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जैव विविधता और पर्यावरण

सुंदरबन के संरक्षण हेतु डिस्कवरी और WWF के बीच समझौता

  • 19 Aug 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व के एकमात्र मैंग्रोव बाघ निवास स्थान सुंदरबन को संरक्षित करने के लिये डिस्कवरी इंडिया और WWF इंडिया के बीच एक समझौता हुआ है।

प्रकृति के संरक्षण हेतु विश्वव्यापी कोष

Worldwide Fund for Nature-WWF

  • WWF का गठन वर्ष 1961 में हुआ तथा यह पर्यावरण के संरक्षण, अनुसंधान एवं रख-रखाव संबंधी विषयों पर कार्य करता है।
  • इससे पूर्व इसका नाम विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund) था।
  • इसका उद्देश्य पृथ्वी के पर्यावरण के क्षरण को रोकना और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है जिसमें मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके।
  • WWF द्वारा लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (Living Planet Report), लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (Living Planet Index) तथा इकोलॉजिकल फुटप्रिंट कैलकुलेशन (Ecological Footprint Calculation) प्रकाशित की जाती है।
  • इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विट्ज़रलैंड) में है।

प्रमुख बिंदु:

  • सुंदरबन में जलवायु-स्मार्ट गाँव स्थापित करने हेतु WWF इंडिया और डिस्कवरी इंडिया; सरकारी एजेंसियों, सिविल सोसायटी के साझेदारों तथा वैज्ञानिक संस्थानों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं ताकि सुरक्षित आजीविका, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को सुनिश्चित किया जा सके।

सुंदरबन:

  • सुंदरबन पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना ज़िले के 19 विकासखण्डों में फैला हुआ है।
  • यह भारत और बांग्लादेश दोनों में फैला दलदलीय वन क्षेत्र है तथा यहाँ पाए जाने वाले सुन्दरी नामक वृक्षों के कारण प्रसिद्ध है।
  • भारतीय क्षेत्र में स्थित सुंदरबन यूनेस्को (UNESCO) के विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) का हिस्सा है।
  • यह 9,630 वर्ग किलोमीटर में फैला गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा का हिस्सा है। इस क्षेत्र में 104 द्वीप हैं।
  • यहाँ जीव-जंतुओं की लगभग 2,487 प्रजातियाँ हैं।
  • सुंदरबन में पाए जाने वाले प्रसिद्ध बाघ (रॉयल बंगाल टाइगर) यहाँ की जलीय परिस्थितियों के अनुकूल हो गए हैं और वे तैर भी सकते हैं।
  • यहाँ पर एशियाई छोटे पंख वाले ऊदबिलाव, गंगा डॉल्फिन, भूरे और दलदली नेवले तथा जंगली रीसस बंदर भी पाए जाते हैं।
  • कुछ समय पहले ही सुंदरबन को भारत का 27वाँ रामसर स्थल घोषित किया गया है।
  • परियोजना क्षेत्र में एश्चुरी पारिस्थितिकी तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों जैसे कई अन्य मुद्दों के समाधान हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग संबंधी परीक्षण किया जाएगा।
  • इस परियोजना के तहत पश्चिम बंगाल वन निदेशालय और IISER कोलकाता के साथ सहयोग से सुंदरबन में दो पारिस्थितिक वेधशालाएँ स्थापित की जाएंगी।
  • WWF इंडिया इस क्षेत्र में पहले से ही स्थायी आजीविका, स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंँच और प्रभावी मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन हेतु कार्य कर रहा है।
  • WWF इंडिया और डिस्कवरी इंडिया के बीच साझेदारी का मुख्य उद्देश्य सुंदरबन में बाघों के लिये शिकार और उनके निवास स्थान के प्रभावी प्रबंधन हेतु वन निदेशालय की सहायता करना और मानव-बाघ संघर्ष को कम करना है।
  • इस पहल में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये कम लागत वाले उपायों के माध्यम से कृषि उत्पादकता बढ़ाने और फसल कैलेंडर को समायोजित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • सुंदरबन हेतु यह परियोजना वैश्विक परियोजना प्रोजेक्ट कैट (Project CAT) का हिस्सा है।

बाघ संरक्षण हेतु प्रयास

  • प्रोजेक्ट कैट (Project CAT):
    • प्रोजेक्ट CAT यानी Conserving Acres for Tigers बाघों और अन्य लुप्तप्राय वन्यजीवों के लिये बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने हेतु डिस्कवरी की एक परियोजना है।
    • बाघों के स्वस्थ्य विचरण हेतु एक बड़े क्षेत्र की जरूरत होती है, इसलिये इस पहल के माध्यम से उनके लिये पर्याप्त क्षेत्र की व्यवस्था की जाएगी, साथ ही इस परियोजना के माध्यम से वन संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
    • बाघों की सुरक्षा व्यवस्था में बेहतर संसाधनों, अतिरिक्त प्रशिक्षण और रेंजर्स के लिये उच्च-प्रौद्योगिकी का समावेश किया जाएगा।
    • सामुदायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से मनुष्य-वन्यजीव संघर्षों को कम किया जाएगा।
  • TX2:
    • GTI (Global Tiger Initiative) के तहत वर्ष 2010 में बाघ संरक्षण हेतु सेंटपीटर्सबर्ग घोषणा को अपनाया गया था।
    • इस घोषणा का लक्ष्य बाघों की संख्या बढ़ाकर दोगुना करना है।
    • यह कार्यक्रम WWF द्वारा 13 टाइगर रेंज देशों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव (Global Tiger Initiative- GTI)
    • विश्व बैंक द्वारा वैश्विक पर्यावरण सुविधा के सहयोग से इस कार्यक्रम को वर्ष 2008 में प्रारंभ किया गया था।
    • इस कार्यक्रम को 13 टाइगर रेंज देशों (बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, रूस और वियतनाम) में क्रियान्वित किया गया था।
  • चीता पुनर्प्रवेश प्रोजेक्ट:
    • इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2009 में की गई थी।
    • इस कार्यक्रम की नोडल एजेंसी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण है।
    • सबसे पहले इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के कुनोपालपुर अभयारण्य और राजस्थान के शाहगढ़ क्षेत्र को चुना गया है।
    • मध्य प्रदेश में स्थित नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य को चीता पुनर्प्रवेश हेतु चुना गया है क्योंकि इस क्षेत्र के खुले वन चीतों के तीव्र गति से विचरण हेतु आदर्श हैं।

स्रोत: द हिंदू बिज़नेसलाइन

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