ में आँकड़े: 

  • 29 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों चंडीगढ़व पुद्दुचेरी में किये गए ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (2010) ने पुरुषों के बीच गिरावट की प्रवृत्ति और 2005-09 के दौरान महिला धूम्रपान की समग्र बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाया है। 
    • महिलाओं के बीच बढ़ती व्ययक्षमता और वैश्वीकरण तथा आर्थिक संक्रमण के कारण सामाजिक एवं सांस्कृतिक बाधाओं के कमज़ोर होने को इस खतरनाक प्रवृत्ति के कुछ प्रमुख कारणों के रूप में देखा जा सकता है। 

तंबाकू की खपत को रोकने के लिये प्रमुख पहल: 

  • तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ ढाँचागत संधि (FCTC): यह WHO के तत्त्वावधान में की गई पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि है। 
    • इसे 21 मई, 2003 को विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) द्वारा स्वीकार किया गया और 27 फरवरी, 2005 को लागू हुई।
    • तंबाकू के उपयोग से निपटने के लिये FCTC द्वारा अपनाए गए उपाय:
      • मूल्य और कर उपाय
      • तंबाकू के पैकेट पर बड़े-बड़े शब्दों मेंमुद्रित चेतावनियाँ  
      • 100% धूम्रपान मुक्त सार्वजनिक स्थान
      • तंबाकू के विपणन पर प्रतिबंध
      • धूम्रपान छोड़ने के इच्छुक लोगों की सहायता 
      • तंबाकू उद्योगों द्वारा  हस्तक्षेप की रोकथाम 
    • WHO ने MPOWER की शुरुआत की है जो तकनीकी उपायों और संसाधनों का एक संयोजित व संयुक्त प्रयास करता है, जिनमें से प्रत्येक WHO के FCTC कार्यक्रम केकम-से-कम एक प्रावधान से मेल खाता है 
  • राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP): भारत सरकार ने वर्ष 2007 मेंनिम्नलिखित उद्देश्यों के साथ राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की  शुरुआत  की: 
    • तंबाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना।
    • तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और आपूर्ति को कम करना।
    • "सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध, व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003" (COTPA) केप्रावधानों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना। 
    • तंबाकूको छोड़ने में लोगों की सहायता करना 
    • WHO की ढाँचागत संधि द्वारा अनुशंसित तंबाकू की रोकथाम और नियंत्रण के लिये रणनीतियों के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करना।

आगे की राह 

  • लोगों में जागरूकता बढ़ाना एवं तंबाकू उत्पादों पर उच्च कराधान
  • विज्ञापनों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूपों पर प्रतिबंध
  • तंबाकू छोड़ने के इच्छुक लोगों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करना। 
  • पर्यावरण की क्षति के लियेतंबाकू कंपनियों पर दंड लगानाा। 
  • तंबाकू किसानों को स्थायी और वैकल्पिक फसलों में स्थानांतरित करने के लिये प्रोत्साहित करना तथा उनका समर्थन करनाा।
  • स्कूल स्तर से स्वास्थ्य शिक्षा, धूम्रपान करने वालों की कैंसर की जाँच और धूम्रपान छोड़ने वालों के लियेकैंसर के शीघ्र उपाय प्रदान करना। 

स्रोत: द हिंदू 


भारत ड्रोन महोत्सव 2022

प्रिलिम्स के लिये:

भारत ड्रोन महोत्सव 2022, ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग, ड्रोन नियम 2021, ड्रोन के लिये पीआईएल योजना, ड्रोन शक्ति योजना, स्वामित्व योजना, आई-ड्रोन 

मेन्स के लिये:

ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल 

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा भारत के सबसे बड़े ड्रोन महोत्सव- भारत ड्रोन महोत्सव 2022 का उद्घाटन नई दिल्ली में किया गया। 

  • ड्रोन पायलट सर्टिफिकेट का वर्चुअल अवार्ड, पैनल डिस्कशन, उत्पाद लॉन्च, 'मेड इन इंडिया' ड्रोन टैक्सी प्रोटोटाइप का प्रदर्शन, उड़ान प्रदर्शन इस महोत्सव के अन्य प्रमुख कार्यक्रम थे। 

ड्रोन

  • ड्रोन मानव रहित विमान (UA) के लिये उपयोग में लाया जाने वाला एक आम शब्द है। 
  • मूल रूप से सैन्य और एयरोस्पेस उद्योगों के लिये विकसित किये गए ड्रोन ने सुरक्षा एवं दक्षता के बढ़ते स्तर के कारण खुद को मुख्यधारा में स्थापित कर लिया है। 
  • एक ड्रोन को दूर से संचालित ( मानव द्वारा नियंत्रित ) किया जा सकता हैै, जिसका अर्थ है कि यह अपनी गति की गणना करने के लिये सेंसर और LIDAR डिटेक्टरों की  प्रणाली पर निर्भर है। 

ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग: 

  • कृषि: ड्रोन की मदद से कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों का छिड़काव किया जा सकता है 
    • इसका उपयोग कृषकों के समक्ष आने वाली चुनौतियों की पहचान के लिये सर्वेक्षण में भी किया जा सकता है। 
  • रक्षा: ड्रोन सिस्टम को आतंकवादी हमलों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। 
    • ड्रोन को राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र प्रणाली में एकीकृत किया जा सकता है। 
    • ड्रोन को युद्ध में तैनात किया जा सकता है, दूरदराज़ के इलाकों में संचार स्थापित करने  एवं  काउंटर-ड्रोन समाधान के लिये उपयोग किया जा सकता है। 
  • हेल्थकेयर डिलीवरी: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने ड्रोन-आधारित वैक्सीन डिलीवरी मॉडल, i-ड्रोन तैयार किया है। तेलंगाना और पूर्वोत्तर राज्यों को इस ड्रोन तकनीक के उपयोग की मंज़ूरी दूरदराज़ के इलाकों में टीके पहुंँचाने के लिये दे दी गई है। 
  • िगरानी: भारत सरकार द्वारा शुरू की गई SVAMITVA योजना में ड्रोन तकनीक ने एक वर्ष से भी कम समय में घनी आबादी वाले क्षेत्रों का मानचित्रण करके लगभग आधा मिलियन गाँव के निवासियों को उनके संपत्ति कार्ड प्राप्त करने में मदद की है। 
    • ड्रोन का उपयोग परिसंपत्तियों और ट्रांसमिशन लाइनों की वास्तविक समय  निगरानी, चोरी की रोकथाम, दृश्य निरीक्षण / रखरखाव, निर्माण योजना और प्रबंधन आदि के लिये किया जा सकता है 
    • उनका उपयोग अवैध शिकार रोधी कार्यों, जंगलों और वन्यजीवों की निगरानी, प्रदूषण मूल्यांकन तथा साक्ष्य एकत्र करने के लिये किया जा सकता है। 
  • कानून प्रवर्तन: ड्रोन कानून प्रवर्तन एजेंसियों, आग की घटना और आपातकालीन सेवाओं के लिये भी महत्त्वपूर्ण हैं, जहाँ मानव हस्तक्षेप और स्वास्थ्य सेवाएँ सुरक्षित नहीं है। 

ड्रोन महोत्सव का महत्त्व: 

ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना सुशासन और जीवन की सुगमता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को  बढ़ाने का एक और माध्यम है। 

हमें ड्रोन के रूप में एक स्मार्ट टूल मिला है जो आम लोगों के जीवन का हिस्सा बनने जा रहा है। 

चूंँकि रक्षा, आपदा प्रबंधन, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यटन, फिल्म और मनोरंजन जैसे विविध क्षेत्रों में ड्रोन प्रौद्योगिकी का अपना अनुप्रयोग है, इसलिये रोज़गार के लिये अपार अवसर पैदा करने वाली एक बड़ी क्रांति की संभावना है। 

गांँवों में सड़क, बिजली, ऑप्टिकल फाइबर और डिजिटल तकनीक का आगमन हो रहा है। हालांँकि कृषि कार्य अभी भी पुराने तरीकों से किया जा रहा है, जिससे परेशानी, कम उत्पादकता और अपव्यय हो रहा है। 

ड्रोन तकनीक किसानों को सशक्त और उनके जीवन को आधुनिक बनाने में प्रमुख भूमिका निभा सकती है। 

  • सरकार उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) जैसी योजनाओं के माध्यम से भारत में एक मज़बूत ड्रोन निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में प्रयास कर रही है। 

ड्रोन नियम, 2021: 

  • वर्ष 2021 में मंत्रालय ने अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने तथा भारत को ड्रोन हब बनाने के उद्देश्य से उदारीकृत ड्रोन नियमों को अधिसूचित किया। 
    • इसके तहत कई प्रकार की अनुमतियों और अनुमोदनों को समाप्त कर दिया गया। इसके लिये जिन प्रपत्रों को भरने की आवश्यकता होती है, उनकी संख्या 25 से घटाकर पाँच कर दी गई और शुल्क के प्रकार को 72 से घटाकर 4 कर दिया गया। 
    • अब ग्रीन ज़ोन में ड्रोन के संचालन के लिये किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है और सूक्ष्म एवं नैनो ड्रोन के गैर-व्यावसायिक उपयोग हेतु किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। 
    • इसमें 500 किलोग्राम तक के पेलोड की अनुमति दी गई है ताकि ड्रोन को मानव रहित उड़ान वाली टैक्सियों के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। 
    • इसके अलावा ड्रोन का संचालन करने वाली कंपनियों के विदेशी स्वामित्व की भी अनुमति दी गई है। 

ड्रोन के लिये PLI योजना: 

  • सरकार ने ड्रोन और उसके घटकों के लिये तीन वित्तीय वर्षों में 120 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ एक उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजन को भी मंज़ूरी दी। 
  • ड्रोन और ड्रोन घटकों से संबंधित उद्योग के लिये PLI योजना इस क्रांतिकारी तकनीक के रणनीतिक, सामरिक और परिचालन उपयोगों को संबोधित करती है। 

ड्रोन शक्ति योजना: 

  • केंद्रीय बजट में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) में स्टार्टअप और स्किलिंग के माध्यम से ड्रोन को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है। 
  • विभिन्न अनुप्रयोगों के माध्यम से और ‘ड्रोन-ए-ए-सर्विस’ (DrAAS) के लिये 'ड्रोन शक्ति' की सुविधा हेतु स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जाएगा। सभी राज्यों के चुनिंदा आईटीआई संस्थानों में स्किलिंग के लिये कोर्स भी शुरू किये जाएंगे। 
    • DrAAS उद्यमों को ड्रोन कंपनियों से विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने हेतु अनुमति प्रदान करता है, जिससे उन्हें ड्रोन हार्डवेयर या सॉफ्वेटयर, पायलट और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करने की ज़रूरत नहीं होती है। 
    • ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है तथा इनमें फोटोग्राफी, कृषि, खनन, दूरसंचार, बीमा, तेल और गैस, निर्माण, परिवहन, आपदा प्रबंधन, भू-स्थानिक मानचित्रण, वन व वन्यजीव, रक्षा तथा कानून प्रवर्तन आदि शामिल हैं। 
  • फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्त्वों के छिड़काव (किसान ड्रोन) हेतु भी ड्रोन को बढ़ावा दिया जाएगा। 
  • अगले तीन वर्षों में ड्रोन सेवा उद्योग में 30,000 करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि तथा पाँच लाख से अधिक रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है। 

आगे की राह 

  • कुछ महीने पूर्व तक ड्रोन पर अनेक प्रकार के प्रतिबंध आरोपित थे, हालाँकि अब अधिकांश प्रतिबंध हटा दिये गए हैं। 
  • इससे प्रौद्योगिकी तक आसान पहुँच के साथ गंतव्य तक वितरण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। 
  • भारत सरकार देश को नई ताकत और गति प्रदान करने के लिये लोगों को प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है। 

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. निम्नलिखित गतिविधियों पर विचार कीजिये: (2020) 

  1. खेत में फसल पर पीड़कनाशी का छिड़काव 
  2. सक्रिय ज्वालामुखियों के क्रेटरों का निरीक्षण 
  3. डीएनए विश्लेषण के लिये उत्क्षेपण करती हुई व्हेलों के श्वास के नमूने एकत्र करना 

तकनीक के वर्तमान स्तर पर उपर्युक्त गतिविधियों में से किसे ड्रोन के प्रयोग से सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सकता है? 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (D) 

व्याख्या: 

  • मानव रहित हवाई वाहन (UAV) या ड्रोन ऐसे विमान हैं जिन्हें  मानव पायलट के बिना नेविगेट किया जा सकता है। GPS निगरानी प्रणाली का उपयोग करके ड्रोन को ज़मीन से नियंत्रित कर चलाया जा सकता है। 
  • प्रारंभ में ड्रोन ज़्यादातर  सैन्य अनुप्रयोगों के लिये  विकसित किये गए। हालाँकि इसका उपयोग वैज्ञानिक, मनोरंजनात्मक, वाणिज्यिक,  शांति स्थापना और निगरानी, उत्पाद वितरण, हवाई फोटोग्राफी, कृषि, आदि सहित अन्य अनुप्रयोगों में विस्तारित हुआ है। 
  • फसलों को कीटों से बचाने के लिये अब इनका उपयोग कृषि क्षेत्रों में कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिये किया जाता है। अत: कथन 1 सही है। 
  •  वर्तमान में वैज्ञानिक सक्रिय ज्वालामुखियों का अध्ययन करने के लिये ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। ड्रोन सामान्य स्वास्थ्य स्थितियों का आकलन करने के लिये उत्क्षेपण करती हुई व्हेलों के श्वास के नमूने और उच्च-रिज़ॉल्यूशन की तस्वीरें एकत्र कर सकता है। अत: कथन 2 और 3 सही हैं। 

अतः  विकल्प (D) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी. 


वेस्ट नील वायरस

प्रिलिम्स के लिये:

वेस्ट नील वायरस, फ्लेविवायरस, वेस्ट नील वायरस का संचरण चक्र, WHO 

मेन्स के लिये:

वायरस से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण। 

चर्चा में क्यों?      

हाल ही में केरल के त्रिशूर में एक 47 वर्षीय व्यक्ति की वेस्ट नील वायरस (WNV) के कारण मृत्यु हो गई। इससे केरल का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। 

  • मलप्पुरम के 6 साल के बच्चे की भी इसी संक्रमण से  वर्ष 2019 की शुरुआत में मृत्यु हो गई थी। 
  • WNV को पहली बार वर्ष 2006 में केरल राज्य के अलाप्पुझा में रिपोर्ट किया गया था। बाद में वर्ष 2011 में इसे एर्नाकुलम केरल में भी रिपोर्ट किया गया था। 

 वेस्ट नील वायरस: 

  • परिचय: 
  • वैश्विक प्रसार: 
    • सभी प्रमुख पक्षी प्रवासी मार्गों के साथ WNV प्रकोप स्थल पाए जाते हैं। 
    • अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और पश्चिम एशिया ऐसे क्षेत्र हैं जहांँ आमतौर पर यह वायरस पाया जाता है। 
    • आमतौर पर अधिकांश देशों में WNV संक्रमण उस अवधि के दौरान चरम पर होता है जब वाहक मच्छर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं तथा परिवेश का तापमान वायरस के गुणन के लिये पर्याप्त उच्च होता है। 
  • भारत में प्रसार: 
    • मुंबई में  वर्ष 1952 में पहली बार मनुष्यों में WNV के विरुद्ध एंटीबॉडी का पता चला था। 
    • तब से दक्षिणी, मध्य और पश्चिमी भारत में वायरस की गतिविधि की सूचना मिलती रहती है। 
    • आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में WNV को क्यूलेक्स विष्नुई (Culex vishnui) मच्छरों से अलग किया गया था 
    • महाराष्ट्र में इसे क्यूलेक्स क्विंकफेसिएटस मच्छरों से अलग कर दिया गया था। 
    • कर्नाटक में इसे मनुष्यों से अलग कर दिया गया है 
    • इसके अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और असम से एकत्र किये गए मानव सीरम में WNV न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी मौज़ूद पाई गई। 
    • वेल्लोर और कोलार ज़िलों में क्रमशः 1977, 1978 और 1981 में एवं 2017 में पश्चिम बंगाल में WNV संक्रमण के गंभीर मामले सामने आए। 
    • केरल में तीव्र एन्सेफलाइटिस प्रकोप के दौरान WNV के पूर्ण जीनोम अनुक्रम को 2013 में अलग कर दिया गया था। 
    • तमिलनाडु में आंखों के संक्रमण के साथ WNV का संबंध 2010 की पहली छमाही में  मिस्टीरिअस फीवर की महामारी के दौरान स्पष्ट रूप से स्थापित हो गया था। 
  • उत्पत्ति: 
    • WNV पहली बार 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल ज़िले में एक महिला में पाया गया था 
    • 1953 में नील डेल्टा क्षेत्र में पक्षियों में इसकी पहचान की गई थी। 1997 से पहले WNV को पक्षियों के लिये रोगजनक नहीं माना जाता था। 
    • WNV के कारण मानव संक्रमण कई देशों में 50 से अधिक वर्षों से रिपोर्ट किया जा रहा है। 

Virus

  • संक्रमण चक्र: 
    • संक्रमण  का कारण प्रमुख वाहक मच्छरों की क्यूलेक्स प्रजाति है। 
    • पक्षी विषाणु के मेज़बान के रूप में कार्य करते हैं। 
    • संक्रमित मच्छर पक्षियों सहित इंसानों और जानवरों में WNV को फैलाते हैं। 
    • जब मच्छर भोजन के लिये संक्रमित पक्षियों को काटता है तो वे संक्रमित हो जाते हैं। 
    • विषाणु संक्रमित मच्छरों के खून में कुछ दिनों तक रहता है, इसके बाद वह मच्छर की लार ग्रंथियों में प्रवेश करता है। 
    • बाद में जब मच्छर काटता है तो वायरस मनुष्यों और जानवरों में प्रवेश कर जाता है।परिणामस्वरूप WNV गुणित रूप में फैल सकता है और बीमारी का कारण बन सकता है। 
    • WNV संक्रमित मांँ से उसके बच्चे में रक्त आधान के माध्यम से या प्रयोगशालाओं में वायरस के संपर्क में आने से भी फैल सकता है। 
    • संक्रमित मनुष्यों या जानवरों के संपर्क से संक्रमण का कोई उदाहरण नहीं पाया गया है। 
    • यह "पक्षियों सहित संक्रमित जानवरों को खाने से नहीं फैलता है। 
    • WNV रोग के लिये रोगोद्भवन अवधि आमतौर पर 2-6 दिन होती है। हालांँकि यह 2-14 दिनों तक हो सकती है, जबकि मज़बूत प्रतिरक्षा वाले लोगों में कई हफ्तों तक देखी जा  सकती है। 
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अब तक आकस्मिक संपर्क के माध्यम से WNV के मानव-से-मानव संचरण की सूचना नहीं मिली है। 
  • लक्षण: 
    • 80% संक्रमित लोगों में यह रोग स्पर्शोन्मुख है। 
    • शेष 20% मामलों में वेस्ट नील फीवर या गंभीर WNV बुखार, सिरदर्द, थकान, मतली, शरीर में दर्द, दाने और सूजन ग्रंथियों जैसे लक्षणों के साथ देखा जाता है। 
    • गंभीर संक्रमण से वेस्ट नील इंसेफेलाइटिस या मेनिन्जाइटिस, वेस्ट नाइल पोलियोमाइलाइटिस, एक्यूट फ्लेसीड पैरालिसिस जैसे न्यूरोलॉजिकल रोग भी हो सकते हैं। 
    • इसके अलावा WNV से ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ और रेडिकुलोपैथी की रिपोर्टें संबंधित हैं। 
    • WNS वाले 150 में से लगभग 1 व्यक्ति में बीमारी के अधिक गंभीर रूप के विकसित होने की संभावना होती है। 
    • गंभीर बीमारी से उबरने में कई सप्ताह या महीने लग सकते हैं। 
    • तंत्रिका तंत्र की क्षति हमेशा के लिये हो सकती है। 
    • सह-रुग्णता वाले व्यक्तियों और प्रतिरक्षा में कमी वाले व्यक्तियों (जैसे प्रत्यारोपण रोगियों) में यह रोग घातक हो सकता है। 
  • रोकथाम के उपाय: 
    • पक्षियों और घोड़ों में नए मामलों का पता लगाने के लिये एक सक्रिय पशु स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली की स्थापना अनिवार्य रूप से स्थापित की जानी चाहिये। 
    • चूँकि जानवरों में WNV का प्रकोप मनुष्यों से पहले होता है, इसलिये पशु चिकित्सा और मानव सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करना आवश्यक है। 
    • यूरोपियन सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने सुझाव दिया है कि यूरोपीय संघ द्वारा संभावित रक्तदाताओं का 28-दिवसीय रक्त दाता डिफरल या न्यूक्लिक एसिड परीक्षण, जो किसी प्रभावित क्षेत्र में गए हैं या रहते हैं, को लागू किया जाना चाहिये। 
    • इसके अलावा अंगों, ऊतकों और कोशिकाओं के दाताओं का डब्ल्यूएनवी संक्रमण परीक्षण किया जाना चाहिये, जो प्रभावित क्षेत्र में रह रहे हैं या वहाँ से लौट रहे हैं। 
  • उपचार: 
    • अभी तक WNV के लिये कोई उपचार/वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। 
    • टोनरोइनवेसिव WNV रोगियों को केवल सहायक उपचार प्रदान किया जा सकता है। 

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017) 

  1. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जीका वायरस रोग उसी मच्छर द्वारा फैलता है जो डेंगू को प्रसारित करता है।
  2. जीका वायरस रोग यौन संचरण द्वारा संभव है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (C) 

व्याख्या : 

  • जीका वायरस एक फ्लेविवायरस है जिसे पहली बार 1947 में बंदरों में और फिर 1952 में युगांडा में मनुष्यों में पाया गया था। 
  • जीका और डेंगू दोनों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते, नेत्रश्लेष्मलाशोथ (conjunctivitis), मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता और सिरदर्द के लक्षण पाए जाते हैं। इसके अलावा दोनों रोगों में  संचरण के तरीके भी समान हैं। अर्थात्, जीका और डेंगू दोनों प्रकार के बुखार एडीज़ एजिप्टी और एडीज़ एल्बोपिक्टस प्रजाति के मच्छरों द्वारा फैलता है। अत: कथन 1 सही है। 
  • जीका के संचरण के प्रकार: 
    • मच्छर के काटने से 
    • गर्भावस्था के दौरान माँ से बच्चे में संचारित हो जाता है, जो माइक्रोसेफली और अन्य गंभीर भ्रूण मस्तिष्क दोष पैदा कर सकता है। जीका वायरस माँ के दूध में भी पाया गया है। 
    • संक्रमित साथी से यौन संचरण। अतः  कथन 2 सही है। 
    • रक्त आधान के माध्यम से। 

अतः विकल्प (C) सही है।   

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  


जयपुर हेतु यूएन-हैबिटेट प्लान

प्रिलिम्स के लिये:

यूएन-हैबिटेट, ग्रीन-ब्लू अर्थव्यवस्था 

मेन्स के लिये:

तीव्र शहरीकरण और संबंधित विभिन्न सिफारिशें व चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में यूएन-हैबिटेट ने जयपुर शहर से जुड़े मुद्दों जैसे- बहु जोखिम भेद्यता, कमज़ोर गतिशीलता और ग्रीन-ब्लू अर्थव्यवस्था की पहचान की है, इसके साथ ही शहर में स्थिरता बढ़ाने के लिये एक योजना तैयार की है। 

  • जयपुर में जो शहरी समस्याएंँ बनी हुई हैं, वे अन्य शहरों की तरह ही हैं। 
  • यूएन-हैबिटेट के निष्कर्ष पायलट परियोजना के स्थायी शहरों के एकीकृत दृष्टिकोण पर आधारित हैं और इसमें जयपुर विकास प्राधिकरण एवं जयपुर ग्रेटर नगर निगम के सहयोग से "टिकाऊ शहरी नियोजन और प्रबंधन" घटक को लागू किया गया था 
    • इस परियोजना को भारतीय शहरों की कार्बन पृथक्करण क्षमता का अनुमान लगाने के लिये वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF-6) से धन प्राप्त हुआ है। 

परियोजना के निष्कर्ष: 

  • जयपुर को अपने 131 मापदंडों में से 87 के लिये एकत्र की गई जानकारी के आधार पर शहरी स्थिरता आकलन फ्रेमवर्क (USAF) पर तीन की समग्र स्थिरता रेटिंग मिली। 
    • शहरी स्थिरता मूल्यांकन फ्रेमवर्क (USAF) को सतत् शहर एकीकृत दृष्टिकोण पायलट (SCIAP) परियोजना के तहत विकसित किया गया है, जिसे संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) और यूएन-हैबिटेट द्वारा कार्यान्वित किया गया है। 
  • यूएन-हैबिटेट ने शहर के समक्ष आने वाली निम्नलिखित समस्याओं पर प्रकाश डाला: 
    • सार्वजनिक परिवहन प्रणाली तक पहुंँच में बाधा, बसों की कम संख्या एवं खराब सड़कें। 
    • गर्मियों के दौरान सूखे का चरम स्तर और शहरी बाढ़। 
    • हरित आवरण के अभाव के कारण शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव में वृद्धि हुई है जिसने जैवविविधता को बाधित किया है। 

यूएन-हैबिटेट की सिफारिशें: 

  • विशेषज्ञों ने उन उपायों की सिफारिश की जो हरित आवरण को बढ़ाते हैं, शहरी जैव विविधता को मज़बूत करते हैं और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। 
  • शहरीकरण की चुनौतियों का समाधान करने के लिये यूएन-हैबिटेट ने मौज़ूदा शहरी क्षेत्रों के पुनर्विकास और पुन: घनीकरण के साथ सुगठित शहर के विचार पर ज़ोर दिया। 
    • विशेषज्ञों ने यह भी सिफारिश की कि मुख्य शहर से दूरस्थ स्थानोा एवं नागरिकों पर लगाए गए विकास शुल्क को शहर के बाहरी इलाके में विकास को रोकने के लिये एक अप्रत्यक्ष उपाय के रूप में माना जा सकता है। 
  • सार्वजनिक परिवहन की स्थिति में सुधार करने के लिये परिवहन के विभिन्न साधनों के लिये किराया एकीकरण और गैर-मोटर चालित परिवहन बुनियादी ढांँचे को बढ़ाने से आवाजाही सुविधाजनक हो जाएगी और यातायात व वाहन उत्सर्जन में कमी आएगी। 
  • जयपुर के वालड सिटी में 800 सूखे कुओं का उपयोग वर्षा जल संचयन और जल स्तर को ऊपर उठाने, शहरी बाढ़ को कम करने और जल संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये किया जा सकता है।  
  • शहर में प्राकृतिक जल निकासी माध्यमों और रेलवे पटरियों के साथ वृक्षारोपण की सिफारिश की जाती है। 
  • टूरिज़्म एंड वाइल्डलाइफ सोसाइटी ऑफ इंडिया (TWSI) के विशेषज्ञों ने कहा कि शहरी विकास प्राधिकरणों को प्रत्येक शहरी परिसर में प्रत्येक दिन उत्पादित ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड को मापना चाहिये तथा उसके अनुसार हरित आवरण की योजना बनाने के साथ पौधों की प्रजातियों का चयन भी अत्यंत सावधानी से करना चाहिये। स्वदेशी, चौड़ी पत्ती वाले और विस्तृत जड़ वाले पेड़ अधिक छाया व ऑक्सीजन पैदा करते हैं। 

संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास: 

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावास कार्यक्रम मानव बस्तियों और सतत् शहरी विकास के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम है। 
  • इसे वर्ष 1978 में कनाडा के वैंकूवर में आयोजित वर्ष 1976 के मानव अधिवास एवं सतत् शहरी विकास (हैबिटेट प्रथम) पर पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के परिणामस्वरूप स्थापित किया गया था। 
  • संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास (UN-Habitat) का मुख्यालय नैरोबी, केन्या के संयुक्‍त राष्‍ट्र कार्यालय में है। 
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने सबके लिये उपयुक्‍त आवास प्रदान करने के लक्ष्‍य की दिशा में सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से संवहनीय कस्‍बों एवं शहरों को बढ़ावा देने का दायित्‍व सौंपा है। 
  • यह संयुक्त राष्ट्र विकास समूह का सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावास का जनादेश वर्ष 1996 में इस्तांबुल, तुर्की में आयोजित मानव बस्तियों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में अपनाया गया। 
  • पर्यावास एजेंडा के दोहरे लक्ष्य हैं: 
    • सभी के लिये पर्याप्त आश्रय। 
    • एक शहरीकृत दुनिया में स्थायी मानव बस्तियों का विकास 

वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF): 

आगे की राह 

  • 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की लगभग 31% आबादी शहरों में रहती है और अनुमान है कि यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 60% से अधिक का योगदान देता है तथा आने वाले वर्षों में विभिन्न रिपोर्टों में अनुमान लगाया गया है कि सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के साथ इसमें लगभग 70% जनसंख्या शामिल होगी।  
  • शहरी क्षेत्रों की बढ़ती आबादी शहरी चुनौतियों को भी बढ़ाती है जैसे- भीड़भाड़ वाली जगह, मलिन बस्तियों का प्रसार आदि। इस प्रकार शहरों के समावेशी व स्वस्थ विकास के लिये स्थायी मॉडल को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। 

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2021) 

  1. 'शहर का अधिकार' एक सहमत मानव अधिकार है और संयुक्त राष्ट्र-आवास इस संबंध में प्रत्येक देश द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं की निगरानी करता है।
  2. 'शहर का अधिकार' शहर के प्रत्येक निवासी को सार्वजनिक स्थानों और शहर में सार्वजनिक भागीदारी को पुनः प्राप्त करने का अधिकार देता है।
  3. शहर का अधिकार' का अर्थ है कि राज्य, शहर में अनधिकृत कॉलोनियों को किसी भी सार्वजनिक सेवा या सुविधा से वंचित नहीं कर सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a)  केवल 1 
(b) केवल 3  
(c) केवल 1 और 2  
(d) केवल 2 और 3  

उत्तर: C 

व्याख्या: 

  • शहरों में रोजमर्रा की जिंदगी की गुणवत्ता में सुधार के लिये शहर का अधिकार' एक समग्र दृष्टिकोण है। इस अवधारणा पर हेनरी लेफेब्रे ने 1968 में अपनी पुस्तक 'ले ड्रोइट ए ला विले' में चर्चा की थी। 
  • यूएन-हैबिटेट की रिपोर्ट, 'स्टेट ऑफ द वर्ल्ड सिटीज 2010-2011: ब्रिजिंग द अर्बन डिवाइड', प्रत्येक निवासी को "शहर का अधिकार" देने की सिफारिश करती है जिसमें वे रहते हैं। यूएन-हैबिटेट इस संबंध में प्रत्येक देश द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं के लिये निगरानी एजेंसी है। अत: कथन 1 सही है 
  • सामाजिक न्याय, समानता, लोकतंत्र और स्थिरता के सिद्धांतों के आधार पर शहरों एवं मानव बस्तियों पर पुनर्विचार करने के लिये अधिकार आधारित दृष्टिकोण एक वैकल्पिक ढांँचा है। निवासियों को सार्वजनिक स्थानों तथा सार्वजनिक भागीदारी को पुनः प्राप्त करने का अधिकार है। अतः कथन 2 सही है। 
  • अनधिकृत कॉलोनियों में सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंँच प्रदान करना राज्य के विवेक और लोगों की राजनीतिक भागीदारी के प्रभाव पर निर्भर करता है। अतः कथन 3 सही नहीं है। 

अतः विकल्प (C) सही उत्तर है। 


प्रश्न. बेहतर नगरीय भविष्य की दिशा में कार्यरत संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र पर्यावास (UN-Habitat) की भूमिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017) 

  1. संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संयुक्त राष्ट्र पर्यावास को आज्ञापित किया गया है कि वह सामाजिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय ऐसे कस्बों एवं शहरों को संवर्द्धित करे जो सभी को पर्याप्त आश्रय प्रदान करते हों। 
  2. इसके साझीदार सिर्फ सरकारें या स्थानीय नगर प्राधिकरण ही हैं। 
  3. संयुक्त राष्ट्र पर्यावास, सुरक्षित पेयजल व आधारभूत स्वच्छता तक पहुँच बढ़ाने और गरीबी कम करने के लिये संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के समग्र उद्देश्य में योगदान करता है। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) 1, 2 और 3 
(b) केवल 1 और 3 
(c) केवल 2 और 3 
(d) केवल 1 

उत्तर: (b) 

  • शहरी विकास के मुद्दों को संबोधित करने के लिये वर्ष 1978 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) द्वारा शासित शहरी विकास प्रक्रियाओं पर यह एक संज्ञानात्मक संस्था (knowledgeable institution) है। यूएन-हैबिटेट एक बेहतर शहरी भविष्य की दिशा में संयुक्त राष्ट्र का एक कार्यक्रम है। इसका मिशन सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से स्थायी मानव बस्तियों के विकास एवं सभी के लिये पर्याप्त आश्रय की उपलब्धि को बढ़ावा देना है। इसका मुख्यालय नैरोबी, केन्या में है। अत: कथन 1 सही है। 
  • UN-Habitat भागीदारों में राष्ट्रीय सरकारें, स्थानीय प्राधिकरण, गैर-सरकारी संगठन (NGO), सामुदायिक संगठन और निजी क्षेत्र शामिल हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है। 
  • यूएन-हैबिटेट निम्नलिखित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित है: 
    • आश्रय और सामाजिक सेवाएंँ 
    • शहरी प्रबंधन 
    • पर्यावरण और बुनियादी ढाँचा 
    • आकलन, निगरानी और सूचना 
  • यूएन-हैबिटेट का लक्ष्य मिलेनियम डिक्लेरेशन के लक्ष्य को हासिल करना है जिसमें शहरी शासन, आवास, पर्यावरण प्रबंधन, आपदा न्यूनीकरण, संघर्ष के बाद पुनर्वास, शहरी सुरक्षा, जल प्रबंधन और गरीबी में कमी अतः कथन 3 सही है। 

स्रोत: द हिंदू 


एनटीपीसी की जैव विविधता नीति

प्रिलिम्स के लिये:

जैवविविधता, NTPC, जैवविविधता, कुनमिंग घोषणा, जैविक विविधता पर कन्वेंशन, प्रकृति के लिए वर्ल्ड वाइड फंड 

मेन्स के लिये:

जैवविविधता और इसका महत्त्व, जैवविविधता, जैवविविधता और इसके संरक्षण के लिये की गई पहल 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NTPC लिमिटेड) ने जैवविविधता के संरक्षण, बहाली और वृद्धि के लिये एक व्यापक दृष्टि व मार्गदर्शक सिद्धांत स्थापित करने के लिये नवीनीकृत जैवविविधता नीति 2022 जारी की है। 

  • यह एनटीपीसी की पर्यावरण नीति का एक अभिन्न अंग है और इसके उद्देश्य पर्यावरण और स्थिरता नीतियों के साथ संरेखित हैं। 

नीति के उद्देश्य  

  • जैवविविधता लक्ष्य प्राप्त करने के लिये पेशेवरों की सहायता : 
    • इस नीति को NTPC समूह के सभी पेशेवरों को इस क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्यों की उपलब्धि में योगदान करने में मदद के लिये डिज़ाइन किया गया है। 
      • NTPC हमेशा उच्चतम जैवविविधता मूल्य वाले क्षेत्रों में संचालन से बचने और विवेकपूर्ण रूप से परियोजना स्थलों का चयन करने के बारे में सचेत रहा है। 
      • कंपनी के प्रयासों को और मज़बूत किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसके वर्तमान में संचालित किसी भी साइट पर जैवविविधता नष्ट न हो तथा जहांँ भी संभव हो एक शुद्ध सकारात्मक संतुलन बना रहे। 
  • जैवविविधता की अवधारणा को मुख्यधारा में लाना: 
    • इसका मुख्य उद्देश्य NTPC की मूल्य शृंखला में जैवविविधता की अवधारणा को मुख्यधारा में लाना है। 
    • इसका उद्देश्य सभी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में जैवविविधता के सतत् प्रबंधन के लिये एक एहतियाती दृष्टिकोण अपनाना है ताकि NTPC की व्यावसायिक इकाइयों में तथा उसके आसपास पृथ्वी की विविधता को सुनिश्चित किया जा सके। 
  • स्थानीय खतरों को संबोधित करना: 
    • इस नीति का उद्देश्य कंपनी की व्यावसायिक गतिविधियों से परे जैवविविधता के लिये स्थानीय खतरों पर व्यवस्थित विचार करना भी है। 

NTPC द्वारा उठाए गए अन्य संबंधित कदम: 

  • जागरूकता बढ़ाना: 
    • NTPC विशेषज्ञों के सहयोग से परियोजना-विशिष्ट और राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण के माध्यम से जैवविविधता के बारे में स्थानीय समुदायों, कर्मचारियों तथा इसके सहयोगियों के बीच जागरूकता बढ़ा रहा है। 
  • सहयोग के माध्यम से: 
    • एनटीपीसी जैवविविधता के क्षेत्र में स्थानीय समुदायों, संगठनों, नियामक एजेंसियों और राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के अनुसंधान संस्थानों के साथ भी सहयोग कर रहा है। 
  • कानूनी अनुपालन करना: 
    • एनटीपीसी अपनी परियोजनाओं की योजना और क्रियान्वयन के दौरान पर्यावरण, वन, वन्य जीवन, तटीय क्षेत्र और हरित क्षेत्र से संबंधित नियमों और विनियमों का पालन करते हुए जैवविविधता के संबंध में कानूनी अनुपालन  करेगा। 
  • संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर: 
    • एनटीपीसी ने आंध्र प्रदेश के समुद्र तट पर ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण के लिये आंध्र प्रदेश वन विभाग के साथ पाँच वर्ष के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। 

जैवविविधता: 

  • परिचय: 
    • यह पौधों, जानवरों, बैक्टीरिया और कवक सहित पृथ्वी पर जीवित प्रजातियों की विविधता को संदर्भित करती है। 
    • पृथ्वी की जैव विविधता इतनी समृद्ध है कि कई प्रजातियों की खोज की जानी बाकी है, मानव गतिविधियों के कारण कई प्रजातियों को विलुप्त होने का खतरा है, जिससे पृथ्वी की शानदार जैवविविधता खतरे में है। 
  • महत्त्व: 
    • जैवविविधता हॉटस्पॉट: भारत के पास विश्व का केवल 2.3% भू-भाग है किंतु यहाॅं वैश्विक जैवविविधता का लगभग 8% पाया जाता है। 36 वैश्विक जैवविविधता हॉटस्पॉट में से चार भारत में हैं। 
    • आश्चर्यजनक आर्थिक मूल्य: हालाॅंकि जैवविविधता द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का सटीक आर्थिक मूल्य ज्ञात नहीं हो सकता है, फिर भी एक अनुमान के अनुसार, अकेले भारत के वन प्रतिवर्ष एक ट्रिलियन रुपए से अधिक की सेवाओं का उत्पादन कर सकते हैं। 
      • इसके अलावा यह कल्पना की जा सकती है कि घास के मैदानों, आर्द्रभूमि, मीठे पानी और समुद्र जैसे प्राकृतिक संसाधनों द्वारा उत्पादित सेवाओं को जोड़ लिया जाए तो इसका मूल्य कितना बढ़ जाएगा। 
    • प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: ूमि, नदियों और महासागरों में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र हमारे खाद्य शृंखला को मज़बूत बनाते है, हमें पोषण प्रदान करते हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ाते हैं एवं हमें पर्यावरणीय आपदाओं से बचाते हैं। 
    • आध्यात्मिक उत्थान: हमारी जैवविविधता आध्यात्मिक उत्थान के एक सतत् स्रोत के रूप में भी कार्य करती है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक कल्याण से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है। 
  • संबंधित पहल: 

एनटीपीसी लिमिटेड: 

  • एनटीपीसी 68,961.68 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ भारत की सबसे बड़ी बिजली कंपनी है और 2032 तक 130 गीगावाट की क्षमता प्राप्त करने की योजना है। 
  • 1975 में स्थापित एनटीपीसी का लक्ष्य दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी बिजली कंपनी बनना है। 
  • एनटीपीसी के पास व्यापक पुनर्वास और पुनर्स्थापन व कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) नीतियांँ हैं जो बिजली परियोजनाओं की स्थापना और बिजली उत्पादन के अपने मुख्य व्यवसाय के साथ अच्छी तरह से एकीकृत हैं। 
  • कंपनी नवोन्मेषी पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के साथ कई ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को अनुकूलित करके एक सतत् तरीके से प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर विश्वसनीय बिजली का उत्पादन करने के लिये प्रतिबद्ध है, इस प्रकार एनटीपीसी राष्ट्र के आर्थिक विकास और समाज के उत्थान में योगदान दे रहा है। 

विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा भौगोलिक क्षेत्र की जैवविविधता के लिये खतरा हो सकता है? (2012)   

  1. ग्लोबल वार्मिंग
  2. आवास का खंडीकरण
  3. विदेशी प्रजातियों का आक्रमण
  4. शाकाहार को बढ़ावा देना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करे सही उत्तर का चयन कीजिये:  

(a) केवल 1, 2 और 3  
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 4  
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: A  

  • संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी शिखर सम्मेलन (1992) के अनुसार, जैवविविधता को 'स्थलीय, समुद्री और अन्य जलीय पारिस्थितिक तंत्रों तथा पारिस्थितिक परिसरों सहित सभी स्रोतों से जीवित जीवों के बीच परिवर्तनशीलता के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसका वे एक हिस्सा हैं, इसमें प्रजातियों के साथ, प्रजातियों के बीच और पारिस्थितिक तंत्र की विविधता शामिल है। 
  • जैवविविधता हेतु खतरा: 
  • विखंडन, क्षरण और निवास स्थान का नुकसान। अतः कथन  2 सही है। 
  • आनुवांशिक विविधता में कमी। 
  • आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ। अतः कथन 3 सही है। 
  • वन संसाधन में कमी। 
  • जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण। अतः कथन 1 सही है। 
  • संसाधनों का अत्यधिक दोहन। 
  • विकास परियोजनाओं का प्रभाव। 
  • प्रदूषण का प्रभाव। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है 

प्रश्न. जैवविविधता निम्नलिखित तरीकों से मानव अस्तित्व के लिये आधार बनाती है: (2011)  

  1. मृदा का निर्माण
  2. मृदा क्षरण की रोकथाम
  3. अपशिष्ट का पुनर्चक्रण
  4. फसलों का परागण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये:  

(a) केवल 1, 2 और 3  
(b) केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 1 और 4  
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: D 

व्याख्या: 

  • मानव जीवन पारिस्थितिक सेवाओं से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्यों को विभिन्न तरीकों से लाभान्वित करता है। मृदा निर्माण, अपशिष्ट निपटान, वायु और जल शोधन, सौर ऊर्जा अवशोषण, पोषक चक्रण और खाद्य उत्पादन सभी जैवविविधता पर निर्भर करते हैं। अत: कथन 1 सही है। 
  • सूक्ष्मजीव अपशिष्ट और निम्नकरणीय पदार्थों पर क्रिया कर उन्हें पुन: चक्रित करते हैं और पर्यावरण को शुद्ध करते हैं। अत: कथन 3 सही है। 
  • मधुमक्खियों और अन्य जीवों द्वारा परागण क्रिया, खाद्य उत्पादन में सहायता करनाअत: कथन 4 सही है। 
  • जीव-जंतुओं का जीवन बढ़ने के साथ-साथ इसे मिट्टी के कटाव को रोकने के लिये जाना जाता है, जबकि पेड़-पौधे मिट्टी को बारिश के प्रभाव से बचाने व मिट्टी को बाँध कर कटाव की दर और मृदा अपरदन की दर को कम करते हैं। इस प्रकार सामान्य तौर पर ये जैवविविधता की रक्षा करते हैं। अत: कथन 2 सही है। 
  • उच्च जैवविविधता जैविक समुदायों को पर्यावरणीय तनाव का बेहतर ढंग से समाधान करने और निम्न जैवविविधता वाले निकायों की तुलना में अधिक तीव्रता से स्वस्थ्य पारिस्थिकी के निर्माण में सहायता करती है। अतः, विकल्प (D) सही है।  

प्रश्न. निम्नलिखित क्षेत्रों पर विचार कीजिये: (2009) 

  1. पूर्वी हिमालय
  2. पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र
  3. उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया

उपर्युक्त में से कौन-सा/से जैव विविधता हॉटस्पॉट है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 1 और 2 
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (B) 

  • जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिये एक क्षेत्र को दो महत्त्वपूर्ण मानदंडों को पूरा करना होगा: 
  • पृथ्वी पर कहीं भी पाए जाने वाले संवहनी पौधों की कम-से-कम 1,500 प्रजातियाँ शामिल हैं (जिन्हें "स्थानिक" प्रजाति के रूप में जाना जाता है)। 
  • प्राथमिक देशी वनस्पति का कम-से-कम 70% विलुप्त हो चुका है। ये पूर्वी हिमालय पूर्वी नेपाल से पूर्वोत्तर भारत, भूटान, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में चीन और उत्तरी म्याँमार में युन्नान तक फैला हुआ है। इसे व्यापक रूप से एक जैवविविधता हॉटस्पॉट माना जाता है जिसमें असाधारण मीठे पानी की जैवविविधता तथा पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं जो स्थानीय व क्षेत्रीय आजीविका के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। अत: कथन 1 सही है। 
  • पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र (पूर्वी तुर्की) को भूमध्यसागरीय बेसिन जैवविविधता हॉटस्पॉट के रूप में जाना जाता है और यह दुनिया के 36 जैवविविधता हॉटस्पॉट में से एक के रूप में पहचाना जाता है, जो पृथ्वी के सबसे जैविक रूप से समृद्ध क्षेत्र हैं। अत: कथन 2 सही है। 
  • उत्तर पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया जैवविविधता हॉटस्पॉट नहीं है। दक्षिण-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया एक जैवविविधता हॉटस्पॉट है। अत: कथन 3 सही नहीं है  
  • अतः विकल्प (B) सही उत्तर है। 

स्रोत: पी.आई. बी.