आंतरिक सुरक्षा
भारत की सीमा और उसका प्रबंधन
- 29 Jul 2024
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प्रिलिम्स के लिये:भारतीय सीमाएँ, उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन, प्रादेशिक जल, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ), खनिज, नियंत्रण रेखा (LoC), वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC), थार रेगिस्तान, स्वर्ण त्रिभुज, सेना, नौसेना, वायु सेना, सीमा सुरक्षा बल (BSF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), असम राइफल्स (AR), भारतीय तटरक्षक, सशस्त्र सीमा बल (SSB), आयुध आपूर्ति शृंखला, लंबी दूरी की टोही और अवलोकन प्रणाली (LORROS), वायरलेस संदेश स्थानांतरण इकाई (WMTU), मंत्रिसमूह (GoM), सीमा प्रबंधन विभाग, एकीकृत चेक पोस्ट (ICP), नाइट विज़न डिवाइस, रडार, सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP), वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP), रेडियोलॉजिकल सामग्री, सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP), सामुदायिक पुलिस बल। मेन्स के लिये:भारतीय सीमाओं को सुरक्षित रखने और राष्ट्र की सुरक्षा में सशस्त्र बलों की भूमिका। |
सीमा प्रबंधन क्या है?
- सीमा प्रबंधन एक सुरक्षा कार्य है जिसका उद्देश्य सीमाओं को सुरक्षित रखना और भारत से अन्य देशों में माल एवं लोगों की आवाजाही तथा भारत से अन्य देशों में माल व लोगों की आवाजाही में शामिल जोखिमों से देश की रक्षा करना है।
- इसमें वैध और अवैध आप्रवासन का विनियमन, अधिकृत लोगों एवं वस्तुओं की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करना तथा तस्करी, मानव तस्करी व घुसपैठ की रोकथाम शामिल है।
- भारत सरकार सीमा की सुरक्षा के लिये "एक सीमा, एक सीमा सुरक्षा बल" के सिद्धांत का पालन करती है। इस दर्शन के अनुरूप:
- बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमा की देखभाल सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force - BSF) द्वारा की जाती है।
- चीन सीमा की निगरानी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police- ITBP) द्वारा की जाती है।
- नेपाल और भूटान सीमा की देखभाल सशस्त्र सीमा बल (Sashastra Seema Bal- SSB) द्वारा की जाती है।
- म्याँमार सीमा की देखभाल असम राइफल्स (Assam Rifles- AR) द्वारा की जाती है।
- भारत-पाकिस्तान सीमा पर नियंत्रण रेखा (Line of Control- LoC) और भारत-चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की सुरक्षा भारतीय सेना द्वारा की जाती है।
- तटीय सीमाओं की सुरक्षा भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के पास है, जबकि राज्य (समुद्री) पुलिस रक्षा की दूसरी पंक्ति के रूप में कार्य करती है।
भारत के साथ कितने देश सीमा साझा करते हैं?
- भारत सात देशों अर्थात् बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्याँमार, भूटान और अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करता है।
- यह सीमा विभिन्न भूभागों जैसे रेगिस्तान, उपजाऊ भूमि, दलदली दलदल, बर्फ से ढकी चोटियाँ और उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों से होकर गुज़रती है।
- इस प्रकार का विशाल भूभाग हमें उग्रवाद, अवैध प्रवासन और तस्करी के प्रति संवेदनशील बनाता है।
भारत की समुद्री सीमाएँ किस प्रकार विभेदित हैं?
- प्रादेशिक जल:
- इसका विस्तार 12 समुद्री मील तक है।
- यह क्षेत्र हमारा संप्रभु क्षेत्र है और अन्य देशों को इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिये भारत से अनुमति लेनी होगी।
- सन्निहित क्षेत्र:
- यह 24 समुद्री मील तक फैला हुआ है और यह एक हॉट परस्यूट क्षेत्र है, यानी इस क्षेत्र में कोई भी राज्य अपने कानूनों या नियमों का उल्लंघन करने वाले जहाज़ों का पीछा कर सकता है तथा उन्हें पकड़ सकता है।
- सन्निहित क्षेत्र में सीमा शुल्क, स्वच्छता, आव्रजन और राजकोषीय नियमों का कोई भी उल्लंघन तटीय राज्यों से दंड का कारण भी बन सकता है।
- अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ):
- यह प्रादेशिक समुद्र की बाहरी सीमा से 200 समुद्री मील तक फैला हुआ है।
- यह वह क्षेत्र है जहाँ तटीय राज्यों को खनिज, तेल अन्वेषण और मत्स्यन जैसे प्राकृतिक एवं आर्थिक संसाधनों पर अधिकार है।
- अन्य देशों के जहाज़ इस क्षेत्र से तब तक गुज़र सकते हैं जब तक वे तटीय राज्यों के लिये कोई खतरा उत्पन्न नहीं करते।
सीमा प्रबंधन विभाग की भूमिका क्या है?
- सीमा सुरक्षा पर मंत्रियों के समूह (GoM) की सिफारिशों के बाद जनवरी 2004 में गृह मंत्रालय (MHA) के तहत सीमा प्रबंधन विभाग का गठन किया गया था।
- इस विभाग को जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में नियंत्रण रेखा को छोड़कर भूमि सीमाओं और तटीय सीमाओं से जुड़े सभी मामलों की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
- सीमा प्रबंधन विभाग की भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों में बाड़ लगाना तथा फ्लडलाइटिंग, निगरानी एवं गश्त, सुरक्षा बुनियादी ढाँचे का विकास, खुफिया रिपोर्ट का विश्लेषण व एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) का विकास शामिल है।
भारतीय सीमाओं के प्रबंधन में क्या चुनौतियाँ हैं?
- भारत-पाक सीमा चुनौतियाँ:
- विविध जलवायु परिस्थितियाँ: भारत-पाकिस्तान सीमा राजस्थान के गर्म थार रेगिस्तान से लेकर जम्मू-कश्मीर के ठंडे हिमालय तक फैली हुई है।
- घुसपैठ: पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और संकट भी सीमा पार से घुसपैठ तथा आतंकवाद के कारण खतरों में वृद्धि का कारण बनता है।
- सीमा पार आतंकवाद: यह भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद के प्रमुख कारणों में से एक है।
- भारत-चीन सीमा चुनौतियाँ:
- यह विवादित बनी हुई है और पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच टकराव के प्रमुख बिंदुओं में से एक है।
- चीनी घुसपैठ और टकराव अधिक हो गए हैं तथा इससे दो एशियाई दिग्गजों के बीच पूर्ण संघर्ष की आशंका है।
- भारत-बांग्लादेश सीमा चुनौतियाँ:
- अवैध अप्रवास: सीमा की छिद्रपूर्णता के कारण, भारत में अवैध अप्रवासियों का आना प्राथमिक चुनौती रही है।
- तस्करी: भारतीय सीमा के इस हिस्से में एक बड़ी चुनौती हथियारों, गोला-बारूद और ड्रग्स की तस्करी है।
- भारत-नेपाल सीमा चुनौतियाँ:
- तस्करी: खुली सीमाएँ भारत में ड्रग्स, चोरी के वाहनों , हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं।
- आतंकवाद: हाल ही में असामाजिक तत्त्व और आतंकवादी संगठन भी भारत में कम-से-कम प्रतिरोध के लिये इस खुली सीमा का उपयोग कर रहे हैं।
- भारत-म्याँमार सीमा चुनौतियाँ:
- मादक पदार्थों की तस्करी: विद्रोही बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल हैं, खासकर मणिपुर में मोरेह और उत्तरी थाईलैंड, लाओस एवं म्याँमार को कवर करने वाले गोल्डन ट्राएंगल जैसे क्षेत्रों में।
- उग्रवाद: खुली सीमा और जनजातीय समुदाय के बीच अंतर-जातीय संबंध के कारण उग्रवादियों को सीमा सुरक्षा बलों से बच निकलने में सहाता मिलती है।
- भारत-भूटान सीमा की चुनौतियाँ:
- तस्करी: यह इस सीमा पर प्रमुख चिंताओं में से एक है।
आगे की राह
- स्मार्ट पहचान प्रबंधन: पहचान के लिये बायोमेट्रिक्स (फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट, चेहरा, आईरिस, आदि) का प्रयोग पहचान प्रबंधन के स्मार्ट तरीकों में से एक है।
- स्मार्ट निरीक्षण प्रणाली: छिपे हुए हथियारों, ड्रग्स, अवैध रेडियोलॉजिकल सामग्री आदि का पता लगाने के लिये विस्फोटक वाष्प डिटेक्टर, फुल-बॉडी स्कैनर, मेटल डिटेक्टर और हैंडहेल्ड सब्सटांस डिटेक्टर जैसी गैर-आक्रामक निरीक्षण तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है।
- सुरक्षा और निगरानी प्रणाली: सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा बाड़ के साथ घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली, वॉचटावर, निगरानी कैमरे तथा लेज़र कर्टेन लगाए जाने की आवश्यकता है।
- सीमा पार सहयोग (CBC): इसमें मानव तस्करी, हथियार या ड्रग्स की तस्करी, आतंकवादी खतरे आदि जैसे मुद्दों के लिये सीमा सुरक्षा हेतु पड़ोसी देशों के बीच सूचना साझा करना और सहयोगात्मक दृष्टिकोण शामिल है।
- सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास: सरकार ने आवश्यक सामाजिक-आर्थिक बुनियादी अवसंरचना और पर्याप्त सुरक्षा के प्रावधान को सुविधाजनक बनाने के लिये वर्ष 1987 में सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) शुरू किया। अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड तथा केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में उत्तरी सीमा से सटे 19 ज़िलों के चुनिंदा क्षेत्रों के व्यापक विकास के लिये वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) शुरू किया गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्सप्रश्न. सीमा पार से शत्रुओं द्वारा हथियार/गोला-बारूद, ड्रग्स आदि मानवरहित हवाई वाहनों (यू.ए.वी.) की मदद से पहुँचाया जाना हमारी सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा है। इस खतरे से निपटने के लिये किये जा रहे उपायों पर टिप्पणी कीजिये। (2023) प्रश्न. भारत में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं? समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिये की गई संगठनात्मक, तकनीकी और प्रक्रियात्मक पहलों की विवेचना कीजिये। (2022) प्रश्न. प्रभावी सीमावर्ती क्षेत्र प्रबंधन हेतु हिंसावादियों को स्थानीय समर्थन से वंचित करने के आवश्यक उपायों की विवेचना कीजिये और स्थानीय लोगों में अनुकूल धारणा प्रबंधन के तरीके भी सुझाइये। (2020) प्रश्न. दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबंधन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (2016) प्रश्न. भारत की सुरक्षा को गैर-कानूनी सीमा पार प्रवसन किस प्रकार एक खतरा प्रस्तुत करता है? इसे बढ़ावा देने के कारणों को उजागर करते हुए ऐसे प्रवसन को रोकने की रणनीतियों का वर्णन कीजिये। (2014) प्रश्न. दक्षिण एशिया के अधिकतर देशों तथा म्याँमार से लगी विशेषकर लंबी छिद्रिल सीमाओं की दृष्टि से भारत की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियाँ सीमा प्रबंधन से कैसे जुड़ी हैं? (2013) |