शासन व्यवस्था
PMMVY के कार्यान्वयन संबंधी चिंताएँ
- 07 Mar 2025
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प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, जननी सुरक्षा योजना, पोषण अभियान मेन्स के लिये:राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013, भारत में महिलाओं के लिये सामाजिक सुरक्षा एवं मातृ स्वास्थ्य। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत मातृत्व लाभ एक विधिक अधिकार होने के बावजूद, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिससे लाखों गर्भवती महिलाओं को उचित सहायता नहीं मिल पा रही है।
PMMVY और इससे संबंधित चिंताएँ क्या हैं?
- PMMVY: यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत वर्ष 2017 में शुरू की गई केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसके तहत पात्र गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मातृत्व लाभ प्रदान किया जाता है।
- हालाँकि, सरकारी कर्मचारी और इस तरह का लाभ प्राप्त करने वाली महिलाएँ इसकी पात्र नहीं हैं।
- उद्देश्य: यह मातृ पोषण सुनिश्चित करने, संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने, वित्तीय स्थिरता का समर्थन करने तथा बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।
- मुख्य विशेषताएँ: इसके तहत मातृ स्वास्थ्य एवं पोषण को समर्थन देने के क्रम में वित्तीय सहायता प्रदान किया जाना शामिल है।
- इसके अंतर्गत पहले बच्चे के लिये 5,000 रुपए प्रदान किये जाते हैं तथा जननी सुरक्षा योजना (JSY) के अंतर्गत अतिरिक्त लाभ के तहत महिलाओं को कुल मिलाकर लगभग 6,000 रुपए प्राप्त होते हैं।
- दूसरा बच्चा (केवल लड़की होने पर): लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और कन्या भ्रूण हत्या को हतोत्साहित करने के लिये 6,000 रुपए दिये जाते हैं।
- चिंताएँ:
- सीमित कवरेज: यह योजना NFSA, 2013 का उल्लंघन है, जो सार्वभौमिक मातृत्व लाभ को अनिवार्य बनाता है, क्योंकि इसमें लाभ केवल पहले दो बच्चों तक सीमित है, तथा दूसरे बच्चे को केवल तभी शामिल किया जाता यदि वह लड़की हो।
- बजट में कटौती: वर्ष 2023-24 में, केंद्र सरकार ने इस योजना के लिये केवल 870 करोड़ रुपए आवंटित किये, जो 2019-20 में आवंटित राशि का केवल एक तिहाई है।
- 90% जन्मों को 6,000 रुपए प्रति जन्म का लाभ प्रदान करने हेतु कम-से-कम 12,000 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।
- अनुपयुक्त कार्यान्वयन: योजना का प्रभावी कवरेज वर्ष 2019-20 में 36% से घटकर वर्ष 2023-24 में केवल 9% रह गया।
- नौकरशाही और डिजिटल बाधाएँ: यह योजना आधार-आधारित सत्यापन मुद्दों, जटिल आवेदन प्रक्रियाओं और लगातार सॉफ्टवेयर विफलताओं से ग्रस्त है, जिससे गरीब और डिजिटल रूप से निरक्षर महिलाओं के लिये लाभ प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है।
नोट: राज्य-विशिष्ट योजनाओं के परिणाम PMMVY से बेहतर होते हैं। तमिलनाडु (84%) और ओडिशा (64%) ने PMMVY (<10%) की तुलना में अधिक कवरेज हासिल किया है। वे क्रमशः प्रति बालक 18,000 रुपए और 10,000 रुपए का लाभ प्रदान करते हैं, जो PMMVY की अक्षमता को उजागर करता है।
NFSA के अंतर्गत मातृत्व लाभ के प्रावधान क्या हैं?
- NFSA 2013: इसका उद्देश्य भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से के लिये संवहनीय खाद्यान्न तक पहुँच सुनिश्चित कर खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
- यह अधिनियम कल्याण-आधारित से अधिकार-आधारित खाद्य सुरक्षा की ओर बदलाव का प्रतीक है, जिससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) अधिक संरचित और विधिक रूप से बाध्यकारी बन गई है।
- NFSA, 2013 के अंतर्गत मातृत्व लाभ: सभी गर्भवती महिलाएँ (औपचारिक क्षेत्र की महिलाओं को छोड़कर) मातृत्व लाभ के रूप में प्रति बच्चा 6,000 रुपए पाने की हकदार हैं।
- मातृत्व लाभ गर्भवती महिलाओं के लिये उचित पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और आराम सुनिश्चित करने में मदद करते हैं, जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
नोट: मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के अनुसार, भारत में औपचारिक क्षेत्र में महिलाओं को 26 सप्ताह का सवेतन मातृत्व अवकाश मिलता है।
- विश्व स्तर पर, 51% देश कम-से-कम 14 सप्ताह का मातृत्व अवकाश प्रदान करते हैं, जो कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मातृत्व संरक्षण सम्मेलन, 2000 द्वारा निर्धारित मानक है।
आगे की राह:
- ज़मीनी स्तर पर कार्यान्वयन: पात्र लाभार्थियों की पहचान करने और उनकी सहायता करने के लिये मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं और पंचायती राज संस्थाओं को शामिल करना।
- अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कम आय वाले श्रमिकों को लाभ प्रदान करना, क्योंकि उनमें से कई भुगतान मातृत्व अवकाश के दायरे से बाहर हैं।
- NFSA के अनुसार सभी गर्भवती महिलाओं को लाभ प्रदान करना, न कि इसे केवल पहले और दूसरे बच्चे तक सीमित रखना।
- समग्र दृष्टिकोण: व्यापक मातृ देखभाल प्रदान करने के लिये JSY, पोषण अभियान और राज्य मातृत्व योजनाओं (तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्य मॉडल) के साथ बेहतर संबंध सुनिश्चित करना।
- बेहतर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य परिणामों के लिये नकद हस्तांतरण को निःशुल्क पोषण किट, प्रसवपूर्व देखभाल और प्रसवोत्तर सहायता के साथ संयोजित करना।
- निगरानी: निधि उपयोग और लाभार्थी पहुँच का मूल्यांकन करने के लिये नियमित स्वतंत्र रूप से ऑडिट आयोजित करना।
- डिजिटल बाधाएँ दूर करना: आधार से संबंधित मुद्दों के कारण बहिष्कार को रोकने के लिये वैकल्पिक पहचान सत्यापन शुरू करना।
- जन धन खातों के साथ एकीकरण करके तथा अनावश्यक नौकरशाही अनुमोदन को हटाकर, बिना किसी देरी के भुगतान जमा किया जाना सुनिश्चित करना।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधानों से किस प्रकार विरोधाभासी है? इस योजना को NFSA के साथ संरेखित करने के उपाय सुझाएँ। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न: सामाजिक विकास की संभावनाओं को बढ़ाने के लिये, विशेष रूप से वृद्धावस्था और मातृ स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में ठोस और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल नीतियों की आवश्यकता है। चर्चा कीजिये। (2020) |