भारतीय विरासत और संस्कृति
यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क
- 18 Nov 2020
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प्रिलिम्स के लिये:यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क, एर्रा मट्टी डिब्बालू, थोटलाकोंडा की अवस्थिति मेन्स के लिये:यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क |
चर्चा में क्यों?
‘भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास’ (Indian National Trust For Art And Cultural Heritage- INTACH), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) के ‘एर्रा मट्टी डिब्बालू’ (Erra Matti Dibbalu) (लाल रेत के टीले), प्राकृतिक चट्टानीय संरचनाओं, बोर्रा गुफाओं (Borra Caves) और ज्वालामुखीय ऐश निक्षेपण आदि भू-वैज्ञानिक स्थलों के लिये ‘यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क’ (UNESCO Global Geopark) के रूप में मान्यता प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- हालाँकि 44 देशों में 161 'यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क’ हैं, लेकिन अभी तक भारत का एक भी भू-वैज्ञानिक स्थल इस नेटवर्क के तहत शामिल नहीं किया गया है।
- प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में यूनेस्को की 'ग्लोबल जियो पार्क' पहल के अलावा दो अन्य प्रमुख पहल ‘बायोस्फीयर रिज़र्व’ और ‘विश्व विरासत स्थल‘ हैं।
ग्लोबल जियो पार्क:
- ग्लोबल जियो पार्क एकीकृत भू-वैज्ञानिक क्षेत्र होते हैं जहाँ अंतर्राष्ट्रीय भू-गर्भीय महत्त्व के स्थलों व परिदृश्यों का सुरक्षा, शिक्षा और टिकाऊ विकास की समग्र अवधारणा के साथ प्रबंधन किया जाता है।
- ‘यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क’ की स्थापना की प्रक्रिया निचले स्तर से शुरू की जाती है जिसमें सभी प्रासंगिक स्थानीय दावेदारों जैसे कि भू-मालिकों, सामुदायिक समूहों, पर्यटन सेवा प्रदाताओं आदि को शामिल किया जाता है।
- यह पहल स्थानीय समुदायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़कर पृथ्वी की भू-विविधता की सुरक्षा को बढ़ावा देती है।
विशाखापत्तनम के जियो स्थल:
‘एर्रा मट्टी डिब्बालू’ (Erra Matti Dibbalu):
- यह तटीय लाल तलछट के टीले हैं जो विशाखापत्तनम और भीमुनिपत्तनम (Bheemunipatnam) के बीच स्थित हैं।
- इन टीलों की चौड़ाई 200 मीटर से 2 किलोमीटर तक है, जो तट के किनारे पाँच किलोमीटर तक विस्तृत हैं।
- इस क्षेत्र के अलावा इस प्रकार के टीलों का जमाव दक्षिण एशिया में केवल दो अन्य स्थलों- तमिलनाडु की ‘तेरी सैंड्स’ (Teri Sands) और श्रीलंका के ‘रेड कोस्टल सैंड्स’ (Red Coastal Sands) में है।
- यह 'भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण' (GSI) द्वारा अधिसूचित 34 'राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक विरासत स्मारक स्थलों' (National Geological Heritage Monument Sites) में से एक है।
- भू-वैज्ञानिक विरासत शब्द का उपयोग भू-आकृति विज्ञान की उन विशेषताओं या संरचनाओं के लिये किया जाता है जिनका सौंदर्यात्मक, वैज्ञानिक और शैक्षिक दृष्टिकोण से महत्त्व होता है तथा जो पृथ्वी की उत्पत्ति संबंधी भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को समझने में अद्वितीय अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।
मंगामरिपेटा में प्राकृतिक चट्टानीय संरचनाएँ (Natural Rock Formations of Mangamaripeta):
- यह पूर्वी घाट में थोटलाकोंडा (Thotlakonda) बौद्ध स्थल के सामने मंगामरिपेटा तट पर स्थित एक प्राकृतिक चट्टानीय मेहराब/रॉक आर्क है।
- यह अंतिम हिमयुग के बाद की अवधि (लगभग 10,000 वर्ष पूर्व) की संरचना हो सकती है, जो तिरुमाला पहाड़ियों में स्थित सिलथोरनम (Silathoranam) के प्राकृतिक रॉक आर्क के समान है।
बोर्रा गुफाएँ (Borra Caves):
- इसे ‘भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण’ संस्थान के भू-वैज्ञानिक विलियम किंग जॉर्ज द्वारा खोजा गया था। ये लगभग 1 मिलियन वर्ष पुरानी गुफाएँ हैं जो समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं।
- इन गुफाओं में स्टैलेक्टाइट और स्टैलेग्माइट संरचनाएँ पाई जाती है।
ज्वालामुखी ऐश/राख निक्षेपण:
- ऐसा माना जाता है कि यह अराकू (आंध्र प्रदेश) के पास 73,000 वर्ष पूर्व इंडोनेशिया में टोबा के ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न राख का निक्षेपण है।
निष्कर्ष:
- निर्माण गतिविधि, खुदाई, अपशिष्ट निपटान तथा मानव हस्तक्षेप के कारण इन भू-स्थलों की स्थिरता प्रभावित हो रही है। यद्यपि INTACH वर्तमान में इस क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण भू-वैज्ञानिक और सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा के प्रति सार्वजनिक जागरूकता अभियान चला रहा है।