आंतरिक सुरक्षा
BSF के क्षेत्राधिकार का विस्तार
- 04 Dec 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:सीमा सुरक्षा बल (BSF), भारत का मुख्य न्यायाधीश, पासपोर्ट अधिनियम, 1967, भारतीय दंड संहिता (IPC), गृह मंत्रालय, सर्वोच्च न्यायालय मेन्स के लिये:सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र के विस्तार का संघीय ढाँचे और देश की आंतरिक सुरक्षा पर प्रभाव |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि केंद्र की वर्ष 2021 की अधिसूचना, जो पंजाब में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार क्षेत्र को 15 से 50 किलोमीटर तक बढ़ाती है, BSF को केवल समबद्ध सीमाओं के भीतर विशिष्ट अपराधों को रोकने हेतु परस्पर कार्य करने का अधिकार देती है तथा यह राज्य पुलिस के जाँच अधिकार को कम नहीं करती है।
- वर्ष 2021 में पंजाब सरकार ने BSF के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने वाले केंद्र के निर्णय को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया।
BSF के क्षेत्राधिकार को विस्तारित करने के संबंध में केंद्र की अधिसूचना क्या है?
- परिचय:
- इस अधिसूचना ने BSF अधिनियम, 1968 के तहत वर्ष 2014 के आदेश को प्रतिस्थापित किया, जिसमें मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय राज्य भी शामिल थे।
- इसमें असम, पश्चिम बंगाल तथा पंजाब समेत दो नव निर्मित केंद्रशासित प्रदेश- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख का भी विशेष रूप से उल्लेख किया गया है।
- जिन उल्लंघनों के मामले में सीमा सुरक्षा बल तलाशी और ज़ब्ती की कार्यवाही कर सकता है, उनमें नशीले पदार्थों की तस्करी, अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी, विदेशियों का अवैध प्रवेश और किसी अन्य केंद्रीय अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध आदि शामिल हैं।
- किसी संदिग्ध को हिरासत में लेने या निर्दिष्ट क्षेत्र के भीतर एक खेप ज़ब्त किये जाने के बाद BSF केवल ‘प्रारंभिक पूछताछ’ कर सकती है और 24 घंटे के भीतर संदिग्ध को स्थानीय पुलिस को सौंपना आवश्यक है।
- संदिग्धों पर मुकदमा चलाने का अधिकार BSF के पास नहीं है।
- इस अधिसूचना ने BSF अधिनियम, 1968 के तहत वर्ष 2014 के आदेश को प्रतिस्थापित किया, जिसमें मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय राज्य भी शामिल थे।
- BSF की विशेष शक्तियाँ:
- सभी सीमावर्ती राज्यों में, जहाँ तक अपराधों पर विचार किया जाता है, बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के लिये सीमा सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 के तहत शक्ति प्रदान की गई है। 1969 से अब तक गुजरात में 80 किमी. और कुछ राज्यों में यह कम था जो अब यह एक समान 50 किमी. हो गया है। इसका मतलब केवल यह होगा कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 और पासपोर्ट अधिनियम, 1967 आदि के तहत कुछ अपराधों के संबंध में बीएसएफ के पास भी अधिकार क्षेत्र होगा।
- स्थानीय पुलिस का अधिकार क्षेत्र बना रहेगा। बीएसएफ को समवर्ती क्षेत्राधिकार भी प्रदान किया गया है।
- सभी सीमावर्ती राज्यों में, जहाँ तक अपराधों पर विचार किया जाता है, बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के लिये सीमा सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 के तहत शक्ति प्रदान की गई है। 1969 से अब तक गुजरात में 80 किमी. और कुछ राज्यों में यह कम था जो अब यह एक समान 50 किमी. हो गया है। इसका मतलब केवल यह होगा कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 और पासपोर्ट अधिनियम, 1967 आदि के तहत कुछ अपराधों के संबंध में बीएसएफ के पास भी अधिकार क्षेत्र होगा।
क्षेत्राधिकार के विस्तार में शामिल विभिन्न मुद्दे क्या हैं?
- बड़े मुद्दे:
- सार्वजनिक व्यवस्था बनाम राज्य की सुरक्षा: सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखना पुलिस का कार्य है, सार्वजनिक सुरक्षा और शांति मुख्य रूप से राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है (क्रमशः राज्य सूची की प्रविष्टि 1 और प्रविष्टि 2)।
- हालाँकि जब कोई गंभीर सार्वजनिक अव्यवस्था उत्पन्न होती है जिससे राज्य या देश की सुरक्षा या रक्षा को खतरा हो सकता है (संघ सूची की प्रविष्टि 1), तो स्थिति केंद्र सरकार के लिये भी चिंता का विषय बन जाती है।
- संघवाद की कमज़ोर होती भावना: राज्य सरकार की सहमति प्राप्त किये बिना, अधिसूचना राज्यों की शक्तियों पर अतिक्रमण के समान है।
- पंजाब सरकार ने कहा है कि यह अधिसूचना सुरक्षा या विकास की आड़ में केंद्र का अतिक्रमण है।
- बीएसएफ की कार्यप्रणाली पर असर: भीतरी इलाकों में पुलिसिंग सीमा सुरक्षा बल की भूमिका नहीं है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा की रक्षा करने के अपने प्राथमिक कर्त्तव्य के निर्वहन में बीएसएफ की क्षमता को कमज़ोर कर देगी।
- सार्वजनिक व्यवस्था बनाम राज्य की सुरक्षा: सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखना पुलिस का कार्य है, सार्वजनिक सुरक्षा और शांति मुख्य रूप से राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है (क्रमशः राज्य सूची की प्रविष्टि 1 और प्रविष्टि 2)।
- पंजाब से संबंधित मुद्दे:
- इसके तहत 50 किमी. तक के आसपास के क्षेत्र पर राज्य पुलिस के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत हर संज्ञेय अपराध पर हर शक्ति का प्रयोग करने की समवर्ती शक्ति है।
- पंजाब जैसे अपेक्षाकृत छोटे राज्य में जब इसे 15 से बढ़ाकर 50 कर दिया जाता है, तो सभी प्रमुख शहर इसके अंतर्गत आ जाते हैं।
- जहाँ तक अन्य राज्यों गुजरात और राजस्थान की बात है तो गुजरात में काफी बड़े हिस्से में दलदली भूमि है। वहाँ इसे बढ़ाना उचित हो सकता है क्योंकि इसके अंतर्गत कोई भी प्रमुख शहरी केंद्र नहीं आता है, जैसे- राजस्थान, जहाँ रेगिस्तान है।
राज्यों में सैन्य बलों की तैनाती पर संवैधानिक दृष्टिकोण:
- अनुच्छेद 355 के तहत केंद्र किसी राज्य को "बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति" से बचाने के लिये अपनी सेना तैनात कर सकता है, तब भी जब संबंधित राज्य केंद्र की सहायता की मांग नहीं करता है और केंद्रीय बलों की सहायता प्राप्त करने का अनिच्छुक है।
- संघ के सशस्त्र बलों की तैनाती के लिये किसी राज्य के विरोध के मामले में केंद्र के लिये सही रास्ता पहले संबंधित राज्य को अनुच्छेद 355 के तहत निर्देश जारी करना है।
- राज्य द्वारा केंद्र सरकार के निर्देश का पालन नहीं करने की स्थिति में केंद्र अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के तहत आगे की कार्रवाई कर सकता है।
BSF क्या है?
- BSF की स्थापना वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद की गई थी।
- यह गृह मंत्रालय (MHA) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत संघ के पाँच केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है।
- अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल हैं: असम राइफल्स (AR), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और सशस्त्र सीमा बल (SSB)।
- 2.65 लाख पुलिस बल पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा पर तैनात हैं।
- इसे भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा, भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा, नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारतीय सेना के साथ तथा नक्सल विरोधी अभियानों में तैनात किया जाता है।
- BSF अपने जलयानों के अत्याधुनिक बेड़े के साथ अरब सागर में सर क्रीक और बंगाल की खाड़ी में सुंदरबन डेल्टा की रक्षा कर रहा है।
- यह प्रत्येक वर्ष अपनी प्रशिक्षित जनशक्ति की एक बड़ी टुकड़ी भेजकर संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में समर्पित सेवाओं का योगदान देता है।
आगे की राह
- राज्य की सहमति वांछनीय है: भारत के पड़ोस में सुरक्षा स्थिति को देखते हुए संघ सशस्त्र बलों और राज्य नागरिक अधिकारियों के बीच मौजूदा संबंधों में किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं है।
- हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा अपने सशस्त्र बलों को तैनात करने से पहले यह वांछनीय है कि जहाँ भी संभव हो, राज्य सरकार से परामर्श किया जाना चाहिये।
- राज्य के आत्मनिर्भर बनने की स्थिति: प्रत्येक राज्य सरकार, केंद्र सरकार के परामर्श से अपनी सशस्त्र पुलिस को मज़बूत करने के लिये अल्पकालिक और दीर्घकालिक व्यवस्था पर काम कर सकती है।
- इसका उद्देश्य सशस्त्र पुलिस के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर बनना होगा ताकि बहुत गंभीर गड़बड़ी की स्थिति में ही केंद्रीय सशस्त्र बलों की सहायता लेना आवश्यक हो।
- क्षेत्रीय व्यवस्था: पड़ोसी राज्यों के एक समूह की आम सहमति से ज़रूरत पड़ने पर एक-दूसरे की सशस्त्र पुलिस के उपयोग की स्थायी व्यवस्था हो सकती है।
- क्षेत्रीय परिषद ऐसी व्यवस्था तैयार करने के लिये एक क्षेत्र के भीतर राज्यों की सहमति प्राप्त करने हेतु सबसे अच्छे मंच के रूप में कार्य कर सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. सीमा प्रबंधन विभाग निम्नलिखित में से किस केंद्रीय मंत्रालय का एक विभाग है? (2008) (a) रक्षा मंत्रालय उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। इन संकटों का मुकाबला करने के लिये आवश्यक उपायों पर भी चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2021) |