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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में श्री जगन्नाथ स्वामी रथ यात्रा समिति कीडगंज के तत्त्वावधान में प्रयागराज में भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु:
- रथ यात्रा कीडगंज में त्रिवेणी मार्ग स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से शुरू हुई।
- भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के अलावा गरुड़ देव, बद्री विशाल, भगवान राम और भगवान द्वारकाधीश के रथ भी शोभायात्रा का हिस्सा रहे
- रथयात्रा में राधा कृष्ण, नरसिंह अवतार और दामोदर लीला को दर्शाती झांकियाँ भी शामिल रहीं।
- जगन्नाथ रथ यात्रा एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र और उनकी छोटी बहन देवी सुभद्रा की ओडिशा के पुरी में उनके घरेलू मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर गुंडिचा में उनकी मौसी के मंदिर तक की यात्रा का उत्सव मनाता है।
- इस त्योहार के पीछे किंवदंती है कि एक बार देवी सुभद्रा ने गुंडिचा में अपनी मौसी के घर जाने की इच्छा व्यक्त की।
- उनकी इच्छा पूरी करने के लिये भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र ने उनके साथ रथ यात्रा पर जाने का निर्णय किया। इस घटना को प्रति वर्ष देवताओं को इसी तरह की यात्रा पर ले जाकर मनाया जाता है।
- इस त्योहार की शुरुआत कम-से-कम 12वीं शताब्दी ई. से हुई है, जब राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। हालाँकि कुछ स्रोतों से पता चलता है कि यह त्योहार प्राचीन काल से ही प्रचलित था।
- इस त्योहार को रथों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि देवताओं को तीन विशाल लकड़ी के रथों पर ले जाया जाता है, जिन्हें भक्त रस्सियों से खींचते हैं।
- यह आषाढ़ (जून-जुलाई) माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को शुरू होता है और नौ दिनों तक चलता है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर
- यह भारतीय राज्य ओडिशा के सबसे प्रभावशाली स्मारकों में से एक है।
- यह मंदिर "सफेद पैगोडा" के नाम से जाना जाता है और यह चार धाम तीर्थयात्राओं (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का एक हिस्सा है।
- यह कलिंग वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है, जो घुमावदार मीनारों, जटिल नक्काशी और अलंकृत मूर्तियों से पहचाना जाता है।
- मंदिर परिसर चारों ओर से ऊँची दीवार से घिरा हुआ है तथा इसके चारों दिशाओं की ओर चार द्वार हैं।
- मुख्य मंदिर में चार संरचनाएँ हैं: विमान (गर्भगृह), जगमोहन (सभा कक्ष), नट-मंदिर (उत्सव कक्ष) और भोग-मंडप (अर्पण कक्ष)।
- जगन्नाथ पुरी मंदिर को 'यमनिका तीर्थ' कहा जाता है, जहाँ हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण पुरी में मृत्यु के देवता 'यम' की शक्ति समाप्त हो गई है
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दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर उत्तर प्रदेश
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश का लक्ष्य 3-4 वर्षों में दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर होना है, जिसमें वर्ष 2016 से 36% की वृद्धि हुई है। सरकार अरहर, उड़द और मूंग की खेती पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- वर्ष 2016-2017 से वर्ष 2023-2024 के दौरान दालों का उत्पादन 2.394 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 3.255 मिलियन मीट्रिक टन हो गया।
- दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के अंतर्गत 27,200 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल प्रदर्शन आयोजित किये जाएंगे।
- 31,553 क्विंटल बीज वितरण तथा 27,356 क्विंटल प्रमाणित बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
- बाज़ार में दलहनी फसलों की उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिये सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP) पर इन सभी फसलों की खरीद भी सुनिश्चित कर रही है।
- सूत्रों के अनुसार बुंदेलखंड के प्रमुख दलहन उत्पादन जिलों बाँदा, महोबा, जालौन, चित्रकूट और ललितपुर में आदर्श दलहन गाँव विकसित किये जाएंगे।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन(National Food Security Mission- NFSM)
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन(National Food Security Mission- NFSM) एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council- NDC) की कृषि उप-समिति की सिफारिशों के आधार पर वर्ष 2007 में शुरू किया गया था।
- समिति ने उन्नत कृषि विस्तार सेवाओं, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और विकेंद्रीकृत योजना की आवश्यकता पर बल दिया, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) को एक मिशन मोड कार्यक्रम के रूप में संकल्पित किया गया।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP)
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह गारंटीकृत राशि है जो सरकार द्वारा किसानों की उपज खरीदने पर उन्हें दी जाती है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जो उत्पादन लागत, मांग तथा आपूर्ति, बाज़ार मूल्य प्रवृत्तियों, अंतर-फसल मूल्य समता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।
- कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्त्व में आया।
- भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs- CCEA) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के स्तर पर अंतिम निर्णय (अनुमोदन) लेती है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का उद्देश्य उत्पादकों को उनकी उपज के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।
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वाराणसी में ब्लैक कार्बन के स्तर में कमी
चर्चा में क्यों?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के एक अध्ययन के अनुसार, वाराणसी और मध्य गंगा के मैदानी भागों में कार्बन स्तर में 0.47 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की औसत वार्षिक गिरावट देखी गई है।
मुख्य बिंदु
- अध्ययन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) के एयरोसोल रेडिएटिव फोर्सिंग ओवर इंडिया (Aerosol Radiative Forcing over India- ARFI) कार्यक्रम के तहत उत्पन्न ब्लैक कार्बन डेटा का उपयोग किया गया।
- मध्य भारत-गंगा के मैदान, वाराणसी में एक प्रतिनिधि स्थान पर वर्ष 2009 से वर्ष 2021 तक ब्लैक कार्बन द्रव्यमान सांद्रता के एक दशक लंबे माप का विश्लेषण किया गया।
- इस विश्लेषण का उद्देश्य इस क्षेत्र में ब्लैक कार्बन के भौतिक, प्रकाशीय और विकिरणीय प्रभाव को समझना था।
- अध्ययन में ब्लैक कार्बन के स्तर में 0.47 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की औसत वार्षिक कमी दर्ज की गई
- ब्लैक कार्बन के स्तर में भी लगातार मौसमी गिरावट देखी गई, जिसमें मानसून के बाद औसत कमी 1.86 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तथा मानसून से पूर्व औसत कमी 0.31 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही।
- अध्ययन में पाया गया कि वाराणसी और मध्य गंगा के मैदानों में ब्लैक कार्बन का स्रोत स्थानीय नहीं बल्कि दूरवर्ती स्रोत हैं।
- ये कण निचले और ऊपरी सिंधु-गंगा के मैदानों, पाकिस्तान, मध्य पूर्व और दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्रों से लंबी दूरी तक स्थानांतरित होते हैं।
ब्लैक कार्बन
- ब्लैक कार्बन (Black Carbon- BC) एक अल्पकालिक प्रदूषक है जो कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) के बाद ग्रह को गर्म करने में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता है।
- अन्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के विपरीत ब्लैक कार्बन तेज़ी से प्रक्षालित हो जाता है और उत्सर्जन बंद होने पर वायुमंडल से समाप्त किया जा सकता है।
- ऐतिहासिक कार्बन उत्सर्जन के विपरीत यह भी एक स्थानीय स्रोत है जिसका स्थानीय प्रभाव अधिक है।
- ब्लैक कार्बन एक प्रकार का एयरोसोल है।
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