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स्टेट पी.सी.एस.

  • 07 Mar 2025
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हरियाणा Switch to English

स्वास्थ्य चुनौतियाँ और स्वस्थ जीवनशैली पर सेमिनार

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने हरियाणा के फरीदाबाद स्थित ESIC मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सहयोग से आरोग्य भारती द्वारा आयोजित "स्वास्थ्य चुनौतियाँ एवं स्वस्थ जीवन शैली" विषय पर एक सेमिनार में भाग लिया।

मुख्य बिंदु

  • निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर ज़ोर:
    • केंद्रीय मंत्री ने स्वस्थ और फिट भारत के निर्माण में निवारक और प्रोत्साहनकारी स्वास्थ्य देखभाल के महत्त्व को रेखांकित किया।
    • उन्होंने चरक, सुश्रुत और भगवान धन्वंतरि जैसे प्राचीन चिकित्सा अग्रदूतों का हवाला देते हुए भारत की समृद्ध स्वास्थ्य देखभाल विरासत पर प्रकाश डाला।
  • पारंपरिक प्रथाओं की भूमिका:
    • उन्होंने निवारक स्वास्थ्य देखभाल के आवश्यक घटकों के रूप में ध्यान, योग और उपवास के महत्त्व पर बल दिया।
    • उन्होंने समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये देश भर में स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन के लिये आरोग्य भारती की सराहना की।
  • उन्नत चिकित्सा सुविधाओं का उद्घाटन:
    • अपनी यात्रा के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने निदान और उपचार क्षमताओं को बढ़ाने के लिये तीन अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का उद्घाटन किया:
      • डिजिटल मैमोग्राफी सेवाएँ
        • स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगाने और मूल्यांकन के लिये डिज़ाइन की गई एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन, डिजिटल डिटेक्टर-आधारित मैमोग्राफी मशीन।
      • 1000 mA डिजिटल रेडियोग्राफी फ्लोरोस्कोपी (DRF) प्रणाली
        • एक आधुनिक नैदानिक ​​प्रणाली जो बीमित श्रमिकों और उनके परिवारों के लिये एक्स-रे रेडियोग्राफी और फ्लोरोस्कोपिक-निर्देशित हस्तक्षेप में सुधार करती है।
      • अगली पीढ़ी अनुक्रमण (NGS) अनुप्रयोग
        • यह एक उन्नत प्रौद्योगिकी है, जो ओन्कोलॉजी अनुसंधान, RNA अनुक्रमण और रोगज़नक़ पहचान का समर्थन करती है तथा सटीक चिकित्सा का मार्ग प्रशस्त करती है।
  • भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा का अनावरण:
  • भारत के प्राचीन चिकित्सा ज्ञान के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में, मंत्री ने ESIC मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा का अनावरण किया।


बिहार Switch to English

प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत तीन लाख परिवारों के लिये प्रथम किस्त के रूप में 1,200 करोड़ रुपए की सहायता राशि ट्रांसफर की। 

मुख्य बिंदु

  • इन लाभार्थियों को अगले सौ दिनों में दूसरी एवं तीसरी किस्त के रूप में और 80 हज़ार रुपए दिये जाएंगे। 
  • इसके अलावा, मनरेगा के माध्यम से 90 दिनों के अकुशल मज़दूरी के रूप में 22,050 और लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान से शौचालय निर्माण के लिये 12 हज़ार रुपए की सहायता दी जाएगी।

प्रधानमंत्री आवास योजना क्या है?

प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (PMAY-G):

  • शुभारंभ: वर्ष 2022 तक “सभी के लिये आवास” के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये, पूर्ववर्ती ग्रामीण आवास योजना इंदिरा आवास योजना (IAY) को 1 अप्रैल 2016 से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) में पुनर्गठित किया गया।
  • शामिल मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय।
  • स्थिति: राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने लाभार्थियों को 2.85 करोड़ घर स्वीकृत किये हैं और मार्च 2023 तक 2.22 करोड़ घर पूरे हो चुके हैं।
  • उद्देश्य: मार्च 2022 के अंत तक सभी ग्रामीण परिवारों, जो बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं, को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर उपलब्ध कराना।
  • गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line- BPL) जीवन यापन करने वाले ग्रामीण लोगों को आवास इकाइयों के निर्माण तथा मौजूदा अनुपयोगी कच्चे मकानों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करना।
  • लाभार्थी: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग, युद्ध में मारे गए रक्षा कर्मियों की विधवाएँ या उनके निकट संबंधी, पूर्व सैनिक और अर्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति तथा अल्पसंख्यक
  • लाभार्थियों का चयन: तीन-चरणीय सत्यापन जैसे सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा और जियो-टैगिंग के माध्यम से।
  • लागत साझाकरण: मैदानी क्षेत्रों के मामले में केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं तथा पूर्वोत्तर राज्यों, दो हिमालयी राज्यों एवं जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के मामले में 90:10 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं।
  • केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख सहित अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र 100% लागत वहन करता है।


बिहार Switch to English

बिहार बजट 2025-26

चर्चा में क्यों?

3 मार्च 2025 को वित्तमंत्री द्वारा विधानसभा में 3.17 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया। जिसमें शिक्षा और महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दी गई गई।

मुख्य बिंदु 

  • वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल राजस्व व्यय 2 लाख 52 हज़ार करोड़ रुपए अनुमानित है, जो कुल व्यय का 79.52 प्रतिशत है।
  • बिहार बजट 2025-26 में सबसे ज़्यादा शिक्षा पर 60,964 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
  • स्वास्थ्य के लिये 20 हज़ार करोड़ रुपए और सड़क मद में 17 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।
  • बजट में गृह विभाग को 17831 करोड़, ग्रामीण विकास को 16043 करोड़, ऊर्जा विभाग को 13484 करोड़ और समाज कल्याण विभाग, SC, ST, अल्पसंख्यक, पिछड़ा, अति पिछड़ा को 13 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा का प्रावधान किया गया है।

 

  • बजट के मुख्य प्रावधान
    • महिला सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान
      • पिंक शौचालयों का निर्माण।
      • पटना में महिला हाट खोले जाएंगे।
      • पिंक बस सेवा शुरू होगी (सभी चालक एवं परिचालक महिलाएँ होंगी)।
      • कामकाज़ी महिलाओं के लिये छात्रावास बनाए जाएंगे।
      • महिला टूरिस्ट गाइड की नियुक्ति।
      • ई-रिक्शा खरीदने के लिये वित्तीय सहायता।
      • महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में वृद्धि।
      • गरीब लड़कियों की शादी के लिये 'कन्या विवाह मंडप' का निर्माण।
    • शिक्षा और सामाजिक कल्याण
      • छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) की दर दोगुनी की जाएगी।
      • SC/ST, पिछड़े वर्गों के लिये प्रोत्साहन राशि बढ़ाई जाएगी।
    • स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाएँ
      • बेगूसराय में कैंसर अस्पताल का निर्माण।
      • बिहार में 108 नए नगर चिकित्सा केंद्र खुलेंगे।
      • कैंसर रोगियों के लिये विशेष देखभाल केंद्र का प्रावधान।
    • इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं परिवहन
      • पूर्णिया एयरपोर्ट का निर्माण जल्द शुरू होगा।
      • राजगीर, सुल्तानगंज, रक्सौल, मधुबनी सहित 8 नए एयरपोर्ट बनाए जाएंगे।
      • बिहार राज्य सड़क परिवहन निगम में महिलाओं के लिये 33% आरक्षण।
    • पर्यावरण और स्वच्छ ऊर्जा
    • कृषि एवं ग्रामीण विकास
      • बाजार समितियों को सशक्त किया जाएगा।

      • प्रखंड स्तर पर सब्ज़ी बेचने के स्टॉल खोले जाएंगे।
      • सभी प्रखंडों में तरकारी उत्पादन समिति का गठन।
    • प्रवासी बिहारी और पर्यटन
      • प्रवासी बिहारियों के लिये विभिन्न शहरों में हेल्प सेंटर।
      • छठ पूजा के लिये होम-स्टे सुविधा को सरकारी सहायता
    • उद्योग एवं व्यापार


उत्तर प्रदेश Switch to English

देश की पहली लिथियम ग्रेड रिफाइनरी

चर्चा में क्यों?

लोहुम कंपनी ने ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में देश की पहली लिथियम ग्रेड रिफाइनरी की शुरुआत की। 

मुख्य बिंदु 

  • उत्पादन क्षमता और दक्षता
    • यह रिफाइनरी 1,000 मीट्रिक टन बैटरी-ग्रेड लिथियम सालाना उत्पादन करेगी। वर्ष 2029 में इसकी क्षमता 20 हज़ार टन हो जाएगी। 
    • ई-वेस्ट से निकलने वाले ब्लैक मास को रिसाइकिल कर उसमें से लिथियम उत्सर्जित किया जाएगा। 
    • इसके अतिरिक्त, कंपनी कैथोड एक्टिव मटीरियल (CAM) के उत्पादन में अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रही है, जो बड़े पैमाने पर लिथियम-आयन बैटरी उत्पादन के लिये आवश्यक घटक है।
    • कंपनी वर्तमान में भारत में 90 प्रतिशत से अधिक लिथियम को रिफाइन कर रही है।
    • कंपनी के अनुसार इसकी तकनीकी दक्षता चीन की तुलना में प्रतिस्पर्द्धात्मक और अमेरिकी/यूरोपीय सुविधाओं की तुलना में अधिक किफायती है।
  • लिथियम रिफाइनिंग:
    • इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लिथियम-आयन बैटरियों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

    • आने वाले वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी भंडारण की मांग तेज़ी से बढ़ने वाली है, जिससे लिथियम की ज़रूरत भी बढ़ेगी

    • भारत की लिथियम आपूर्ति का बड़ा हिस्सा चीन से आता है, जो भारत के लिये एक रणनीतिक और आर्थिक चुनौती है। .

    • लोहुम का यह विस्तार भारत को इस निर्भरता से मुक्त करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

लिथियम 

परिचय:

  • यह एक रासायनिक तत्त्व है जिसका प्रतीक (Li) है। 
    • यह एक नरम तथा चाँदी के समान सफेद धातु है।
    • मानक परिस्थितियों में यह सबसे हल्की धातु और सबसे हल्का ठोस तत्त्व है।
    • यह अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और ज्वलनशील है, अत: इसे खनिज तेल के रूप में संगृहीत किया जाना चाहिये।
    • यह क्षारीय एवं एक दुर्लभ धातु है।
    • क्षार धातुओं में लिथियम, सोडियम, पोटेशियम, रुबिडियम, सीज़ियम और फ्रेंशियम रासायनिक तत्त्व शामिल होते हैं। ये हाइड्रोजन के साथ मिलकर समूह-1 (group- 1) जो आवर्त सारणी (Periodic Table) के एस-ब्लॉक (s-block) में स्थित है, का निर्माण करते हैं।
    • दुर्लभ धातुओं (Rare Metals- RM) में नायोबियम (Nb), टैंटेलम (Ta), लिथियम (Li), बेरिलियम (Be), सीज़ियम (Cs) आदि और दुर्लभ मृदा तत्त्वों (Rare Earths- RE) में स्कैंडियम (Sc) तथा इट्रियम (Y) के अलावा लैंटेनियम (La) से लुटीशियम (Lu) तक के तत्त्व शामिल हैं।
    • ये धातुएँ अपने सामरिक महत्त्व के कारण परमाणु और अन्य उच्च तकनीकी उद्योगों जैसे- इलेक्ट्रॉनिकस, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, रक्षा आदि में उपयोग की जाती हैं।


उत्तर प्रदेश Switch to English

पाँच शहरों को मिलेगी यूनेस्को की मान्यता

चर्चा में क्यों 

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से 5 शहरों को अमूर्त विरासत और रचनात्मक शहरों के रूप में यूनेस्को की मान्यता हेतु आवेदन करेगी

मुख्य बिंदु 

  • चयनित सांस्कृतिक शहर (तत्त्व)
    • कन्नौज का इत्र
    • ब्रज की होली 
    • वाराणसी की गंगा आरती 
    • फिरोज़ाबाद की कांच कला
    • आज़मगढ़ (निजामाबाद) की ब्लैक पॉटरी
  • प्रयास: 
    • इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड की लोककला एवं लोक साहित्य को भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल कराने के लिये प्रयास कर रही है। 
      • कन्नौज के इत्र के लिये देग-भापका विधि, ऐतिहासिक महत्त्व, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और पारंपरिक प्रक्रियाओं पर शोध किया जाएगा।
      • वाराणसी की गंगा आरती के ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और अनुष्ठानिक महत्त्व पर अध्ययन किया जाएगा।
      • ब्रज की होली विशेष रूप से लट्ठमार होली को प्रमुखता दी जाएगी।
      • बुंदेलखंड के आल्हा गायन व राई नृत्य, आज़मगढ़ की ब्लैक पॉटरी और फिरोज़ाबाद के कांच उद्योग पर शोध कर दस्तावेज तैयार किये जाएंगे।
  • ऐतिहासिक संदर्भ:
    • वर्ष 2017 में केंद्र व प्रदेश सरकार के प्रयासों से कुंभ को पहली बार यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • प्रभाव और संभावित लाभ:
    • वैश्विक मान्यता मिलने से इन सांस्कृतिक विरासतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार मिलेगा।
    • पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
    • स्थानीय कारीगरों, कलाकारों और परंपरागत उद्योगों को संरक्षण मिलेगा, जिससे उनकी आजीविका को बल मिलेगा।
    • संस्कृति और धरोहर के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ये परंपराएं आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहेंगी।

यूनेस्को

  • संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़रायल ने यूनेस्को की सदस्यता वर्ष 2019 में औपचारिक रूप से छोड़ दी थी।
  • संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (UNESCO), संयुक्त राष्ट्र (United Nation- UN) की एक विशेष एजेंसी है। यह संगठन शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति स्थापित करने का प्रयास करता है। 
  • यूनेस्को के कार्यक्रम एजेंडा 2030 में परिभाषित सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) की प्राप्ति में योगदान करते हैं, जिसे 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था।
  • इसके 193 सदस्य देश और 11 संबद्ध सदस्य हैं। भारत वर्ष 1946 में यूनेस्को में शामिल हुआ था।
    • इसका मुख्यालय पेरिस (फ्राँस) में है।


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