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स्टेट पी.सी.एस.

  • 12 Mar 2025
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उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में लखपति दीदी योजना

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर ज़िले ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत एक प्रमुख पहल, लखपति दीदी योजना के कार्यान्वयन में सबसे अधिक सफलता प्राप्त की।

मुख्य बिंदु

  • लक्ष्य की ओर प्रगति:
    • उधम सिंह नगर अपने लक्ष्य के करीब पहुँच गया है, जहाँ 27,285 लक्ष्य की तुलना में 25,918 महिलाएँ लखपति दीदी बन चुकी हैं।
    • दूसरे स्थान पर हरिद्वार है, जिसने 23,588 लक्ष्य में से 21,442 लक्ष्य प्राप्त कर लिये हैं।
    • पौड़ी, अल्मोड़ा और टिहरी ने भी उल्लेखनीय प्रगति की है।
  • ग्रामीण महिलाओं के लिये उद्यमशीलता के अवसर:
    • लखपति दीदी योजना के अंतर्गत ग्रामीण महिलाएँ निम्नलिखित कार्य करके उद्यमी बन गई हैं:
      • मोटे अनाज और फलों का मूल्य संवर्द्धन।
      • डेयरी फार्मिंग और एलपीजी वितरण।
      • प्राथमिक पशु चिकित्सा देखभाल और बीमा योजनाएँ, कमीशन अर्जित करना।
      • डिजिटल लेनदेन, घरेलू आय को मज़बूत करना।
  • महिला सशक्तीकरण पर NRLM का प्रभाव:
    • NRLM ने दूरदराज़ के गाँवों में रहने वाली महिलाओं के जीवन में बदलाव लाकर उन्हें न केवल वित्तीय स्थिरता प्रदान की है, बल्कि सशक्तीकरण और आत्मनिर्भरता भी प्रदान की है।

लखपति दीदी पहल

  • परिचय: 
    • "लखपति दीदी" स्वयं सहायता समूह की वह सदस्य होती है, जिसने सफलतापूर्वक एक लाख रुपये या उससे अधिक की वार्षिक घरेलू आय प्राप्त कर ली हो।
    • यह आय कम-से-कम चार कृषि मौसमों या व्यवसाय चक्रों तक बनी रहती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि औसत मासिक आय दस हज़ार रुपए से अधिक है।
    • इसकी शुरुआत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) द्वारा की गई थी, जिसमें प्रत्येक SHG परिवार को मूल्य शृंखला हस्तक्षेपों के साथ कई आजीविका गतिविधियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रति वर्ष 1,00,000 रुपये या उससे अधिक की स्थायी आय होती है।
  • उद्देश्य: 
    • इस पहल का उद्देश्य न केवल महिलाओं की आय में सुधार करके उन्हें सशक्त बनाना है, बल्कि स्थायी आजीविका पद्धितियों के माध्यम से उनके जीवन में बदलाव लाना है।
    • ये महिलाएँ अपने समुदायों में आदर्श के रूप में कार्य करती हैं तथा प्रभावी संसाधन प्रबंधन और उद्यमशीलता की शक्ति का प्रदर्शन करती हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

  • परिचय:
    • यह एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसे जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य:
  • कार्य:
    • इसमें सामुदायिक पेशेवरों के माध्यम से सामुदायिक संस्थाओं के साथ स्व-सहायता की भावना से काम करना शामिल है, जो DAY-NRLM का एक अनूठा प्रस्ताव है।
    • यह सार्वभौमिक सामाजिक लामबंदी के माध्यम से आजीविका को प्रभावित करता है , इसके साथ-साथ प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार से एक महिला सदस्य को स्वयं सहायता समूह (SHG) में संगठित करना, उनका प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण करना, उनकी सूक्ष्म आजीविका योजनाओं को सुविधाजनक बनाना तथा उन्हें अपने स्वयं के संस्थानों और बैंकों से वित्तीय संसाधनों तक पहुँच के माध्यम से अपनी आजीविका योजनाओं को लागू करने में सक्षम बनाना है।


हरियाणा Switch to English

चैत्र चौदस मेला

चर्चा में क्यों?

तीन दिवसीय चैत्र चौदस मेला 27 से 29 मार्च, 2025 तक कुरुक्षेत्र के पेहोवा स्थित सरस्वती तीर्थ पर आयोजित होगा।

  • मेले के दौरान हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों की पूजा- अर्चना करने के लिये पेहोवा में एकत्र होते हैं।

मुख्य बिंदु

  • प्रशासनिक समन्वय और योजना:
    • जिला प्रशासन ने मेले के सुचारू संचालन के लिये तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।
    • प्रयासों में समन्वय तथा समय पर तैयारियाँ पूरी करने के लिये सभी विभागों की एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई।
    • अतिरिक्त उपायुक्त ने तैयारियों की समीक्षा की और आवश्यक निर्देश जारी किये हैं।
  • बुनियादी ढाँचा और व्यवस्था:
    • लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग को निर्देश दिया गया है कि:
      • पर्याप्त जल आपूर्ति सुनिश्चित करें।
      • आगंतुकों के लिये अस्थायी शौचालय स्थापित करें।
      • सिंचाई विभाग सरस्वती तीर्थ स्थित तालाब से पानी निकालकर उसे ताज़ा पानी से भरेगा।
    • उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN), स्वास्थ्य, नगर पालिका, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन, अग्निशमन, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, पुलिस सहित कई विभागों के अधिकारियों को मेले की तैयारियों के लिये निर्देश दिये गए हैं।
  • सुरक्षा और कानून प्रवर्तन उपाय:
    • पुलिस उपाधीक्षक (DSP) ने बताया कि मेला क्षेत्र को आठ सुरक्षा सेक्टरों में बाँटा जाएगा।
    • निम्नलिखित स्थानों पर पुलिस चौकियाँ स्थापित की जाएंगी:
      • अंबाला रोड
      • गुहला-पेहोवा रोड
      • कैथल रोड
      • गैलेर्वा रोड
      • कुरुक्षेत्र रोड
    • श्रद्धालुओं को बार-बार रुकने से बचाने के लिये एक ही स्थान पर पूरी सुरक्षा जाँच की जाएगी।
    • श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिये बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाएगा।
  • उन्नत निगरानी और मॉनीटरिंग:
    • यह सुनिश्चित करने के लिये कि वे चालू हैं, मेला स्थल में लगे सीसीटीवी कैमरों की जाँच की जाएगी।
    • वाहन चोरी रोकने के लिये खराब पड़े कैमरों को बदला जाएगा तथा पार्किंग क्षेत्रों में नए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।


बिहार Switch to English

शौर्य वेदनाम उत्सव

चर्चा में क्यों?

7 और 8 मार्च 2025 को बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले के मोतिहारी में प्रथम शौर्य वेदनाम उत्सव का आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु

उत्सव के बारे में: 

  • उद्देश्य 
    • इस उत्सव का उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना और युवाओं व आम नागरिकों को रक्षा बलों के प्रति जागरूक और प्रेरित करना था।
  • आयोजन और प्रमुख अतिथि
    • यह उत्सव रक्षा मंत्रालय और पूर्वी चंपारण ज़िला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किया गया।
    • उत्सव का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया और प्रमुख अतिथियों में राधा मोहन सिंह (रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष) लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
  • सैन्य प्रदर्शन और आकर्षण
    • इस आयोजन में सेना, नौसेना और वायु सेना की आधुनिक सैन्य तकनीकों और उपकरणों का प्रदर्शन किया गया, जिनमें शामिल थे:
      • भारतीय सेना ने के-9 वज्र तोप, टी-90 भीष्म टैंक, स्वाति रडार और BMP लड़ाकू वाहन जैसे उन्नत उपकरणों का प्रदर्शन किया।
      • नौसेना ने पनडुब्बियों, विध्वंसक जहाजों और विमान वाहकों के मॉडल प्रदर्शित किये, जिससे नौसैनिक शक्ति का व्यापक परिचय मिला।
      • भारतीय वायु सेना ने फ्लाईपास्ट और लड़ाकू विमानों तथा हेलीकॉप्टरों के प्रदर्शन के माध्यम से अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।

मोतिहारी के बारे में: 

  • मोतिहारी बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक नगर है। 
  • यह नेपाल सीमा पर स्थित, पूर्वी चंपारण ज़िले का मुख्यालय है।
  • किंवदंती के अनुसार, मोतिहारी का नाम दो व्यक्तियों मोती सिंह और हरि सिंह के नाम पर पड़ा।
  • यह प्रसिद्ध लेखक जॉर्ज ऑरवेल का जन्मस्थान है और महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह का प्रमुख केंद्र रहा है।
  • दर्शनीय स्थल
    • केसरिया बौद्ध स्तूप: केसरिया में स्थित यह दुनिया के सबसे ऊँचे बौद्ध स्तूपों में से है।
    • अशोक स्तंभ:लौरिया गाँव में स्थित यह 36½ फीट ऊँचा स्तंभ सम्राट अशोक द्वारा 249 ई० पूर्व में स्थापित करवाया गया था। इसे "स्तंभ धर्म लेख" के नाम से भी जाना जाता है।

बिहार Switch to English

बिहार मंत्रिमंडल में बदलाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल में बदलाव करते हुए नए सात मंत्रियों को विभाग आवंटित किये। इसके साथ ही पहले के कई मंत्रियों की ज़िम्मेदारी भी बदली गई है।

मुख्य बिंदु 

  • यह बदलाव 28 फरवरी 2025 को बजट सत्र के एक दिन पहले किया गया। जो मंत्री एक से अधिक विभाग संभाल रहे थे, अब उनके कुछ विभागों को नए मंत्रियों के बीच बाँटा गया है।
  • नए मंत्रियों को आवंटित विभाग:
    • संजय सरावगी – राजस्व एवं भूमि
    • सुनील कुमार – वन एवं पर्यावरण
    • विजय मंडल – आपदा प्रबंधन
    • कृष्ण कुमार मंटू – सूचना प्रावैधिकी (आईटी)
    • मोतीलाल प्रसाद – कला एवं संस्कृति
    • राजू कुमार सिंह – पर्यटन
    • जीवेश मिश्रा – शहरी विकास
  • विभागों में फेरबदल:
  • विजय सिन्हा से सड़क निर्माण विभाग लेकर नितिन नवीन को दिया गया।
  • मंगल पांडे से कृषि विभाग लेकर विजय सिन्हा को दिया गया।
  • नितिन नवीन से कानून विभाग लेकर मंगल पांडे को दिया गया।
  • विजय सिन्हा से कला एवं संस्कृति विभाग लेकर मोतीलाल प्रसाद को दिया गया।
  • नितिन नवीन से शहरी विकास विभाग लेकर जीवेश मिश्रा को दिया गया।
  • संतोष सुमन से सूचना प्रावैधिकी विभाग लेकर कृष्ण कुमार मंटू को दिया गया।
    • अब संतोष सुमन के पास केवल लघु जल संसाधन विभाग बचा है।

उत्तर प्रदेश Switch to English

महिला तायक्वांडो चैंपियनशिप

चर्चा में क्यों? 

8 मार्च 2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में खेलो इंडिया महिला तायक्वांडो चैंपियनशिप का आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु

  • चैंपियनशिप के बारे में: 
    • आयोजन
      • इस चैंपियनशिप का आयोजन केंद्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय, खेलो इंडिया, भारतीय खेल प्राधिकरण, ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया तथा उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो एसोसिएशन द्वारा किया गया।
      • इस चैंपियनशिप में विभिन्न भार वर्गों में सीनियर श्रेणी की प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। इस चैंपियनशिप में विभिन्न भार वर्गों में सीनियर वर्ग की प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनमें खिलाड़ियों ने स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक जीते।
    • मुख्य पदक विजेता
      • लखनऊ – 4 स्वर्ण, 4 रजत, 6 कांस्य
      • आगरा – 4 स्वर्ण, 1 रजत
      • मथुरा, फर्रुखाबाद – 1-1 स्वर्ण सहित अन्य पदक

तायक्वोंडो

  • परिचय:
    • तायक्वोंडो एक कोरियाई मार्शल आर्ट है, जिसमें पंचिंग और किकिंग तकनीकों की विशेषता होती है।
    • इसमें सिर की ऊँचाई वाली किक, स्पिनिंग जंप किक और फास्ट किकिंग तकनीकों पर ज़ोर दिया जाता है।
    • यह केवल शारीरिक कौशल ही नहीं, बल्कि मानसिक शक्ति को भी विकसित करता है।
  • इतिहास:
    • तायक्वोंडो की जड़ें कोरिया के थ्री-किंगडम युग (सी. 50 ईसा पूर्व) से जुड़ी हुई हैं।
    • सिला राजवंश के योद्धाओं हवारंग ने ताइक्योन ("पैर-हाथ") नामक मार्शल आर्ट विकसित किया।
    • 20वीं सदी की शुरुआत में, यह कोरिया में प्रमुख मार्शल आर्ट बन गया।
    • 1973 में वर्ल्ड ताइक्वांडो फेडरेशन (WTF) की स्थापना हुई।

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