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जैव विविधता और पर्यावरण

रामसर साइट्स

  • 27 Jul 2022
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में जलवायु परिवर्तन, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, आर्द्रभूमि और रामसर साइट, सतत् विकास, विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2022, आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017

मेन्स के लिये:

आर्द्रभूमि- महत्त्व, खतरे, गिरावट का प्रभाव, वे उपाय जो आर्द्रभूमि की रक्षा के लिये किये जा सकते हैं

चर्चा में क्यों?

भारत की पाँच और आर्द्रभूमियों को रामसर साइट्स, या अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों में शामिल किया गया है, जिससे देश में अब ऐसे स्थलों की संख्या 54 हो गई।

 नई रामसर साइट्स:

  • करीकिली पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु):
    • यह अभयारण्य पाँच किलोमीटर चौड़ाई में फैला हुआ है और यह जलकाग, एग्रेट्स, ग्रे हेरॉन, ओपन-बिल स्टॉर्क, डार्टर, स्पूनबिल, व्हाइट एलबनिस, नाइट हेरॉन, ग्रेब्स, ग्रे पेलिकन आदि का घर है।
  • पल्लिकरनई मार्श रिज़र्व फॉरेस्ट (तमिलनाडु):
    • पल्लिकरनई मार्श दक्षिण भारत के कुछ और अंतिम शेष प्राकृतिक आर्द्रभूमि में से एक है। यह 250 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है जिसमें 65 आर्द्रभूमियाँ शामिल हैं।
  • पिचवरम मैंग्रोव (तमिलनाडु):
    • देश के अंतिम मैंग्रोव वनों में से एक।
    • इसमें जल के विशाल विस्तार के साथ मैंग्रोव वनों से आच्छादित एक द्वीप है।
  • साख्य सागर (मध्य प्रदेश):
  • पाला आर्द्रभूमि (मिज़ोरम):
    • यह जानवरों, पक्षियों और सरीसृपों की एक विस्तृत शृंखला का घर है।
    • इसकी भौगोलिक स्थिति इंडो-बर्मा जैवविविधता हॉटस्पॉट के अंतर्गत आती है इसलिये यह जानवरों और पौधों की प्रजातियों में समृद्ध है।
    • झील पलक वन्यजीव अभयारण्य का एक प्रमुख घटक है और यह अभयारण्य की प्रमुख जैवविविधता का समर्थन करती है।

रामसर मान्यता:

  • परिचय:
    • रामसर साइट रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की एक आर्द्रभूमि है, जिसे वर्ष 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी पर्यावरण संधि 'वेटलैंड्स पर कन्वेंशन' के रूप में भी जाना जाता है और इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहाँ उस वर्ष सम्मेलन पर हस्ताक्षर किये गए थे।
    • रामसर मान्यता दुनिया भर में आर्द्रभूमि की पहचान है जो अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के हैं, खासकर अगर वे जलपक्षी (पक्षियों की लगभग 180 प्रजातियों) को आवास प्रदान करते हैं।
    • ऐसी आर्द्रभूमियों के संरक्षण और उनके संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग में अंतर्राष्ट्रीय हित और सहयोग शामिल है।
    • पश्चिम बंगाल में सुंदरबन भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल है।
    • भारत की रामसर आर्द्रभूमि, 18 राज्यों में देश के कुल आर्द्रभूमि क्षेत्र के 11,000 वर्ग किमी. में फैली हुई है।
    • किसी अन्य दक्षिण एशियाई देश में उतने स्थल नहीं हैं, हालाँकि इसका भारत की भौगोलिक विस्तार और उष्णकटिबंधीय विविधता से बहुत कुछ लेना-देना है।
  • मानदंड: रामसर साइट होने के लिये नौ मानदंडों में से एक को पूरा किया जाना चाहिये।
    • मानदंड 1: यदि इसमें उपयुक्त जैव-भौगोलिक क्षेत्र के भीतर पाए जाने वाले प्राकृतिक या निकट-प्राकृतिक आर्द्रभूमि प्रकार का प्रतिनिधि, दुर्लभ या अद्वितीय उदाहरण है।
    • मानदंड 2: यदि यह कमज़ोर, लुप्तप्राय या गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों या संकटग्रस्त पारिस्थितिक समुदायों का समर्थन करता है।
    • मानदंड 3: यदि यह किसी विशेष जैव-भौगोलिक क्षेत्र की जैविक विविधता को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण पौधों और/या पशु प्रजातियों की आबादी का समर्थन करता है।
    • मानदंड 4: यदि यह पौधों और/या पशु प्रजातियों को उनके जीवन चक्र में एक महत्त्वपूर्ण चरण में समर्थन देता है या प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान आश्रय प्रदान करता है।
    • मानदंड 5: यदि यह नियमित रूप से 20,000 या अधिक जलपक्षियों का समर्थन करता है।
    • मानदंड 6: यदि यह नियमित रूप से एक प्रजाति या वाटरबर्ड की उप-प्रजाति की आबादी में 1% व्यक्तियों का समर्थन करता है।
    • मानदंड 7: यदि यह स्वदेशी मछली उप-प्रजातियों, प्रजातियों या परिवारों, जीवन-इतिहास चरणों, प्रजातियों की अंतः क्रिया और/या आबादी के एक महत्त्वपूर्ण अनुपात का समर्थन करता है जो आर्द्रभूमि के लाभ और/या मूल्यों के प्रतिनिधि हैं और इस प्रकार वैश्विक जैविक विविधता में योगदान करते हैं।
    • मानदंड 8: यदि यह मछलियों, स्पॉन ग्राउंड, नर्सरी और/या प्रवास पथ के लिये भोजन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जिस पर या तो आर्द्रभूमि के भीतर या अन्य जगहों पर मछली का स्टॉक निर्भर करता है।
    • मानदंड 9: यदि यह नियमित रूप से प्रजाति या आर्द्रभूमि-निर्भर गैर एवियन पशु प्रजातियों की उप-प्रजातियों की आबादी के 1% का समर्थन करता है।
  • महत्त्व:
    • रामसर टैग आर्द्रभूमि के एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क को विकसित करने और बनाए रखने में मदद करता है जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण तथा उनके पारिस्थितिकी तंत्र घटकों, प्रक्रियाओं एवं लाभों के रखरखाव के माध्यम से मानव जीवन को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • स्थलों को अभिसमय के सख्त दिशा-निर्देशों के तहत संरक्षित किया जाता है।

आर्द्रभूमि:

  • परिचय:
    • आर्द्रभूमि वे पारिस्थितिक तंत्र हैं जो मौसमी या स्थायी रूप से जल से संतृप्त या भरे हुए होते हैं।
    • इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र जहाँ निम्न ज्वार 6 मीटर से अधिक गहरे नहीं होते तथा इसके अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचारित जलाशय शामिल हैं।
    • यद्यपि ये भू-सतह के केवल 6% हिस्से हो ही कवर करते हैं। सभी पौधों और जानवरों की प्रजातियों का 40% आर्द्रभूमियों में ही पाया जाता है या वे यहाँ प्रजनन करते हैं।
  • महत्त्व:
    • जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सहायक:
      • आर्द्रभूमियाँ जलवायु और भूमि-उपयोग-मध्यस्थ GHG उत्सर्जन को कम करके और वातावरण से CO2 को सक्रिय रूप से एकत्र करने की क्षमता को बढ़ाकर CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड), CH4 (मीथेन), N2O (नाइट्रस ऑक्साइड) तथा ग्रीनहाउस गैस (GHG) सांद्रता को स्थिर करने में सहायता करती हैं।
      • आर्द्रभूमियाँ समुद्र तटों की रक्षा करके बाढ़ जैसी आपदाओं के जोखिम को कम करने में भी मदद करती हैं।
    • कार्बन संग्रहण:
      • आर्द्रभूमि के रोगाणु, पौधे और वन्यजीव, जल, नाइट्रोजन और सल्फर के वैश्विक चक्रों का हिस्सा हैं।
      • आर्द्रभूमि कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में वातावरण में छोड़ने के बजाय अपने वृक्ष समुदायों और मृदा के भीतर संग्रहीत करती है।
    • पीटलैंड का महत्त्व:
      • 'पीटलैंड' शब्द पीट मृदा और सतह पर आर्द्रभूमि को संदर्भित करता है।
      • वे दुनिया की भूमि की सतह का सिर्फ 3% हिस्सा हैं, लेकिन वनों की तुलना में दोगुना कार्बन जमा करते हैं, इस प्रकार जलवायु संकट, सतत् विकास और जैवविविधता पर वैश्विक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
      • पीटलैंड दुनिया के सबसे बड़े कार्बन भंडारों में से एक है, जो भारत में विरल है और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • प्रवासी पक्षियों हेतु स्वर्ग:
      • लाखों प्रवासी पक्षी भारत में आते हैं और आर्द्रभूमि इस वार्षिक घटना के लिये महत्त्वपूर्ण है।
      • पारिस्थितिक रूप से आर्द्रभूमि पर निर्भर प्रवासी जलपक्षी अपने मौसमी प्रवास के माध्यम से महाद्वीपों, गोलार्द्धों संस्कृतियों और समाजों को जोड़ते हैं।
      • आर्द्रभूमि समुदायों की विविधता पक्षियों के लिये आवश्यक ठहराव की सुविधा प्रदान करती है।
    • सांस्कृतिक और पर्यटन महत्त्व:
      • आर्द्रभूमि का भारतीय संस्कृति और परंपराओं से भी गहरा संबंध है।
      • मणिपुर में लोकटक झील स्थानीय लोगों द्वारा "इमा" (माँ) के रूप में पूजनीय है, जबकि सिक्किम की खेचोपलरी झील "इच्छा पूरी करने वाली झील" के रूप में लोकप्रिय है।
      • छठ पूजा का उत्तर भारतीय त्योहार लोगों, संस्कृति, जल और आर्द्रभूमि के जुड़ाव की सबसे अनोखी अभिव्यक्तियों में से एक है।
      • कश्मीर में डल झील, हिमाचल प्रदेश में खज्जियार झील, उत्तराखंड में नैनीताल झील और तमिलनाडु में कोडाइकनाल लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।
  • खतरा:
    • मानव गतिविधियाँ:
    • नगरीकरण:
      • शहरी केंद्रों के पास स्थित आर्द्रभूमि को आवासीय, औद्योगिक और वाणिज्यिक सुविधाओं में वृद्धि के कारण विकासात्मक दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
      • नगरीय आर्द्रभूमियों से घिरे क्षेत्रों में समुद्र के स्तर में वृद्धि की स्थिति में तटीय दबाव के बढ़ने से अंततः आर्द्रभूमि का नुकसान हो सकता है।
    • जलवायु परिवर्तन:
      • जलवायु परिवर्तन और इससे जुड़े कारकों तथा दबावों से आर्द्रभूमि की भेद्यता बढ़ने की अत्यधिक संभावना है।
      • तापमान में वृद्धि, वर्षा में बदलाव, तूफान, सूखा और बाढ़ की आवृत्ति में वृद्धि, वायुमंडलीय CO2 सांद्रता में वृद्धि और समुद्र के स्तर में वृद्धि भी आर्द्रभूमि को प्रभावित कर सकती है।
    • अनुकूलन क्षमता पर विपरीत प्रभाव:
      • पारिस्थितिक तंत्रों पर प्रतिकूल प्रभावों की आशंका के कारण आर्द्रभूमि की अनोकूलन की क्षमता में भी कमी आने की संभावना है।
      • उदाहरण के लिये नदी के ऊपरी हिस्सों में मीठे या स्वच्छ जल के भंडारण को बढ़ाने के लिये जलीय संरचनाओं का निर्माण, तटीय आर्द्रभूमि में लवणीकरण के जोखिम को और बढ़ा सकता है।

आगे की राह

  • विकास नीतियों, शहरी नियोजन और जलवायु परिवर्तन शमन में आर्द्रभूमि की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।
    • इस संदर्भ में स्मार्ट सिटी मिशन और कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन जैसी महानगरीय योजनाओं को आर्द्रभूमि के स्थायी प्रबंधन के पहलुओं से जोड़ने की आवश्यकता है।
    • आगामी विकास और गरीबी उन्मूलन को समायोजित करते हुए सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अनुकूलित शहरों के निर्माण के महत्त्वाकांक्षी उद्देश्य को प्राप्त करने में आर्द्रभूमि द्वारा प्रदत्त लाभ और सेवाएँ महत्त्वपूर्ण हैं।

स्रोत: द हिंदू

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