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वन क्षेत्रों का LiDAR आधारित सर्वेक्षण

  • 26 Jun 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लिडार, वन क्षेत्र की सर्वेक्षण परियोजना

मेन्स के लिये:

LiDAR आधारित सर्वेक्षण का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने एक आभासी कार्यक्रम में 10 राज्यों में वन क्षेत्रों के लिडार (Light Detection and Ranging- LiDAR) आधारित सर्वेक्षण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPRs) जारी की।

  • ये 10 राज्य असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नगालैंड और त्रिपुरा हैं।

प्रमुख बिंदु:

वन क्षेत्र की सर्वेक्षण परियोजना:

  • इस परियोजना को 26 राज्यों में कुल 261897 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में कार्यान्वित करने के लिये जुलाई 2020 में कुल 18.38 करोड़ रुपए की लागत के साथ वापकोस (WAPCOS) को सौंपा गया था।
    • WAPCOS जल शक्ति मंत्रालय के तहत एक मिनी रत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) है।
  • यह अपनी तरह का पहला और LiDAR तकनीक का उपयोग करने वाला एक अनूठा प्रयोग है जो वन क्षेत्रों में जल और चारे को बढ़ाने में मदद करेगा जिससे मानव-पशु संघर्ष को कम किया जा सकेगा।
    • LiDAR तकनीक में 90% सटीकता पाई गई है।
  • राज्यों को इस परियोजना में उपयोग करने के लिये प्रतिपूरक वनीकरण प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Management and Planning Authority- CAMPA) निधि दी जाएगी।
    • CAMPA का उद्देश्य वनीकरण और पुनर्जनन गतिविधियों को बढ़ावा देना है ताकि गैर-वन उपयोगों हेतु आवंटित वन भूमि की क्षतिपूर्ति की जा सके।
    • CAMPA की स्थापना प्रतिपूरक वनीकरण कोष (CAF) के प्रबंधन के लिये की गई थी और यह CAMPA कोष के संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
  • WAPCOS ने राज्‍य वन विभागों की भागीदारी के साथ इन राज्‍यों में वन ब्‍लॉक के भीतर एक बड़े टीले की पहचान करने के साथ ‍विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और स्थान विशेष के भूगोल, उसकी स्थलाकृति तथा वहाँ की मृदा की विशेषताओं के अनुरूप मृदा एवं जल संरक्षण की उपयुक्त एवं व्यावहारिक सूक्ष्म संरचनाओं के निर्माण के लिये स्थानों व संरचनाओं की पहचान करने के उद्देश्य से प्रत्येक राज्य में 10,000 हेक्टेयर के औसत क्षेत्रफल की भूमि का चयन किया है।
    • राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों ने वन ब्लॉक के अंदर एक बड़े टीले की पहचान इस मानदंड के साथ की है कि चयनित क्षेत्र में राज्य की औसत वर्षा होनी चाहिये।

महत्त्व:

  • मानव-पशु संघर्ष को कम करने के अलावा यह हमें उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करेगा, जिन्हें भूजल पुनर्भरण की आवश्यकता है, जिससे स्थानीय समुदायों को मदद मिलेगी।
  • यह वर्षा जल संचरण में मदद करेगा और उसके बहाव को रोकेगा, जिससे भूजल को रिचार्ज करने में मदद मिलेगी।
  • WAPCOS ने लिडार तकनीक का उपयोग करके इन DPR को तैयार किया है, जिसमें 3-डी (त्रि-आयामी) डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM), इमेजरी और परियोजना क्षेत्रों की परतों का उपयोग एनीकट, गेबियन, गली प्लग, लघु अंतःस्त्रवण टंकी, अंतःस्त्रवण टंकी, खेतों की मेंड़, धँसे हुए तालाब, खेती वाले तालाब आदि जैसी विभिन्न प्रकार की मृदा और जल संरक्षण संरचनाओं की सिफारिश करने के लिये किया जाता है।

लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LiDAR)

परिचय:

  • यह सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी है जो दूरी के मापन के लिये लक्ष्य पर लेज़र प्रकाश भेजता है और परावर्तित प्रकाश का विश्लेषण करता है। 
  • वायुजनित प्रणाली द्वारा दर्ज किये गए अन्य डेटा के साथ-साथ यह संयुक्त प्रकाश स्पंद पृथ्वी के आकार और इसकी सतह की विशेषताओं के बारे में सटीक, त्रि-आयामी जानकारी प्रदान करता है।
  • LiDAR उपकरण में मुख्य रूप से एक लेज़र, एक स्कैनर और एक विशेष ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (Global Positioning System- GPS) रिसीवर होता है।
    • व्यापक क्षेत्रों में LiDAR से डेटा प्राप्त करने के लिये हवाई जहाज़ और हेलीकॉप्टर का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।
  • LiDAR एक साधारण सिद्धांत का पालन करता है जो पृथ्वी की सतह पर किसी वस्तु पर लेज़र लाइट डालता है और LiDAR स्रोत पर लौटने में लगने वाले समय की गणना करता है।
    • प्रकाश जिस गति से यात्रा करता है (लगभग 186,000 मील प्रति सेकंड) उसको देखते हुए LiDAR के माध्यम से सटीक दूरी को मापने की प्रक्रिया अविश्वसनीय रूप से तेज़ प्रतीत होती है।

अनुप्रयोग:

  • लिडार का उपयोग आमतौर पर सर्वेक्षण, भूगणित, भू-विज्ञान, पुरातत्त्व, भूगोल, भूविज्ञान, भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology), भूकंप विज्ञान, वानिकी, वायुमंडलीय भौतिकी, लेज़र मार्गदर्शन, हवाई लेज़र स्वाथ मैपिंग (Airborne Laser Swath Mapping- ALSM) और लेज़र अल्टीमेट्री में अनुप्रयोगों के साथ उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्र के लिये किया जाता है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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