बिहार Switch to English
ज़हरीली शराब त्रासदी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार में एक दुखद घटना में ज़हरीली शराब के सेवन से आठ व्यक्तियों की मृत्यु हो गई, जिससे अवैध शराब के सेवन के गंभीर परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- ज़हरीली शराब (हूच) निर्माण प्रक्रिया:
- अवैध या नकली शराब के रूप में भी जानी जाने वाली हूच, आमतौर पर गुड़ या अनाज जैसे किफायती कच्चे माल को किण्वित और आसवित करके बनाई जाती है।
- अक्सर, उत्पादन में तेज़ी लाने या क्षमता बढ़ाने के लिये मेथनॉल जैसे खतरनाक रसायन मिलाए जाते हैं। मेथनॉल कम मात्रा में भी घातक विषाक्तता उत्पन्न कर सकता है।
- योगदान देने वाले कारक:
- बिहार में सख्त शराबबंदी कानून के बावजूद शराब का कारोबार तेज़ी से जारी है। शराबबंदी के प्रभावी कार्यान्वयन की कमी और शराब की बढ़ती मांग के कारण शराब पीने की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ जहरीली शराब की बिक्री को रोकने के लिये बेहतर विनियमन और पुलिस व्यवस्था की आवश्यकता की ओर इशारा करते हैं।
- निषेध कानून:
- बिहार में 2016 से बिहार निषेध एवं उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 के अंतर्गत शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है। हालाँकि, कुछ कमियों और कमज़ोर प्रवर्तन के कारण अवैध व्यापार में वृद्धि हो रही है।
- इस कानून में अवैध शराब के उत्पादन और बिक्री में शामिल लोगों के लिये भारी ज़ुर्माना और कारावास सहित कठोर दंड का प्रावधान है।
मेथनॉल
- मेथनॉल, जिसे रासायनिक रूप से CH3OH के रूप में दर्शाया जाता है, एक सरल अल्कोहल अणु है जिसमें एक कार्बन परमाणु तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक हाइड्रॉक्सिल समूह (OH) से आबंधित होता है।
- विनियम:
- मेथनॉल को भारत में खतरनाक रसायन निर्माण, भंडारण और आयात नियम 1989 की अनुसूची I के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
- भारतीय मानक IS 517 निर्दिष्ट करता है कि मेथनॉल की गुणवत्ता कैसे निर्धारित की जानी चाहिये।
- औद्योगिक उत्पादन:
- मेथनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से औद्योगिक रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन को ताँबा और जिंक ऑक्साइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में संयोजित करके किया जाता है, आमतौर पर 50-100 atm दबाव और लगभग 250 डिग्री सेल्सियस तापमान पर।
- ऐतिहासिक रूप से, मेथनॉल का उत्पादन लकड़ी के विनाशकारी आसवन के माध्यम से भी किया जाता था, यह विधि प्राचीन काल से ही जानी जाती थी, जिसमें प्राचीन मिस्र भी शामिल है।
- मेथनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से औद्योगिक रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन को ताँबा और जिंक ऑक्साइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में संयोजित करके किया जाता है, आमतौर पर 50-100 atm दबाव और लगभग 250 डिग्री सेल्सियस तापमान पर।
- औद्योगिक उपयोग:
- मेथनॉल एसिटिक एसिड, फॉर्मेल्डिहाइड और विभिन्न सुगंधित हाइड्रोकार्बन के उत्पादन में एक महत्त्वपूर्ण अग्रदूत के रूप में कार्य करता है। इसके रासायनिक गुणों के कारण इसका व्यापक रूप से विलायक, एंटीफ्रीज और विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाता है।
- मानव शरीर पर प्रभाव:
- चयाचपयी अम्लरक्तता (मेटाबोलिक एसिडोसिस):
- शरीर में मेथनॉल विषाक्त उप-उत्पादों में विभाजित हो जाता है, मुख्य रूप से फॉर्मिक एसिड। यह एसिड रक्त में शरीर के डेलिकेट pH बैलेंस को बाधित करता है, जिससे मेटाबोलिक एसिडोसिस (अत्यधिक एसिड का उत्पादन जिसे किडनी द्वारा बाहर नहीं निकाला जा सकता) नामक स्थिति उत्पन्न होती है।
- इससे रक्त अधिक अम्लीय हो जाता है, जिससे उसके ठीक से काम करने की क्षमता बाधित हो जाती है।
- चयाचपयी अम्लरक्तता (मेटाबोलिक एसिडोसिस):
- सेलुलर ऑक्सीजन की कमी:
- फॉर्मिक एसिड साइटोक्रोम ऑक्सीडेज नामक एंजाइम में भी हस्तक्षेप करता है, जो सेलुलर श्वसन के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह कोशिकाओं की ऑक्सीजन का उपयोग करने की क्षमता को बाधित करता है, जिससे लैक्टिक एसिड का निर्माण होता है और एसिडोसिस में और योगदान होता है।
- दृष्टि दोष (विज़न इंपेयरमेंट):
- मेथनॉल ऑप्टिक तंत्रिका और रेटिना को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे मेथनॉल-प्रेरित ऑप्टिक न्यूरोपैथी हो सकती है। यह स्थिति स्थायी दृष्टि समस्याओं, जिसमें अंधापन भी शामिल है, को जन्म दे सकती है।
- मस्तिष्क क्षति:
- इससे सेरेब्रल एडिमा (मस्तिष्क में द्रव का जमाव) और रक्तस्राव (खून बहना) हो सकता है। इससे कोमा और मृत्यु हो सकती है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश खनन सम्मेलन, 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश में खनन सम्मेलन, 2024 का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य खनन एवं ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करना था। इस सम्मेलन में सतत् प्रथाओं और तकनीकी उन्नति पर विचार-विमर्श किया गया।
मुख्य बिंदु
- सम्मेलन (कॉन्क्लेव) का उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य मध्य प्रदेश में खनन, तेल, गैस और संबंधित उद्योगों में निवेश को बढ़ावा देना है।
- सतत् खनन प्रणालियों, नियामक ढाँचे और कुशल संसाधन उपयोग के लिये उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- रणनीतिक एवं तकनीकी चर्चाएँ:
- विषयों में कोयला, ऊर्जा, चूना पत्थर, सीमेंट और खनिज लाभकारीकरण शामिल हैं ।
- खदान परिचालन के लिये ड्रोन समाधान और खनिज प्रसंस्करण में नवाचार जैसी नई प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला गया।
- मध्य प्रदेश की खनिज संपदा:
- यह राज्य कोयला, चूना पत्थर और हीरे जैसे खनिजों से समृद्ध है।
- मध्य प्रदेश में भारत के 90% हीरा भंडार मौजूद हैं, जो इसे हीरा व्यापार का केंद्र बनाता है, जहाँ विकास के लिये पाँच ब्लॉक चिह्नित किये गए हैं।
उत्तराखंड Switch to English
'स्पिट जिहाद' के लिये उत्तराखंड सरकार के दिशानिर्देश
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने त्यौहारी सीज़न के दौरान खाद्य सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं को दूर करते हुए थूकने (Spit) से होने वाली खाद्य संदूषण की घटनाओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से नए दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
मुख्य बिंदु
- सख्त ज़ुर्माने का प्रावधान: थूकने (Spit) या इसी तरह के अन्य अपराध करके भोजन को दूषित करने वाले अपराधियों पर 1 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना लगाया जाएगा।
- ये दिशानिर्देश हाल ही में वायरल हुई घटनाओं के बाद जारी किये गए हैं, जिनमें मसूरी और देहरादून के वीडियो भी शामिल हैं, जहाँ लोग खाद्य पदार्थों में थूकते (Spit) हुए पकड़े गए थे, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया था।
- पुलिस सत्यापन और CCTV: होटलों और भोजनालयों को अब अपने कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन कराना अनिवार्य कर दिया गया है, तथा रसोईघरों में CCTV कैमरे लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
- अधिकारी खाद्य सुरक्षा मानकों को बनाए रखने के बारे में जनता और व्यवसायों को शिक्षित करने के लिये जागरूकता अभियान चलाएंगे।
- स्वास्थ्य विभाग की भागीदारी: स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा विभाग सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये भोजनालयों में आकस्मिक निरीक्षण और जाँच में पुलिस की सहायता करेंगे।
- विधिक कार्यवाही: अपराधियों पर विभिन्न कानूनी प्रावधानों के तहत आरोप लगाए जा सकते हैं, जिनमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) और उत्तराखंड पुलिस अधिनियम, 2007 के तहत सार्वजनिक उपद्रव एवं खाद्य मिलावट से संबंधित धाराएँ शामिल हैं।
- धार्मिक संवेदनशीलता के प्रति शून्य सहनशीलता: यदि कृत्य धर्म या सामुदायिक सद्भाव को प्रभावित करता है, तो BNS धारा 196 (शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत अतिरिक्त आरोप लगाए जा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ DMF घोटाला
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate- ED) ने ज़िला खनिज फाउंडेशन (District Mineral Foundation- DMF) घोटाले के संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार के एक अधिकारी को गिरफ्तार किया है।
मुख्य बिंदु
- DMF घोटाले की जाँच:
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) ज़िला खनिज फाउंडेशन (DMF) के व्यापक दुरुपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसका उद्देश्य खनन गतिविधियों से प्रभावित समुदायों को लाभ पहुँचाना है।
- ज़िला खनिज फाउंडेशन (DMF):
- DMF एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट है जिसकी स्थापना खनन कार्यों से प्रभावित लोगों के हित और लाभ के लिये काम करने के लिये की गई है।
- खनन कंपनियों से प्राप्त रॉयल्टी के एक प्रतिशत से वित्त पोषित DMF का उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास करना तथा स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका सहायता प्रदान करना है।
- प्रवर्तन निदेशालय (ED):
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक कानून प्रवर्तन एजेंसी है जो आर्थिक अपराधों, विशेष रूप से धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act- PMLA), 2002 के तहत धन शोधन से संबंधित कानूनों की जाँच और प्रवर्तन के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह वित्तीय अपराधों और भ्रष्टाचार की जाँच में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जैसे कि DMF घोटाले की वर्तमान जाँच।
ज़िला खनिज फाउंडेशन (DMF) योजना
- परिचय:
- खान एवं खनिज विकास विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2015 के अनुसार, खनन-संबंधी कार्यों से प्रभावित प्रत्येक ज़िले में, राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा एक गैर-लाभकारी निकाय के रूप में एक ट्रस्ट की स्थापना करेगी, जिसे ज़िला खनिज फाउंडेशन (DMF) कहा जाएगा।
- DMF फंड:
- प्रत्येक खनन पट्टाधारक को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार, रॉयल्टी का एक-तिहाई हिस्सा ज़िला खनिज फाउंडेशन (DMF) में जमा कराना आवश्यक है।
- इस निधि का उपयोग खनन प्रभावित क्षेत्रों में प्रभावित लोगों के कल्याण के लिये किया जाएगा।
- उद्देश्य:
- इस योगदान के पीछे विचार यह है कि स्थानीय खनन प्रभावित समुदायों, जिनमें से अधिकांश आदिवासी हैं और जो देश के सबसे गरीब समुदायों में से हैं, को भी अपने निवास स्थान से निकाले गए प्राकृतिक संसाधनों से लाभ उठाने का अधिकार है।
- कार्य:
- DMF ट्रस्टों की कार्यप्रणाली और राज्यों के DMF नियमों द्वारा शासित निधि उपयोग में केंद्रीय दिशानिर्देश, प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) के अधिदेश शामिल हैं।
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