प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 04 अक्तूबर, 2018
- 04 Oct 2018
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सुरिंसर-मानसर झील
- जम्मू-कश्मीर में स्थित यह झील अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की वेटलैंड्स की रामसर सूची में शामिल 26 स्थलों की सूची में से एक है।
- सुरिंसर तथा मानसर झील को जुड़वाँ झील माना जाता है।
- सुरिंसर मानसर वन्यजीव अभयारण्य दोनों झीलों के मध्य स्थित है।
- महाभारत काल के दौरान इसकी पौराणिक उत्पत्ति के कारण कई मंदिरों के साथ यह स्थल सामाजिक तथा सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- सुरिंसर झील वर्षा जल पर निर्भर है तथा इस झील का कोई स्थायी बहाव नहीं है। जबकि मानसर मुख्य रूप से सतह पर प्रवाहित होने वाले जल तथा धान के खेतों से रिस कर आने वाले मिनरल जल पर आंशिक रूप से निर्भर है, जिसमें बरसात के मौसम में बढ़ोतरी हो जाती है।
- वर्तमान में मानवीय हस्तक्षेप तथा जलवायु परिवर्तन की वज़ह से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
ऊँट कडाल पुल श्रीनगर
हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर ट्रस्ट (Indian National Trust For Art And Cultural Heritage- INTACH) ने 17वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित पुल ऊँट कडाल का पुनरुद्धार करने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि INTACH द्वारा इस पुल के पुनरुद्धार का कार्य जर्मनी की मदद से पूरा किया जाएगा।
- ऊँट के कूबड़ के समान संरचना वाला यह पुल जिसे स्थानीय रूप से ऊँट कडाल के नाम से जाना जाता है, डल झील के बीच में स्थित है और इसका अधिकांश भाग निशात बाग़ से दिखाई देता है।
- ऊँट कडाल उस क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें डल झील, ज़बरवान पर्वत श्रृंखला (पीर पंजाल और ग्रेट हिमालय रेंज के बीच उप-पर्वत श्रृंखला) और निशात बाग जैसे विश्व धरोहर स्थल है।
- ज़बरवान पर्वत श्रृंखला हिमालयी वन्यजीवन से समृद्ध है। दाचीगाम नेशनल पार्क इस श्रेणी की प्रमुख विशेषता है जिसमें कश्मीर स्टैग (हंगुल) की आखिरी व्यवहार्य आबादी मौज़ूद है।
- ऊँट कडाल के पुनरुद्धार से डल झील की वैश्विक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत पर फिर से ध्यान केंद्रित होगा।
- यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी धर्मार्थ संगठन है।
- इसे भारत में विरासत जागरूकता और संरक्षण का नेतृत्व करने के दृष्टिकोण से 1984 में नई दिल्ली में स्थापित किया गया था।
- वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद के साथ-साथ एक विशेष सलाहकार का दर्जा प्रदान कर सम्मानित किया गया था।
भारत और एशियाई विकास बैंक के बीच ऋण समझौते पर हस्ताक्षर
हाल ही में भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank- ADB) ने आर्सेनिक, फ्लोराइड और लवणता से प्रभावित पश्चिम बंगाल के तीन ज़िलों में निरंतर सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिये 240 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
- इस परियोजना के माध्यम से लगभग 1.65 मिलियन लोगों को निरंतर सुरक्षित पेयजल उपलब्ध हो सकेगा।
- इस परियोजना का उद्देश्य भूजल के अत्यधिक उपयोग से संबंधित चिंताओं को दूर करना है. इस परियोजना से प्रदूषित भूजल के कारण होने वाली बीमारियों में कमी आएगी।
- इसके तहत विभिन्न परिवारों को व्यक्तिगत कनेक्शन देने के साथ-साथ ज़िला स्तर पर मीटर कनेक्शन आधारित जलापूर्ति सुनिश्चित की जाएगी और इसके साथ ही स्मार्ट जल प्रबंधन के लिये उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।
वित्तीय अनुदान
- इस परियोजना के लिये जापान गरीबी उन्मूलन कोष से 3 मिलियन डॉलर का अनुदान मिल रहा है जिसका वित्तपोषण जापान सरकार द्वारा किया गया है।
- इसी तरह इस परियोजना के लिये ADB के शहरी जलवायु परिवर्तन सुदृढ़ ट्रस्ट फंड (Urban Climate Change Resilience Trust Fund) से 2 मिलियन डॉलर का अनुदान मिल रहा है।
एशियाई विकास बैंक
- एशियाई विकास बैंक एक बहुपक्षीय वित्तीय संस्था है। इसकी स्थापना एशिया और प्रशांत क्षेत्रों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से वर्ष 1966 में की गई थी, जिसका मुख्यालय मनीला (फिलिपींस) में है।
- यह बैंक क्षेत्रीय, उप-क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय परियोजनाओं को प्राथमिकता देता है। सामाजिक और पर्यावरण संबंधी परियोजनाओं को सहायता प्रदान करने पर बैंक का विशेष ध्यान रहता है। इसके प्रमुख कार्य हैं:
- विकास परियोजनाओं और कार्यक्रमों के लिये वित्तीय और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना।
- आर्थिक विकास के लिये लोक एवं निजी पूंजी निवेश को प्रोत्साहन देना।
- विकासशील सदस्य-राष्ट्रों की विकास योजनाओं और नीतियों के समन्वय में सहायता प्रदान करना।
- एशियाई विकास बैंक में मतदान व्यवस्था विश्व बैंक के अनुरूप है, जहाँ मत विभाजन सदस्य राष्ट्रों की पूंजी के अनुपात में होता है। एशियाई विकास बैंक संयुक्त राष्ट्र का आधिकारिक पर्यवेक्षक भी है।
यूनेस्को ग्लोबल जिओ पार्क स्टेटस
लोनार झील, सेंट मैरी द्वीप, और माल्पे बीच ग्लोबल जिओ पार्क का दर्जा पाने के लिये तैयार हैं।- ग्लोबल जियो पार्क एकीकृत भौगोलिक क्षेत्र होते हैं जहाँ अंतर्राष्ट्रीय भूगर्भीय महत्त्व के स्थलों व परिदृश्यों का सुरक्षा, शिक्षा और टिकाऊ विकास की समग्र अवधारणा के साथ प्रबंधन किया जाता है।
- यूनेस्को ग्लोबल जिओ पार्क की स्थापना की प्रक्रिया निचले स्तर से शुरू की जाती है जिसमें सभी प्रासंगिक स्थानीय तथा क्षेत्रीय दावेदारों जैसे कि भू-मालिकों, सामुदायिक समूहों, पर्यटन सेवा प्रदाताओं, तथा स्थानीय लोगों आदि को शामिल किया जाता है।
- एक महत्त्वाकांक्षी ग्लोबल जिओ पार्क के लिये एक समर्पित वेबसाइट, कॉर्पोरेट पहचान तथा व्यापक प्रबंधन योजना का होना आवश्यक है।
जिओ पार्क टैग का महत्त्व
- इससे अभिनव स्थानीय उद्यमों, नई नौकरियों और उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का निर्माण होता है तथा भू-पर्यटन के माध्यम से राजस्व के नए स्रोत उत्पन्न होते हैं, जबकि क्षेत्र के भूगर्भीय संसाधन संरक्षित होते हैं।
- यूनेस्को ग्लोबल जिओ पार्क समाज के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों जैसे- पृथ्वी के संसाधनों का स्थायी रूप से उपयोग करना, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना, प्राकृतिक आपदा से संबंधित जोखिम क्षेत्र आदि के मामले में जागरूकता और समझ को बढ़ाने के लिये, क्षेत्र के प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के अन्य सभी पहलुओं के साथ-साथ इसके भूगर्भीय विरासत को महत्त्व देता है।
- जिओ पार्क टैग ऐतिहासिक स्मारक के लिये दिये जाने वाले टैग 'विश्व धरोहर स्थल' के समान है।
लोनार झील
- लोनार क्रेटर झील भारत के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा अधिसूचित राष्ट्रीय भू-विरासत स्मारक है। यह महाराष्ट्र के बुलढाणा ज़िले में स्थित खारे पानी की झील है।
सेंट मैरी द्वीप
- सेंट मैरी द्वीप जो नारियल द्वीप और थोन्सेपार के नाम से भी प्रसिध्द है, उडुपी, कर्नाटक के मालपे तट पर अरब सागर में स्थित चार छोटे द्वीपों का एक समूह है।
- वे बेसाल्ट लावा द्वारा अपने विशिष्ट भूवैज्ञानिक गठन के लिये जाने जाते हैं।
- 2001 में भारत के भूगर्भीय सर्वेक्षण द्वारा इसे "जियो टूरिज़्म" के लिये महत्त्वपूर्ण स्थल के रूप में घोषित किया गया।
मालपे बीच
- मालपे एक प्राकृतिक बंदरगाह है जो कर्नाटक में उडुपी के पश्चिम में स्थित है।
- यह कर्नाटक तट पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह और एक मछली पकड़ने का प्रमुख स्थान है।