जैव विविधता और पर्यावरण
जैव विविधता पर कुनमिंग घोषणा
- 14 Oct 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, कार्टाजेना प्रोटोकॉल, क्योटो प्रोटोकॉल मेन्स के लिये:जैव विविधता संरक्षण संबंधित वैश्विक पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कुनमिंग घोषणा (Kunming Declaration) को चीन में 100 से अधिक देशों द्वारा जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के पक्षकारों के सम्मलेन की 15वीं बैठक में अपनाया गया।
- इस घोषणा को अपनाने से एक नए वैश्विक जैव विविधता समझौते के लिये आधार निर्मित होगा।
- पिछले समझौते जिसमें जैव विविधता के लिये रणनीतिक योजना 2011-2020 पर 2010 में जापान के आइची में हस्ताक्षर किये गए, में सरकारों ने 2020 तक जैव विविधता के नुकसान को कम करने और प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिये 20 लक्ष्यों पर सहमति व्यक्त की।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में जैव विविधता के विचार को प्रतिबिंबित करने के लिये तत्काल और एकीकृत कार्रवाई का आह्वान करता है, लेकिन महत्त्वपूर्ण मुद्दों, जैसे- गरीब देशों में धन के संरक्षण और जैव विविधता के अनुकूल आपूर्ति शृंखलाओं के मुद्दों को भविष्य में चर्चा करने के लिये छोड़ दिया गया है।
- यह कोई बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता नहीं है।
- यह पक्षों से निर्णय लेने में जैव विविधता संरक्षण को मुख्यधारा में लाने और मानव स्वास्थ्य की रक्षा में संरक्षण के महत्त्व को पहचानने का आह्वान करता है।
- इस घोषणा का मुख्य विषय है- पारिस्थितिक सभ्यता : पृथ्वी पर सभी जीवों के लिये एक साझा भविष्य का निर्माण।
- राष्ट्रों ने इसे अपनाकर जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल के लिये क्षमता निर्माण कार्य योजना, 2020 के बाद एक प्रभावी कार्यान्वयन योजना के विकास, अंगीकरण और कार्यान्वयन का समर्थन करने हेतु स्वयं को प्रतिबद्ध किया है।
- प्रोटोकॉल आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप जीवित संशोधित जीवों द्वारा उत्पन्न संभावित जोखिमों से जैव विविधता की रक्षा करेगा।
- इस घोषणा के अनुसार, हस्ताक्षरकर्त्ता राष्ट्र यह सुनिश्चित करेंगे कि महामारी के बाद की रिकवरी नीतियाँ, कार्यक्रम और योजनाएँ जैव विविधता के संरक्षण एवं सतत् उपयोग में योगदान दें, धारणीय तथा समावेशी विकास को बढ़ावा दें।
- यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में जैव विविधता के विचार को प्रतिबिंबित करने के लिये तत्काल और एकीकृत कार्रवाई का आह्वान करता है, लेकिन महत्त्वपूर्ण मुद्दों, जैसे- गरीब देशों में धन के संरक्षण और जैव विविधता के अनुकूल आपूर्ति शृंखलाओं के मुद्दों को भविष्य में चर्चा करने के लिये छोड़ दिया गया है।
- 30x30 संरक्षण लक्ष्य:
- इस घोषणा ने '30x30 संरक्षण लक्ष्य' की अवधारणा प्रस्तुत की है, जो कि COP15 में प्रस्तुत किया गया एक प्रमुख प्रस्ताव है, यह वर्ष 2030 तक पृथ्वी पर भूमि और महासागरों की संरक्षित स्थिति का 30% वहन करेगा।
- इसके अतिरिक्त कृषि में रसायनों के इस्तेमाल को आधा करने और प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न करने पर रोक लगाने के लक्ष्य पर भी चर्चा की गईI
- इस घोषणा ने '30x30 संरक्षण लक्ष्य' की अवधारणा प्रस्तुत की है, जो कि COP15 में प्रस्तुत किया गया एक प्रमुख प्रस्ताव है, यह वर्ष 2030 तक पृथ्वी पर भूमि और महासागरों की संरक्षित स्थिति का 30% वहन करेगा।
- कुनमिंग जैव विविधता कोष:
- चीन ने विकासशील देशों में जैव विविधता की रक्षा के लिये एक नए कोष में 233 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के योगदान का वादा किया है। इस फंड को चीन द्वारा कुनमिंग बायोडायवर्सिटी फंड के रूप में संदर्भित किया जा रहा है।
- इस दिशा में यह सही कदम है। हालाँकि कुछ देशों ने इस फंड को लेकर आपत्ति जताई है।
- कुछ देशों ने इस फंड को "बाल्टी में एक बूँद" कहा है, यह देखते हुए कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा प्रदूषक है।
- इसके अलावा कुछ अमीर देशों के निवेशकों का कहना है कि संरक्षण के लिये एक नया फंड अनावश्यक है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक पर्यावरण सुविधा पहले से ही विकासशील देशों को हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण में मदद करती है।
- जैव विविधता संरक्षण संबंधित वैश्विक पहल:
- जैविक विविधता अभिसमय:
- जैविक विविधता अभिसमय (Convention on Biological Diversity- CBD), जैव विविधता के संरक्षण हेतु कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है जो वर्ष 1993 से लागू है।
- भारत इस सम्मेलन/अभिसमय का एक पक्षकार सदस्य है।
- जैविक विविधता अभिसमय (Convention on Biological Diversity- CBD), जैव विविधता के संरक्षण हेतु कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है जो वर्ष 1993 से लागू है।
- वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन:
- यह सार्वजनिक, निजी एवं गैर-सरकारी संगठनों को ज्ञान तथा युक्तियाँ प्रदान करता है ताकि मानव प्रगति, आर्थिक विकास और प्रकृति संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके।
- भारत इस कन्वेंशन का सदस्य है।
- यह सार्वजनिक, निजी एवं गैर-सरकारी संगठनों को ज्ञान तथा युक्तियाँ प्रदान करता है ताकि मानव प्रगति, आर्थिक विकास और प्रकृति संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके।
- प्रकृति के संरक्षण हेतु विश्वव्यापी कोष
- यह प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण, अनुसंधान एवं रख-रखाव संबंधी विषयों पर कार्य करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है।
- वैश्विक जैव विविधता आकलन:
- यह जैव विविधता के मुख्य पहलुओं के संबंध में वर्तमान मुद्दों, सिद्धांतों और विचारों का एक स्वतंत्र, आलोचनात्मक, समीक्षात्मक वैज्ञानिक विश्लेषण है।
- मैन एंड बायोस्फीयर रिज़र्व प्रोग्राम:
- यह वर्ष 1970 में शुरू किया गया था और इसने विविधता एवं प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों, जैव विविधता पर मनुष्यों के प्रभावों के साथ-साथ जैव विविधता मानव गतिविधियों को कैसे प्रभावित करती है, पर ध्यान केंद्रित करते हुए कार्यक्रमों और गतिविधियों की शुरुआत की है।
- जैविक विविधता अभिसमय:
जलवायु वित्त
- परिचय:
- जलवायु वित्त ऐसे स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण को संदर्भित करता है, जो सार्वजनिक, निजी और वैकल्पिक वित्तपोषण स्रोतों से प्राप्त किया गया हो। यह शमन और अनुकूलन संबंधी कार्यों का समर्थन करता है।
- कुछ वैश्विक जलवायु कोष:
- हरित जलवायु कोष (GCF):
- यह विकासशील देशों में ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने और कमजोर समाजों को जलवायु परिवर्तन के अपरिहार्य प्रभावों के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिये स्थापित किया गया था।
- अनुकूलन कोष (AF):
- यह वर्ष 2001 में क्योटो प्रोटोकॉल के तहत स्थापित किया गया था और इसने जलवायु अनुकूलन एवं लचीली गतिविधियों के लिये 532 मिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है।
- वैश्विक पर्यावरण कोष (GEF):
- वर्ष 1994 में कन्वेंशन लागू होने के बाद से वैश्विक पर्यावरण कोष (Global Environment Fund- GEF) ने वित्तीय तंत्र की एक परिचालन इकाई के रूप में कार्य किया है।
- यह एक निजी इक्विटी फंड है जो जलवायु परिवर्तन के तहत स्वच्छ ऊर्जा में निवेश द्वारा दीर्घकालिक वित्तीय रिटर्न प्राप्त करने पर केंद्रित है।
- अतिरिक्त फंड: GEF और GCF को मार्गदर्शन प्रदान करने के अलावा पार्टियों ने दो विशेष फंड स्थापित किये हैं:
- विशेष जलवायु परिवर्तन कोष (SCCF) और सबसे कम विकसित देशों का कोष (LDCF)।
- हरित जलवायु कोष (GCF):
- दोनों फंड का प्रबंधन GEF द्वारा किया जाता है।