राजस्थान Switch to English
राजस्थान में पाकिस्तानी हिंदू अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) 2019 के बीच राजस्थान में पाकिस्तानी हिंदुओं को अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्य बिंदु:
- वर्तमान आम चुनावों के दौरान, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 के व्यापक उत्साह के बीच,जिसने 31 दिसंबर, 2014 के बाद भारत आए कुछ व्यक्तियों को राहत प्रदान की है, उन्हें कई अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ रहा है।
- इन व्यक्तियों को अब प्राथमिक नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत नागरिकता प्राप्त करने की आवश्यकता है, एक ऐसी प्रक्रिया जिसके परिणामस्वरूप ऐतिहासिक रूप से आवेदकों को लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
- पाकिस्तानी हिंदू परिवार, जो वर्षों पहले पाकिस्तान की सीमा से लगे क्षेत्र बाड़मेर में चले गए थे, यह भावना व्यक्त करते हैं कि CAA या नागरिकता कानून का तब तक सीमित महत्त्व है जब तक कि उनके रहने की स्थिति में सुधार नहीं हो जाता।
- भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के बावजूद इनमें से कई परिवार गरीबी की स्थिति में रहते हैं और सामाजिक प्रतिष्ठा का सामना करते हैं।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019
- नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 का उद्देश्य नागरिकता अधिनियम (CAA), 1955 में संशोधन करना है।
- CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से छह गैर-दस्तावेज़ गैर-मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था।
- यह अधिनियम इन छह समुदायों के सदस्यों को विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत किसी भी आपराधिक मामले से छूट देता है।
- दोनों अधिनियम अवैध रूप से देश में प्रवेश करने और वीज़ा या परमिट के समाप्त हो जाने पर यहाँ रहने के लिये दंड निर्दिष्ट करते हैं।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक मिलिशिया प्लाटून सेक्शन कमांडर और तीन महिलाओं समेत 18 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
मुख्य बिंदु:
- वे दक्षिण बस्तर में माओवादियों की भैरमगढ़ और मलंगेर क्षेत्र समितियों का हिस्सा थे।
- सूत्रों के मुताबिक, इन कैडरों को सड़कें खोदने, सड़कों को अवरुद्ध करने के लिये पेड़ काटने और नक्सलियों द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान पोस्टर तथा बैनर लगाने का कार्य सौंपा गया था।
- उन्हें सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत सुविधाएँ मुहैया कराई जाएंगी।
- इसके साथ ही दंतेवाड़ा ज़िले में अब तक 177 इनामी नक्सली सहित 738 नक्सली मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।
- सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित ज़िलों में नक्सलियों पर सख्त प्रवर्तन उपाय लागू किया है।
वामपंथी उग्रवाद (LWE)
- यह उन राजनीतिक विचारधाराओं और समूहों को संदर्भित करता है जो क्रांतिकारी तरीकों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन का समर्थन करते हैं।
- LWE समूह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिये सरकारी संस्थानों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों या निजी संपत्ति को निशाना बनाने जैसे कदम उठाते हैं।
- भारत में वामपंथी उग्रवादी आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1967 के पश्चिम बंगाल में नक्सलबाड़ी (Naxalbari) के उदय के साथ हुई।
- भारत में LWE की स्थिति:
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि वर्ष 2010 की तुलना में वर्ष 2022 में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा में 76% की कमी आई है।
- साथ ही, हिंसा के भौगोलिक प्रसार में भी कमी आई है क्योंकि वर्ष 2010 में 96 ज़िलों की तुलना में वर्ष 2021 में केवल 46 ज़िलों में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की सूचना मिली।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड मॉनसून वर्षा के लिये तैयार
चर्चा में क्यों?
देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, उत्तराखंड में वर्ष 2024 के मानसून में सामान्य से अधिक बारिश के लिये राज्य सरकार को तैयारी शुरू कर देनी चाहिये।
मुख्य बिंदु:
- उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) द्वारा मानसून तैयारियों को लेकर विभिन्न विभागों के लिये एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
- अधिकारियों के मुताबिक मौसम विभाग लगातार मौसम संबंधी जानकारी को लेकर अलर्ट भेजता रहता है और अगर उसका पालन किया जाए तो आपदाओं के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है तथा जान-माल के नुकसान को भी कम किया जा सकता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान तथा संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- IMD, विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश क्रूज़ पर्यटन को बढ़ावा देगा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड ने मध्य प्रदेश में क्रूज़ पर्यटन को बढ़ाने के लिये भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) और गुजरात सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।
मुख्य बिंदु:
- इस सहयोग के तहत, राज्य में कोलकाता से कुक्षी तक पोंटून के नाम से जाने जाने वाले दो फ्लोटिंग जेटी भेजे गए हैं।
- प्रस्तावित क्रूज़ मार्ग मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में एकात्म धाम (स्टैच्यू ऑफ वननेस) से शुरू होने और गुजरात के केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक यात्रा करने के लिये निर्धारित है।
- MoU में उल्लिखित शर्तों के अनुसार, IWAI मध्य प्रदेश और गुजरात दोनों को दो फ्लोटिंग जेटी प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- राज्य सरकार द्वारा क्रूज़ पर्यटन के लिये अतिरिक्त बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं का विकास किया जाएगा, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा स्थानीय आबादी को लाभ मिलेगा।
- क्रूज़ पर्यटन न केवल पर्यटन परिदृश्य को समृद्ध करने का वादा करता है, बल्कि पर्यटकों को नर्मदा नदी के प्राकृतिक दृश्यों के बीच स्थानीय संस्कृति, परंपराओं, जीवन शैली और व्यंजनों का एक व्यापक अनुभव भी प्रदान करता है।
नर्मदा नदी
- नर्मदा नदी (जिसे रीवा के नाम से भी जाना जाता है) उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा के रूप में कार्य करती है।
- यह मैकल पर्वत के अमरकंटक शिखर से पश्चिम की ओर 1,312 किमी. प्रवाहित होते हुए खंभात की खाड़ी में मिलती है।
- यह महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के कुछ क्षेत्रों के अलावा मध्य प्रदेश के एक बड़े क्षेत्र में जल प्रवाहित करती है।
- यह प्रायद्वीपीय क्षेत्र की पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली नदी है जो उत्तर में विंध्य पर्वतमाला तथा दक्षिण में सतपुड़ा पर्वतमाला के बीच एक दरार घाटी से होकर बहती है।
- सहायक नदियाँ:
- दाहिनी ओर से प्रमुख सहायक नदियाँ हैं- हिरन, तेंदोरी, बरना, कोलार, मान, उरी, हटनी और ओरसांग।
- प्रमुख बाईं सहायक नदियाँ हैं- बर्नर, बंजार, शेर, शक्कर, दूधी, तवा, गंजाल, छोटा तवा, कुंडी, गोई और कर्जन।
- बाँध:
- नदी पर बने प्रमुख बाँधो में ओंकारेश्वर और महेश्वर बाँध शामिल हैं।
हरियाणा Switch to English
कलेसर वन्यजीव अभयारण्य
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा के यमुनानगर ज़िले में कालेसर वन्यजीव अभयारण्य के अंदर चार प्रस्तावित बाँधों के निर्माण पर रोक लगा दी।
मुख्य बिंदु:
- कालेसर वन्यजीव अभयारण्य के भीतर चार बाँधों चिकन, कांसली, खिल्लनवाला और अंबावली के निर्माण को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई थी क्योंकि इससे क्षेत्र में वनस्पतियों तथा जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की रिपोर्ट का संज्ञान लिये बिना वन्यजीव अभयारण्य के अंदर बाँध बनाने की अनुमति दे दी है।
- WII ने अपनी रिपोर्ट 'कालेसर वन्यजीव अभयारण्य हरियाणा में प्रस्तावित छोटे बाँधों की व्यवहार्यता अध्ययन' में स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रस्तावित बाँध कालेसर वन्यजीव अभयारण्य की संरक्षित क्षेत्र सीमा के अंतर्गत हैं और इस तरह संरक्षित क्षेत्र की स्थलीय तथा साथ ही जलीय जैव विविधता को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेंगे।
- 13 दिसंबर 1996 को अधिसूचित कलेसर वन्यजीव अभयारण्य शिवालिक तलहटी पर स्थित है। यह राजाजी राष्ट्रीय उद्यान (उत्तराखंड) और सिंबलबारा राष्ट्रीय उद्यान (हिमाचल प्रदेश) से सटा हुआ है।
- पूरा क्षेत्र जैवविविधता से भरा हुआ है, जिसमें घने साल के वन, खैर के वन और घास की भूमि के टुकड़े हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के पौधों और जीवों की प्रजातियाँ हैं।
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से रॉयल टाइगर और शक्तिशाली हाथी इस स्थान पर आते हैं। वहाँ पाए जाने वाले अन्य जानवरों में मॉनिटर लिज़ार्ड, ग्रे-हुडेड वार्बलर, किंग कोबरा, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, पायथन, चीतल, चेस्टनट-बेलिड न्यूथैच, सांभर, बार-टेल्ड ट्रीक्रीपर, बार्किंग डियर, घोरल, रेड-बिल्ड ब्लू मैगपाई और तेंदुआ शामिल हैं।
वन्यजीवन के लिये राष्ट्रीय बोर्ड (NBWL)
- NBWL सभी वन्यजीव संबंधी मुद्दों की समीक्षा करने और राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों में तथा उसके आसपास परियोजनाओं को मंज़ूरी देने वाला शीर्ष संगठन है।
- NBWL की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और यह वन्यजीवों तथा वनों के संरक्षण एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं।
- बोर्ड स्वभाव से 'सलाहकार' है और केवल वन्यजीवों के संरक्षण के लिये नीति निर्माण पर सरकार को सलाह दे सकता है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1982 में हुई थी।
- यह देहरादून, उत्तराखंड में स्थित है।
- यह वन्यजीव अनुसंधान और प्रबंधन में प्रशिक्षण कार्यक्रम, शैक्षणिक पाठ्यक्रम एवं सलाह प्रदान करता है।
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