मध्य प्रदेश Switch to English
चाँदीपुरा वायरस
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, राज्य में चाँदीपुरा वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है।
- इससे पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों ने गुजरात, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में वायरल संक्रमण एवं एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome- AES) के मामलों की समीक्षा की।
मुख्य बिंदु
- सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के पास इस वायरस की पहचान करने के लिये सभी आवश्यक उपकरण और सुविधाएँ उपस्थित हैं, जो AES के कारणों में से एक है।
- एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) चिकित्सकीय रूप से समान तंत्रिका संबंधी अभिव्यक्तियों का एक समूह है, जो कई अलग-अलग वायरस, बैक्टीरिया, कवक, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायनों/विषाक्त पदार्थों आदि के कारण होता है।
- AES के ज्ञात वायरल कारणों में जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV), डेंगू, हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस और वेस्ट नाइल आदि शामिल हैं।
चाँदीपुरा वायरस (CHPV)
- यह रैबडोविरिडे फैमिली का सदस्य है, जो देश के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी भागों में, विशेष रूप से मानसून के मौसम के दौरान, छोटे स्तर के मामलों तथा प्रकोप का कारण बनता है।
- यह बीमारी रेत मक्खियों और टिक्स जैसे वेक्टरों द्वारा संक्रमित होती है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि वेक्टर नियंत्रण, स्वच्छता और जागरूकता ही इस बीमारी के विरुद्ध उपलब्ध एकमात्र उपाय है।
- वायरस के कारण होने वाला संक्रमण केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुँच सकता है, जिससे एन्सेफलाइटिस (Encephalitis) हो सकता है- मस्तिष्क के ऊतकों में सूजन।
- रोग की प्रगति इतनी तीव्र हो सकती है कि रोगी को सुबह तीव्र बुखार हो सकता है तथा शाम तक गुर्दे या यकृत प्रभावित हो सकते हैं।
- यह संक्रमण मुख्यतः 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तक ही सीमित रहा है।
- लक्षण:
- CHPV संक्रमण में शुरू में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे- तीव्र बुखार, शरीर में दर्द और सिरदर्द।
- इसके बाद यह संवेदी अंगों में परिवर्तन या मिर्गी (एपिलेप्सी) और एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार) का रूप ले सकता है।
- श्वसन संबंधी परेशानी, रक्तस्राव की प्रवृत्ति या एनीमिया
- एन्सेफलाइटिस के बाद संक्रमण अक्सर तेज़ी से बढ़ता है, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती होने के 24-48 घंटों के भीतर मृत्यु हो सकती है।
- उपचार:
- इस संक्रमण का प्रबंधन केवल लक्षणात्मक रूप से ही किया जा सकता है, क्योंकि वर्तमान में इसके उपचार के लिये कोई विशिष्ट एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी या टीका उपलब्ध नहीं है।
मध्य प्रदेश Switch to English
जबलपुर निवेशक सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के अनुसार, जबलपुर में निवेशक शिखर सम्मेलन में राज्य को 17,000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनसे 13,000 से अधिक रोज़गार के अवसर उत्पन्न होने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- कपड़ा और रेडीमेड वस्त्र क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने हेतु जबलपुर में आधुनिक कौशल विकास केंद्र की स्थापना की जाएगी।
- सम्मेलन में अशोक लीलैंड लिमिटेड और आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड ने रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में 600 करोड़ रुपए के समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किये।
- सरकार ने राज्य भर में कई औद्योगिक इकाइयों का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया है, जिनमें कुल 1,500 करोड़ रुपए का निवेश होगा तथा लगभग 4,500 रोज़गार उत्पन्न होंगे।
- इसके अलावा, ऑटोमोबाइल क्षेत्र में वोल्वो आयशर द्वारा 1,500 करोड़ रुपए तथा हीडलबर्ग सीमेंट द्वारा 1,500 करोड़ रुपए की सीमेंट इकाई के निवेश प्रस्तावों में शामिल हैं।
- मध्य प्रदेश सरकार रीवा, सागर और ग्वालियर शहरों में इसी तरह के शिखर सम्मेलन तथा फरवरी 2025 में भोपाल में एक बड़े वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगी।
- इससे पहले जनवरी 2024 में उज्जैन में इसी तरह का शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें अडानी समूह ने राज्य में 75,000 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की थी।
झारखंड Switch to English
झारखंड ने बाढ़ प्रभावित असम को सहायता की प्रदान की
चर्चा में क्यों?
असम के मुख्यमंत्री के अनुसार, झारखंड ने इस पूर्वोत्तर राज्य के बाढ़ प्रभावित लोगों को सहायता के रूप में 2 करोड़ रुपए दिये।
मुख्य बिंदु
- असम में बाढ़, भूस्खलन, तड़ित और तूफान के कारण कम-से-कम 113 लोग मारे गए हैं।
बाढ़
- परिचय:
- बाढ़ प्राकृतिक आपदा का सबसे अधिक बार आने वाला प्रकार है और यह तब होता है जब जल का अतिप्रवाह ऐसी भूमि को जलमग्न कर देता है जो आमतौर पर सूखी रहती है।
- वर्ष 1998-2017 के बीच बाढ़ के कारण विश्व भर में 2 अरब लोग प्रभावित हुए हैं।
- कारण
- ये अक्सर भारी वर्षा, तेज़ी से बर्फ पिघलने या तटीय क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवात या सुनामी से उत्पन्न तूफानी लहरों के कारण होते हैं।
- बाढ़ के प्रकार:
- आकस्मिक बाढ़ (Flash Floods): ये तेज़ और अत्यधिक वर्षा के कारण होती हैं, जिससे जल का स्तर तेज़ी से बढ़ता है तथा नदियाँ, नाले, चैनल या सड़कें जलमग्न हो सकती हैं।
- नदी द्वारा बाढ़ (River Floods): ये तब होती है जब लगातार वर्षा या बर्फ पिघलने से नदी अपनी क्षमता से ज़्यादा पानी भर जाती है।
- तटीय बाढ़ (Coastal Floods): ये उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और सुनामी से जुड़े तूफानी लहरों के कारण होती हैं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड अग्निवीरों को रोज़गार प्रदान करेगा
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अनुसार राज्य सरकार अग्निवीरों के आरक्षण के लिये प्रस्ताव लाने जा रही है।
मुख्य बिंदु
- राज्य के अग्निवीरों को राष्ट्र की सेवा करने के बाद सरकारी विभागों और पुलिस विभाग में रोज़गार दिया जाएगा।
- गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपनी माँ के साथ मिलकर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत पौधारोपण किया।
- यह अभियान प्रकृति के साथ-साथ माताओं के प्रति सम्मान का प्रतीक है।
अग्निपथ योजना
- "अग्निवीर" शब्द का अर्थ "अग्नि-योद्धा" है और यह एक नया सैन्य पद है।
- यह अधिकारी रैंक से नीचे के सैन्य कार्मिकों जैसे सैनिकों, वायुसैनिकों और नाविकों की नियुक्ति की एक योजना है, जो भारतीय सशस्त्र बलों में कमीशन प्राप्त अधिकारी नहीं हैं।
- उन्हें 4 वर्ष की अवधि के लिये नियुक्त किया जाता है, जिसके बाद, इनमें से 25% तक (जिन्हें अग्निवीर कहा जाता है), योग्यता और संगठनात्मक आवश्यकताओं के अधीन, स्थायी कमीशन (अन्य 15 वर्ष) पर सेवाओं में शामिल हो सकते हैं।
- वर्तमान में, चिकित्सा शाखा के तकनीकी संवर्ग को छोड़कर सभी नाविकों, वायुसैनिकों और सैनिकों को इस योजना के तहत सेवाओं में नियुक्त किया जाता है।
गुरु पूर्णिमा
- हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गुरु पूर्णिमा आमतौर पर हिंदू माह आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन आती है।
- यह महर्षि वेद व्यास को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने पवित्र हिंदू ग्रंथ वेदों का संपादन किया था तथा 18 पुराणों, महाभारत और श्रीमद्भागवतम की रचना की थी।
- बौद्ध धर्मावलंबियों के लिये यह त्योहार भगवान बुद्ध के प्रथम उपदेश का प्रतीक है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह उपदेश इसी दिन उत्तर प्रदेश के सारनाथ में दिया गया था।
- ऐसा भी माना जाता है कि यह दिन मानसून के आगमन का सूचक होता है।
राजस्थान Switch to English
वैश्विक चुनौतियों के लिये जनजातीय समुदाय समाधान
चर्चा में क्यों?
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सतत् विकास पर आयोजित उच्च स्तरीय राजनीतिक फोरम (High-Level Political Forum- HLPF) में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये राजस्थान के स्थानिक जनजातीय समुदायों के समाधान और नीतिगत भागीदारी पर प्रकाश डाला गया।
- राज्य के एक प्रतिनिधि ने चर्चा की कि कैसे जनजातीय समुदायों की पारंपरिक प्रथाओं ने उनकी समृद्ध प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में योगदान दिया है।
मुख्य बिंदु:
- यह फोरम संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic and Social Council- ECOSOC) के तत्त्वावधान में आयोजित किया गया था।
- इसकी थीम थी ‘Reinforcing the 2030 agenda and eradicating poverty in times of multiple crises: The effective delivery of sustainable, resilient and innovative solutions’ है जिसका अर्थ ‘2030 के एजेंडे को सुदृढ़ करना और विभिन्न संकटों के समय गरीबी उन्मूलन: सतत्, लचीले और नवीन समाधानों का प्रभावी वितरण’।
- मंच पर अपनाए गए मंत्रिस्तरीय घोषणा-पत्र में सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) को प्राप्त करने के लिये नए सिरे से प्रोत्साहन देने का आह्वान किया गया।
- ECOSOC की अध्यक्ष पाउला नार्वेज़ के अनुसार, मंत्रिस्तरीय घोषणा ने सतत् विकास के लिये 2030 एजेंडा को लागू करने की तात्कालिकता पर ज़ोर दिया है।
- मंच पर विशेषज्ञों ने जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान के लिये स्वदेशी समुदायों को मान्यता देने के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने रणनीति निर्माण में इन समुदायों की वैश्विक भागीदारी की वकालत की तथा इस बात पर प्रकाश डाला कि उनकी पारंपरिक प्रथाएँ सतत् विकास के लिये आवश्यक अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।
- प्राकृतिक और समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोणों के प्रति विश्वास पर आधारित स्थानिक प्रथाएँ स्थिरता तथा लचीलेपन को बढ़ावा दे सकती हैं, जो संकट के बीच वर्ष 2030 के एजेंडे को सुदृढ़ करने के लिये आवश्यक हैं।
- स्वराज के सिद्धांतों (संप्रभुता) से प्रेरित होकर, जनजातीय समुदायों की जीवनशैली और सांस्कृतिक मूल्यों ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है, बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम की है तथा कृषि पद्धतियों में सुधार किया है, जिससे उनके परिवारों के लिये भोजन, पोषण और आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।
- फोरम में जिन जनजातियों की सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रकाश डाला गया, उनमें स्थानीय बीजों का उत्पादन, स्रोत पर जल संरक्षण, कृषि में पशुओं का उपयोग, मिश्रित फसलों के माध्यम से मृदा अपरदन को रोकना तथा पोषण सुरक्षा के लिये बिना कृषि वाले खाद्यान्न का उपयोग शामिल थे।
- इन प्रथाओं ने जनजातीय समुदायों को बाज़ार पर अपनी निर्भरता कम करने और वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी सहित कठिन दौर के दौरान जीवित रहने में मदद की है।
- जनजातीय समुदायों की पारंपरिक प्रथाएँ न केवल उनकी आकांक्षाओं को पूरा करेंगी, उन्हें सतत् और लचीले समाधान प्रदान करेंगी, बल्कि गरीबी, असमानता और सुभेद्यता के मुद्दों को हल करने में भी मदद करेंगी, ताकि सतत् विकास लक्ष्य (SDG) के लिये वर्ष 2030 के एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic and Social Council- ECOSOC)
- वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा स्थापित यह निकाय आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर समन्वय, नीति समीक्षा, नीति संवाद तथा सिफारिशों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन के लिये प्रमुख निकाय है।
- इसके 54 सदस्य हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा तीन वर्ष के कार्यकाल के लिये निर्वाचित किया जाता है।
- यह सतत् विकास पर विचार करने, संवाद और रचनात्मक सोच के लिये संयुक्त राष्ट्र का केंद्रीय मंच है।
- प्रतिवर्ष ECOSOC सतत् विकास के लिये वैश्विक महत्त्व की वार्षिक थीम के इर्द-गिर्द अपनी कार्य संरचना बनाता है।
- यह संयुक्त राष्ट्र की 14 विशिष्ट एजेंसियों, दस कार्यात्मक आयोगों और पाँच क्षेत्रीय आयोगों के कार्यों का समन्वय करता है, नौ संयुक्त राष्ट्र निधियों तथा कार्यक्रमों से रिपोर्ट प्राप्त करता है एवं संयुक्त राष्ट्र प्रणाली व सदस्य राज्यों के लिये नीतिगत सिफारिशें जारी करता है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
केटे एक्सटेंशन कोल ब्लॉक में खनन
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (Chhattisgarh Environment Conservation Board- CECB) ने हसदेव अरंड क्षेत्र में परसा ईस्ट-केंटे बसन (Parsa East-Kente Basan- PEKB), परसा और केटे एक्सटेंशन कोल ब्लॉक परियोजनाओं के लिये सार्वजनिक परामर्श आयोजित करने के लिये एक परिपत्र जारी किया है।
मुख्य बिंदु
- कुछ स्थानीय लोगों ने परियोजना के प्रति समर्थन व्यक्त किया है तथा विकास के लिये इसके संभावित लाभों की ओर इंगित किया है, जबकि अन्य ने इस पर अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं।
- वर्ष 2021 में बनाए गए लेमरू हाथी रिज़र्व के दस किलोमीटर के भीतर एक खनन परियोजना क्षेत्र है। खनन के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में मानव- हाथी संघर्ष में वृद्धि होगी ।
- सूत्रों के अनुसार, सार्वजनिक सुनवाई 2 अगस्त 2024 को होगी, क्योंकि पर्यावरणीय मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये यह एक अनिवार्य प्रक्रिया है।
हसदेव अरंड वन
- छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित हसदेव अरंड नामक विशाल वन अपनी जैवविविधता और कोयला निक्षेपों के लिये जाना जाता है।
- यह वन कोरबा, सुजापुर और सरगुजा ज़िलों के अंतर्गत आता है जहाँ जनजातीय जनसंख्या काफी अधिक है।
- महानदी की सहायक नदी हसदेव नदी यहाँ से होकर प्रवाहित होती है।
- हसदेव अरंड मध्य भारत का सबसे बड़ा अक्षुण्ण वन है, जिसमें प्राचीन साल (शोरिया रोबस्टा) और सागौन के वन शामिल हैं।
- यह एक प्रसिद्ध प्रवासी गलियारा है और यहाँ हाथियों की उपस्थिति काफी अधिक है।
लेमरू हाथी रिज़र्व
- यह रिज़र्व छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले में स्थित है।
- इस रिज़र्व का उद्देश्य हाथियों को एक स्थायी निवास स्थान प्रदान करने के अलावा मानव-पशु संघर्ष और संपत्ति के नुकसान को कम करना है।
- इससे पूर्व, राज्य सरकार ने अक्तूबर 2020 में वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 [Wild Life (Protection) Act,1972] की धारा 36 A के तहत रिज़र्व (संरक्षण रिज़र्व) को अधिसूचित किया था।
- धारा 36A में एक विशेष प्रावधान है जो केंद्र सरकार को अधिसूचना की प्रक्रिया में अपनी बात कहने का अधिकार देता है, यदि संरक्षण रिज़र्व के रूप में अधिसूचित की जाने वाली भूमि में केंद्र का क्षेत्र शामिल है।
- WLPA के अंतर्गत हाथी रिज़र्व को मान्यता नहीं दी गई है।
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