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स्टेट पी.सी.एस.

  • 14 May 2024
  • 1 min read
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उत्तराखंड Switch to English

लुप्तप्राय हिमालयी जीवों पर वनाग्नि के कारण संकट

चर्चा में क्यों?

वन विभाग के अनुसार, उत्तराखंड में प्रत्येक वर्ष घटित होने वाली वनाग्नि क्षेत्र के बहुमूल्य वन संसाधनों जैसे: पेड़, पौधों, झाड़ियों, जड़ी-बूटियों और मृदा की मोटी उर्वर परतों को काफी नुकसान पहुँचाती है।

मुख्य बिंदु:

  • चीयर तीतर, कलिज तीतर, रूफस-बेलिड कठफोड़वा, कॉमन रोज़, चॉकलेट पैंसी एवं कौवा जैसी एवियन प्रजातियों का प्रजनन काल मार्च से जून तक होता है और यही वह अवधि है जब इस क्षेत्र के वनों में सबसे अधिक आगजनी की घटना होती है।
  • हिमालयी तितलियों के संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) के अनुसार, हिमालय क्षेत्र में तितलियों की कुल 350 प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें 120 प्रजातियाँ लुप्त होने के कगार पर हैं क्योंकि ये वनाग्नि की घटना में नष्ट हुए पोषण देने वाले पौधों पर ही प्रजनन के लिये आश्रित होती हैं।
  • देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान द्वारा पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में पाए जाने वाले येलो हेडेड कछुए पर वनाग्नि के प्रभाव पर भी शोध किया जा रहा है।
  • यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 4 में सूचीबद्ध है और इसके लुप्तप्राय होने के कारण यह वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के परिशिष्ट में भी दर्ज किया गया है।
  • वन विभाग के अनुसार, नवंबर 2023 से अब तक उत्तराखंड में वनाग्नि की घटना ने 1,437 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्रों को प्रभावित किया है।

चीयर तीतर (Cheer Pheasant) 

  • चीयर तीतर (Catreus wallichii), जिसे वालिश तीतर के नाम से भी जाना जाता है, तीतर वर्ग Phasianidae की एक सुभेद्य प्रजाति है।
  • यह Catreus प्रजाति का एकमात्र सदस्य है।
  • IUCN रेड लिस्ट स्थिति: 
  • CITES स्थिति: परिशिष्ट-I
  • WPA: अनुसूची-I

रूफस-बेलिड कठफोड़वा (Rufous-Bellied Woodpecker )

  • रूफस-बेलिड कठफोड़वा (Dendrocopos hyperythrus) Picidae वर्ग में पक्षी की एक प्रजाति है।
  • यह भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • इसके प्राकृतिक आवास उपोष्णकटिबंधीय या उष्णकटिबंधीय आर्द्र तराई-वन तथा उपोष्णकटिबंधीय या उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्वतीय वन हैं।
  • IUCN रेड लिस्ट स्थिति: कम चिंतनीय
  • CITES स्थिति: मूल्यांकन नहीं किया गया
  • WPA: अनुसूची-IV


बिहार Switch to English

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री का निधन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वरिष्ठ राजनेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का 72 वर्ष की आयु में नई दिल्ली में निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे।

मुख्य बिंदु:

  • वह वर्ष 2005 से 2013 और वर्ष 2017 से 2020 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ बिहार के वित्त मंत्री भी रहे।
  • वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आजीवन सदस्य रहे
  • उन्हें जुलाई वर्ष 2011 में वस्तु एवं सेवा कर के कार्यान्वयन के लिये राज्य के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

उपमुख्यमंत्री 

  • भारत में उपमुख्यमंत्री का पद कोई संवैधानिक पद नहीं है, बल्कि किसी पार्टी के भीतर सहयोगियों या गुटों को खुश करने के लिये एक राजनीतिक व्यवस्था है।
  • वह रैंक और भत्तों के मामले में एक कैबिनेट मंत्री के समतुल्य होता है लेकिन उसके पास कोई विशिष्ट वित्तीय या प्रशासनिक शक्तियाँ नहीं होती हैं।
  • उपमुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करना होता है और अपने पोर्टफोलियो से संबंधित किसी भी निर्णय के लिये उसकी स्वीकृति लेनी होती है।
  • उपमुख्यमंत्री के पास उन फाइलों या मामलों तक पहुँच नहीं है जो मुख्यमंत्री के लिये हैं।
  • न तो अनुच्छेद 163 और न ही अनुच्छेद 164(1) में स्पष्ट रूप से उप मुख्यमंत्री की स्थिति का उल्लेख है।
    • अनुच्छेद 163(1) राज्यपाल की सहायता और सलाह देने के लिये मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिपरिषद की स्थापना का प्रावधान करता है।
    • अनुच्छेद 164(1) नियुक्ति प्रक्रिया की रूपरेखा प्रदान करता है, जिसमें मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह पर की जाती है।

झारखंड Switch to English

झारखंड के खूँटी में विकास का अभाव

चर्चा में क्यों?

लोकसभा चुनाव 2024 के बीच झारखंड के खूँटी, सिंहभूम और लोहरदगा में कई आदिवासी मतदाता विकास एवं बुनियादी सुविधाओं की कमी से नाखुश हैं।

मुख्य बिंदु:

  • आदिवासी आदर्श बिरसा मुंडा की जन्मस्थली, झारखंड के खूँटी लोकसभा क्षेत्र के एक गाँव उलिहातु में निवासियों में असंतोष है।
    • विकास और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण क्षेत्र में राजनीतिक उत्साह की कमी नज़र आ रही है तथा किसी भी पार्टी को खुला समर्थन नहीं मिल रहा है।
  • हाल के वर्षों में, गाँव में तारकोल वाली सड़कें, स्कूल और पानी की टंकियाँ जैसे नए बुनियादी ढाँचे सहित विकास दिखाई दे रहा है।

बिरसा मुंडा (Birsa Munda)

  • बिरसा मुंडा का जन्म वर्ष 1875 में हुआ था। वे मुंडा जनजाति के थे।
  • उन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में आधुनिक झारखंड और बिहार के आदिवासी क्षेत्र में ब्रिटिश शासन के दौरान एक भारतीय आदिवासी धार्मिक मिलेनेरियन आंदोलन का नेतृत्व किया।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) विकास मिशन

  • PM-PVTG विकास मिशन कार्यक्रम का उद्देश्य कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
  • इसके लिये केंद्रीय बजट में अनुसूचित जनजातियों के लिये 24,000 करोड़ रुपए की उपलब्धता की परिकल्पना की गई है।
  • मिशन में पिछड़ी अनुसूचित जनजातियों के लिये सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण, बस्तियों में सड़कों तक बेहतर पहुँच जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना शामिल है।


राजस्थान Switch to English

IMD द्वारा हीट वेव का पूर्वानुमान

चर्चा में क्यों?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पश्चिम राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश और दक्षिण हरियाणा में स्थिति के साथ उत्तर पश्चिम भारत में हीट वेव का पूर्वानुमान लगाया है।

मुख्य बिंदु:

  • क्षेत्रीय मौसम केंद्र (RWFC) दिल्ली के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम राजस्थान और पूर्वी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर हीट वेव का भी अनुमान है।
  • लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण के दौरान, भारतीय निर्वाचन आयोग ने कहा कि मौसम के पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि चुनाव के लिये जाने वाले संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में सामान्य से कम तापमान रहने की संभावना है और मतदान के दिन इन क्षेत्रों में हीट वेव जैसी कोई स्थिति नहीं होगी।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) 

  • IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
    • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।

मध्य प्रदेश Switch to English

ओरछा वन्य जीव अभयारण्य में अवैध खनन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने ओरछा वन्यजीव अभयारण्य के इको-सेंसिटिव ज़ोन में पत्थर तोड़ने वाले और खनन खदानों के अवैध संचालन की शिकायत पर गौर करने के लिये एक समिति का गठन किया।

मुख्य बिंदु:

  • NGT के अनुसार, 337 टन रासायनिक अपशिष्ट के निपटान, भूजल प्रदूषण, पाइप से पानी की कमी और अनुमेय सीमा से अधिक लौह, मैंगनीज़ तथा नाइट्रेट सांद्रता की निगरानी के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1994 में हुई थी और यह एक बड़े वन क्षेत्र के भीतर स्थित है।
  • यह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच सीमा क्षेत्र में बेतवा नदी (यमुना की एक सहायक नदी) के पास स्थित है, जो इस अभयारण्य के अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र तथा जैवविविधता में योगदान देती है।

पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002-2016) ने निर्धारित किया कि राज्य सरकारों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं के 10 किमी. के भीतर आने वाली भूमि को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ESZs) अथवा पर्यावरण नाज़ुक क्षेत्र के रूप में घोषित करना चाहिये
  • जबकि 10 किमी. का नियम एक सामान्य सिद्धांत के रूप में लागू किया गया है, इसके आवेदन की सीमा भिन्न हो सकती है। 10 किमी. से अधिक के क्षेत्रों को भी केंद्र सरकार द्वारा ESZ के रूप में अधिसूचित किया जा सकता है, यदि वे बड़े पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण "संवेदनशील गलियारे" रखते हैं।

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