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सतत् विकास लक्ष्य 2023-24 में उत्तराखंड देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग द्वारा जारी सतत् विकास लक्ष्य (SDG इंडेक्स) 2023-2024 रिपोर्ट में उत्तराखंड ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया।
मुख्य बिंदु
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अनुसार, राज्य सरकार पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाकर 'विकसित उत्तराखंड' की ओर बढ़ने के लिये प्रतिबद्ध है।
- SDG इंडिया इंडेक्स नीति आयोग द्वारा विकसित एक उपकरण है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित SDG के प्रति भारत की प्रगति को मापने और ट्रैक करने के लिये है।
- यह सूचकांक सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण का समर्थन करता है तथा राज्यों को इन लक्ष्यों को अपनी विकास योजनाओं में एकीकृत करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- यह नीति निर्माताओं के लिये अंतराल की पहचान करने तथा वर्ष 2030 तक सतत् विकास प्राप्त करने की दिशा में कार्यों को प्राथमिकता देने हेतु एक मानक के रूप में कार्य करता है।
- भारत का समग्र SDG स्कोर वर्ष 2023-24 में 71 हो गया, जो वर्ष 2020-21 में 66 और वर्ष 2018 में 57 था। सभी राज्यों ने समग्र स्कोर में सुधार दिखाया है।
- प्रगति मुख्यतः गरीबी उन्मूलन, आर्थिक विकास और जलवायु कार्रवाई में लक्षित सरकारी हस्तक्षेपों से प्रेरित हुई है।
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता: केरल और उत्तराखंड सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य बनकर उभरे, जिनमें से प्रत्येक ने 79 अंक प्राप्त किये।
- सबसे कम प्रदर्शन: बिहार 57 अंकों के साथ सबसे पीछे रहा, उसके बाद झारखंड 62 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
- अग्रणी राज्य: 32 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश (UT) अग्रणी श्रेणी में हैं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ तथा उत्तर प्रदेश सहित 10 नए राज्य शामिल हैं।
नीति आयोग
- भारत में योजना आयोग को वर्ष 2015 में नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया, जिसमें 'बॉटम अप' अप्रोच की ओर बदलाव किया गया तथा सहकारी संघवाद पर ज़ोर दिया गया।
- नीति आयोग की संरचना में अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, शासी परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल तथा विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में प्रधानमंत्री द्वारा नामित विशेषज्ञ शामिल हैं।
- प्रधानमंत्री द्वारा एक विशिष्ट अवधि के लिये नियुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जो भारत सरकार के सचिव के पद पर होता है।
- मुख्य उद्देश्य हैं- राज्यों के साथ सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, ग्राम स्तर पर योजनाएँ विकसित करना, आर्थिक रणनीति में राष्ट्रीय सुरक्षा को शामिल करना, समाज के हाशिये पर आए वर्गों पर ध्यान केंद्रित करना, हितधारकों और थिंक टैंकों के साथ साझेदारी को प्रोत्साहित करना, ज्ञान तथा नवाचार हेतु एक समर्थन प्रणाली बनाना, अंतर-क्षेत्रीय मुद्दों का समाधान करना एवं सुशासन व सतत् विकास प्रथाओं के लिये एक संसाधन केंद्र बनाए रखना।
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उत्तराखंड नई जलविद्युत परियोजनाएँ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र से राज्य के लिये 2123 मेगावाट क्षमता की 21 नई जलविद्युत परियोजनाओं की अनुमति मांगी थी।
मुख्य बिंदु
- केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स और राज्य में विभिन्न शहरी विकास परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिये राज्य के दौरे पर हैं।
- मुख्यमंत्री के अनुसार, वर्तमान में उत्तराखंड की कुल जलविद्युत उत्पादन क्षमता का केवल 40% ही उपयोग किया जा रहा है।
- विशेषज्ञ समितियों ने अलकनंदा और भागीरथी नदियों तथा उनकी सहायक नदियों पर कार्यान्वयन परियोजनाओं की सिफारिश की है।
अलकनंदा नदी
- यह गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है।
- इसका उद्गम उत्तराखंड के सतोपंथ और भागीरथ ग्लेशियर से होता है
- यह देवप्रयाग में भागीरथी नदी से मिलती है जिसके बाद इसे गंगा कहा जाता है।
- इसकी मुख्य सहायक नदियाँ मंदाकिनी, नंदाकिनी और पिंडार हैं।
- अलकनंदा प्रणाली चमोली, टिहरी और पौड़ी ज़िलों के कुछ हिस्सों तक विस्तृत है।
- बद्रीनाथ का हिंदू तीर्थस्थल और प्राकृतिक झरना तप्त कुंड अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है
भागीरथी नदी
- यह उत्तराखंड की एक अशांत हिमालयी नदी है और गंगा की दो मुख्य धाराओं में से एक है।
- भागीरथी नदी 3892 मीटर की ऊँचाई पर, गौमुख में गंगोत्री ग्लेशियर के तल से निकलती है और 350 किलोमीटर चौड़े गंगा डेल्टा में फैलकर अंततः बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- भागीरथी और अलकनंदा गढ़वाल में देवप्रयाग में मिलती हैं तथा उसके बाद गंगा के नाम से जानी जाती हैं।
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उत्तराखंड की पहली बर्ड गैलरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड वन विभाग ने देहरादून में प्रकृति शिक्षा केंद्र में राज्य की पहली बर्ड गैलरी स्थापित की।
मुख्य बिंदु
- यह उत्तराखंड की पक्षी विविधता को उजागर करने और इन अद्वितीय प्रजातियों के प्रति अधिक सराहना को बढ़ावा देने का एक प्रयास है।
- आगंतुकों को असंख्य पक्षी प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्र में उनके कार्यों के बारे में शिक्षित करके, गैलरी संरक्षण को सुगम बनाएगी तथा इन पक्षी प्रजातियों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करेगी
- इस गैलरी में उत्तराखंड के पक्षियों के उच्च-रिज़ॉल्यूशन के चित्र प्रदर्शित किये गए हैं, जो आगंतुकों को राज्य के पक्षी निवासियों की एक शानदार झलक प्रदान करते हैं।
- उत्तराखंड में 710 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ हैं, जो भारत की पक्षी प्रजातियों का 50% से अधिक है।
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