बिहार Switch to English
बिहार में 'आयुष्मान भारत' कार्ड जारी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत राज्य के सभी राशन कार्ड धारकों को प्रत्येक वर्ष 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज प्रदान करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु:
- केवल छह दिनों में (8 मार्च सुबह 11 बजे तक) 1.03 करोड़ परिवारों को आयुष्मान भारत कार्ड जारी किये गए।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत आने वाले सभी राशन कार्ड धारकों को 5 किलो चावल मिलता है और वे प्रत्येक वर्ष 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकते हैं।
- राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा संकलित आँकड़ों के अनुसार, छह दिवसीय अभियान में सबसे अधिक 5,99,609 आयुष्मान भारत कार्ड सीवान ज़िले में जारी किये गए, इसके बाद मुज़फ्फरपुर में 5,44,018, पटना में 5,00,292 और मधुबनी में 4,72,977 कार्ड जारी किये गए।
- जिन ज़िलों में विशेष अभियान में एक लाख से कम आयुष्मान भारत कार्ड जारी किये गए, वे हैं- मुंगेर (99,984), किशनगंज (76,861), शेखपुरा (58,132) और शिवहर (47,288)।
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)
- PM-JAY पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है।
- इसे वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया, यह माध्यमिक देखभाल और तृतीयक देखभाल के लिये प्रति परिवार 5 लाख रुपए की बीमा राशि प्रदान करती है।
- स्वास्थ्य लाभ पैकेज में सर्ज़री, चिकित्सा और डे केयर उपचार, दवाओं व निदान की लागत शामिल है।
- लाभार्थी:
- यह एक पात्रता आधारित योजना है जो नवीनतम सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) डेटा द्वारा पहचाने गए लाभार्थियों को लक्षित करती है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को शेष (अप्रामाणित) SECC परिवारों की पहचान करने के लिये समान सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल वाले गैर-सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) लाभार्थी परिवार डेटाबेस का उपयोग करने हेतु लचीलापन प्रदान किया है।
- वित्तीयन:
- इस योजना का वित्तपोषण संयुक्त रूप से किया जाता है, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र एवं विधायिका के बीच 60:40, पूर्वोत्तर राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व उत्तराखंड के लिये 90:10 और विधायिका के बिना केंद्रशासित प्रदेशों हेतु 100% केंद्रीय वित्तपोषण।
- केंद्रक अभिकर:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority- NHA) को राज्य सरकारों के साथ संयुक्त रूप से PMJAY के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक स्वायत्त इकाई के रूप में गठित किया गया है।
- राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) राज्य में ABPMJAY के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार राज्य सरकार का शीर्ष निकाय है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013
- इसे 10 सितंबर, 2013 को अधिसूचित किया गया था।
- इसका उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराते हुए उन्हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
- इसमें लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को शामिल किया गया है।
- लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये ग्रामीण आबादी का 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का 50 प्रतिशत।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) समग्र तौर पर देश की कुल आबादी के 67 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है।
- पात्रता:
- राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत आने वाले प्राथमिकता वाले घर।
- अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर किये गए घर।
- प्रावधान:
- प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेंहूँ 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो।
- हालाँकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत मौजूदा प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करना जारी रहेगा।
- गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्था के दौरान तथा बच्चे के जन्म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम-से-कम 6000 रुपए का मातृत्व लाभ प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
- 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये भोजन।
- खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता।
- ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान ने ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने, ऊर्जा पारेषण प्रणाली को मज़बूत करने और राज्य में थर्मल एवं नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन के लिये नई परियोजनाएँ स्थापित करने हेतु 1.60 लाख करोड़ रुपए के 5 समझौता ज्ञापनों (MOU) पर हस्ताक्षर किये।
मुख्य बिंदु:
- आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिये 1.60 लाख करोड़ रुपए के निवेश हेतु राज्य के 3 विद्युत निगमों और 6 केंद्रीय उपक्रमों के शीर्ष अधिकारियों के बीच 6 MOU पर हस्ताक्षर किये गए हैं, जिसमें विद्युत उत्पादन की विभिन्न परियोजनाएँ शामिल हैं।
- इन समझौतों के तहत:
- 3325 मेगावाट क्षमता की थर्मल आधारित परियोजनाओं के लिये राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के साथ कोल इंडिया लिमिटेड, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन और नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन इंडिया के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये जाएँगे।
- प्रदेश में विद्युत ट्रांसमिशन सिस्टम को मज़बूत करने के लिये राजस्थान विद्युत ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन के बीच 10 हज़ार करोड़ रुपए के निवेश का समझौता होगा।
- 600 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से विद्युत की आपूर्ति के लिये राजस्थान ऊर्जा विकास निगम और SJVN ग्रीन एनर्जी के बीच एक विद्युत खरीद समझौते (PPA) पर भी हस्ताक्षर किये जाएँगे।
- बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के विकास के लिये ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और राज्य सरकार के बीच एक MOU होगा।
छत्तीसगढ़ Switch to English
प्रधानमंत्री ने महतारी वंदन योजना की शुरुआत की
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिये छत्तीसगढ़ में 'महतारी वंदन' योजना का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु:
- इस योजना के तहत, राज्य सरकार राज्य की पात्र विवाहित महिलाओं को मासिक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के रूप में प्रति माह 1000 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
- 655 करोड़ रुपए की पहली किस्त लाभार्थियों (विवाहित महिलाओं) के बैंक खातों में जमा की गई थी।
- इस योजना की परिकल्पना महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण को सुनिश्चित करने, उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और परिवार में महिलाओं की निर्णायक भूमिका को मज़बूत करने के लिये की गई है।
- यह योजना राज्य की उन सभी पात्र विवाहित महिलाओं को लाभ प्रदान करेगी जिनकी आयु 1 जनवरी 2024 तक 21 वर्ष से अधिक है।
- विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्त महिलाएँ भी इस योजना के लिये पात्र होंगी। इस योजना से करीब 70 लाख महिलाओं को लाभ होगा।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना
- इस योजना को लाभार्थियों तक सूचना एवं धन के तीव्र प्रवाह एवं वितरण प्रणाली में धोखाधड़ी को कम करने के लिये सहायता के रूप में परिकल्पित किया गया है।
- इसे भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी, 2013 को सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार करने हेतु एक मिशन के रूप में शुरू किया गया था।
- महालेखाकार कार्यालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के पुराने संस्करण यानी ‘सेंट्रल प्लान स्कीम मॉनीटरिंग सिस्टम’ को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिये एक प्लेटफॉर्म के रूप में चुना गया था।
- DBT के घटक: प्रत्यक्ष लाभ योजना के क्रियान्वयन के प्राथमिक घटकों में लाभार्थी खाता सत्यापन प्रणाली; RBI, NPCI, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों के साथ एकीकृत, स्थायी भुगतान एवं समाधान मंच शामिल है (जैसे- बैंकों के कोर बैंकिंग समाधान, RBI की निपटान प्रणाली और NPCI की आधार पेमेंट प्रणाली आदि)।
- DBT के तहत योजनाएँ: DBT के तहत 53 मंत्रालयों की 310 योजनाएँ हैं। कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाएँ हैं:
- आधार अनिवार्य नहीं: DBT योजनाओं में आधार अनिवार्य नहीं है। चूंँकि आधार विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और इच्छित लाभार्थियों को लक्षित करने में उपयोगी है, इसलिये आधार को प्राथमिकता दी जाती है और लाभार्थियों को आधार के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
पीएम ने 34,000 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएँ लॉन्च कीं
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने कुल 34,000 करोड़ रुपए की कई विकास पहलों का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु:
- नागरिक उड्डयन क्षेत्र को महत्त्वपूर्ण बढ़ावा देने के लिये, प्रधानमंत्री ने देश भर में कई हवाईअड्डा परियोजनाओं के लिये ज़मीनी कार्य शुरू किया।
- उन्होंने पुणे, कोल्हापुर, ग्वालियर, जबलपुर, दिल्ली, लखनऊ, अलीगढ़, आज़मगढ़, चित्रकूट, मोरादाबाद, श्रावस्ती और आदमपुर सहित हवाई अड्डों पर 12 नए टर्मिनल भवनों का अनावरण किया।
- उन्होंने कडप्पा, हुबली और बेलगावी हवाई अड्डों पर तीन नए टर्मिनल भवनों की आधारशिला रखी।
- उन्होंने लाइट हाउस प्रोजेक्ट (LHP) का भी उद्घाटन किया, जिसने आधुनिक सुविधाओं के साथ 2000 से अधिक किफायती फ्लैटों के निर्माण की सुविधा प्रदान की है।
- प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित 3700 करोड़ रुपए से अधिक लागत की 744 ग्रामीण सड़क परियोजनाएँ राष्ट्र को समर्पित कीं।
- इन परियोजनाओं में उत्तर प्रदेश में 5,400 किलोमीटर से अधिक की संचयी लंबाई वाली ग्रामीण सड़कें शामिल हैं, जिससे राज्य के लगभग 59 ज़िलों को लाभ होगा।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)
- लॉन्च की गई: 25 दिसंबर, 2000।
- उद्देश्य: असंबद्ध बस्तियों तक हर मौसम के लिये उपयुक्त सड़क के माध्यम से कनेक्टिविटी प्रदान करना।
- पात्रता: ग्रामीण आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिये कोर नेटवर्क में निर्दिष्ट जनसंख्या आकार (500 + मैदानी क्षेत्रों में और पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों, रेगिस्तान तथा जनजातीय क्षेत्रों में वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार 250 +) की असंबद्ध बस्तियाँ।
- एक असंबद्ध बस्ती वह है जिसकी निर्धारित आकार की आबादी किसी बारहमासी सड़क या किसी जुड़ी हुई बस्ती से कम-से-कम 500 मीटर या उससे अधिक (पहाड़ियों के मामले में 1.5 किमी पथ दूरी) की दूरी पर स्थित है।
- कोर नेटवर्क: यह सड़कों (मार्गों) का वह न्यूनतम नेटवर्क है जो कम-से-कम एकल ऑल-वेदर रोड कनेक्टिविटी के माध्यम से चयनित क्षेत्रों में सभी पात्र बस्तियों को आवश्यक सामाजिक और आर्थिक सेवाओं तक बुनियादी पहुँच प्रदान करने के लिये आवश्यक है।
- नवीनतम फंडिंग पैटर्न: राज्यों को फंड आवंटन बाद के वर्षों में राज्यों को स्वीकृत परियोजनाओं के मूल्य के अनुरूप किया गया है।
- उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों में योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के संबंध में केंद्र सरकार परियोजना लागत का 90% वहन करती है जबकि अन्य राज्यों के लिये केंद्र सरकार 60% लागत वहन करती है।
- ग्रामीण सड़कों का निर्माण: PMGSY के तहत निर्मित ग्रामीण सड़कें भारतीय सड़क कॉन्ग्रेस (IRC) के प्रावधान के अनुसार होंगी।
- IRC देश में राजमार्ग इंजीनियरों की सर्वोच्च संस्था है।
- IRC की स्थापना वर्ष 1934 में हुई थी।
- PMGSY - चरण-I
- PMGSY - चरण-I को दिसंबर, 2000 में 100% केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लॉन्च किया गया था।
- योजना के तहत, 1,35,436 बस्तियों को सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने और 3.68 लाख किमी मौजूदा ग्रामीण सड़कों के उन्नयन का लक्ष्य रखा गया था ताकि खेत से बाज़ार तक पूर्ण कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा सके।
- PMGSY - चरण-II
- इसके बाद भारत सरकार ने अपनी समग्र दक्षता में सुधार के लिये मौजूदा ग्रामीण सड़क नेटवर्क के 50,000 किलोमीटर के उन्नयन के लिये वर्ष 2013 में PMGSY-II लॉन्च किया।
- जबकि चल रही PMGSY - I जारी रही, PMGSY चरण-II के तहत, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के लिये गाँव की कनेक्टिविटी हेतु पहले से बनाई गई सड़कों को उन्नत किया जाना था।
- लागत केंद्र और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच साझा की गई थी।
- PMGSY - चरण-III
- चरण-III को जुलाई 2019 के दौरान कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- यह सुविधाओं को प्राथमिकता देता है, जैसे:
- ग्रामीण कृषि बाज़ार (GrAMs)
- GrAM, फार्म गेट के नज़दीक खुदरा कृषि बाज़ार हैं जो किसानों की उपज के अधिक कुशल लेनदेन को बढ़ावा देते हैं और सेवा प्रदान करते हैं।
- उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और
- अस्पताल।
- ग्रामीण कृषि बाज़ार (GrAMs)
- PMGSY-III योजना के तहत, राज्यों में 1,25,000 किलोमीटर लंबी सड़क को समेकित करने का प्रस्ताव है। योजना की अवधि वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक है।
मध्य प्रदेश Switch to English
स्टॉकहोम में रोड शो
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड ने स्टॉकहोम, स्वीडन में यात्रा व्यापार उद्योग के लिये तैयार अपने आगामी रोड शो कार्यक्रम की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- यह विशेष रोड शो यात्रा पेशेवरों, मीडिया, ब्लॉगर्स और प्रभावशाली लोगों के लिये मध्य प्रदेश, भारत के विविध पर्यटन परिदृश्य में जाने तथा स्थानीय पर्यटन अधिकारियों के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी बनाने का एक असाधारण अवसर प्रस्तुत करता है।
- इस रोड शो के माध्यम से, मध्य प्रदेश पर्यटन का लक्ष्य है:
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' विश्व धरोहर स्थलों सहित राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों को उजागर करें, जिनमें खजुराहो स्मारक समूह, सांची स्तूप तथा भीमबेटका रॉक शेल्टर, राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, ऐतिहासिक स्थल और जीवंत सांस्कृतिक त्योहार शामिल हैं।
- राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिये मध्य प्रदेश पर्यटन द्वारा किये गए स्थायी पर्यटन प्रथाओं और संरक्षण प्रयासों को प्रदर्शित करना।
- दोनों क्षेत्रों के बीच पर्यटन आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिये मध्य प्रदेश पर्यटन और स्वीडिश ट्रैवल एजेंसियों, टूर ऑपरेटरों, मीडिया तथा प्रभावशाली लोगों के बीच साझेदारी व सहयोग को बढ़ावा देना।
- मध्य प्रदेश में उपलब्ध अद्वितीय यात्रा अनुभवों और अवसरों, जैसे वन्यजीव सफारी, सांस्कृतिक विसर्जन, साहसिक पर्यटन तथा पर्यावरण-पर्यटन पहल के बारे में जानकारी प्रदान करना।
मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड (MPTB)
- इसकी स्थापना वर्ष 2017 में मध्य प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
- बोर्ड का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक, निजी भागीदारी के साथ स्थायी तरीके से पर्यटन का विकास, निवेशकों को सुविधा, कौशल-विकास, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थलों का प्रचार/प्रसार, पर्यटन बुनियादी ढाँचे की पहचान तथा विकास करना है।
खजुराहो समूह के स्मारक (1986)
- इन मंदिरों का निर्माण चंदेल राजवंश के दौरान किया गया था, जो 950 और 1050 के बीच अपने चरम पर था।
- केवल 20 मंदिर बचे हैं, जो दो अलग-अलग धर्मों - हिंदू धर्म और जैन धर्म से संबंधित हैं, जिनमें जटिल तथा सुंदर नक्काशीदार मूर्तियों से सजाए गए प्रसिद्ध कंदारिया मंदिर भी शामिल है।
भीमबेटका रॉक शेल्टर (2003)
- ये शेल्टर मध्य भारतीय पठार के दक्षिणी किनारे पर, विंध्य पर्वतमाला की तलहटी में स्थित हैं।
- प्राकृतिक रॉक शेल्टर के पाँच समूहों के रूप में खोजे गए, जिनमें मेसोलिथिक और उसके बाद के अन्य कालखंडों की पेंटिंग प्रदर्शित हैं।
- आसपास के क्षेत्रों के निवासियों की सांस्कृतिक परंपराएँ चित्रों में प्रदर्शित परंपराओं के समान हैं।
सांची में बौद्ध स्मारक (1989)
- यह अस्तित्व में सबसे पुराना बौद्ध अभयारण्य है और 12वीं शताब्दी तक भारत में एक प्रमुख बौद्ध केंद्र था।
- सांची की साइट में विभिन्न संरक्षित राज्यों में बौद्ध स्मारकों (अखंड स्तंभ, महल, मंदिर और मठ) का एक समूह शामिल है, जिनमें से अधिकांश दूसरी और पहली शताब्दी ईसा पूर्व के हैं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड ने 8,000 करोड़ रुपए की परियोजनाएँ शुरू कीं
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने वस्तुतः 8,275.51 करोड़ रुपए की 122 परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु:
- इनमें 11 विभागों की 1048.15 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया, जबकि 15 विभागों की 7227.36 करोड़ रुपए की योजनाओं का शिलान्यास किया गया।
- सीएम ने ऊर्जा विभाग द्वारा प्रीपेड मीटर की शुरुआत की और भवन तथा अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के तहत पंजीकृत श्रमिकों को टूल किट वितरित किये।
- उन्होंने उद्यमियों और मुख्यमंत्री सौर स्वरोज़गार योजना के लाभार्थियों को सौर ऊर्जा परियोजनाओं के आवंटन पत्र वितरित किये।
- उत्तराखंड की आर्थिक शक्ति को बढ़ाने के प्रयास में, मुख्यमंत्री ने पाँच वर्षों के भीतर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) को दोगुना करने की योजना की रूपरेखा तैयार की।
- उन्होंने वर्ष 2025 तक ज़िला स्तर पर नवाचार और सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिये रणनीतियों को स्पष्ट किया।
मुख्यमंत्री सौर स्वरोज़गार योजना
- उत्तराखंड ने सौर ऊर्जा क्षेत्र में स्वरोज़गार के लिये मुख्यमंत्री सौर स्वरोज़गार योजना शुरू की।
- योजना का उद्देश्य हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना और राज्य के युवाओं तथा वापस आये प्रवासियों को स्वरोज़गार के अवसर प्रदान करना है।
- इस योजना के प्रत्येक लाभार्थी को 25 किलोवाट के सौर ऊर्जा संयंत्र भी आवंटित किये जायेंगे।
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