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जैव विविधता और पर्यावरण

रेड इयर्ड स्लाइडर टर्टल्स

  • 09 Sep 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

रेड इयर्ड स्लाइडर टर्टल्स और भारत में इसकी उपस्थिति।

मेन्स के लिये:

रेड- इयर्ड स्लाइडर टर्टल्स की विशेषताएँ, पर्यावरण पर आक्रामक प्रजातियों का प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि आक्रामक और विदेशी साउथ रेड-ईयर स्लाइडर टर्टल्स (Red-Eared Slider Turtles) की उपस्थिति देशी प्रजातियों के कछुओं के विलुप्त होने का कारण बन जाएगा।

  • भारत विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त 356 कछुओं की प्रजातियों में से 29 मीठे जल के कछुओं की प्रजातियों का घर है और जिनमें से लगभग 80% संकटग्रस्त हैं।

रेड इयर्ड स्लाइडर टर्टल्स:

Turtles

  • रेड इयर्ड स्लाइडर टर्टल्स मुख्य रूप से जलीय जीव होते हैं जो चट्टानों और लकड़ियों के सहारे जलीय क्षेत्र से बाहर आते हैं।
    • धुप सेंकते समय रेड इयर्ड स्लाइडर प्रायः पर एक-दूसरे के ऊपर इकट्ठे हो जाते हैं और खतरे एवं शिकार शिकारी की आशंका होने पर बेसिंग स्पॉट (धूप सेंकने वाली जगह) से तेज़ी के साथ स्लाइड (फिसल) कर जल में चले जातें है, इसलिये इनके नाम में "स्लाइडर" शब्द जुड़ा है।
  • रेड इयर्ड स्लाइडर टर्टल्स को विक्टोरियन कैचमेंट एंड लैंड प्रोटेक्शन एक्ट, 1994 के तहत नियंत्रित परोपजीवी (Pest) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • वैज्ञानिक नाम: ट्रेकेमीस स्क्रिप्टा एलिगेंस (Trachemys Sscripta Elegans)
  • पर्यावास: ये विस्तृत शृंखला में निवास करते हैं और कभी-कभी खारे जल के साथ मुहाने तथा तटीय आर्द्रभूमि में पाए जाते हैं।
    • वे जल की गुणवत्ता की एक उच्च सीमा को भी सह सकते हैं और उच्च स्तर के कार्बनिक प्रदूषकों जैसे कि अपशिष्ट और अकार्बनिक प्रदूषण वाले जल में भी जीवित रह सकते हैं।
  • अवस्थिति: रेड इयर्ड स्लाइडर टर्टल्स दक्षिण-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और मैक्सिको का मूल प्रजाति है।
  • सुरक्षा की स्थिति:
  • विशेषताएँ:
    • इनकी आँख के पीछे एक चौड़ी लाल या नारंगी पट्टी होती है, जिसमें संकीर्ण पीली धारियाँ होती हैं, जो शेष काले शरीर, गर्दन, पैरों और पूँछ को चिह्नित करती हैं।
    • उनके सामने और पिछले पैरों पर विशिष्ट लंबे पंजे प्रमुख होते हैं जो मादा की तुलना में नर में अधिक लंबे होते हैं।
    • खतरे की आशंका में अपना सिर अपने खोल में सीधी रेखा में वापस खींच लेते हैं, जबकि देशी कछुए अपनी गर्दन को खोल के नीचे की तरफ एक ओर खींचते हैं।

भारत में रेड इयर्ड स्लाइडर टर्टल्स की उपस्थिति:

  • अनुकूल पालतू जानवर: भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत देशी कछुओं को पालतू जानवर के रूप में पालना प्रतिबंधित है।
    • लेकिन विदेशी नस्लें प्रतिबंधित नहीं हैं और पूरे भारत में कई परिवारों में पालतू जानवरों के रूप में इन्हें पाला जाता है।
    • ये छोटी और आसानी से पालतू बनाई जाने वाली प्रजातियाँ हैं और इसलिये पालतू कछुओं के रूप में ये लोकप्रिय हैं।
    • अन्य स्थानीय कछुओं की किस्मों की तुलना में यह प्रजाति तेज़ी से प्रजनन करती है। जैसे-जैसे इनकी संख्या बढ़ती है, कम क्षेत्रफल वाले टैंक या तालाब इनके लिये छोटे पड़ जाते हैं।
      • इन कछुओं को पालने वाले कई बार इन्हें जंगल या आस-पास के जलाशयों में छोड़ देते हैं, जिसके बाद वे स्थानीय जीवों के लिये खतरा बन जाते हैं।
  • भारत में उपस्थिति: भारत में, ये कछुए मुख्य रूप से शहरी आर्द्रभूमि जैसे चंडीगढ़ में सुखना झील, गुवाहाटी के मंदिर तालाब, बंगलुरु की झीलें, मुंबई में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, दिल्ली में यमुना नदी आदि में पाए जाते हैं।
  • देशी प्रजातियों पर प्रभाव:
    • जैसे-जैसे ये परिपक्व होते हैं, अधिक संतानोपत्ति करते हैं और बहुत आक्रामक होते जाते हैं, ये भोजन, घोंसले के शिकार और बेसिंंग साइटों के लिये देशी कछुओं को प्रभावित कर सकते हैं।
    • ये पौधों और जानवरों को खाते हैं जो मछलियों एवं दुर्लभ मेंढकों सहित जलीय प्रजातियों की विस्तृत शृंखला को समाप्त कर सकते हैं।
    • ये बीमारियों और परजीवियों को देशी सरीसृप प्रजातियों में भी स्थानांतरित कर सकते हैं।
    • इस प्रजाति को दुनिया की 100 सबसे खराब आक्रामक विदेशी प्रजातियों में से एक माना जाता है।

आक्रमण को नियंत्रित करने हेतु उपाय:

  • प्रजातियों को भारतीय पर्यावरण में प्रवेश करने और इसे नकारात्मक रूप से प्रभावित करने से रोकने के लिये और अधिक नियम होने चाहिये।
  • शहरी आर्द्रभूमि से इन कछुओं की खरीद और पुनर्वास के लिए मानवकृत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
    • इन कछुओं को रोकने हेतु अभियान चलाया जाना चाहिये।
  • इन कछुओं को रोका जाए, बंदी बनाया जाए और स्थानीय चिड़ियाघरों में भेजा जाए

आक्रामक प्रजातियों पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम

जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल, 2000:

  • इस प्रोटोकॉल का उद्देश्य आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप संशोधित जीवों द्वारा उत्पन्न संभावित जोखिमों से जैव विविधता की रक्षा करना है।

जैविक विविधता पर सम्मेलन:

  • यह रियो डी जनेरियो में वर्ष 1992 के पृथ्वी शिखर सम्मेलन (Earth Summit) में अपनाए गए प्रमुख समझौतों में से एक था।
  • इस सम्मेलन का अनुच्छेद 8 (h) उन विदेशी प्रजातियों का नियंत्रण या उन्मूलन करता है जो प्रजातियों के पारिस्थितिकी तंत्र, निवास स्थान आदि के लिये खतरनाक हैं।

प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS) या बॉन अभिसमय , 1979:

  • यह एक अंतर-सरकारी संधि है जिसका उद्देश्य स्थलीय, समुद्री और एवियन प्रवासी प्रजातियों को संरक्षित करना है।
  • इसका उद्देश्य पहले से मौजूद आक्रामक विदेशी प्रजातियों को नियंत्रित करना या खत्म करना भी है।

वन्यजीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय  (CITES):

  • यह वर्ष 1975 में अपनाया गया एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य वन्यजीवों और पौधों के प्रतिरूप को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाना है तथा इनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को रोकना है।
  • यह आक्रामक प्रजातियों से संबंधित उन समस्याओं पर भी विचार करता है जो जानवरों या पौधों के अस्तित्व के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं।

रामसर अभिसमय , 1971:

  • यह अभिसमय अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के आर्द्रभूमि के संरक्षण और स्थायी उपयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
  • यह अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर आर्द्रभूमि पर आक्रामक प्रजातियों के पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव को भी संबोधित करता है तथा उनसे निपटने के लिये नियंत्रण और समाधान के तरीकों को भी खोजता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. समुद्री कच्छपों की कुछ जातियाँ शाकभक्षी होती हैं।
  2. मछली की कुछ जातियाँ शाकभक्षी होती हैं।
  3. समुद्री स्तनपायियों की कुछ जातियाँ शाकभक्षी होती हैं।
  4. साँपों की कुछ जातियाँ सजीव प्रजक होती हैं।

उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • ग्रीन सी टर्टल ज़्यादातर समुद्री घास और शैवाल के शाकाहारी भोजन के लिये अनुकूलित होते हैं। वयस्कों के रूप में ये मुख्य रूप से शाकाहारी समुद्री कछुए हैं, हालाँकि ये अंडे सेने से लेकर किशोर अवस्था तक माँसाहारी होते हैं। अतः कथन 1 सही है।
  • सर्जनफिश और पैरटफिश मछली की दो प्रजातियाँ हैं जिन्हें अक्सर भित्ति शैवाल पर भोजन करते देखा जाता है। अत: कथन 2 सही है।
  • मानेटेस, जिसे कभी-कभी समुद्री गाय कहा जाता है, बड़े स्तनधारी होते हैं जो गर्म समुद्र के जल में रहते हैं। वे उथले तटीय क्षेत्रों में रहते हैं और समुद्री वनस्पति का भोजन करते हैं। अत: कथन 3 सही है।
  • साँप जो विविपेरस होते हैं, वे प्लेसेंटा और जर्दी की थैली के माध्यम से अपने बच्चों का पोषण करतें हैं। बोआ कंस्ट्रिक्टर और ग्रीन एनाकोंडा विविपेरस साँपों के दो उदाहरण हैं। अतः कथन 4 सही है।

अतः विकल्प (d) सही है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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