पुलिस बल में महिलाओं के लिये 33% कोटा | राजस्थान | 05 Sep 2024
चर्चा में क्यों
हाल ही में राजस्थान सरकार ने पुलिस बल में महिलाओं के लिये 33% आरक्षण को अनुमति दी है, साथ ही पेंशनभोगियों के लिये 5% अतिरिक्त भत्ता भी दिया है।
मुख्य बिंदु
नोट: केंद्र सरकार ने मार्च 2015 में दिल्ली में गैर-राजपत्रित पदों (कांस्टेबल से सब-इंस्पेक्टर) पर सीधी भर्ती में महिलाओं के लिये 33% आरक्षण को मंज़ूरी दी थी।
हरित घोषणा-पत्र, 2024 | हरियाणा | 05 Sep 2024
चर्चा में क्यों
हाल ही में पीपुल फॉर अरावली समूह ने राज्य में बढ़ते पर्यावरणीय संकट के जवाब में ‘हरियाणा हरित घोषण-पत्र 2024 (हरियाणा ग्रीन मेनिफेस्टो)’ के विकास की पहल की।
मुख्य बिंदु
- ग्रीन मेनिफेस्टो: यह दस्तावेज़ एक अद्वितीय भागीदारी अभ्यास के बाद तैयार किया गया था, जिसमें विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा के 17 ज़िलों के ग्रामीण और शहरी हितधारकों से इनपुट एकत्र किये गए थे।
- पारिस्थितिकी, कृषि, शहरी नियोजन और टिकाऊ वास्तुकला के विशेषज्ञों ने हरियाणा के लिये हरित दृष्टिकोण को आकार देने में योगदान दिया।
- हरित घोषणा-पत्र में प्रमुख मांगे:
- विनाशकारी गतिविधियों और वाणिज्यिक परियोजनाओं पर रोक लगाने के लिये अरावली तथा शिवालिक को कानूनी रूप से "critical ecological zones अर्थात् महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक क्षेत्र" के रूप में नामित किया जाना चाहिये।
- शेष पहाड़ियों को संरक्षित करने के लिये वैकल्पिक निर्माण सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिये।
- महेंद्रगढ़ ज़िले को "पहाड़ी डार्क ज़ोन" घोषित किया जाए तथा भूजल स्तर (1,500-2,000 फीट) के अत्यधिक निम्न स्तर के कारण सभी खनन और पत्थर-तोड़ने के कार्य बंद किये जाने चाहिये।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में खनन को वैध बनाने हेतु सर्वोच्च न्यायालय में राज्य की अपील वापस ली जाए।
- पाली के बंधवाड़ी और पुराने सोहना-अलवर रोड पर ITI कॉलोनी के पास लैंडफिल हटाए जाए।
- नूह ज़िले के भिवाड़ी, खोरी खुर्द और अन्य गाँवों में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट के अवैध डंपिंग तथा जलाने पर रोक लगाई जाए।
- जिन ग्रामीणों की भूमि इन गतिविधियों से प्रभावित हुई है, उन्हें मुआवज़ा और गुणवत्तापूर्ण कृषि भूमि उपलब्ध कराएं।
- वन संरक्षण की मांग:
- पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (PLPA), 1900 के अंतर्गत गैर-अधिसूचित वनों को "Deemed Forests अर्थात् मान्य वन" के रूप में शामिल करके सभी वनों को कानूनी संरक्षण प्रदान करना।
- दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 के समान हरियाणा के लिये भी वृक्ष अधिनियम बनाया जाए।
- सभी खुले प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों (Open Natural Ecosystems- ONE) को, जैसे कि फतेहाबाद ज़िले में काले हिरणों के प्राकृतिक आवास को, संरक्षण या सामुदायिक रिज़र्व घोषित किया जाए।
- हरियाणा के वन (ONE) को भारत के बंजर भूमि एटलस से हटाया जाए, जिसमें इन पारिस्थितिकी प्रणालियों को कृषि या औद्योगिक उपयोग के लिये ‘अनुत्पादक’ भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- चार वर्षों के भीतर हरियाणा के वन एवं वृक्ष आवरण को 10% तक बढ़ाने के लिये कार्य योजना लागू करना।
- लेसोड़ा, खेजड़ी, इंद्रोक और जाल जैसी हरियाणा की पारंपरिक वृक्ष प्रजातियों को पुनः लागू करना तथा जैवविविधता से भरपूर स्थानों के निर्माण हेतु पारिस्थितिकीय रूप से सही तरीके से देशी वृक्षारोपण (ऊँचे वृक्ष, भूमिगत वृक्ष, झाड़ियाँ, लताएँ, घास) को बढ़ावा देना।
- खाद्य सुरक्षा की मांग:
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की प्रमुख रणनीति के रूप में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना।
- केंद्र द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों द्वारा उगाई गई प्रत्येक फसल की गारंटीकृत खरीद सुनिश्चित करना।
- मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाने वाली नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) पद्धतियों को प्रोत्साहित करना।
- पिछले 15 वर्षों से कुछ गाँवों में किसानों को शिक्षित करने वाले ‘कीट पाठशालाओं’ (कीट विद्यालयों) को सभी ज़िलों में विस्तारित करना। ये विद्यालय शाकाहारी और मांसाहारी कीटों के बीच संतुलन सिखाते हैं, जिससे कीटनाशकों के छिड़काव की ज़रूरत कम हो जाती है।
अरावली पर्वत शृंखला
- अरावली पृथ्वी पर सबसे पुराना मोड़दार पर्वत है।
- यह गुजरात से दिल्ली (राजस्थान और हरियाणा से होकर) तक 800 किलोमीटर से अधिक विस्तृत है।
- अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर है।
जलवायु पर प्रभाव:
- अरावली पर्वतमाला उत्तर-पश्चिम भारत और उससे आगे की जलवायु पर प्रभाव डालती है।
- मानसून के दौरान, पर्वत शृंखला मानसून के बादलों को शिमला और नैनीताल की ओर पूर्व की ओर ले जाती है, जिससे उप-हिमालयी नदियों को पोषण मिलता है तथा उत्तर भारतीय मैदानों को पोषण मिलता है।
- सर्दियों के महीनों में यह उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों (पैरा-सिंधु और गंगा) को मध्य एशिया से आने वाली ठंडी पश्चिमी पवनों के आक्रमण से बचाती है।
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के नए निदेशक की नियुक्ति की आलोचना | उत्तराखंड | 05 Sep 2024
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक के रूप में एक वन अधिकारी (IFS) की नियुक्ति के लिये उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की आलोचना की।
- मुख्य बिंदु
- नियुक्ति विवाद: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी को राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का निदेशक नियुक्त करने के फैसले से विवाद उत्पन्न हो गया है, क्योंकि कथित अवैध गतिविधियों के लिये केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement- ED) द्वारा उनके खिलाफ जाँच चल रही है।
- अधिकारियों की अनदेखी: आरोपों से पता चलता है कि मुख्यमंत्री ने वन मंत्री और मुख्य सचिव की आपत्तियों को नज़रअंदाज़ कर दिया, जिन्होंने पिछले कानूनी मुद्दों में अधिकारी की संलिप्तता के कारण नियुक्ति पर पुनर्विचार की सिफारिश की थी।
- सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियां: इस बात पर ज़ोर दिया गया कि ऐसे निर्णय एकतरफा नहीं लिये जाने चाहिये।
- न्यायालय ने सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत के महत्त्व पर प्रकाश डाला तथा इस बात पर ज़ोर दिया कि सरकार की भूमिका प्राकृतिक संसाधनों की ज़िम्मेदारीपूर्वक सुरक्षा करना है, जिससे इस मामले के अंतर्गत समझौता किया गया।
राजाजी राष्ट्रीय
- अवस्थिति: हरिद्वार (उत्तराखंड), शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में 820 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
- पृष्ठभूमि: उत्तराखंड के तीन अभयारण्यों अर्थात् राजाजी, मोतीचूर और चीला को एक बड़े संरक्षित क्षेत्र में मिला दिया गया तथा वर्ष 1983 में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के नाम पर इसका नाम राजाजी राष्ट्रीय उद्यान रखा गया; जिन्हें लोकप्रिय रूप से “राजाजी” के नाम से जाना जाता था।
- विशेषताएँ:
- यह क्षेत्र एशियाई हाथियों के निवास स्थान की उत्तर पश्चिमी सीमा है।
- वन प्रकारों में साल वन, नदी किनारे वन, चौड़ी पत्ती वाले मिश्रित वन, झाड़ीदार भूमि और घास वाले वन शामिल हैं।
- इसमें स्तनधारियों की 23 प्रजातियाँ और पक्षियों की 315 प्रजातियाँ जैसे- हाथी, बाघ, तेंदुएँ, हिरण एवं घोरल आदि पाई जाती हैं।
- इसे वर्ष 2015 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था
- सर्दियों में यह वन गुज्जरों का आवास बन जाता है।
इंदौर-मनमाड रेल परियोजना | मध्य प्रदेश | 05 Sep 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंदौर-मनमाड रेलवे परियोजना को मंज़ूरी दी गई है, जो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में रेलवे विकास के लिये एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
मुख्य बिंदु:
- परियोजना का अवलोकन: यह परियोजना 309 किलोमीटर लंबी है (जिसमें से 170.056 किलोमीटर मध्य प्रदेश में तथा 139.376 किलोमीटर महाराष्ट्र में) तथा इसकी कुल लागत 18,036.25 करोड़ रुपए है।
- यह मध्य प्रदेश के इंदौर को महाराष्ट्र के मनमाड से जोड़ेगा, महत्त्वपूर्ण ज़िलों (बड़वानी, खरगोन, धार और इंदौर) को जोड़ेगा तथा क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाएगा।
- आर्थिक और सामाजिक लाभ: निर्माण के दौरान और निर्माण पूरा होने के बाद बड़वानी तथा खरगोन जैसे अविकसित ज़िलों में प्रत्यक्ष रोज़गार उत्पन्न होने एवं उद्योगों के लिये रसद में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- रेलवे लाइन से मालवा और निमाड़ क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति समुदायों को बहुत लाभ होगा, सकारात्मक बदलाव आएगा तथा नए अवसर खुलेंगे।
- कृषि प्रभाव: प्याज़ उत्पादक केंद्रों (नासिक, धुले और नंदुरबार) तथा अन्य कृषि उत्पादों के लिये परिवहन में सुधार।
- धार्मिक पर्यटन: रेल लाइन से ज्योतिर्लिंगों सहित प्रमुख धार्मिक स्थलों तक पहुँच आसान हो जाएगी, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
- परियोजना वित्तपोषण और योगदान: मध्य प्रदेश 1,362.80 करोड़ रुपए (राज्य के हिस्से का 10%) का योगदान देगा, जबकि महाराष्ट्र वित्तीय रूप से योगदान नहीं देगा। शेष धनराशि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी।
- केंद्रीय सहायता: केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत परियोजना को समर्थन दिया है।
प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान
- उद्देश्य: अगले चार वर्षों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की एकीकृत योजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना, जिसमें ज़मीनी स्तर पर कार्यों में तेज़ी लाने, लागत कम करने तथा रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- गति शक्ति योजना वर्ष 2019 में शुरू की गई 110 लाख करोड़ रुपए की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन का समामेलन करेगी।
- लॉजिस्टिक्स लागत में कटौती के अलावा, इस योजना का उद्देश्य व्यापार को बढ़ावा देने के लिये कार्गो हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाना और बंदरगाहों पर माल ढुलाई के समय को कम करना भी है।
- इसका लक्ष्य 11 औद्योगिक गलियारे और दो नए रक्षा गलियारे बनाना है- एक तमिलनाडु में तथा दूसरा उत्तर प्रदेश में। सभी गाँवों तक 4G कनेक्टिविटी पहुँचाना भी इसका लक्ष्य है। गैस पाइपलाइन नेटवर्क में 17,000 किलोमीटर जोड़ने की योजना बनाई जा रही है।
- इससे सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिये निर्धारित महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की लंबाई 2 लाख किलोमीटर तक बढ़ाना, 200 से अधिक नए हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रोम का निर्माण शामिल है।