लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ग्रैच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2017

  • 24 Mar 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ग्रैच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक [Payment of Gratuity (Amendment) Bill], 2018 को संसद में पारित किया गया। विधेयक के पारित होने के साथ ही निजी क्षेत्रों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/सरकार के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त संगठनों के उन कर्मचारियों के बीच ग्रैच्युटी को लेकर समानता हो गई जो सी.सी.एस. (पेंशन) नियम के तहत नहीं आते हैं।

  • ध्यातव्य है कि यह सी.सी.एस. (पेंशन) नियमावली के अधीन शामिल नहीं है।


प्रमुख बिंदु

  • ऐसे कर्मचारी भी अपने समक्ष सरकारी कर्मचारियों की तरह ग्रैच्युटी की उच्चतम राशि पाने के हकदार हो जाएंगे। यह विधेयक आज राज्यसभा में पारित कर दिया गया जबकि लोकसभा में इसे 15 मार्च, 2018 को ही पारित कर दिया गया था।
  • उन प्रतिष्‍ठानों में लागू होता है जिनमें 10 या उससे अधिक लोग काम करते हैं।
  • इस अधिनियम को लागू करने का मुख्‍य उद्देश्‍य सेवानिवृत्ति के बाद, चाहे सेवानिवृत्ति की नियमावली के परिणामस्‍वरूप सेवानिवृत्ति हुई हो अथवा शरीर के महत्त्वपूर्ण अंगों के नाकाम होने से उत्पन्न हुई शारीरिक विकलांगता के कारण हुई हो, सभी पक्षों में कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।
  • इसलिये ग्रैच्युटी भुगतान कानून, 1972 उद्योगों, फैक्‍ट्रियों और प्रतिष्‍ठानों में काम करने वाले लोगों को उनकी मजदूरी दिलाने का एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कानून है।
  • इस कानून के तहत वर्तमान में ग्रैच्युटी की अधिकतम राशि 10 लाख रुपए है। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के तहत केंद्र के सरकारी कर्मचारियों के लिये भी ग्रैच्‍युटी के संदर्भ में यही प्रावधान है।
  • ध्यातव्य है कि सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के लागू होने से पहले सी.सी.एस. (पेंशन) नियमावली, 1972 के अधीन अधिकतम उपादान सीमा राशि 10 लाख रुपए थी। 
  • हालाँकि, सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के लागू होने से सरकारी कर्मचारियों के मामले में 1 जनवरी, 2016 से उपादान राशि की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया गया है।
  • यही कारण है कि निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के मामले में भी महँगाई और वेतन वृद्धि के संबंध में सरकार द्वारा यह विचार किया गया कि ग्रैच्‍युटी भुगतान कानून, 1972 के अधीन शामिल कर्मचारियों के लिये भी उपादान की पात्रता में संशोधन किया जाना चाहिये। संभवतः इसीलिये सरकार द्वारा ग्रैच्‍युटी भुगतान कानून, 1972 में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की गई।
  • तदनुसार, ग्रैच्युटी की अधिकतम सीमा सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित होने वाली राशि के हिसाब से बढ़ाने के लिये सरकार ने ग्रेच्युटी भुगतान कानून, 1972 में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की।
  • इसके अलावा, विधेयक में महिला कर्मचारियों के मामले में ग्रैच्युटी के लिये निरंतर सेवा की गणना से संबंधित प्रावधान में संशोधन का प्रस्‍ताव है, जिसमें मातृत्‍व अवकाश के मामले में 12 सप्‍ताह से लेकर केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित अवधि तक की छुट्टी शामिल है।
  • अधिनियम के अंतर्गत महिला कर्मचारियों को उपलब्ध मातृत्व अवकाश की अधिकतम अवधि 12 हफ्ते को मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के अनुसार 26 हफ्ते कर दिया जाए।
  • अधिनियम के कानून बनने के बाद ग्रैच्‍युटी भुगतान कानून, 1972 के तहत ग्रैच्‍युटी की राशि की सीमा अधिसूचित करने की शक्‍ति केंद्र सरकार को दे दी जाएगी ताकि वेतन में वृद्धि, मुद्रास्‍फीति और भविष्‍य में वेतन आयोगों को देखते हुए समय-समय पर ग्रेच्युटी की सीमा को संशोधित किया जा सके।
  • अधिनियम के अंतर्गत किसी भी कर्मचारी को चुकाई जाने वाली ग्रैच्‍युटी की अधिकतम राशि 10 लाख रुपए से अधिक नहीं हो सकती है। अधिनियम इस प्रावधान में संशोधन करता है कि इस सीमा को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है।

ग्रैच्युटी भुगतान विधेयक, 1972 
(Payment of Gratuity Act) 1972

  • ध्यातव्य है कि ग्रैच्‍युटी भुगतान कानून, 1972 दस अथवा दस से अधिक लोगों को नियोजित करने वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होता है।
  • वस्तुतः ग्रैच्‍युटी भुगतान कानून, 1972 किसी भी प्रतिष्ठान, उद्योग, कारखाने, खान, तेल शोध, बागान, बंदरगाह, रेलवे, कंपनी या 10 से अधिक व्यक्तियों को काम पर रखने वाली दुकानों के कर्मचारियों को ग्रैच्‍युटी के भुगतान की अनुमति देता है।
  • अगर कर्मचारियों ने सेवा समाप्ति के समय तक कम-से-कम पाँच वर्ष की निरंतर सेवा प्रदान की है तो उन्हें ग्रैच्‍युटी का भुगतान किया जाएगा।
  • ग्रेच्युटी के संबंध में सी.सी.एस. (पेंशन) नियमावली (Central Civil Services (Pension) Rules), 1972 के अधीन केंद्रीय कर्मचारियों के लिये भी समान प्रावधान सुनिश्चित किये गए हैं।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2