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भारत में उच्च जोखिम वाली सगर्भता

  • 24 Feb 2024
  • 6 min read

स्रोत: द हिंदू

मुंबई में ICMR के राष्ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (National Institute for Research in Reproductive and Child Health- NIRRCH) के शोधकर्त्ताओं द्वारा जर्नल ऑफ ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन पूरे भारत में उच्च जोखिम वाली गर्भधारण की व्यापकता पर प्रकाश डालता है।

  • उच्च जोखिम वाली सगर्भता इंगित करती है कि एक महिला में एक या अधिक कारक हैं जो उसके या बच्चे के लिये स्वास्थ्य जटिलताओं की संभावना को बढ़ाते हैं, साथ ही समय से पहले प्रसव का खतरा भी बढ़ाते हैं।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु क्या हैं? 

  • उच्च प्रसार: अध्ययन में पाया गया कि भारत में 49.4% गर्भवती महिलाओं में उच्च जोखिम वाली सगर्भता थी।
    • लगभग 33% गर्भवती महिलाओं में एक ही उच्च जोखिम कारक था, जबकि 16% में कई उच्च जोखिम कारक थे।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ: तेलंगाना के साथ-साथ मेघालय, मणिपुर और मिज़ोरम जैसे राज्यों में उच्च जोखिम वाले कारकों का प्रचलन सबसे अधिक है।
    • इसके विपरीत, सिक्किम, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में उच्च जोखिम वाली गर्भधारण का प्रचलन सबसे कम था।
  • उच्च जोखिम वाली सगर्भता में योगदान देने वाले कारक:
    • जन्म के बीच अंतर: पिछले जन्म और वर्तमान गर्भधारण के बीच 18 महीने से कम अंतर को परिभाषित किया गया है, जिसे उच्च जोखिम वाले गर्भधारण में योगदान देने वाले प्राथमिक कारक के रूप में पहचाना गया था।
    • मातृत्व संबंधी जोखिम के कारक: इनमें मातृ आयु (किशोरावस्था या 35 वर्ष से अधिक), छोटा कद एवं उच्च बॉडी मास इंडेक्स (BMI) जैसे कारक शामिल थे।
    • जीवनशैली तथा जन्मपूर्व परिणाम के जोखिम: जीवनशैली के जोखिम कारक जैसे तंबाकू तथा शराब का सेवन, साथ ही पिछले प्रतिकूल जन्म परिणाम जैसे गर्भपात या मृत जन्म, उच्च जोखिम वाली गर्भधारण में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता थे।

गर्भवती महिलाओं से संबंधित भारत सरकार की पहल क्या हैं?

  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 की धारा 4 के प्रावधानों के अनुसार कार्यान्वित किया जा रहा है, जो गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करता है, साथ ही माँ के साथ-साथ बच्चे के स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार करने एवं वेतन हानि के लिये मुआवज़ा सुनिश्चित करना है।
  • जननी सुरक्षा योजना (JSY): यह योजना संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिये गर्भवती महिलाओं, विशेषकर कमज़ोर वर्गों को नकद सहायता प्रदान करती है।
  • जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK): यह सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में मुफ्त परिवहन, निदान, दवाओं और आहार के साथ C-सेक्शन (सीजेरियन सेक्शन) सहित मुफ्त प्रसव का अधिकार देता है।
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA): गर्भवती महिलाओं को एक निश्चित दिन, हर महीने के 9वें दिन एक विशेषज्ञ या चिकित्सा अधिकारी द्वारा नि:शुल्क सुनिश्चित एवं गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व जाँच प्रदान करता है।
  • सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन): इसका उद्देश्य सार्वजनिक सुविधाओं में प्रत्येक गर्भवती महिला और नवजात शिशु के लिये निःशुल्क, सम्मानजनक तथा गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना है।
  • लक्ष्य/LaQshya: इसका उद्देश्य प्रसूति कक्ष (Labour Rooms) में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करना, संभावित रूप से उत्पन्न जटिलताओं को कम करना तथा मातृ एवं नवजात शिशु के लिये परिणामों को बेहतर करना है।

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विधिक दृष्टिकोण: उच्चतम न्यायालय ने 26 सप्ताह के गर्भ के समापन की याचिका खारिज़ की

https://www.drishtijudiciary.com/hin 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. जननी सुरक्षा योजना कार्यक्रम का प्रयास है (2012) 

  1. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना
  2. प्रसव की लागत को पूरा करने के लिये माँ को आर्थिक सहायता प्रदान करना
  3. गर्भावस्था और कारावास के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

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