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ओलिव रिडले कछुए

  • 22 Nov 2022
  • 6 min read

ओलिव रिडले समुद्री कछुओं के जोड़े ओडिशा तट के साथ गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य  के समुद्री जल पर उभरना शुरू हो गए हैं,  जो इन लुप्तप्राय समुद्री प्रजातियों के वार्षिक सामूहिक शुरुआत को चिह्नित करता है

ओलिव रिडले कछुए:

  • परिचय:
    • ओलिव रिडले कछुए विश्व में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक हैं।
    • ये कछुए मांसाहारी होते हैं और इनका पृष्ठवर्म ओलिव रंग (Olive Colored Carapace) का होता है जिसके आधार पर इनका यह नाम पड़ा है।
    • ये कछुए अपने अद्वितीय सामूहिक घोंसले (Mass Nesting) अरीबदा (Arribada) के लिये सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं, अंडे देने के लिये हज़ारों मादाएँ एक ही समुद्र तट पर एक साथ यहाँ आती हैं।
  • पर्यावास:
    • ये मुख्य रूप से प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागरों के गर्म पानी में पाए जाते हैं।
    • ओडिशा के गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य को विश्व में समुद्री कछुओं के सबसे बड़े प्रजनन स्थल के रूप में जाना जाता है।

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  • सुरक्षा स्थिति:
  • संकट:
    • समुद्री प्रदूषण और अपशिष्ट।
    • मानव उपभोग: इन कछुओं का मांस, खाल, चमड़े और अंडे के लिये इनका शिकार किया जाता है।
    • प्लास्टिक कचरा: पर्यटकों और मछली पकड़ने वाले मछुआरे द्वारा फेंके गए प्लास्टिक और  जाल, पॉलिथीन एवं अन्य कचरों का लगातार बढ़ता मलबा।
    • फिशिंग ट्रॉलर: ट्रॉलर के उपयोग से समुद्री संसाधनों का अत्यधिक दोहन अक्सर समुद्री अभयारण्य के भीतर 20 किलोमीटर की दूरी तक मछली नहीं पकड़ने के नियम का उल्लंघन करता है।
    • कई मृत कछुओं पर चोट के निशान पाए गए थे जो यह संकेत देते हैं कि वे ट्रॉलर या गिल जाल में फँस गए होंगे।
  • ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण की पहल:
    • ऑपरेशन ओलिविया:
      • प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले भारतीय तटरक्षक बल का "ऑपरेशन ओलिविया" 1980 के दशक के आरंभ में शुरू हुआ था, यह ओलिव रिडले कछुओं की रक्षा करने में मदद करता है क्योंकि वे नवंबर से दिसंबर तक प्रजनन और घोंसले बनाने के लिये ओडिशा तट पर एकत्र होते हैं।
        • यह अवैध ट्रैपिंग गतिविधियों को भी रोकता है।
    • टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइसेस (TED) का अनिवार्य उपयोग:
      • भारत में इनकी आकस्मिक मौत की घटनाओं को कम करने के लिये ओडिशा सरकार ने ट्रॉल के लिये टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइसेस (Turtle Excluder Devices- TED) का उपयोग अनिवार्य कर दिया है, जालों को विशेष रूप से एक निकास कवर के साथ बनाया गया है जो कछुओं के जाल में फँसने के दौरान उन्हें भागने में सहायता करता है।
    • टैगिंग:
      • प्रजातियों और इसके आवासों की रक्षा के लिये वैज्ञानिक, गैर-संक्षारक धातु टैग के साथ लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं को टैग करते हैं। यह उन्हें कछुओं की गतिविधियों को ट्रैक करने और उन स्थानों की पहचान करने में मदद करता है जहाँ वे अक्सर जाते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक भारत का राष्ट्रीय जलीय प्राणी है? (2015)

(a) खारे पानी का मगर
(b) ऑलिव रिड्ले टर्टल (कूर्म)
(c) गंगा नदी डॉल्फिन
(d) घड़ियाल

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • गंगा नदी डॉल्फिन या गंगा डॉल्फिन भारत का राष्ट्रीय जलीय प्राणी है। गंगा नदी डॉल्फ़िन को आधिकारिक तौर पर वर्ष 1801 में खोजा गया था। यह भारत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियों के कुछ हिस्सों तथा बांग्लादेश में कर्णफुली नदी में रहती है।
  • इसे IUCN रेड लिस्ट में लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में शामिल किया गया है।
  • प्रजातियों की जनसंख्या में गिरावट के मुख्य कारक घटते प्रवाह के कारण अवैध शिकार और निवास स्थान में गिरावट, भारी गाद, बैराजों का निर्माण है जो इस प्रवासी प्रजाति के लिये भौतिक बाधा पैदा करते हैं।

अतः विकल्प C सही उत्तर है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

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