जैव विविधता और पर्यावरण
कछुओं और हार्ड शेल टर्टल का अवैध व्यापार
- 05 Oct 2023
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:टर्टल, भारतीय स्टार कछुआ, ओलिव रिडले, ग्रीन टर्टल मेन्स के लिये:कछुओं और टर्टल के लिये प्रमुख खतरे, वन्यजीव तस्करी। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों ?
ओरिक्स, द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कंज़र्वेशन में प्रकाशित 'फ्रॉम पेट्स टू प्लेट्स' नामक एक हालिया अध्ययन ने कछुओं और हार्ड-शेल टर्टल के अवैध व्यापार के बारे में जानकारी प्रदान की है।
- यह अध्ययन वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी-इंडिया के काउंटर वाइल्डलाइफ ट्रैफिकिंग प्रोग्राम से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा किया गया था।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- चेन्नई ट्रैफिकिंग नेटवर्क में अग्रणी:
- चेन्नई कछुआ और हार्ड-शेल टर्टल ट्रैफिकिंग नेटवर्क में प्राथमिक नोड के रूप में उभरा है।
- यह शहर वैश्विक पालतू पशु व्यापार में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है, जिससे इन सरीसृपों के अवैध व्यापार को सहायता मिलती है।
- मुंबई, कोलकाता, बंगलुरु, अनंतपुर, आगरा, उत्तर 24 परगना (पश्चिम बंगाल में), और हावड़ा (भारत-बांग्लादेश सीमा के पास) भी इस नेटवर्क के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जो कछुओं व टर्टल की तस्करी में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- चेन्नई कछुआ और हार्ड-शेल टर्टल ट्रैफिकिंग नेटवर्क में प्राथमिक नोड के रूप में उभरा है।
- मुख्य रूप से घरेलू सॉफ्ट-शैल टर्टल की तस्करी:
- सॉफ्ट-शेल टर्टल की तस्करी मुख्य रूप से घरेलू प्रकृति की है। भारत से सॉफ्ट-शेल टर्टल की अंतर्राष्ट्रीय तस्करी ज़्यादातर बांग्लादेश तक ही सीमित है।
- एशियाई कछुओं पर संकट:
- कछुओं और मीठे जल के टर्टलों की वन्य आबादी को पालतू जानवरों, भोजन एवं दवाओं के अवैध व्यापार से भारी दबाव का सामना करना पड़ता है।
- भारत में संकटग्रस्त कछुए और मीठे जल के टर्टल (TFT) की 30 प्रजातियों में से कम से कम 15 का अवैध तरीके से व्यापार किया जाता है। मीठे जल की प्रजातियों, जैसे कि भारतीय फ्लैपशेल टर्टल, की अवैध बाज़ारों में बहुत माँग है।
- कछुओं और मीठे जल के टर्टलों की वन्य आबादी को पालतू जानवरों, भोजन एवं दवाओं के अवैध व्यापार से भारी दबाव का सामना करना पड़ता है।
- तस्करी के नेटवर्क का तुलनात्मक अध्ययन :
- अध्ययन में पाया गया कि सॉफ्ट-शेल टर्टल की तस्करी के नेटवर्क की तुलना में कछुए और हार्ड-शेल वाले टर्टलों की तस्करी का नेटवर्क भौगोलिक स्तर पर अधिक व्यापक था तथा ये अंतर्राष्ट्रीय तस्करी से भी संबद्ध थे।
- कछुए और हार्ड-शेल टर्टल की तस्करी जटिल मार्ग से होती है, जबकि सॉफ्ट-शेल टर्टल की तस्करी में मुख्य रूप से स्रोत से गंतव्य तक एक-दिशात्मक मार्ग का पालन किया जाता है।
- तस्करी किये गये टर्टल की गंभीर स्थिति:
- अवैध व्यापार में शामिल टर्टल प्रायः निर्जलित, भूखे और घायल अवस्था में पाए जाते हैं।
- तस्करी किये गए टर्टल की उच्च मृत्यु दर इस मुद्दे का समाधान करने की तात्कालिकता को रेखांकित करती है।
कछुए और हार्ड-शेल टर्टल:
- सभी कछुए, टर्टल हैं क्योंकि वे टेस्टुडाइन्स/चेलोनिया वर्ण के हैं।
- कछुओं को ज़मीन पर रहने के कारण अन्य टर्टल से अलग किया गया है, जबकि टर्टल की कई (हालाँकि सभी नहीं) प्रजातियाँ आंशिक रूप से जलीय होती हैं।
- हार्ड-शेल टर्टल के कवच सख्त और हड्डीदार होते हैं जो इन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं, तथा उन्हें आसानी से दबाया नहीं जा सकता।
- इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के अनुसार कछुओं और टर्टल की अधिकांश प्रजातियाँ असुरक्षित, लुप्तप्राय या गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
- इंडियन स्टार कछुआ, ओलिव रिडले कछुआ और हरा कछुआ भारत में कछुओं और हार्ड-शेल टर्टल के कुछ उदाहरण हैं।
सॉफ्टशेल टर्टल:
- सॉफ्टशेल टर्टल Trionychidae परिवार में सरीसृपों का एक बड़ा समूह हैं।
- उन्हें सॉफ्टशेल्स कहा जाता है क्योंकि उनके खोलों/कवचों में कठोर शल्कों का अभाव होता है, इनके कवच चमड़े जैसे लचीले होते हैं।
- वे प्रायः मिट्टी, रेत और उथले जल में रहते हैं।
- भारत में आम तौर पर पाए जाने वाले सॉफ्ट-शेल टर्टल इंडियन फ्लैपशेल कछुए, इंडियन पीकॉक सॉफ्ट-शेल कछुए और लिथ्स सॉफ्ट-शेल कछुए हैं।