प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 12 जून, 2020
- 12 Jun 2020
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आईफ्लोस-मुंबई
iFLOWS-Mumbai
हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science) द्वारा मुंबई शहर में बाढ़ की तीव्रता को कम करने के लिये अत्याधुनिक एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली ‘आईफ्लोस-मुंबई’ (iFLOWS-Mumbai) को विकसित किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- इस चेतावनी प्रणाली में मुंबई शहर की बाढ़ प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के लिये विशेष रूप से अधिक वर्षा की घटनाओं एवं चक्रवातों के दौरान मुंबई के लिये प्रारंभिक चेतावनी का प्रावधान किया गया है।
- ‘आईफ्लोस-मुंबई’ (iFLOWS-Mumbai) को एक मॉड्यूलर संरचना पर बनाया गया है। इसमें डेटा एसिमिलेशन (Data Assimilation), बाढ़, जलप्लावन (Inundation), भेद्यता (Vulnerability), जोखिम, प्रसार मॉड्यूल (Dissemination Module) और निर्णय सहायक तंत्र (Decision Support System) जैसे सात मॉड्यूल हैं।
- इस प्रणाली में ‘मध्यम श्रेणी के मौसम पूर्वानुमान के लिये राष्ट्रीय केंद्र’ (National Centre for medium Range Weather Forecasting- NCMRWF) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) से मौसम मॉडल, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM), ग्रेटर मुंबई नगर निगम (MCGM) और IMD द्वारा स्थापित रेन गेज़ नेटवर्क स्टेशनों से क्षेत्रीय डेटा तथा भूमि उपयोग पर थीमेटिक लेयर एवं बुनियादी ढाँचे से संबंधित जानकारी आदि शामिल की गई है।
- मौसम मॉडल के इनपुट के आधार पर, हाइड्रोलॉजिक मॉडल (Hydrologic Model) का उपयोग वर्षा को अपवाह में बदलने के लिये किया जाता है जो नदियों के जल प्रवाह में वृद्धि करता है।
- चूँकि मुंबई एक द्वीपीय शहर है जिसकी कनेक्टिविटी समुद्र के साथ है इसलिये शहर पर ज्वार एवं तूफान के प्रभाव की गणना करने के लिये हाइड्रोडायनामिक मॉडल (Hydrodynamic Model) और तूफान वृद्धि मॉडल (Storm Surge Model) का उपयोग किया जाता है।
- इस प्रणाली में शहर के भीतर ‘शहरी जल निकासी’ एवं बाढ़ वाले क्षेत्रों में पूर्वानुमान से संबंधित प्रावधानों को अंतिम रूप से मुख्य प्रणाली में शामिल किया जाएगा।
रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन नेस्टेड पीसीआर
Reverse Transcription nested PCR
हाल ही में ‘सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बॉयोलॉजी’ (Centre for Cellular and Molecular Biology- CCMB) के शोधकर्त्ताओं ने COVID-19 के लिये एक नया टेस्ट विकसित किया है। इस टेस्ट को ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन नेस्टेड पीसीआर (Reverse Transcription nested PCR- RT-nPCR) टेस्ट के रूप में जाना जाता है।
प्रमुख बिंदु:
- रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन नेस्टेड पीसीआर (Reverse Transcription nested PCR- RT-nPCR) टेस्ट अधिक किफायती है और यह तकनीकी रूप से बहुत आसान है।
- इस परीक्षण के लिये रियल टाइम क्वांटेटिव (Real-Time Quantitative) को ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पालीमरेज़ चेन रिएक्शन’ (RT-qPCR) की जरूरत नहीं पड़ती है।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) ने COVID-19 परीक्षण के लिये केवल ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन- पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन’ (RT-qPCR) परीक्षण की सिफारिश की है।
- दोनों परीक्षणों के परिणामों की तुलना करने पर शोधकर्त्ताओं ने पाया कि मानक RT-qPCR परीक्षण में वास्तविक परीक्षण परिदृश्य के लिये पहचान क्षमता कम (50% से कम) हो सकती है जो कई नमूनों में ‘कम वायरल प्रतिनिधित्त्व’ का कारण हो सकता है।
लोनार झील
Lonar Lake
महाराष्ट्र के बुलढाणा (Buldhana) ज़िले के ज़िलाधिकारी सुमन चंद्रा ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (National Environmental Engineering Research Institute- NEERI), नागपुर से अनुरोध किया है कि वह पिछले कुछ दिनों में बुलढाणा ज़िले की लोनार झील (Lonar Lake) के पानी के लाल रंग में परिवर्तित होने के कारणों का पता लगाए।
प्रमुख बिंदु:
- लोनार झील महाराष्ट्र के बुलढाणा ज़िले के लोनार में स्थित एक क्रेटर झील (Crater-Lake) है और इसका निर्माण प्लीस्टोसिन काल (Pleistocene Epoch) में उल्कापिंड के गिरने से हुआ था जो 1.85 किमी. के व्यास एवं 500 फीट की गहराई के साथ बेसाल्टिक चट्टानों से निर्मित है।
- यह एक अधिसूचित राष्ट्रीय भू-विरासत स्मारक (National Geo-heritage Monument) भी है। इस झील का पानी खारा एवं क्षारीय दोनों है।
- इस झील में गैर-सहजीवी नाइट्रोजन-फिक्सिंग रोगाणुओं (Non-Symbiotic Nitrogen-Fixing Microbes) जैसे- स्लैकिया एसपी (Slackia SP), एक्टिनोपॉलीस्पोरा एसपी (Actinopolyspora SP) और प्रवासी पक्षी जैसे- शेल्डक, ग्रेब, रूडी शेल्डक के रूप में समृद्ध जैविक विविधता पाई जाती है।
राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान
(National Environmental Engineering Research Institute- NEERI):
- NEERI वर्ष 1958 में भारत सरकार द्वारा नागपुर में स्थापित एक वित्तपोषित संस्थान है। यह वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की एक घटक प्रयोगशाला है।
- इसकी स्थापना का उद्देश्य पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग में नवाचार और अनुसंधान करना है।
- इसकी पाँच क्षेत्रीय प्रयोगशालाएँ क्रमशः चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कलकत्ता और मुंबई में स्थित हैं।
ऑपरेशन डेज़र्ट चेज़
Operation Desert Chase
हाल ही में ऑपरेशन डेज़र्ट चेज़ (Operation Desert Chase) के तहत राजस्थान पुलिस ने सैन्य खुफिया (Military Intelligence- MI) इनपुट्स के आधार पर जयपुर में दो रक्षा कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जो पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई को संवेदनशील जानकारी दे रहे थे।
प्रमुख बिंदु:
- इस ऑपरेशन को भारतीय सेना, यूपी एटीएस और राजस्थान पुलिस ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया और इसे ‘ऑपरेशन डेज़र्ट चेज़' नाम दिया गया है।
- दोनों रक्षा कर्मचारियों को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट, 1923 (Official Secrets Act, 1923) की प्रासंगिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है।
- इस ऑपरेशन की शुरुआत अगस्त 2019 में हुई थी जब लखनऊ स्थित सैन्य खुफिया (Military Intelligence- MI) विभाग ने अपने खोजी कुत्तों के माध्यम से, श्री गंगानगर (राजस्थान) के पास एक जासूसी एजेंट के बारे पता लगाया था जो पाकिस्तान में अपने संचालकों को सैन्य जानकारी दे रहा था।
ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट, 1923
(Official Secrets Act, 1923):
- इस कानून को वर्ष 1923 में अधिनियमित किया गया था और वर्ष 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद इसे बरकरार रखा गया।
- यह कानून सरकारी कर्मचारियों एवं नागरिकों पर लागू होता है और यह जासूसी, राष्ट्रद्रोह एवं राष्ट्र की अखंडता के लिये अन्य संभावित खतरों से निपटने की रूपरेखा प्रदान करता है।
- यह कानून के तहत जासूसी करना, गुप्त जानकारी साझा करना, वर्दी का अनाधिकृत उपयोग करना, जानकारी रोकना, प्रतिबंधित क्षेत्रों में सशस्त्र बलों के साथ हस्तक्षेप आदि को दंडनीय अपराध घोषित करता है।