उत्तराखंड Switch to English
खनन निगरानी प्रणाली
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिये राज्य में खनन डिजिटल परिवर्तन और निगरानी प्रणाली (MDTSS) की स्थापना हेतु 93 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को स्वीकृति दी।
मुख्य बिंदु:
- देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर में 40 चेक गेटों पर ये सिस्टम लगाए जाएंगे।
- बुलेट कैमरा, रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) रडार और लाइट एमिटिंग डायोड (LED) फ्लडलाइट से लैस नई प्रणाली न केवल अवैध खनन गतिविधियों की निगरानी करने में मदद करेगी बल्कि राज्य सरकार के राजस्व को भी बढ़ाएगी।
- देहरादून में खनन राज्य नियंत्रण केंद्र (MSCC) स्थापित किया जाएगा, साथ ही देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर में ज़िला मुख्यालयों पर मिनी कमांड सेंटर भी स्थापित किये जाएंगे।
अवैध खनन
- परिचय:
- अवैध खनन में सरकारी अधिकारियों से आवश्यक परमिट, लाइसेंस या विनियामक अनुमोदन के बिना भूमि या जल निकायों से खनिजों, अयस्कों या अन्य मूल्यवान संसाधनों का निष्कर्षण शामिल है।
- इसमें पर्यावरण, श्रम और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन भी शामिल हो सकता है।
- मुद्दे:
- पर्यावरणीय क्षरण:
- इससे निर्वनीकरण, मृदा अपरदन और जल प्रदूषण हो सकता है तथा इसके परिणामस्वरूप वन्यजीवों के आवास नष्ट हो सकते हैं, जिसके गंभीर पारिस्थितिक परिणाम हो सकते हैं।
- खतरे:
- राजस्व की हानि:
- इससे सरकारों को राजस्व की हानि हो सकती है क्योंकि खनिक उचित कर और रॉयल्टी का भुगतान नहीं कर सकते हैं।
- इसका महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव हो सकता है, विशेषकर उन देशों में जहाँ प्राकृतिक संसाधन राजस्व का एक प्रमुख स्रोत हैं।
- मानवाधिकार उल्लंघन:
- अवैध खनन के परिणामस्वरूप मानवाधिकार उल्लंघन भी हो सकता है, जिसमें जबरन श्रम, बाल श्रम और कमज़ोर आबादी का शोषण शामिल है।
- पर्यावरणीय क्षरण:
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (Radio Frequency Identification- RFID
- रडार RFID एक प्रकार की निष्क्रिय वायरलेस तकनीक है जो किसी वस्तु या व्यक्ति को ट्रैक करने की अनुमति देती है।
- इस प्रणाली के दो आधारभूत भाग हैं: टैग और रीडर।
- रीडर रेडियो तरंगें उत्पन्न करता है और RFID टैग से सिग्नल वापस प्राप्त करता है, जबकि टैग अपनी पहचान तथा अन्य जानकारी संप्रेषित करने के लिये रेडियो तरंगों का प्रयोग करता है।
- टैग को कई फीट दूर से पढ़ा जा सकता है और ट्रैक किये जाने के लिये रीडर के सरल रैखिक होने की आवश्यकता नहीं है।
- इस तकनीक को 1970 के दशक से पूर्व से ही स्वीकृति दी गई है, लेकिन वैश्विक आपूर्ति शृंखला प्रबंधन और पालतू माइक्रोचिपिंग जैसी चीज़ों में इसके प्रयोग के कारण हाल के वर्षों में यह बहुत अधिक प्रचलित हो गई है।
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उत्तराखंड Switch to English
विशेष पर्यटक ट्रेन
चर्चा में क्यों ?
सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने दक्षिण भारत में एक समर्पित पर्यटक ट्रेन संचालित करने के लिये भारतीय रेलवे खान-पान एवं पर्यटन निगम लिमिटेड (IRCTC) के साथ साझेदारी की है।
मुख्य बिंदु:
- केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत केदार बद्री कार्तिक (मुरुगन) कोइल यथिराई नामक अनूठी ट्रेन तमिलनाडु के मदुरै से ऋषिकेश तक 165 यात्रियों के साथ अपनी पहली यात्रा शुरू करेगी।
- ट्रेन में सवार सभी 165 यात्रियों को 12 दिन और रात के लिये विशेष टूर पैकेज दिये गए हैं।
- इसमें रुद्रप्रयाग, बद्रीनाथ और केदारनाथ में नए खोजे गए पर्यटक स्थल कार्तिक स्वामी मंदिर के दर्शन शामिल हैं।
- टूर पैकेज में पर्यटकों के लिये विश्राम और खाने-पीने की पूरी सुविधा शामिल है।
- उत्तराखंड पर्यटन का उद्देश्य दक्षिण, विशेषकर चेन्नई से अधिक तीर्थयात्रियों को आकर्षित करना है, ताकि उन्हें रुद्रप्रयाग ज़िले में एक नए विकसित महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल कार्तिक स्वामी मंदिर से जोड़ा जा सके।
- मान्यता के अनुसार शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय अपने माता-पिता के साथ यहाँ आए थे और उन्होंने अपनी अस्थियाँ पिता को तथा देह/आमिष माता को सौंप दिया था।
- ऐसा कहा जाता है कि ये अस्थियाँ मंदिर में मौजूद हैं। उत्तर भारत में यह भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर है, जिन्हें दक्षिण भारत में देवता मुरुगन के रूप में जाना जाता है।
- उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से पश्चिमी और दक्षिण भारत से विशेष रेलगाड़ियाँ संचालित करने के लिये IRCTC के साथ सहयोग किया है।
- महाराष्ट्र और पश्चिम के अन्य राज्यों से पर्यटकों को कुमाऊँ क्षेत्रों की ओर आकर्षित करने के लिये मार्च तथा अप्रैल, 2024 में पुणे से मानसखंड एक्सप्रेस नामक दो विशेष रेलगाड़ियाँ शुरू की गईं।
भारतीय रेलवे खान-पान एवं पर्यटन निगम लिमिटेड (Indian Railway Catering and Tourism Corporation- IRCTC)
- यह एक मिनी रत्न श्रेणी-I (वर्ष 2008 में प्रदान किया गया) केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है जो पूरी तरह से रेल मंत्रालय के स्वामित्व में है और उसके प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- यह एक पंजीकृत उद्यम है और इसका कॉर्पोरेट कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- IRCTC को सितंबर 1999 में भारतीय रेलवे की विस्तारित शाखा के रूप में शामिल किया गया था, जिसका उद्देश्य स्टेशनों, ट्रेनों और अन्य स्थानों पर खान-पान तथा आतिथ्य सेवाओं को उन्नत, पेशेवर बनाना एवं इनका प्रबंधन करना है। यह फर्म वर्तमान में 4 व्यावसायिक क्षेत्रों में काम करती है, अर्थात् इंटरनेट टिकटिंग, खान-पान, पैकेजिंग पेयजल, यात्रा और पर्यटन। यह एकमात्र इकाई है जिसे भारतीय रेलवे द्वारा देश में रेलवे स्टेशनों तथा ट्रेनों में खान-पान सेवाएँ, ऑनलाइन रेलवे टिकट एवं पैकेज्ड पेयजल प्रदान करने के लिये अधिकृत किया गया है।
- इससे ई-टिकटिंग, पैकेज्ड पेयजल और ई-कैटरिंग में बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ाने में इसका लाभ मिलता है।
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झारखंड Switch to English
सिकल सेल एनीमिया रोगियों को पेंशन लाभ
चर्चा में क्यों ?
अधिकारियों के अनुसार, झारखंड के खूंटी ज़िले में सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित लोगों को 1,000 रुपए मासिक पेंशन मिलेगी।
मुख्य बिंदु:
- खूंटी ज़िला प्रशासन ने स्वामी विवेकानंद निशक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना के तहत सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्तियों के लिये पेंशन लाभ को स्वीकृति दे दी है।
- पहले चरण में विभिन्न ब्लॉकों से नौ लाभार्थियों की पहचान की गई है- खूंटी और कर्रा से तीन-तीन, मुरहू से दो तथा तोरपा ब्लॉक से एक।
- यदि कोई सिकल सेल रोग का मामला सामने आता है या बाद में इसकी पहचान की जाती है तो उसे इस योजना के तहत कवर किया जाएगा।
- ज़िले में अब तक 99,165 लोगों की सिकल सेल जाँच की गई है।
- इनमें से 114 सिकल सेल रोग के वाहक पाए गए तथा कुल 46 व्यक्ति सिकल सेल एनीमिया-थैलेसीमिया रोग से पीड़ित पाए गए
- इनमें से नौ ऐसे लोग हैं जो 40 प्रतिशत या उससे अधिक सिकल सेल एनीमिया-थैलेसीमिया रोग से पीड़ित हैं, उन्हें दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर योजना के तहत पेंशन दी जा रही है।
स्वामी विवेकानंद निशक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना
- यह झारखंड सरकार के महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा शुरू की गई योजना है
- इसका उद्देश्य पाँच वर्ष या उससे अधिक आयु के दिव्यांग जनों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, जिन्हें वित्तीय सहायता की आवश्यकता है
- यह योजना प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के रूप में संचालित होती है, जहाँ पेंशन राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में स्थानांतरित की जाती है।
सिकल सेल रोग
- सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जो हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन परिसंचरण के लिये ज़िम्मेदार प्रोटीन) में असामान्यता के कारण होता है
- इस विकार में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार अर्द्धचंद्राकार हो जाता है और वाहिकाओं के माध्यम से उनकी गति बाधित होती है, जिससे गंभीर दर्द, संक्रमण, एनीमिया तथा स्ट्रोक जैसी संभावित जटिलताएँ हो सकती हैं
- केवल भारत में प्रत्येक वर्ष अनुमानतः 30,000-40,000 बच्चे सिकल सेल रोग के साथ पैदा होते हैं।
थैलेसीमिया
- सिकल सेल रोग की तरह ही थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति कम हीमोग्लोबिन के स्तर के कारण गंभीर एनीमिया का अनुभव करते हैं, जिसके उपचार के लिये आजीवन रुधिर आधान और आयरन संचय को प्रबंधित करने के लिये केलेशन थेरेपी की आवश्यकता होती है।
- प्रमुख लक्षणों में थकान, पीलापन या पीलिया, साँस की तकलीफ, शारीरिक विकास में विलंब, चेहरे की हड्डी की विकृति (गंभीर मामलों में) आदि शामिल हैं।
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झारखंड Switch to English
बाघिनों को पलामू रिज़र्व में स्थानांतरित किया गया
चर्चा में क्यों ?
सूत्रों के अनुसार, पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR) में स्थानांतरित हुए चार बाघों के जीवन निर्वहन के लिये दूसरे रिज़र्व से दो बाघिनों और एक बाघ को लाने का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु:
- रिज़र्व में स्थापित सॉफ्ट रिलीज़ सेंटर (Soft Release Centers- SRC) में 350 जानवरों को स्थानांतरित करने के लिये केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की मंज़ूरी का इंतज़ार है।
- चीतल, सांभर और हिरणों को स्थानांतरित करने के लिये राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) से अनुमति पहले ही प्राप्त हो चुकी है।
- वन अधिकारियों ने बाघों के लिये पर्याप्त भोजन सुनिश्चित करने हेतु चार SRC स्थापित किये हैं, जिससे उन्हें रिज़र्व में प्रजनन करने में सहायता मिलेगी।
- इन केंद्रों में पशुओं को पूर्व-मुक्ति पिंजरों में रखा जाता है, जो उस स्थान के निकट रखे जाते हैं जहाँ उन्हें स्वछंद छोड़ा जाएगा।
- बारेसाढ़, लुकैया, मुंडू और धरधरिया में सॉफ्ट रिलीज़ से 10-10 हेक्टेयर क्षेत्र कवर होता है, जिससे चीतल के प्रजनन के लिये उपयुक्त वातावरण तैयार होता है, जो बाघों के लिये शिकार का कार्य करेगा।
- चीतल और सांभर को बेतला राष्ट्रीय उद्यान तथा भगवान बिरसा जैविक उद्यान (बिरसा चिड़ियाघर) से अलग SRC में स्थानांतरित किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2019 में जारी भारत में बाघों की स्थिति पर रिपोर्ट के अनुसार, PTR में कोई बाघ नहीं थे।
- PTR करीब 1,230 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। इसे वर्ष 1973 में बाघ अभयारण्य बनाया गया था।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण
- यह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत एक सांविधिक निकाय है। इसका गठन वर्ष 1992 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत किया गया था।
- इसके अध्यक्ष केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हैं और इसमें 10 सदस्य तथा एक सदस्य-सचिव हैं।
- प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य समृद्ध जैवविविधता के संरक्षण में राष्ट्रीय प्रयास को पूरक और मज़बूत बनाना है।
- यह प्राधिकरण चिड़ियाघरों को मान्यता प्रदान करता है तथा देश भर के चिड़ियाघरों को विनियमित करने का भी कार्य करता है।
- यह दिशा-निर्देश और नियम निर्धारित करता है जिसके तहत जानवरों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिड़ियाघरों के बीच स्थानांतरित किया जा सकता है।
- यह चिड़ियाघर कर्मियों के क्षमता निर्माण, नियोजित प्रजनन कार्यक्रमों और बाह्य-स्थाने अनुसंधान पर कार्यक्रमों का समन्वय और कार्यान्वयन करता है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
- यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38L (1) के तहत एक वैधानिक निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद की गई थी।
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उत्तर प्रदेश Switch to English
PM-किसान योजना
चर्चा में क्यों ?
भारत के प्रधानमंत्री ने किसान कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान) की 17वीं किस्त के वितरण की अनुमति दी।
मुख्य बिंदु:
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान) के तहत लगभग 9.26 करोड़ लाभार्थी किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की 17वीं किस्त दी जाएगी।
- अब तक PM-किसान के तहत 11 करोड़ से अधिक पात्र किसान परिवारों को 3.04 लाख करोड़ रुपए से अधिक का लाभ मिला है।
- स्वयं सहायता समूहों (SHG) की 30,000 से अधिक महिलाओं को कृषि सखी के रूप में प्रमाण-पत्र भी प्रदान किये गए।
- कृषि सखी अभिसरण कार्यक्रम (KSCP) का उद्देश्य कृषि सखी के रूप में ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाकर, कृषि सखियों को पैरा-विस्तार कार्यकर्त्ताओं के रूप में प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान करके ग्रामीण भारत में बदलाव लाना है।
- यह प्रमाणन पाठ्यक्रम “लखपति दीदी” कार्यक्रम के उद्देश्यों के अनुरूप भी है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान)
- इस योजना के अंतर्गत, केंद्र सरकार सभी भूमिधारक किसानों के बैंक खातों में तीन समान किस्तों में प्रतिवर्ष 6,000 रुपए की राशि सीधे हस्तांतरित करती है, चाहे उनकी भूमि का आकार कुछ भी हो।
- इसे फरवरी 2019 में लॉन्च किया गया था।
- यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका 100% वित्तपोषण भारत सरकार द्वारा किया जाता है।
- इसका क्रियान्वयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
- लाभार्थी किसान परिवारों की पहचान की पूरी ज़िम्मेदारी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की है।
- उद्देश्य:
- प्रत्येक फसल चक्र के अंत में प्रत्याशित कृषि आय के अनुरूप उचित फसल स्वास्थ्य और उपयुक्त उपज सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न इनपुट प्राप्त करने में छोटे तथा सीमांत किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना।
- उन्हें ऐसे व्ययों को पूरा करने के लिये साहूकारों से बचाना तथा कृषि गतिविधियों में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करना।
लखपति दीदी योजना
- सरकार का लक्ष्य गाँवों में दो करोड़ "लखपति दीदी" (समृद्ध बहनें) तैयार करना है। यह योजना गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सशक्तीकरण के व्यापक मिशन से जुड़ी है।
- इस योजना के तहत महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि वे प्रतिवर्ष 1 लाख रुपए से अधिक कमा सकें।
- विशेषताएँ:
- कृषि गतिविधियों के लिये महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे।
- इस नई पहल का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर कृषि परिदृश्य में बदलाव लाना तथा ग्रामीण समुदायों में महिलाओं को सशक्त बनाना है।
- लगभग 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन संचालन और मरम्मत का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- यह प्रशिक्षण न केवल आय सृजन के नए अवसर उत्पन्न करेगा बल्कि महिलाओं को अत्याधुनिक कौशल से भी लैस करेगा।
- ड्रोन में परिशुद्ध खेती, फसल निगरानी और कीट नियंत्रण को सक्षम करके कृषि में क्रांति लाने की क्षमता है।
- इस योजना के तहत महिलाओं को LED बल्ब बनाने, प्लंबिंग आदि जैसे कौशलों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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उत्तर प्रदेश Switch to English
वाराणसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास
चर्चा में क्यों ?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिये 2869.65 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के साथ एक व्यापक विकास योजना को मंज़ूरी दी।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) इस परियोजना की देख-रेख करेगा, जिसका उद्देश्य हवाई अड्डे की यात्री संचालन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करना है।
मुख्य बिंदु:
- इस परियोजना में एक नया टर्मिनल बनाना, रनवे को लंबा करना और एप्रन को विस्तृत करना शामिल है।
- आगामी टर्मिनल 75,000 वर्ग मीटर में विस्तृत होगा, जो प्रतिवर्ष 6 मिलियन यात्रियों की सेवा करेगा तथा व्यस्त समय में 5,000 यात्रियों को संभाल सकेगा।
- इसमें वाराणसी की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा तथा यात्रियों को एक अनूठा अनुभव प्रदान किया जाएगा।
- हवाई अड्डा ऊर्जा दक्षता, अपशिष्ट पुनर्चक्रण, कार्बन उत्सर्जन को कम करने, सौर ऊर्जा का उपयोग करने और प्राकृतिक प्रकाश को अधिकतम करने के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता देकर पर्यावरण-अनुकूल हवाई अड्डे में परिवर्तित होने की राह पर है।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI)
- इसका गठन संसद के भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अधिनियम, 1994 द्वारा किया गया था तथा यह 1 अप्रैल, 1995 को तत्कालीन राष्ट्रीय विमानपत्तन प्राधिकरण और भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन प्राधिकरण को मिलाकर अस्तित्त्व में आया।
- इस विलय से एक संगठन अस्तित्त्व में आया जिसे देश में ज़मीन और हवाई क्षेत्र में नागरिक विमानन अवसंरचना के सृजन, उन्नयन, रखरखाव तथा प्रबंधन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई।
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