सामाजिक न्याय
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025
- 10 Mar 2025
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, बीजिंग डिक्लेरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (BPfA), यूनाइटेड नेशंस वुमन, मातृ मृत्यु दर, विज्ञान ज्योति, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, PMGDISHA, महिला आरक्षण अधिनियम, 2023, जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (GATI)। मेन्स के लिये:महिला अधिकारों की स्थिति, महिला सशक्तीकरण से संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह। |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों को मान्यता देने के क्रम में 8 मार्च को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
- इसके अतिरिक्त, वर्ष 2025 महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह बीजिंग डिक्लेरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (BPfA) की 30वीं वर्षगाँठ है, यह महिलाओं के अधिकारों के लिये एक ऐतिहासिक प्रतिबद्धता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्या है?
- परिचय: यह महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान करने हेतु समर्पित एक विशेष दिन है जिसके तहत लैंगिक असमानताओं पर प्रकाश डालने के साथ राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था में महिलाओं के अधिकारों को महत्त्व दिया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 का विषय है- ‘सभी महिलाओं और लड़कियों के लिये: अधिकार, समानता, सशक्तीकरण।
- इतिहास: जर्मन कार्यकर्त्ता क्लारा ज़ेटकिन ने इस विचार का प्रस्ताव रखा, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1911 में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में पहली बार इसे मनाया गया।
- वर्ष 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता दी।
- उद्देश्य: यह कार्यस्थल पर समानता के साथ प्रजनन अधिकार जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के क्रम में एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- सरकारें और संगठन इस दिन का उपयोग महिला सशक्तीकरण के साथ भेदभाव समाप्त करने हेतु नीतियों को प्रसारित करने के लिये करते हैं।
बीजिंग डिक्लेरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन क्या है?
- बीजिंग डिक्लेरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (1995) को वर्ष 1995 में बीजिंग, चीन में आयोजित महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन में अपनाया गया था।
- यह महिलाओं एवं लड़कियों के अधिकारों के लिये एक महत्वपूर्ण आयाम है, जो विधिक संरक्षण, सेवा तक पहुँच, युवा सहभागिता तथा सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- भारत BPfA का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
- कार्रवाई के क्षेत्र: इसके तहत लैंगिक समानता पर तत्काल कार्रवाई हेतु 12 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने के साथ सभी के लिये समान अवसर सुनिश्चित करने के क्रम में रणनीति प्रदान की गई। इसमें शामिल प्रमुख क्षेत्र हैं:
- बीजिंग+30 कार्य एजेंडा: यह BPfA की 30वीं वर्षगाँठ (1995-2025) के उपलक्ष्य में इसके कार्यान्वयन की समीक्षा एवं मूल्यांकन पर केंद्रित है।
- यह छह प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:
भारत में महिलाओं की वर्तमान स्थिति क्या है?
- मातृ स्वास्थ्य: संस्थागत प्रसव में 95% तक वृद्धि हुई है, जिससे मातृ मृत्यु दर में प्रति 100,000 जन्मों पर 130 से 97 तक की गिरावट आई है (2014-2020)।
- विवाहित महिलाओं में गर्भनिरोधक का उपयोग 56.5% होने से प्रजनन स्वास्थ्य विकल्पों में वृद्धि हुई है।
- शिक्षा और कौशल: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं ने लिंग अनुपात (NFHS -5 के अनुसार प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएँ) के साथ उच्च विद्यालय स्तर पर महिलाओं के नामांकन (2014-15 से 28%) में सुधार में योगदान दिया है।
- इसी तरह, विज्ञान ज्योति (2020) का उद्देश्य STEM शिक्षा में लड़कियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
- वित्तीय समावेशन: स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से 100 मिलियन महिलाओं को वित्तीय पहुँच प्राप्त हुई है जबकि PMGDISHA के तहत 35 मिलियन ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल साक्षरता में प्रशिक्षित किया है।
- लैंगिक-संवेदनशील बजट 8.8% (वर्ष 2025-26) है, जिसमें लैंगिक-विशिष्ट कार्यक्रमों के लिये 55.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का आवंटन किया गया है।
- लैंगिक हिंसा को संबोधित करना: 770 वन स्टॉप सेंटर महिला पीड़ितों को चिकित्सा, कानूनी और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिये, ओडिशा की ब्लॉकचेन प्रणाली महिला पीड़ितों को त्वरित, गोपनीय सहायता प्रदान करती है।
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व: महिला आरक्षण अधिनियम, 2023 महिलाओं के लिये 33% विधायी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है, और स्थानीय शासन में 1.4 मिलियन महिलाओं के साथ भारत विश्व स्तर पर अग्रणी है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में महिलाएँ: जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (GATI) STEM में महिलाओं को सहायता प्रदान करता है, जबकि G20 टेकइक्विटी प्लेटफॉर्म हज़ारों युवा महिलाओं को उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करता है।
महिला सशक्तिकरण के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अभाव: महिलाएँ केवल 27% संसदीय सीटें, 36% स्थानीय सरकारी पद और 28% प्रबंधन भूमिकाएँ रखती हैं जो समावेशी नीति-निर्माण में बाधा डालती हैं।
- लैंगिक हिंसा: 88% देशों में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के विरुद्ध कानून होने के बावजूद, वर्ष 2022 के बाद से संघर्ष-संबंधी यौन हिंसा में 50% की वृद्धि हुई है, जिसमें 95% पीड़ित महिलाएँ और लड़कियाँ हैं।
- कार्यस्थल पर भेदभाव: कार्यशील आयु की 61% महिलाएँ काम करती हैं, जबकि पुरुषों के लिये यह आँकड़ा 91% है, तथा वे पुरुषों की तुलना में केवल 51% आय अर्जित करती हैं, जिससे असमानता और अधिक बढ़ रही है।
- अवैतनिक देखभाल कार्य: महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अवैतनिक देखभाल कार्य पर प्रतिदिन 2.3 गुना अधिक समय व्यतीत करती हैं। वर्ष 2050 तक, वे अभी भी 9.5% अधिक समय व्यतीत करेंगी, जिससे शिक्षा और नौकरी के अवसर सीमित हो जाएंगे।
- शिक्षा एवं भोजन में बाधाएँ: वर्ष 2030 तक 110 मिलियन लड़कियाँ और युवतियाँ स्कूल से बाहर रह सकती हैं।
- वर्ष 2030 तक 24% महिलाओं और लड़कियों को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है, जबकि केवल 44% देश ही उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण में सुधार कर रहे हैं।
- कानूनी बाधाएँ: 28 देशों में महिलाओं को विवाह और तलाक में समान अधिकार नहीं हैं, जबकि 67 देशों में लैंगिक भेदभाव के खिलाफ कोई कानूनी सुरक्षा नहीं है (संयुक्त राष्ट्र महिला रिपोर्ट)।
आगे की राह
- लैंगिक-संवेदनशील बजट: महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त और सामाजिक सुरक्षा के लिये धन में वृद्धि। जवाबदेही और प्रभाव सुनिश्चित करने के लिये निगरानी को मजबूत करना।
- कानूनी संरक्षण को मज़बूत करना: विवाह, तलाक, संपत्ति और श्रम पर भेदभावपूर्ण कानूनों को समाप्त करना, साथ ही लैंगिक हिंसा कानूनों के प्रवर्तन को मज़बूत करना और पीड़ितों की सहायता के लिये वन स्टॉप सेंटरों की स्थापना करना।
- आर्थिक सशक्तिकरण: यह सुनिश्चित करना कि महिला किसानों को भूमि, ऋण और खाद्य सुरक्षा के लिये संसाधनों तक समान पहुँच हो।
- स्वयं सहायता समूहों और महिला उद्यमियों को वित्तीय साक्षरता, ऋण और बाज़ार पहुँच प्रदान करके सहायता प्रदान करना।
- कार्यस्थल की असमानता को कम करना: महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये लचीली कार्य व्यवस्था, माता-पिता की छुट्टी और कार्यस्थल पर बच्चों की देखभाल को प्रोत्साहित करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में लैंगिक समानता प्राप्त करने में प्रमुख बाधाओं की पहचान कीजिये और इन अंतरालों को पाटने के लिये नीतिगत उपाय सुझाइए। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन विश्व के देशों को 'ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स' रैंकिंग देता है? (2017) (a) विश्व आर्थिक मंच उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न.1 "महिला सशक्तीकरण जनसंख्या संवृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है"। चर्चा कीजिये। (2019) प्रश्न.2 भारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा कीजिये? (2015) प्रश्न.3 महिला संगठनों को लिंग-भेद से मुक्त करने के लिये पुरुषों की सदस्यता को बढ़ावा मिलना चाहिये। टिप्पणी कीजिये। (2013) |