इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ज़हरीली शराब त्रासदी

  • 26 Jun 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ज़हरीली शराब, मेथनॉल, इथेनॉल,अल्कोहल, किण्वन प्रक्रिया, एंजाइम।

मेन्स के लिये:

नकली शराब का मानव शरीर पर प्रभाव, शराब प्रतिबंध के पक्ष और विपक्ष, सरकारी नीतियाँँ एवं हस्तक्षेप।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तमिलनाडु के कल्लाकुरिची ज़िले में ज़हरीली शराब पीने से लगभग 34 लोगों की मृत्यु हो गई है और लगभग 100 अन्य लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

हूच (ज़हरीली शराब) क्या है?

  • परिचय:
    • हूच शब्द का प्रयोग सामान्यतः खराब गुणवत्ता वाली शराब के लिये किया जाता है, जो हूचिनो नामक अलास्का की एक मूल जनजाति से लिया गया है, जो बहुत ही तीक्ष्ण शराब बनाने के लिये जानी जाती थी।
    • इसका उत्पादन प्रायः अनियमित एवं अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
    • ज़हरीली शराब के उत्पादन में गुणवत्ता नियंत्रण की कमी के कारण उपभोक्ताओं के लिये अल्कोहल की सही मात्रा और उसमें मौजूद संभावित संदूषकों की पहचान करना कठिन हो जाता है।
  • उत्पादन प्रक्रिया:
    • किण्वन:
      • इसकी उत्पादन प्रक्रिया बियर अथवा वाइन बनाने के समान है। इसकी शुरुआत फलों, अनाजों या गन्ने जैसे शर्करायुक्त पदार्थ से होती है। इसमें खमीर मिलाया जाता है, जो शर्करा को किण्वित करके अल्कोहल तथा कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित देता है।
    • आसवन (विकल्प):
      • शराब में प्राय: अधिक क्षमता (शक्ति) होती है, जबकि बीयर या वाइन में अल्कोहल की मात्रा कम होती है। आसवन में किण्वित मिश्रण को गर्म करके अल्कोहल की मात्रा में वृद्धि की जाती है।
      • अल्कोहल अपने निम्न क्वथनांक के कारण पहले वाष्पित हो जाता है, तथा वाष्प को एकत्रित कर लिया जाता है और पुनः द्रव में संघनित कर दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अल्कोहल की सांद्रता अधिक हो जाती है।

शराब में अल्कोहल की मात्रा कितनी है?

  • शराब में अल्कोहल:
    • इथेनॉल एक प्रकार का अल्कोहल है जो सामान्यतः मादक पेय पदार्थों में पाया जाता है और नशे के लिये ज़िम्मेदार मनोवैज्ञानिक घटक है।
      • इथेनॉल (C2H5OH) एक यौगिक है जिसमें दो कार्बन परमाणु, छह हाइड्रोजन परमाणु तथा एक हाइड्रॉक्सिल समूह (OH-) होता है।
    • शराब को उसकी अल्कोहलयुक्त सामग्री के आधार पर विभेदित किया जाता है। बीयर में यह 5% से लेकर वोदका और व्हिस्की जैसे आसुत स्पिरिट में 40% तक होती है।
    • शरीर के अंदर, इथेनॉल का चयापचय यकृत और आमाशय में अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज (ADH) एंजाइम द्वारा एसीटैल्डिहाइड में हो जाता है।
      • फिर एल्डिहाइड डिहाइड्रोजनेज़(ALDH) एंजाइम एसीटैल्डिहाइड को एसीटेट में बदल देते हैं।
  • नकली शराब:
    • यह एक नकली शराब है जिसे अक्सर घर या स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है।
    • इसमें मेथनॉल मिलाया जाता है ताकि शराब को उसके नशीले प्रभावों के मामले में ज्यादा मज़बूत बनाया जा सके या बनने वाली शराब की मात्रा बढ़ाई जा सके। यह एक हानिकारक पदार्थ है जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर खतरनाक हो सकता है।
    • आसुत किण्वित मिश्रण में उपभोग योग्य इथेनॉल के साथ-साथ विषाक्त मेथनॉल की उपस्थिति के कारण हूच उत्पादन में अंतर्निहित जोखिम होता है।
  • विनियमन:
    • खाद्य संरक्षा और मानक (अल्कोहलिक पेय मानक) विनियम 2018 विभिन्न शराबों में मेथनॉल की अधिकतम स्वीकार्य मात्रा निर्धारित करते हैं।
    • ये मान एक विस्तृत शृंखला में फैले हुए हैं, जिसमें नारियल फेनी में "अनुपस्थित (Absent)", देशी शराब में 50 ग्राम प्रति 100 लीटर और पॉट डिस्टिल्ड स्पिरिट में 300 ग्राम प्रति 100 लीटर शामिल हैं।

मेथनॉल और इसके उपभोग के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • मेथनॉल:
    • मेथनॉल, जिसे रासायनिक रूप से CH3OH के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, एक सरल अल्कोहल अणु है, जिसमें एक कार्बन परमाणु तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक हाइड्रॉक्सिल समूह (OH) से बंधा होता है।
  • विनियम
    • मेथनॉल को भारत में खतरनाक रसायन निर्माण, भंडारण और आयात नियम 1989 की अनुसूची I के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
    • भारतीय मानक IS 517 निर्दिष्ट करता है कि मेथनॉल की गुणवत्ता कैसे निर्धारित की जानी चाहिये।
  • औद्योगिक उत्पादन:
    • मेथनॉल का उत्पादन मुख्यतः औद्योगिक रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन को कॉपर तथा जिंक ऑक्साइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में 50-100 atm दबाव और लगभग 250 डिग्री सेल्सियस तापमान पर संयोजित करके किया जाता है।
      • ऐतिहासिक रूप से, मेथनॉल का उत्पादन लकड़ी के हानिकारक आसवन के माध्यम से भी किया जाता था, यह विधि प्राचीन काल से ही जानी जाती थी, जिसमें प्राचीन मिस्र भी शामिल है।
  • औद्योगिक उपयोग:
    • मेथनॉल एसिटिक एसिड, फॉर्मेल्डिहाइड और विभिन्न सुगंधित हाइड्रोकार्बन के उत्पादन में एक महत्त्वपूर्ण अग्रदूत के रूप में कार्य करता है। इसके रासायनिक गुणों के कारण इसका व्यापक रूप से विलायक, एंटीफ्रीज और विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाता है।
  • मानव शरीर पर प्रभाव:
    • मेटाबोलिक एसिडोसिस:
      • शरीर में मेथनॉल विषाक्त उप-उत्पादों मुख्यतः फॉर्मिक एसिड में टूट जाता है। यह एसिड रक्त में शरीर के कमज़ोर pH संतुलन को बाधित करता है, जिससे मेटाबोलिक एसिडोसिस (अत्यधिक एसिड का उत्पादन जिसे किडनी द्वारा बाहर नहीं निकाला जा सकता) नामक स्थिति पैदा होती है।
      • इससे रक्त अधिक अम्लीय हो जाता है, जिससे उसके ठीक से काम करने की क्षमता बाधित हो जाती है।
    • सेलुलर ऑक्सीजन अभाव:
      • फॉर्मिक एसिड साइटोक्रोम ऑक्सीडेज नामक एंजाइम में भी हस्तक्षेप करता है, जो सेलुलर श्वसन के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह कोशिकाओं की ऑक्सीजन का उपयोग करने की क्षमता को बाधित करता है, जिससे लैक्टिक एसिड का निर्माण होता है और एसिडोसिस में तथा योगदान होता है।
    • दृष्टि हीनता:
      • मेथनॉल ऑप्टिक तंत्रिका और रेटिना को हानि पहुँचा सकता है, जिससे मेथनॉल-प्रेरित ऑप्टिक न्यूरोपैथी हो सकती है। इस स्थिति से अंधेपन सहित स्थायी दृष्टि समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • मस्तिष्क क्षति:
      • इससे सेरेब्रल एडिमा (मस्तिष्क में द्रव का जमाव) और रक्तस्राव (खून बहना) हो सकता है। इससे कोमा और मृत्यु भी हो सकती है।
  • उपचार:
    • फार्मास्युटिकल-ग्रेड इथेनॉल: मेडिकल इथेनॉल लीवर में उन्हीं एंजाइम्स (ADH) के लिये मेथनॉल से प्रतिस्पर्द्धा करता है। चूँकि शरीर इथेनॉल को बहुत तेज़ी से (लगभग 10 गुना तेज़) प्रोसेस करता है, इसलिये यह मेथनॉल को जहरीले फॉर्मिक एसिड में बदलने से रोकता है।
    • फोमेपिज़ोल: यह ADH एंजाइम से जुड़ता है, जिससे मेथनॉल का फॉर्मिक एसिड में मेटाबोलिक धीमा हो जाता है। यह शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाने से पहले मेथनॉल को खत्म करने में मदद करता है।
    • डायलिसिस: इसका प्रयोग रक्त को मेथनॉल और इसके विषैले सह उत्पादों (फॉर्मिक एसिड लवण) से मुक्त करने के लिये किया जा सकता है। यह गुर्दे और रेटिना को होने वाली क्षति की रोकथाम करने में मदद करता है।
    • फोलिनिक एसिड: यह औषधि शरीर द्वारा फॉर्मिक एसिड को कार्बन डाइऑक्साइड और जल जैसे कम हानिकारक पदार्थों में विघटित करने में मदद करती है।

और पढ़ें: 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

अवैध शराब के कारण मेथनॉल विषाक्तता के स्वास्थ्य संबंधी परिणामों का मूल्यांकन कीजिये। इसे समाधान करने के लिये क्या उपाय किये जाने चाहिये?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. बाईस्फिनॉल A (BPA), जो चिंता का कारण है, निम्नलिखित में से किस प्रकार के प्लास्टिक के उत्पादन में एक संरचनात्मक/मुख्य घटक है? (2021)

(a) कम घनत्व वाली पॉलीइथिलीन
(b) पॉलीकार्बोनेट
(c) पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट
(d) पॉलीविनाइल क्लोराइड

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किसमें 'ट्राइक्लोसन' के विद्यमान होने की सर्वाधिक संभावना है, जिसके लंबे समय तक उच्च स्तर के प्रभावन में रहने को हानिकारक माना जाता है? (2021)

(a) खाद्य परिरक्षक
(b) फल पकाने वाले पदार्थ
(c) पुनः प्रयुक्त प्लास्टिक के पात्र
(d) प्रसाधन सामग्री

उत्तर: (d)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2