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राजस्थान

राजस्थान RSS समूह द्वारा CAA पात्रता प्रमाण-पत्र वितरण

  • 03 Apr 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

राजस्थान में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा एक समूह नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) के तहत नागरिकता के लिये आवेदन करने में मदद करने हेतु शिविरों का आयोजन कर रहा है और पाकिस्तान से आए हिंदू समुदाय के सदस्यों को "पात्रता प्रमाण-पत्र" जारी कर रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • सीमाजन कल्याण समिति नामक समूह, जो पाकिस्तान सीमा से लगे क्षेत्रों में सक्रिय है, ने राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर के लगभग 330 लोगों को गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किये गए नागरिकता पोर्टल पर अपने दस्तावेज़ अपलोड करने में मदद की है।
  • CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह "उत्पीड़ित" गैर-मुस्लिम समुदायों के सदस्यों को नागरिकता प्रदान करता है।
  • प्रमाण-पत्र, "स्थानीय रूप से प्रतिष्ठित सामुदायिक संस्थान" द्वारा जारी किया जाने वाला एक अनिवार्य दस्तावेज़ है, जिसे एक हलफनामे के साथ संलग्न किया जाना है और अन्य दस्तावेज़ों के साथ CAA पोर्टल पर अपलोड किया जाना है।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि चूँकि पाकिस्तानी हिंदू तीर्थयात्री या पर्यटक वीज़ा पर कानूनी रूप से भारत में प्रवेश करते थे, इसलिये वे नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5 और धारा 6 के तहत नागरिकता के लिये पात्र थे।
  • CAA  का इरादा पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति समुदाय मतुआओं को लाभ पहुँचाने का भी है, जो वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान और उसके बाद बांग्लादेश से आए थे।

समूह नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019

  • परिचय
    • CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से छह गैर-दस्तावेज़ गैर-मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था।
    • यह अधिनियम इन छह समुदायों के सदस्यों को विदेशी अधिनियम, 1946 और  पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत किसी भी आपराधिक मामले से छूट देता है।
      • दोनों अधिनियम अवैध रूप से देश में प्रवेश करने और वीज़ा या परमिट के समाप्त हो जाने पर यहाँ रहने के लिये दंड निर्दिष्ट करते हैं।
  • नियम
    • CAA नियम 2024: नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6B CAA के अंर्तगत नागरिकता के लिये आवेदन प्रक्रिया का आधार है। भारतीय नागरिकता हेतु पात्र होने के लिये आवेदक को अपनी राष्ट्रीयता, धर्म, भारत में प्रवेश की तिथि एवं भारतीय भाषाओं में से किसी एक में दक्षता का प्रमाण देना होगा।
      • मूल देश का प्रमाण: लचीली आवश्यकताएँ विभिन्न दस्तावेज़ों की अनुमति देती हैं, जिनमें जन्म अथवा शैक्षणिक प्रमाण-पत्र, पहचान दस्तावेज़, लाइसेंस, भूमि रिकॉर्ड अथवा उल्लिखित देशों की नागरिकता सिद्ध करने वाला कोई भी दस्तावेज़ शामिल है।
      • भारत में प्रवेश की तिथि: आवेदक भारत में प्रवेश के प्रमाण के रूप में 20 अलग-अलग दस्तावेज़ प्रदान कर सकते हैं, जिनमें वीज़ा, आवासीय परमिट, जनगणना पर्चियाँ, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, राशन कार्ड, सरकारी अथवा न्यायालयी पत्र, जन्म प्रमाण-पत्र और बहुत कुछ शामिल हैं।

मतुआ समुदाय

  • मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान के रहने वाले मतुआ विभाजन के दौरान और बांग्लादेश के निर्माण के बाद भारत आ गए। हालाँकि, अभी भी बड़ी संख्या में लोगों को भारतीय नागरिकता मिलनी बाकी है।
  • मतुआ महासंघ एक धार्मिक सुधार आंदोलन है, जिसकी शुरुआत 1860 ई. के आस-पास हरिचंद ठाकुर द्वारा वर्तमान बांग्लादेश के फरीदपुर प्रांत के गोपालगंज में पीड़ितों के उत्थान के लिये की गई थी।
    • उन्होंने जाति, वर्ग और पंथ से परे प्रेम, सहिष्णुता, लैंगिक समानता एवं गैर-भेदभाव का प्रचार किया।
  • शुरुआत में मतुआ-महासंघ ने सरलीकृत अनुष्ठानों का पालन किया, लेकिन बाद में वैष्णववाद को अपनाया।
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