भूगोल
पूर्वोत्तर में भू-पर्यटन
- 23 Aug 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लियेभारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भू-विरासत स्थल मेन्स के लियेपूर्वोत्तर क्षेत्र में भू-पर्यटन का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण’ (GSI) ने भू-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये पूर्वोत्तर में कुछ भूवैज्ञानिक स्थलों की पहचान की है।
- देश में स्वीकृत 32 भू-पर्यटन या भू-विरासत स्थलों में पूर्वोत्तर के 12 स्थानों को शामिल किया गया है।
प्रमुख बिंदु
भू-विरासत स्थल:
- भू-विरासत का तात्पर्य ऐसी भूवैज्ञानिक मुखाकृतियों या स्थानों से है, जो स्वाभाविक रूप से या सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं और पृथ्वी के विकास या पृथ्वी विज्ञान के इतिहास के लिये अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं अथवा इनका उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) वह मूल निकाय है, जो देश में भू-विरासत स्थलों/राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारकों की पहचान और संरक्षण की दिशा में प्रयास कर रहा है।
- इनमें शामिल कुल स्थल: छत्तीसगढ़ में समुद्री गोंडवाना जीवाश्म पार्क; हिमाचल प्रदेश में शिवालिक कशेरुकी जीवाश्म पार्क; राजस्थान में स्ट्रोमेटोलाइट पार्क; कर्नाटक में पिलो लावा, आंध्र प्रदेश में एपार्चियन अनकंफॉरमेटी और तिरुमाला पहाड़ियाँ, महाराष्ट्र में लोनार झील आदि।
भू-पर्यटन
- भू-पर्यटन को एक ऐसे पर्यटन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो किसी स्थान के भौगोलिक चरित्र जैसे- इसका पर्यावरण, संस्कृति, सौंदर्यशास्त्र, विरासत और इसके निवासियों की भलाई आदि को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- यह सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देगा, स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार करेगा और स्थानीय संस्कृति एवं परंपरा के प्रति सम्मान पैदा करेगा।
- भारत विविध भौतिक विशेषताओं, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और घटनापूर्ण प्राचीन इतिहास वाला देश है तथा यह उपमहाद्वीप युगों से विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं की छाप प्रदर्शित करता रहा है और दिलचस्प भूवैज्ञानिक विशेषताओं का भंडार है।
पूर्वोत्तर में भू-विरासत स्थल:
- माजुली (असम):
- यह ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित विश्व के बड़े द्वीपों में से एक नदी "द्वीप"।
- 15वीं-16वीं शताब्दी के संत-सुधारक श्रीमंत शंकरदेव और उनके शिष्यों द्वारा स्थापित कई 'सत्रों' या वैष्णव मठों के कारण यह द्वीप असम में अध्यात्म का केंद्र भी है।
- संगेस्तर त्सो (अरुणाचल प्रदेश):
- इसे माधुरी झील के नाम से जाना जाता है।
- यह तिब्बत की सीमा के नज़दीक है और वर्ष 1950 में एक बड़े भूकंप के कारण इसका गठन हुआ।
- लोकटक झील (मणिपुर):
- यह पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है।
- इस झील के मुख्य आकर्षण 'फुमडीस' या तैरते हुए बायोमास और 'फुमसंग' या उन पर मछुआरों की झोपड़ियाँ हैं।
- केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान, पृथ्वी पर एकमात्र तैरता हुआ वन्यजीव निवास स्थान है, जो झील के दक्षिण-पश्चिमी भाग पर स्थित है और संगाई या भौंह-मृग, नृत्य करने वाले हिरण का अंतिम प्राकृतिक आवास है।
- अन्य:
- मावमलुह केव, मौबलेई या गॉड्स रॉक, थेरियाघाट (मेघालय); उमानंद (असम), चबीमुरा, उनाकोटी (त्रिपुरा); संगीतसर त्सो (अरुणाचल प्रदेश); रीक तलंग (मिज़ोरम); नगा हिल ओफियोलाइट (नगालैंड); स्ट्रोमेटोलाइट पार्क (सिक्किम)।
संबंधित वैश्विक अवधारणा:
- यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क्स:
- ये एकल, एकीकृत भौगोलिक क्षेत्र हैं जहाँ अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक महत्त्व के स्थलों और परिदृश्यों को सुरक्षा, शिक्षा और सतत् विकास की समग्र अवधारणा के साथ प्रबंधित किया जाता है।
- जबकि 44 देशों में फैले 169 यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क हैं, भारत के पास अभी तक अपना एक भी नहीं है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण
- इसकी स्थापना वर्ष 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिये कोयला भंडार की खोज के लिये की गई थी। वर्तमान में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) खान मंत्रालय से संबद्ध कार्यालय है।
- GSI के मुख्य कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक सूचना और खनिज संसाधन मूल्यांकन के निर्माण व अद्यतन से संबंधित हैं।
- इसका मुख्यालय कोलकाता में है।