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जैव विविधता और पर्यावरण

जापान व UN पर्यावरण के बीच मरकरी समझौता

  • 19 Jul 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जापान और UNEP ने पारे (मरकरी) के प्रभाव को रोकने के लिये एक नई परियोजना की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस परियोजना के तहत एशिया और प्रशांत क्षेत्र में एक क्षेत्रीय पारा निगरानी प्रयोगशाला नेटवर्क स्थापित किया जाएगा और इस क्षेत्र के आस-पास के देशों के लिये क्षमता निर्माण करने के साथ-साथ आवश्यक प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाएगा।
  • पारे से होने वाली मिनामाता नामक गंभीर बीमारी का प्रभाव जापान में लंबे समय तक देखा गया। इसके बाद जापान ने मिनामाता की रोकथाम के लिये गुणात्मक काम किया। वैश्विक स्तर पर भी जापान ने इस बीमारी के प्रभाव को सीमित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • हाल ही में UNEP ने वैश्विक स्तर पर पारे के खतरे को कम करने के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया है।
  • जापान ने वैश्विक पारा प्रदूषण की निगरानी हेतु विज्ञान आधारित नीति-निर्माण के लिये नई परियोजना शुरू की है, जिसके बोर्ड में सभी हितधारकों को शामिल करने पर बल दिया जा रहा है।
  • पारे का उपयोग विभिन्न प्रकार के प्रयोगों में किया जाता है। यह औद्योगिक उत्सर्जन और सोने के खनन जैसे माध्यमों से पर्यावरण में प्रवेश करता है।
  • पर्यावरण में प्रवेश के बाद कुछ प्रजातियों द्वारा पारे को संचित किया जाता है। मनुष्यों द्वारा इन प्रजातियों का सेवन किये जाने से मनुष्यों में मिनामाता रोग हो जाता है।
  • वैश्विक स्तर पर पारे की खपत और उत्सर्जन का लगभग आधा हिस्सा एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र से संबंधित होता है।
  • वैश्विक निगरानी नेटवर्क और क्षमता निर्माण के लिये वैज्ञानिक डेटाबेस का निर्माण किया जा रहा है जिससे सरकार और संस्थान प्रभावी पारा प्रबंधन के लिये बेहतर रणनीतियाँ बना सकें।

मिनामाता के उन्मूलन हेतु जापान के प्रयास:

  • जापान के पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 2013 में मिनामाता अभिसमय को लागू करने में विकासशील देशों का समर्थन करने के लिये मोवाई (MOYAI) पहल की शुरुआत की।
  • यह कार्यक्रम मिनामाता से संबंधित सुचना के प्रसार को भी बढ़ावा देता है।
  • पहल के तहत पारा संबंधी सूचनाओं के नेटवर्क का निर्माण करना, विकासशील देशों में स्थिति के आकलन का समर्थन करना, जापान की उन्नत तकनीकों का उपयोग करके पारा प्रबंधन क्षमता को मज़बूत करना, जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया है।

UNEP (United Nation Environment Programme):

  • यह संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है। इसकी स्थापना वर्ष 1972 में मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान हुई थी।
  • इस संगठन का उद्देश्य मानव पर्यावरण को प्रभावित करने वाले सभी मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना तथा पर्यावरण संबंधी जानकारी का संग्रहण, मूल्यांकन एवं पारस्परिक सहयोग सुनिश्चित करना है।
  • UNEP पर्यावरण संबंधी समस्याओं के तकनीकी एवं सामान्य निदान हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। UNEP अन्य संयुक्त राष्ट्र निकायों के साथ सहयोग करते हुए सैकड़ों परियोजनाओं पर सफलतापूर्वक कार्य कर चुका है।
  • इसका मुख्यालय नैरोबी (केन्या) में है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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