जैव विविधता और पर्यावरण
डीम्ड वन
- 19 Nov 2020
- 4 min read
प्रिलिम्स के लिये:डीम्ड वन मेन्स के लिये:वनों के संरक्षण से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
कर्नाटक राज्य सरकार जल्द ही राज्य में 9.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले डीम्ड वनों के 6.64 लाख हेक्टेयर हिस्से को विवर्गीकृत (Declassified) कर राजस्व अधिकारियों को सौंप देगी।
प्रमुख बिंदु
- यह कदम प्रत्येक ज़िले के राजस्व, वन और भूमि रिकॉर्ड विभागों के अधिकारियों की अध्यक्षता में स्थानीय समितियों द्वारा डीम्ड वन क्षेत्रों की वास्तविक सीमा के अध्ययन के बाद उठाया गया है।
- कर्नाटक में डीम्ड वनों का मुद्दा विवादास्पद रहा है जिसमें विभिन्न दलों के विधायक प्रायः यह आरोप लगाते रहे हैं कि बड़ी मात्रा में कृषि और गैर-वन भूमि क्षेत्रों को 'अवैज्ञानिक' रूप से डीम्ड वन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
डीम्ड वन क्या हैं?
- वन संरक्षण अधिनियम, 1980 सहित किसी भी कानून में डीम्ड वनों की अवधारणा को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।
- हालांकि टी एन गोडवर्मन थिरुमलपाद (1996) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अधिनियम के तहत वनों की एक विस्तृत परिभाषा को स्वीकार किया।
- यह परिभाषा वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त सभी जंगलों को शामिल करती है, चाहे वे वन संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) के उद्देश्य के लिये आरक्षित, संरक्षित या अन्यथा नामित हों।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, धारा 2 में शामिल 'वन भूमि' शब्द के तहत न केवल जंगल शामिल होगा जैसा कि शब्दकोष में समझा जाता है, बल्कि स्वामित्व के बावजूद सरकारी रिकॉर्ड में जंगल के रूप में दर्ज क्षेत्र भी इस परिभाषा में शामिल होंगे।
पुनर्वर्गीकरण की मांग
- स्वामित्व की परवाह किये बगैर एक डीम्ड वन ‘शब्दकोशीय वन’ के अर्थ के दायरे में शामिल है।
- किसानों को होने वाली परेशानी और खनन में आने वाली रूकावट के दावों के बीच राज्य सरकार का यह भी तर्क है कि पूर्व में किये गए इस वर्गीकरण में लोगों की ज़रुरतों को ध्यान में नहीं रखा गया था।
पुनर्वर्गीकरण क्यों? (Why Declassified?)
- वर्ष 2014 में तत्कालीन सरकार ने वनों के वर्गीकरण पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया था।
- वनों की शब्दकोशीय परिभाषा का उपयोग कर घने जंगल वाले क्षेत्रों की पहचान डीम्ड वन के रूप में की गई थी जिसमें परिभाषित वैज्ञानिक, सत्यापन योग्य मानदंडों का उपयोग नहीं किया गया था।
- इस व्यक्तिनिष्ठ वर्गीकरण के परिणामस्वरूप एक विवाद पैदा हो गया। राज्य सरकार का यह भी तर्क है कि भूमि को अधिकारियों द्वारा यादृच्छिक रूप से डीम्ड वन के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिससे कुछ क्षेत्रों में किसानों को कठिनाई हुई।
- गौरतलब है कि डीम्ड वनों के रूप में निर्दिष्ट कुछ क्षेत्रों में खनन की व्यावसायिक मांग भी है।