उत्तर प्रदेश Switch to English
UP का लक्ष्य सुरक्षित डेटा भंडारण में निवेश करना
चर्चा में क्यों
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने डेटा सेंटर स्थापित करके सुरक्षित डेटा भंडारण को बढ़ावा देने के लिये 30,000 करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य रखा है ।
मुख्य बिंदु
- निवेश लक्ष्य: उत्तर प्रदेश का लक्ष्य 30,000 करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ 8 डेटा केंद्र स्थापित करने के लिये निजी खिलाड़ियों को आकर्षित करना है।
- डेटा सेंटर की संयुक्त क्षमता 900 मेगावाट होगी और यह नोएडा के पास स्थित होगा।
- हीरानंदानी समूह, अडानी समूह, एनटीटी जापान तथा वेब वर्क्स जैसी कंपनियों ने 600 मेगावाट क्षमता जोड़ने के लिये 20,000 करोड़ रुपए की परियोजनाएँ शुरू की हैं या उनकी घोषणा की है।
- राज्य ने डेटा केंद्रों को निर्बाध आपूर्ति हेतु दो ग्रिडों से विद्युत लेने की अनुमति दे दी है।
- उत्तर प्रदेश की संशोधित डाटा सेंटर नीति अब अधिक निवेश आकर्षित करने के लिये 8 डाटा सेंटर पार्कों तक दोहरी ग्रिड आपूर्ति का विस्तार करती है।
- महत्त्व
- डेटा केंद्र सूचना के भंडारण, प्रसंस्करण और साझाकरण के लिये IT गतिविधियों को केंद्रीकृत करते हैं।
- वर्ष 2023 में भारत के शीर्ष 7 शहरों में कोलोकेशन डेटा सेंटर की क्षमता 977 मेगावाट थी, जिसमें तेज़ी से डिजिटल अपनाने के कारण वर्ष 2028 तक अतिरिक्त 1.7-3.6 गीगावाट की आवश्यकता होगी ।
- अपतटीय डेटा भंडारण से सुरक्षा जोखिम बढ़ता है तथा संवेदनशील जानकारी (बैंकिंग, सोशल मीडिया, स्वास्थ्य, आदि) साइबर हमलों के प्रति उजागर हो जाती है।
- घरेलू डेटा केंद्र भारत के बढ़ते डिजिटल डेटा के लिये उन्नत सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
- डेटा केंद्र सूचना के भंडारण, प्रसंस्करण और साझाकरण के लिये IT गतिविधियों को केंद्रीकृत करते हैं।
- राष्ट्रीय डेटा सेंटर क्षमता
- वर्ष 2024-2028 के लिये भारत की निर्माणाधीन कोलोकेशन क्षमता 1.03 गीगावाट है, जो व्यवसायों को सुरक्षित सर्वर अवसंरचना और उच्च गति नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति 2021
- पूंजीगत सब्सिडी: 10 वर्ष से अधिक अवधि की इकाइयों के लिये 10 करोड़ रुपए तक 7% (भूमि और भवन को छोड़कर)।
- ब्याज सब्सिडी: डेटा सेंटर पार्कों हेतु 7 वर्षों के लिये 50 करोड़ रुपए तक वार्षिक ब्याज का 60%।
- भूमि सब्सिडी: क्षेत्रवार दरों पर 25-50%, अधिकतम 75 करोड़ रुपए।
- स्टाम्प शुल्क पर छूट: पहले लेन-देन पर 100%; दूसरे पर 50%।
- विद्युत लाभ: 10 वर्षों के लिये 100% शुल्क छूट; पहले 3 पार्कों के लिये दोहरी ग्रिड विद्युत।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश परिसीमन आयोग
चर्चा में क्यों
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक सीमाओं की पुनः जाँच करने तथा सेवाओं तक जनता की पहुँच में सुधार लाने हेतु परिसीमन आयोग का गठन किया है।
मुख्य बिंदु
- परिसीमन आयोग का गठन:
- इसका उद्देश्य सेवाओं तक जनता की पहुँच में सुधार लाना तथा मौजूदा विसंगतियों को दूर करना है।
- सागर, उज्जैन , इंदौर और धार जैसे ज़िलों को अपने आकार के कारण प्रशासनिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- इसका उद्देश्य सेवाओं तक जनता की पहुँच में सुधार लाना तथा मौजूदा विसंगतियों को दूर करना है।
- परिसीमन:
- इस प्रक्रिया में प्रत्येक दशकीय जनगणना के बाद के आँकड़ों के आधार पर अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिये सीटों के आरक्षण सहित सीटों की संख्या तथा प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएँ तय करना शामिल है ।
- भारतीय संविधान में प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन अनिवार्य किया गया है ।
- अनुच्छेद 82 लोकसभा के लिये सीटों के पुनर्समायोजन को अनिवार्य बनाता है, जबकि अनुच्छेद 170 राज्य स्तर पर इसी अभ्यास का प्रावधान करता है। यह प्रक्रिया केंद्रीय स्तर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त परिसीमन आयोग नामक एक शक्तिशाली निकाय द्वारा की जाती है।
- राज्य सरकारें प्रशासनिक दक्षता में सुधार के लिये ज़िलों और संभागों की सीमाओं को समायोजित करने हेतु परिसीमन आयोग की नियुक्ति करती हैं
- उच्चस्तरीय आयोग का नेतृत्व राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक अधिकारी करता है। इसके आदेशों में कानून की ताकत होती है और भारत के किसी भी न्यायालय में इस पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता ।
- 1952, 1962, 1972 और 2002 के अधिनियमों के तहत परिसीमन आयोग चार बार स्थापित किये गए हैं - वर्ष 1952, 1963, 1973 और 2002 में।
- पहला परिसीमन राष्ट्रपति द्वारा (निर्वाचन आयोग की सहायता से) वर्ष 1950-51 में किया गया था।
मध्य प्रदेश Switch to English
वंदे मेट्रो परियोजनाएँ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने इंदौर में विकास समीक्षा बैठक के दौरान मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरी क्षेत्रों में " वंदे मेट्रो " परियोजनाओं की शुरुआत की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- वंदे मेट्रो पहल: 160 किमी./घंटा तक की गति तक पहुँचने में सक्षम, जो वर्तमान मेट्रो रेल की अधिकतम गति 80 किमी./घंटा से दोगुनी है।
- इसका उद्देश्य आवागमन की दक्षता बढ़ाना और यात्रा के समय को कम करना है।
- लाखों आगंतुकों की सुविधा के लिये वर्ष 2028 में सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले मेट्रो नेटवर्क को उज्जैन तक विस्तारित किया जाएगा ।
सिंहस्थ कुंभ मेला
- इसका आयोजन तब किया जाता है जब बृहस्पति, राशि चक्र के सिंह राशि में या क्षिप्रा नदी के किनारे सिंह नक्षत्र में प्रवेश करता है ।
- महत्त्व:
- ऐसा माना जाता है कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी दिव्य अमृत की उपस्थिति के कारण जीवन को बढ़ाती है।
- इस घटना के उपलक्ष्य में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।
- लाखों श्रद्धालु स्नान के लिये क्षिप्रा नदी के घाटों पर एकत्रित होते हैं।
मध्य प्रदेश Switch to English
रीवा हवाई अड्डा
चर्चा में क्यों
हाल ही में मध्य प्रदेश के रीवा हवाई अड्डे को नागरिक विमानन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation DGCA) से परिचालन लाइसेंस की मंज़ूरी मिली, जो क्षेत्रीय संपर्क और आर्थिक विकास को बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
मुख्य बिंदु
- रीवा के जुड़ने के साथ ही मध्य प्रदेश में अब छह हवाई अड्डे हो गए हैं,अन्य भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और खजुराहो में स्थित हैं
- रीवा अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों के लिये जाना जाता है तथा हवाई अड्डा इन आकर्षणों को अधिक सुलभ बना देगा, जिससे संभवतः अधिक आगंतुक एवं व्यवसाय आकर्षित होंगे।
- इस हवाई अड्डे का विकास प्रधानमंत्री के 'विकसित भारत-विकसित मध्य प्रदेश' के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो यह सुनिश्चित करता है कि यह विंध्य क्षेत्र के विकास के लिये आधारशिला बने।
विकसित भारत विकसित मध्य प्रदेश के अंतर्गत प्रमुख परियोजनाएँ
- सिंचाई परियोजनाएँ: ऊपरी नर्मदा परियोजना, राघवपुर बहुउद्देशीय परियोजना, बसनिया बहुउद्देशीय परियोजना (5500 करोड़ रुपए)।
- सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएँ: पारसदोह सूक्ष्म सिंचाई परियोजना, औलिया सूक्ष्म सिंचाई परियोजना (800 करोड़ रुपए)।
- रेलवे परियोजनाएँ: वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी-जाखलौन मार्ग पर तीसरी लाइन परियोजनाएँ, गेज परिवर्तन परियोजना, पवारखेड़ा-जुझारपुर रेल लाइन फ्लाईओवर (2200 करोड़ रुपए)।
- औद्योगिक परियोजनाएँ: सीतापुर में मेगा लेदर और फुटवियर क्लस्टर, इंदौर में गारमेंट इंडस्ट्री प्लग एंड प्ले पार्क, औद्योगिक पार्क मंदसौर, पीथमपुर औद्योगिक पार्क का उन्नयन (1000 करोड़ रुपए)।
- कोयला क्षेत्र की परियोजनाएँ: जयंत OCP CHP साइलो, एनसीएल सिंगरौली; दुधिचुआ OCP CHP-साइलो (1000 करोड़ रुपए)।
- विद्युत क्षेत्र: पन्ना, रायसेन, छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम ज़िलों में छह सबस्टेशन।
- जल आपूर्ति परियोजनाएँ: विभिन्न अमृत 2.0 परियोजनाएँ, खरगोन में जलापूर्ति वृद्धि (880 करोड़ रुपए)।
- साइबर तहसील परियोजना: राजस्व अभिलेखों और बिक्री-खरीद अभिलेखों के उत्परिवर्तन में डिजिटल समाधान के लिये 55 ज़िलों में शुरू की गई।
नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA)
- यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है।
- यह नागरिक विमानन के क्षेत्र में नियामक संस्था है जो मुख्य रूप से सुरक्षा मुद्दों से निपटती है।
- यह भारत के लिये/से/भारत के भीतर हवाई परिवहन सेवाओं के विनियमन और नागरिक हवाई विनियमों, हवाई सुरक्षा एवं उड़ान योग्यता मानकों के प्रवर्तन के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन के साथ सभी विनियामक कार्यों का समन्वय भी करता है ।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में बेरोज़गारी का संकट
चर्चा में क्यों
केंद्र सरकार के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey- PLFS) में दर्शाई गई हरियाणा में उच्च बेरोज़गारी दर, राज्य में आगामी चुनावों के मद्देनजर एक केंद्र बिंदु बन गई है
मुख्य बिंदु
- बेरोज़गारी दर के रुझान:
- जनवरी-मार्च 2024 के लिये PLFS से पता चलता है कि 15 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिये शहरी बेरोज़गारी वर्ष 2023 में 8.8% से घटकर 4.1% हो गई है और अब यह राष्ट्रीय औसत 6.7% से नीचे है।
- इसकी तुलना वर्ष 2021-22 के वार्षिक PLFS परिणामों से करें, जहाँ हरियाणा की बेरोज़गारी दर 9% थी, जो राष्ट्रीय दर 4.1% से दोगुनी से भी अधिक थी।
- पूर्व वर्षों में उच्च बेरोज़गारी का कारण कोविड के बाद वैश्विक आर्थिक मंदी थी, जिसने आतिथ्य और विमानन जैसे क्षेत्रों को प्रभावित किया था।
- युवा प्रवास में वृद्धि:
- स्थानीय स्तर पर रोज़गार की संभावनाओं की कमी के कारण बेहतर अवसरों की तलाश में हरियाणा के युवाओं का पलायन बढ़ रहा है।
- सरकारी नौकरियाँ अभी भी सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई हैं, लेकिन अपर्याप्त नियुक्तियों के कारण प्रवासन में वृद्धि हुई है।
- कुशल कार्यबल की मांग अभी भी उच्च बनी हुई है, लेकिन सरकारी कौशल विकास कार्यक्रमों की आलोचना इस बात के लिये की जाती है कि वे उद्योग जगत की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते।
- इसके तहत कौशल प्रशिक्षण हेतु उद्योगों को प्रोत्साहित करने तथा ऋण सुविधाओं के लिये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises- MSME) को कृषि क्षेत्र के समान महत्त्व देने की आवश्यकता है।
- सरकारी पहल:
- वर्ष 2024 में लगभग 30,000 नियमित सरकारी नौकरियों हेतु आवेदन लिये जाएंगे तथा 5 अक्तूबर 2024 को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 50,000 पदों को भरने का लक्ष्य रखा गया है।
- विभिन्न भूमिकाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line- BPL) परिवारों के युवाओं को रोज़गार के लिये " मिशन 60,000 " की घोषणा की गई।
- नई परियोजनाएँ:
- खरखौदा में प्रस्तावित मारुति सुज़ुकी और सुज़ुकी मोटरसाइकिल संयंत्र से लगभग 15,000 प्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।
- सरकार औद्योगिक परियोजनाओं और बुनियादी ढाँचे के विकास के माध्यम से रोज़गार सृजन पर ज़ोर दे रही है।
उत्तराखंड Switch to English
देहरादून का घंटाघर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में देहरादून के प्रतिष्ठित घंटाघर की टिक-टिक बंद हो गई, क्योंकि चोरों ने इसके ताँबे के अंदरूनी हिस्से को तोड़ दिया।
मुख्य बिंदु
- ऐतिहासिक महत्त्व:
- इसका निर्माण 1940 के दशक में हुआ था तथा इसका उद्घाटन वर्ष 1953 में श्रीमती सरोजिनी नायडू ने किया था।
- लाला शेर सिंह द्वारा अपने पिता लाला बलबीर सिंह की स्मृति में बनवाया गया।
- यह उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिये अपने प्राणों का बलिदान दिया।
- वास्तुशिल्पीय डिज़ाइन:
- षट्कोणीय संरचना जिसके छहों पक्षों पर एक-एक घड़ी है।
- यह टावर लगभग 85 मीटर ऊँचा है, जिसकी घंटियाँ पूरे शहर में गूँजती थीं।
- घंटाघर शहर के विकास का प्रतीक है और देहरादून के लिये गौरव का स्मारक है।
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